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Wednesday, 20 November, 2024
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विराट कोहली ही नहीं ये पांच क्रिकेट स्टार टीम इंडिया के लिए मैच पलटने की ताकत रखते हैं

दुनिया की किसी भी बड़ी टीम के कप्तान का सपना ही यही होता है कि उसके पास टीम में शामिल 11 के 11 खिलाड़ी मैच पलटने की ताक़त रखतें हों. विराट के पास अब ऐसी ही टीम बनती दिख रही है.

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ये कहानी दिलचस्प है. आख़िर ये 5-स्टार खिलाड़ी क़ौन हैं, ये क्या करते हैं? जवाब भी बताते हैं- ये 5 स्टार खिलाड़ी हैं श्रेयस अय्यर, केएल राहुल, रोहित शर्मा, शार्दुल ठाकुर और जसप्रीत बुमराह. क्रिकेट फैंस जैसे ही इन नामों पर गौर करेंगे उन्हें कहानी समझ आ जाएगी. ये पांचो खिलाड़ी टी-20 सीरीज़ के पांच मैचों के मैन ऑफ़ द मैच खिलाड़ी हैं. इन्हीं की बदौलत भारतीय टीम ने न्यूज़ीलैंड में वो कारनामा किया जो अब तक दुनिया की कोई भी टीम नहीं कर पाई थी. यानी 5 टी-20 मैचों की सीरीज़ में व्हाइटवॉश. एक और ज़रूरी बात का ज़िक्र करना चाहिए. इन पांच नामों में विराट कोहली का नाम नहीं है. यानी इस बात को ऐसे समझिए कि अब टीम इंडिया को जीत के लिए सिर्फ़ अपने कप्तान विराट कोहली की तरफ़ देखने की आदत नहीं रही. अब टीम के बाक़ी खिलाड़ी अपने अंदर के मैच विनर को लेकर मैदान में जाते हैं और हाथ आए मौक़े को भुनाते है. दुनिया की किसी भी बड़ी टीम के कप्तान का सपना ही यही होता है कि उसके पास टीम में शामिल 11 के 11 खिलाड़ी मैच पलटने की ताक़त रखतें हों. विराट के पास अब ऐसी ही टीम बनती दिख रही है.

पहले तीन मैच बल्लेबाज़ी के दम पर जीते

इस सीरीज़ में भारत की पहली ही जीत से न्यूज़ीलैंड के हौसले टूट गए. दरअसल, टी-20 में न्यूज़ीलैंड की टीम के पास स्पेशलिस्ट खिलाड़ियों की फ़ौज है. इस फ़ॉर्मेट में उन खिलाड़ियों को स्पेशलिस्ट कहा जाता है जिनका स्ट्राइक रेट 150 से ऊपर का हो. कीवियों के पास कॉलिन मनरो और ग्रैंडहोम जैसे खिलाड़ी थे. पहले ही मैच में 203 रन जोड़कर न्यूज़ीलैंड ने इस आक्रामक बल्लेबाज़ी का मुज़ाहिरा भी किया लेकिन भारतीय टीम ने उसे करारा जवाब दिया. इतने बड़े लक्ष्य का पीछा करने में रोहित शर्मा नहीं चले. विराट भी आउट हो गए थे. ऐसे वक्त में मैच विनर का रोल श्रेयस अय्यर ने पूरा किया. नंबर चार की लंबे समय से चली आ रही किचकिच को सुलझाते हुए उन्होंने कमाल की बल्लेबाज़ी की.


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अगले मैच में केएल राहुल ने जीत दिलाने का मोर्चा संभाला. अपेक्षाकृत लो स्कोरिंग मैच में उन्होंने 57 रनों की पारी खेली. तीसरे मैच में तो क्रिकेट फैंस की सांसें थम गई थीं. बाज़ी सुपरओवर में पहुंची. पहले दोनों मैच में रोहित शर्मा का बल्ला नहीं चला था. लेकिन इस मुश्किल घड़ी में उन्होंने आख़िरी दो गेंदों पर लगातार छक्के लगाकर जीत दिलाई. ये कीवियों का मनोबल तोड़ने वाली जीत थी. इस बात का ज़िक्र करना भी ज़रूरी है कि रोहित शर्मा ने इस मैच में जीत दिलाने का श्रेय मोहम्मद शमी को दिया जिन्होंने आख़िरी ओवर में न्यूज़ीलैंड को 9 रन नहीं बनाने दिए थे और मैच सुपर ओवर में पहुंचा था.

आख़िरी दो मैच की जीत गेंदबाज़ों के नाम

सीरीज़ पर क़ब्ज़ा होते ही विराट कोहली ने बेंच स्ट्रेंथ आज़माने का फ़ैसला किया. उन्होंने चौथे मैच में तीसरे मैच दो सुपरस्टार यानी मोहम्मद शमी और रोहित शर्मा को आराम दिया. लेकिन क़िस्मत देखिए एक बार फिर बाज़ी सुपरओवर में पहुंच गई. इस बार शार्दुल ठाकुर ने ये कमाल किया था. उन्होंने मैच के आखिरी ओवर में कीवियों को सात रन बनाने से रोक दिया. बाजी जब सुपर ओवर में पहुंची तो न्यूज़ीलैंड ने इस बार टीम इंडिया के सामने 14 रनों का लक्ष्य रखा. रोहित प्लेइंग 11 में नहीं थे तो ये जिम्मेदारी केएल राहुल और विराट कोहली ने पूरी की.


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आखिरी मैच की कहानी भी दिलचस्प है. रोहित शर्मा की शानदार बल्लेबाजी के बाद भी टीम इंडिया ने कीवियों के सामने 164 रनों का ही लक्ष्य रखा. 10 ओवर की बल्लेबाजी के बाद ऐसा लग रहा था कि न्यूज़ीलैंड की टीम आखिरी टी-20 मैच आसानी से जीत लेगी. 12.3 ओवर में कीवियों के स्कोरबोर्ड पर 3 विकेट पर 116 रन थे. यानी पचास रनों से भी कम का लक्ष्य बाकी रह गया था. लेकिन इसके बाद विकेट गिरने का सिलसिला शुरू हुआ तो भारतीय गेंदबाजों ने गजब की लय से गेंदबाजी की. जसप्रीत बुमराह अलग ही तेवर में नजर आए. उन्होंने डेरिल मिचेल को आउट कर न्यूज़ीलैंड की बल्लेबाजी को लोवर मिडिल ऑर्डर की तरफ ढकेला और फिर उसे भी ध्वस्त कर दिया. नतीजा कीवियों की टीम 20 ओवर में 9 विकेट पर 156 रन ही बना पाई. बुमराह का 4 ओवर का स्पेल ही कीवियों पर भारी पड़ गया. जिसमें उन्होंने सिर्फ 12 रन देकर 3 विकेट लिए. जिस साल टी-20 का विश्वकप खेला जाना हो उसी साल में अगर विराट कोहली की टीम में ऐसे खिलाड़ी अपने रोल को निभाएंगे तो नतीजे सुपरहिट होंगे. याद कीजिए आखिरी बार आपने कब देखा था कि पांच मैचों की सीरीज में पांच अलग-अलग मैन ऑफ द मैच देखने को मिले हों….. मुश्किल है.

(शिवेंद्र कुमार सिंह खेल पत्रकार हैं. पिछले करीब दो दशक में उन्होंने विश्व कप से लेकर ओलंपिक तक कवर किया है. फिलहाल स्वतंत्र लेखन करते हैं.)

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