ट्विटर के जैसे ही नए सीईओ की खबर आई, पाकिस्तानी सोशल मीडिया पर उनके सीईओ बनाम हमारे सीईओ के मानो टी-20 मुकाबले में उतर आए. माइक्रो-ब्लागिंग साइट के नए सीईओ पराग अग्रवाल का जन्म भारत में हुआ है, यह सुनकर पाकिस्तान में जैसे आत्म-मंथन की बाढ़ आ गई, ठीक वैसे ही जैसे दिसंबर के महीने में कई लोग खुद से पूछते हैं कि आखिर साल भर किया क्या.
एक यूजर ने पूछा, ‘भारत ने आइटी में इन्वेस्ट किया, पाकिस्तान ने किसमें किया?’ फिर यह सवाल करने वाले भी कई थे कि ‘क्यों हम कहीं नहीं पहुंचे और वे हर जगह हैं?’ मगर सब कुछ अफसोसनाक नहीं है, ऐसे पाकिस्तानी बाहर हैं जिनका मुकाबला कोई नहीं कर सकता, चाहे ‘सिटी ऑफ प्राग’ ही ट्विटर का सीईओ क्यों न हो.
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जहां न्यूटन को दुपट्टे से ढकने की मांग है
हमें अब तक यही मालूम है कि भारत में जन्मे और देश की सरकारी यूनिवर्सिटी में पढ़े टेकी गूगल, आइबीएम, माइक्रोसॉफ्ट और अब ट्विटर के टॉप पर हैं. इसलिए पाकिस्तानी सवाल दाग रहे हैं कि आखिर हम आइटी मोर्चे में कहां हैं? हमारे आइआइटी कहां हैं? इस मसले पर संजीदा बहस से पता चलेगा कि इस दिशा में कोई पॉलिसी या संजीदगी ही नहीं हैं. जब एक के बाद एक फौजी और गैर-फौजी सरकारों की प्राथमिकता कुर्सी से चिपकी रहने की हो, तो दुनिया के मंच पर होड़ के लिए प्रतिभा तैयार करने वाले टेक्नॉलजी संस्थान कोई करिश्मा नहीं कर पाते. विज्ञान और टेक्नोलॉजी मंत्रालय को उम्दा पोर्टफोलियो के बदले कमतर तैनाती मानी जाती है. टेक्नोलॉजी संस्थानों की तो बात ही छोड़ दें, इमरान खान सरकार के ‘एक कौमी पाठ्यक्रम’ के तहत मजहबी मौलवी चाहते हैं कि बॉयोलॉजी के टेक्स्टबुक में बिना कपड़े वाले डायग्राम न प्रकाशक छापें, न छात्र उन्हें देखें. बॉयोलॉजी के छात्र अपनी कल्पना से एनाटॉमी पढ़ें. जब मांग न्यूटन को दुपट्टे में ढकने की हो, तो अंतरिक्ष कार्यक्रम और आइआइटी की बातें तो दूर की कौड़ी लगती हैं. यहां तो हवा ही उलटी बह रही है. सोचिए, प्रधानमंत्री यूनिवर्सिटी से कह रहे हैं कि वे पारिवारिक जिंदगी पर पश्चिमी सभ्यता के बुरे प्रभावों पर शोध करें, तो प्राथमिकताएं क्या हैं.
Some reality check …
Twitter- Parag Agarwal
Google – Sundar Pichai
Microsoft – Satya Nadella
IBM – Arvind Krishna
Adobe- Shantanu Narayen
VMWare – Raghu Raghuram
Vimeo – Anjali Sud
Google Cloud – Thomas Kurian
NetApp – George Kurian
Palo Alto Networks – Nikesh Arora— Umar Saif (@umarsaif) November 30, 2021
लेकिन भारत की बात आने पर पाकिस्तान में कौन नहीं चाहता कि मुकाबले में जीतें, चाहे मामला विदेश में प्रतिभा दिखाने का ही क्यों न हो? हमेशा की तरह पाकिस्तान जीता और कैसे. अगर पिछले महीने हमें कुछ सीख मिली है, तो यह कि विदेश में पाकिस्तानी प्रतिभा का कोई जोड़ नहीं है.
