दरवाजा धारियों वाली क्रीजदार पैंट और काले कोट में सजे-धजे अंग्रेज खानसामे टेरी ने खोला जो अरब की तीखी धूप की पेशा जनित उपेक्षा की शानदार नुमाइश कर रहा था. नौकर की पोशाक भी माहौल के मुताबिक बदली हुई नहीं थी, चाहे वह विशाल आंगन के केंद्र में बने फव्वारे के बीच बना दुबई का अमीरात हिल मैनसन हो या लंदन के आलीशान साउथ केंसिंग्टन इलाके में स्थित शानदार अपार्टमेंट हो या 154 फुट का पांच बेडरूम वाला याट ‘रास्ता’ हो जिसके अंदर सजावट सागवान की लकड़ी से की गई है.
मध्य-पूर्व और दक्षिण एशिया से हासिल की गईं कलाकृतियों से सजे लाउंज में आराम से बैठीं इमरान खान की नई बेगम कुछ देर में जमा होने वाली महिलाओं के जमावड़े का इंतजार कर रही हैं. पत्रकार रेहम खान याद करती हैं,’मैं परेशान हो रही थी कि मुझे और भी ज्यादा बनावटी गुड़ियों के बीच वह दोपहर बितानी पड़ेगी.’
पाकिस्तान के अगले वजीरे आजम ने समझाया,’बेबी, वे सब काफी अहमियत रखती हैं. 2013 के मेरे चुनावी
मुहिम का 66 फीसदी खर्च अकेले खुद आरिफ नकवी ने उठाया था.’
अब, नकवी अमेरिका के लिए निष्कासित किए जाने से बचने के लिए हाथ-पैर मार रहे हैं, जहां उन्हें वित्तीय घोटालों के लिए 291 साल कैद की सजा सुनाए जाने के आसार हैं. वे इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए- इंसाफ पार्टी (पीटीआइ) के उत्कर्ष के लिए फंड उपलब्ध कराने में अपनी भूमिका के लिए भी विवादों से घिर गए हैं. विस्फोटक आरोप सामने आ रहे हैं कि नकवी ने आईएसआई के पूर्व डाइरेक्टर-जनरल ले. जनरल अहमद शुजा पाशा के निर्देश पर भुगतान किए थे.
अमेरिकी में उनके खिलाफ मुकदमा दायर किया गया है कि उन्होंने घाटे को छिपाने के लिए जाली दस्तावेज सौंपे और विकासशील देशों में गरीबों की स्वास्थ्य सेवा के लिए बिल ऐंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन जैसे निवेशकों द्वारा दिए गए 40 करोड़ डॉलर के कोश में घोटाला किया.
नए सबूत बताते हैं कि उस पैसे का इस्तेमाल पाकिस्तान में फौज की अगुआई में तख्ता पलटने में किया गया.
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फौजी जनरल और इमरान
यह कहानी शायद 2008 की गर्मियों से शुरू होती है जब वजीरे आजम यूसुफ रजा गिलानी की सरकार ने आईएसआई को असैनिक शासन के तहत लाने की दिशा में कदम बढ़ाया था. इस कदम का मकसद भारत के साथ बेहतर रिश्ते बनाना और आईएसआई को अमेरिका विरोधी जिहादियों के खिलाफ काम करने में लगाना था. लेकिन इस कदम का उलटा ही नतीजा निकला. सीआईए के पूर्व अधिकारी ब्रूस रिडेल ने कहा है कि आईएसआई ने 26/11 कांड करके अमन की कोशिशों को झटका दे दिया. अमेरिकी हमले में ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद फौजी और सिविल महकमों के रिश्ते और खराब हो गए.
जनरलों को एक भरोसेमंद सियासी साझीदार चाहिए था. तालिबान जिहादियों से बातचीत के समर्थक और ज्यादा इस्लामीकरण के पक्षधर और कश्मीर मसले पर आक्रामक रुख अपनाने के हामी इमरान खान वैचारिक दृष्टि से सही नजर आ रहे थे.
