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Wednesday, 6 November, 2024
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पंजाब से कनाडा तक — स्टारडम, लॉरेंस बिश्नोई के लिए सब जेल से ही हुआ

सिद्धू मूसेवाला से लेकर सलमान खान, बाबा सिद्दीकी और अब कनाडा तक — लॉरेंस बिश्नोई के गिरोह और बढ़ते प्रशंसक आधार से कोई बच नहीं सकता.

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हर मौसम और हर वजह से मशहूर गैंगस्टर वापस आ गया है. लॉरेंस बिश्नोई ने इस हफ्ते एक बार फिर से भारतीयों के दिमाग पर कब्ज़ा कर लिया है. इस बार, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सिख कट्टरपंथियों को निशाना बनाने में उनकी संलिप्तता के लिए उसका नाम लिया.

पूरे हफ्ते बिश्नोई के बारे में कई तरह की साजिशें सामने आईं. कुछ लोग उसे किराए के नए बंदूकधारी के रूप में लेबल करते हैं, जबकि अन्य उसे “देशभक्त” और “शेर” कहते हैं. फिल्म निर्माता राम गोपाल वर्मा ने उसे “अच्छे दिखने वाले” कहकर बीच में ला खड़ा किया. सिद्धू मूसेवाला से लेकर सलमान खान, बाबा सिद्दीकी और अब कनाडा तक — गैंगस्टा ब्लॉक में इस नए लड़के से कोई बच नहीं सकता. यही कारण है कि लॉरेंस बिश्नोई दिप्रिंट के लिए न्यूज़मेकर ऑफ द वीक है.

ब्लैक हुडी, ऑरेंज टी-शर्ट और एकदम सटीक दाढ़ी और मूंछों में उसकी तस्वीर समाचारों में छाई रही. पत्रकार वीर सांघवी ने एक लेख में लिखा, अगर बिश्नोई के बारे में सिद्धांतों पर विश्वास किया जाए, तो उसने वह हासिल किया है जो अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम नहीं कर सका. न्यूज़लॉन्ड्री ने बिश्नोई की “पीआर ब्रिगेड” के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए एक लेख प्रकाशित किया.

हालांकि, सोशल मीडिया पर, हर कोई बिश्नोई की कहानी पर यकीन नहीं करता. कुछ लोग कहते हैं कि अगर वह वास्तव में अपने खिलाफ आरोपों के लिए दोषी है, तो यह “व्हाइट कॉलर्स” की मदद के बिना संभव नहीं होगा, कुछ ने तो “सरकारी गैंगस्टर” शब्द भी गढ़ा है. हिंदू दक्षिणपंथियों ने सलमान खान को धमकाने के लिए उसे “देशभक्त” और “शेर” तक कहा है, खासकर कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी के उसकी “सूची” में होने की खबर आने के बाद.

इस बीच, नोएडा स्थित निर्माता अमित जानी ने बिश्नोई की ज़िंदगी पर एक वेब सीरीज़ बनाने की योजना की घोषणा की है.


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लॉरेंस बिश्नोई — पंजाब से कनाडा

जब पंजाब के मानसा में 28-वर्षीय मूसेवाला की हत्या हुई, तब लॉरेंस बिश्नोई 2021 में महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत आरोपित होने के बाद दिल्ली के तिहाड़ की उच्च सुरक्षा वाली जेल में था.

2014 से जेल में रहने के दौरान, उसके पास एक फोन था, जिससे वह हत्या की योजना पर नज़र रख सकता था. वास्तव में, उसने कथित तौर पर इंस्टाग्राम पर कांग्रेस नेता और गायक का पीछा किया. मूसेवाला की हत्या के लिए गोलियां बिश्नोई और गोल्डी बराड़ के भाई, युवा अकाली दल के नेता विक्की मिड्दुखेड़ा की कथित तौर पर प्रतिद्वंद्वी बंबीहा गिरोह के सदस्यों द्वारा हत्या के बाद बनाई गई थीं. मूसेवाला के गाने ‘बंबीहा बोले’ के सोशल मीडिया पर रील ने मामले को और खराब कर दिया.