एक वक्त वह था कि एक पाकिस्तानी अमेरिकी डॉक्टर अपनी अमेरिकी नागरिकता त्यागकर, नौकरी छोडक़र, लेक-हाउस बेचकर नए पाकिस्तान में लौटने का कौल उठा रहा था. उसे झील वाला डॉक्टर नाम दिया गया. तीन साल गुजर गए, कोई नहीं जानता कि वह देशप्रेमी डॉक्टर कहां है, यकीनन पाकिस्तान में किसी झील के किनारे तो नहीं है. समझदार विदेशी पाकिस्तान वहां के पेट्रोल पंपों पर इंतजार करते ‘हमवतनों’ से कहते रहे हैं कि ब्रिटेन और अमेरिका में पेट्रोल पाकिस्तान से महंगा है, इसलिए सरकार का समर्थन करो. फिर दक्षिण अफ्रीका से एक दूसरी समझदार आवाज हमवतनों से कहती है कि दक्षिण अफ्रीका में एक तरबूज 800 रु. में मिलता है, शुक्र है कि तुम्हें तरबूज की महंगाई नहीं मार रही है. इस महीने हम पाकिस्तान में गैस की किल्लत का बयान करते विदेशी पाकिस्तानियों को लकड़ी पर खाना पकाते देख सकते हैं. ये पाकिस्तान के महंगाई सीईओ हैं, जिनका गूगल, ट्विटर के सीईओ भला क्या मुकाबला करेंगे.
Looks like Pak is not #JustLikeIndia unlike what the parha likha jahaliya of this country like to tell me.
Also #ThankyouJinnah https://t.co/2u8xITbvAL
— Xerxes Rex ریکس (@Klashanfork) November 30, 2021
जलती है दुनिया
दुनिया पाकिस्तान में जन्मे अमीर-उमरा लोगों पर गौर करने से इनकार करती है, जिनमें ज्यादातर ने अपने दम पर नाम कमाया है. वल्र्ड रिकॉर्ड बनाने वाले ‘पिज्जा सीईओ’ के ‘वाटरकिट मार्वेल’ (कार पेट्रोल नहीं, पानी से चलाने वाला) को हर कोई भुला बैठा है. दुनिया तो उस इंकलाबी का नाम लेने से भी जलती है, जिसने बिजली की समस्या सुलझाने का नायाब आइडिया दिया कि जिन्न को पकड़ो और बिजली बना लो. दुनिया पक्षपाती है. भला दुनिया भर की आतंकी फेहरिस्त में पाकिस्तानियों के नाम की और क्या वजह हो सकती है? वह भी बिना किसी विदेशी मदद, बिना किसी आइआइटी के अपने दम पर बनाए हुए? ऐसी ढेरों मिसालें हैं. मसलन, अंतरिक्ष में करोड़ों डॉलर की मशीन भेजने के बदले भारत में बैलून भेज देना. फिर भी भारत ने अपने विंग कमांडर को तोहफा दिया. मगर 2019 में ड्यूटी पर जमे राडारों को कौन इनाम देगा? ये भारत के खिलाफ पाकिस्तान की टेक्नोलॉजी की जीत की कामयाब कहानियां हैं.
ایک نقطہ نظر یہ بھی ہے ? pic.twitter.com/ux5iYritHB
— Saad Maqsood سعـــــد مقصـــــــــود (@SaadMaqsud) December 1, 2021
आइआइटी में टी (टेक्नोलॉजी) की यह दास्तां दूर तलक जा सकती है, मगर कुछ-एक नाम लें तो पाकिस्तानी ट्विटर ने दिखाया है कि 5वीं पीढ़ी की जंग के तरीकों में पाकिस्तान के पास एक मारक औजार हैशटैग गलम-गलौच ब्रिगेड है, जो देश में आलोचकों पर निशाना साधता है, जैसे रियलिटी टीवी स्टार वीना मलिक, एक अमेरिका रिटर्न पाकिस्तानी ब्लॉगर, और हुक्मरानों के कई यूट्यूबर.
लेकिन अफसोस के साए को उतार फेंकिए क्योंकि हमें ट्विटर के सीईओ से कोई लेनादेना नहीं. एक दिन पाकिस्तान का ओवल ऑफिस में अपना राष्ट्रपति होगा. इंतजार करो और देखो!
(लेखिका पाकिस्तान की फ्रीलांस पत्रकार हैं. उनका ट्विटर हैंडल @nailainayat है. व्यक्त किए गए विचार निजी हैं)
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