सवालों से घिरने पर इमरान ने इन खबरों का खुला खंडन किया कि 2012 में आईएसआई से उसे फंड मिले थे. लेकिन उनके खिलाफ सबूत बढ़ते जा रहे थे. फ़्रेडरिक ग्रारे ने कहा कि फौज ने उनकी मदद के लिए दिसंबर 2012 में सरकार के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन करवा के बिना खूनखराबे के तख्तापलट की शुरुआत की.
इमरान ने 2013 में चुनाव जीतने की नाकाम कोशिश की लेकिन पीएम नवाज शरीफ की नई सरकार भी फौज के साथ उलझ गई. 2014 में इमरान के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शनों ने सरकार को ठप कर दिया. नवाज शरीफ का दावा है कि आईएसआई के नए चीफ, ले.जनरल जहीर-उल-इस्लाम ने उन्हें धमकाया था कि अगर वे इमरान के लिए गद्दी नहीं छोड़ते तो उनका तख्तापलट दिया जाएगा.
सरकार और फौज के बीच तनाव को शांत करने के लिए 2014 में ले.जनरल रिजवान अख्तर को आईएसआई का चीफ बनाया गया लेकिन जनरलों को अपना अधूरा काम तो पूरा करना ही था.
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इमरान के पीछे साम्राज्य
इस साल के शुरू में नकवी ने पाकिस्तान के चुनाव आयोग में हलफनामा दायर किया कि उन्होंने 2013 में इमरान के लिए 21 लाख डॉलर का फंड जुटाया था. उसी दौरान फौजी जनरल इमरान को आगे बढ़ा रहे थे. पाकिस्तान के चुनाव कानून राजनीतिक दलों के लिए विदेशी चंदे पर रोक लगा राखी है लेकिन नकवी ने कहा कि उन्होंने पैसे पाकिस्तानी नागरिकों से ही उगाहे हैं. केमैन द्वीप में रजिस्टर्ड वूट्टन क्रिकेट नाम की कंपनी के मार्फत पैसे भुगतान किए गए थे जिसने केवल ‘फंड जमा करने की सुविधाजनक और पहचाने जा सकने वाले जमाकर्ता की भूमिका निभाई.’
लेकिन पत्रकार और लेखक सिमोन क्लार्क ने पिछले सप्ताह खुलासा किया कि बैंक रेकॉर्ड के मुताबिक इमरान की पार्टी को मार्च 2013 में नकवी की अबराज इनवेस्टमेंट मैनेजमेंट कंपनी ने 13 लाख डॉलर दिए थे. अबराज ने बाद में इस दान को होल्डिंग कंपनी के खर्चे में दिखा दिया जिसके जरिए वह बिजली आपूर्ति फर्म कराची इलेक्ट्रिक पर नियंत्रण रखती थी.
दस्तावेज बताते हैं कि वूट्टन क्रिकेट को अलग से 20 लाख डॉलर यूएई के मंत्री शेख नहयान बिन मुबारक अल-नहयान से मिले.
इमरान ने माना है कि उन्हें नकवी से फंड मिले थी लेकिन वे कहते हैं कि वे सामान्य राजनीतिक चंदे थे. इसका कोई खुलासा नहीं किया गया है कि इस व्यवसाई और शेख ने उनका राजनीतिक भविष्य बनाने के लिए क्यों इतने पैसे दिए.
मार्गोट गिब्स और मालिया पुलित्ज़र ने पिछले साल जो पड़ताल की उससे खुलासा हुआ कि इमरान की करीबी मंडली के कई लोगों ने, जिनमें उनके मंत्री शौकत तरीन, चौधरी मूनीस इलाही और मखदूम खुसरो बख्तियार भी शामिल हैं, विदेशी त्रासतों और कंपनियों में लाखो डॉलर जमा कर रखे हैं. पाया गया कि पीटीआई को चंदा देने वाले एक प्रमुख दानकर्ता तारीक शफी ने विदेशी बैंकों में 21.5 करोड़ डॉलर जमा कर रखे हैं.