जब शूटरों ने उसके सहयोगी गोल्डी बराड़ को बताया कि काम हो चुका है, तो स्पेशल सेल के जांचकर्ताओं ने बिश्नोई से पूछताछ की. कुछ शूटर गिरफ्तार किए गए, जबकि बिश्नोई गिरोह के अन्य मोहरे पंजाब पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे गए.

जबकि बिश्नोई का नाम पहले भी कई मामलों में सामने आया था, मूसेवाला मामले ने उसे शाही दर्जा दे दिया. फिर इस साल बाबा सिद्दीकी की हत्या हुई और अब कनाडा ने भारत पर विदेशी धरती पर हमले करने के लिए उसका इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है.

साबरमती जेल में बैठा 31-वर्षीय बिश्नोई इस तथ्य पर मुस्कुरा रहा होगा कि वह अब भारत में सिर्फ एक “चर्चित विषय” नहीं है, बल्कि दो देशों के बीच कूटनीतिक विवाद का भी विषय है.

क्या उसने इनमें से किसी हाई-प्रोफाइल मामले में भूमिका निभाई है या रॉ द्वारा उसका इस्तेमाल किया जा रहा है, यह अनिश्चित है, लेकिन एक बात स्पष्ट है: इन सबने केवल उसके प्रभाव को बढ़ाया है और युवा प्रशंसक तेज़ी से उसके झांसे में आ रहे हैं. उसकी तुलना दाऊद इब्राहिम से की जा सकती है, लेकिन उसके पतन के बारे में तो समय ही बताएगा.

जहां तक ​​उसके खिलाफ लगभग तीन दर्जन मामलों की बात है, तो भारतीय पुलिस यह सुनिश्चित कर रही है कि वो न्यायिक जांच का सामना कर सके. हम सभी जानते हैं कि ठोस सबूतों के अभाव में अक्सर मामलों में दोषमुक्ति हो जाती है.

लॉरेंस बिश्नोई का काले हिरण के प्रति जुनून

1993 में पंजाब के फाजिल्का जिले में जन्मा बिश्नोई पंजाब विश्वविद्यालय में एक जोशीला छात्र था. एक बात जो उसने सही की वह थी सही दोस्त चुनना, पंजाब (गोल्डी बराड़) और हरियाणा (संपत नेहरा) दोनों से खुद को जोड़ना.

2014 में गिरफ्तार होने के बाद, उसे अपने गॉडफादर जसविंदर सिंह उर्फ ​​रॉकी का समर्थन मिला, जो एक असफल राजनेता और गैंगस्टर था, जिसने छोटे-मोटे अपराधों से शुरुआत की थी, लेकिन अब उस पर नशीले पदार्थों और हथियारों की तस्करी का आरोप है — ऐसे मामले जो भारतीय जांच एजेंसियों को परेशान कर रहे हैं.

एक साधारण परिवार से आने वाले बिश्नोई के पिता एक किसान थे. वो कानून की पढ़ाई करना चाहता था, लेकिन 2011-2012 में विश्वविद्यालय के चुनावों के दौरान कानूनी व्यवस्था से उसका सामना पहले हो गया.

जब सलमान खान ने 1998 में कथित तौर पर दो काले हिरणों को मारा, तब बिश्नोई सिर्फ पांच साल का था. फिर भी, उसने बिश्नोई समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए बॉलीवुड अभिनेता को जान से मारने की कसम खाई. खान के बांद्रा स्थित घर पर शूटर भेजने से लेकर उनके पनवेल स्थित फार्महाउस में उनकी हत्या की साजिश रचने तक, बिश्नोई ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जब तक खान माफी नहीं मांग लेते, तब तक वो शांति से नहीं बैठेगा.

यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि बिश्नोई, जो अब सबसे चर्चित गैंगस्टरों में से एक है — भारत और कनाडा दोनों में हर तरह के अपराध में आरोपी है — 2014 से सलाखों के पीछे से रियल एस्टेट बिल्डरों, अभिनेताओं, पंजाबी गायकों को हत्या, जबरन वसूली और धमकियां दे रहा है.

बिश्नोई को कम से कम सात जेलों में स्थानांतरित किया गया है और यहां तक कि जेल अधिकारियों पर भी उसे दण्ड से मुक्त करने में मिलीभगत का आरोप है.उसने उन्हें जान से मारने की धमकियां भी दी हैं. जब भी रोहित गोदारा और बराड़ जैसे सहयोगी लक्षित हत्याओं और हाई-प्रोफाइल धमकियों की जिम्मेदारी लेते हैं — जैसे कि गायक एपी ढिल्लों और गिप्पी ग्रेवाल के खिलाफ — तो अंडरवर्ल्ड में बिश्नोई की “ग्लैमरस” स्थिति बढ़ जाती है. युवा फॉलोअर्स अक्सर उसके फैन पेज पर छा जाते हैं, उसे “बिश्नोई भाई” कहते हैं और “लॉरेंस बिश्नोई गैंग” जैसे हैशटैग का इस्तेमाल करते हैं.

लॉरेंस बिश्नोई गिरोह, बड़ा खूनी परिवार

दुनिया भर के गिरोहों में खून-खराबा, धमकियां और प्रतिद्वंद्वियों की हत्याएं आम बात हैं, लेकिन लॉरेंस बिश्नोई का प्रभाव एक कुशल वार्ताकार के रूप में उसके कौशल से उपजा है.

जांचकर्ताओं का कहना है कि हालांकि, उसका नाम कई मामलों में है, लेकिन उसकी सक्रिय भागीदारी साबित करना ही मुख्य बात है.

एक दशक तक जेल में रहने के दौरान, बिश्नोई ने सहयोगियों के साथ संबंध बनाए रखे. उसके काम करने के तरीके को “राजनीतिक” बताया जाता है, जिससे बिश्नोई गिरोह दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और यहां तक कि महाराष्ट्र और गुजरात में भी छा गया. उसके कम चर्चित भाई अनमोल बिश्नोई ने वफादारी से उसके इन्फ्लुएंस को बढ़ाने में मदद की है.

उसकी बातचीत के कौशल ने सिंडिकेट को 700 सक्रिय सदस्यों तक बढ़ने दिया है, जिसमें बढ़ती संख्या में युवा पुरुष — यहां तक कि नाबालिग भी — शार्पशूटर की भूमिका निभा रहे हैं.

बिश्नोई को भाग्यशाली भी कहा जा सकता है.

जब उत्तरी क्षेत्र को एक नेता की ज़रूरत थी, तो उसके सहयोगी जितेन्द्र मान गोगी को प्रतिद्वंद्वी टिल्लू ताजपुरिया गिरोह ने गोली मार दी. टिल्लू को बाद में दिल्ली के तिहाड़ में मार दिया गया. इसके अलावा, राजस्थान पर शासन करने वाले आनंद पाल को 2017 में एक मुठभेड़ में मार दिया गया और एक अन्य प्रतिद्वंद्वी राजू थेट को 2022 में मार दिया गया. इसने बिश्नोई के लिए शीर्ष पर पहुंचने के लिए जगह बनाई, खासकर तब जब गोदारा और बराड़ दोनों विदेश में हैं.

इसके अलावा, अनुराधा चौधरी, जो कथित तौर पर पाल के साथ काम करती थी, ने हाल ही में बिश्नोई के सहयोगी काला जठेड़ी से शादी की. यह अब एक बड़ा, खूनी खुशहाल परिवार बन गया है.

(व्यक्त किए गए विचार निजी हैं)

(न्यूज़मेकर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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