जनरल पाशा को 2012 में रिटायर होने के बाद यूएई का सलाहकार नियुक्त कर लिया गया. 2016 से वे डब्लूएके ग्रुप के कंसल्टेंट का कमा करने लगे. बताया जाता है कि नेता और बड़े व्यवसायी वकार अहमद खान ने खुली बोली के बिना आवंटित गैस कोटा से भारी मुनाफा कमाया. ब्रिटिश अदालतों ने डब्लूएके ग्रुप को लंदन की एक जायदाद पर 21 बेडरूम वाला महल, बेसमेंट, स्विमिंग पूल, सिनेमाघर, सोना और बाग बनाने की एक प्रोजेक्ट के लिए कर्ज लेकर उसके भुगतान में गड़बड़ी करने का दोषी पाया है.
बिजली बहादुर
कराची ग्रामर स्कूल और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़ाई कर चुके नकवी ने अपनी शिक्षा का फायदा उठाते हुए उस दुनिया में कदम रख दिया जिसमें कामयाबी अपनी पहुंच और गोलमाल करने की महारत पर निर्भर होती है. 1982 में उन्होंने बड़े व्यवसायी इब्राहिम इस्माइल चुंदरीगर की वारिस फायीजा चुंदरीगर से शादी कर ली. इब्राहिम इस्माइल चुंदरीगर 1957 में 55 दिन के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने थे. कई बड़े बैंकों में आला पदों पर काम करने के बाद नकवी यूएई चले गए और अबराज कंपनी बनाई. अपने उत्कर्ष पर इस कंपनी के पास छह महादेशों में 13.6 अरब डॉलर मूल्य की परिसंपत्तियां थीं.
हिलेरी और बिल क्लिंटन, बराक ओबामा और बिल गेट्स को नकवी अपने दोस्तों में गिनते थे. वे आला विश्वविद्यालयों और प्रतिष्ठित संस्थाओं को दान दिया करते थे. इसके बाद नकवी ने कराची इलेक्ट्रिक नाम की ‘दलदल’ के निर्माण में बड़ा दांव लगा दिया.
1950 के दशक के बाद से कराची बिजली आपूर्ति व्यवस्था धीरे-धीरे बिखरती गई है. उपभोक्ता बिलों का भुगतान करने से परहेज करते रहे हैं. सरकारों ने इन्फ्रास्ट्रक्चर पर कम निवेश करती रही हैं. 2005 में सरकार ने 1 डॉलर की प्रतीकात्मक रकम पर कराची इलेक्ट्रिक को अबराज को देने की पेशकश की गई. आखिरकार एक सऊदी-कुवैत संघ ने कराची इलेक्ट्रिक के 71 फीसदी शेयर हासिल कर लिए.
इस संघ को जल्दी ही पता चल गया कि उसने एक गलती कर दी. 2008 में औद्योगिक कार्रवाई के कारण पूरे कराची में ब्लैकआउट होने के बाद नकवी को फिर उसका अधिग्रहण करने के लिए कहा गया. इस बार, वे राजी हो गए. अमेरिका में बैठे दोस्तों ने मदद की, उन्होंने 7.5 अरब डॉलर का सहायता पैकेज पेश किया जो पाकिस्तान में बिजली सेक्टर में सुधार लाने में मददगार हो सकता था.
फारुख अब्बास को, जो अपने पत्नी के जरिए तत्कालीन राष्ट्रपति जरदारी के रिश्तेदार हैं, पाकिस्तान में अबराज का नेतृत्व करने के लिए नियुक्त किया गया. राष्ट्रपति ने कराची इलेक्ट्रिक के निजीकरण का जो फैसला किया उसका उनकी अपनी पार्टी में ही विरोध किया गया. 2011 में, अबराज ने उसके 4,300 कर्मचारियों को बर्खास्त करने का फैसला किया था तब हिंसा भड़क गई थी. कहा गया कि यह हिंसा कथित तौर पर शासक दल के ताकतवर नेताओं ने भड़काई थी. मुमकिन है. जरदारी से मिले बुरे अनुभव की वजह से शायद नकवी को इमरान का समर्थन करने का फैसला किया.
सरकारी ग्राहकों के बकाया बिलों के पहाड़ और बिजली सप्लायरों की ओर से दिए गए कर्ज के बढ़ते बोझ से कराची इलेक्ट्रिक जूझती रही. समाधान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ओर से आया. चीन की सबसे बड़ी बिजली कंपनियों में एक, शंघाई इलेक्ट्रिक आगे आई, उसने कराची इलेक्ट्रिक को नकवी के हाथों से 1.7 अरब डॉलर में अधिग्रहीत करने की पेशकश की.
सिमोन क्लार्क और विल लाउच ने अबराज की कहानी कहने वाली अपनी प्रामाणिक किताब में लिखा है कि 2016 की गर्मियों में नकवी ने एक बिचौलिये के साथ 2 करोड़ डॉलर का एक करारनामा बनाया, ताकि प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का समर्थन मिले लेकिन शरीफ को 2017 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के कारण कुर्सी छोड़नी पड़ी. अदालत ने उन्हें भ्रष्टाचार का दोषी ठहराया था.
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टूटे सपना
विद्वान लेखक सी. क्रिश्टाइन ने दर्ज किया है कि इमरान खान फौज की मदद से 2018 में सत्ता में आए और गद्दीनशीन हुए. खराब निवेशों के कारण वित्तीय दबाव का सामना कर रहे नकवी के लिए जरूरी था कि कराची इलेक्ट्रिक की बिक्री हो जाए. लेकिन फेडरल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एफआईए) के महानिदेशक बशीर मेमन ने अड़ंगा लगा दिया. अबराज पर पाकिस्तान की सरकारी गैस कंपनी का 87 अरब डॉलर का बकाया था. मेमन ने बाद में बताया कि भुगतान की मांग करने पर कराची इलेक्ट्रिक शहर की बिजली बंद कर देने की धमकी दे देती थी और उसे छुटकारा मिल जाता था.
इमरान ने मेमन को मामला बंद करने का आदेश दे दिया. मेमन ने इनकार कर दिया तो उनका तबादला कर दिया गया. अब कराची इलेक्ट्रिक की बिक्री इसलिए अटक गई है कि यह विवाद बना हुआ है कि उस पर पाकिस्तान सरकार का कितना बकाया है और उसके ऊपर कितना कर्ज है साथ ही भविष्य में बिजली की दरें क्या होंगी.
नकवी की मदद करने के लिए इमरान ने ‘सरमाया-ए-पाकिस्तान’ नाम के ट्रस्ट के गठन का जोरदार समर्थन किया, जिसका देश के सार्वजनिक क्षेत्र की परिसंपत्तियों पर नियंत्रण हो. अबराज को उम्मीद है कि इस ट्रस्ट के कामकाज में उसे बड़ी भूमिका मिलेगी, जिसमें पूर्व कर्मचारियों को प्रमुख भूमिका मिलने वाली थी.
अबराज के कामकाज की फॉरेंसिक जांच ने नकवी को उबारने की इमरान की कोशिशों पर विराम लगा दिया. 2019 के शुरू में नकवी को हीथ्रो हवाई अड्डे पर गिरफ्तार कर लिया गया. हीरे के व्यापारी नीरव मोदी की तरह नकवी भी मानसिक अस्वस्थता के आधार पर देश से निष्कासन के फैसले के खिलाफ लड़ रहे हैं. उम्मीद है कि दोनों के मामलों पर एक साथ ही फैसला आएगा.
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) तथा पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के सत्ताधारी गठबंधन ने हालांकि नकवी के बारे में हुए खुलासों के बहाने इमरान की आलोचना की है लेकिन कोई आपराधिक जांच का आदेश नहीं दिया है. पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने कहा है कि इमरान ने निषिद्ध फंड हासिल किए लेकिन उसने जो जांच की है उसमें ना तो स्रोतों को छुआ गया है और न उनकी मंशा को. पाकिस्तान की राजनीति पर दोस्तवाद की जकड़ मजबूत दिखती है और इससे जुड़े जनरल काफी ताकतवर हैं. इसलिए पूरा सच शायद ही सामने आए.
लेखक दिप्रिंट के नेशल सिक्योरिटी एडिटर हैं. वह @praveenswami पर ट्वीट करते हैं. व्यक्त विचार निजी हैं.
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