10 साल के बाद पाकिस्तान में टेस्ट क्रिकेट क्या लौटा पीसीबी मुखिया एहसान मनी की जुबां ही बदल गई. मनी कुछ बड़ी बातों को भूल गए और सीधे प्रेस कॉन्फ्रेंस करने चले आए. सिर्फ प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करते तो ठीक था, कैमरे क्या देखे उनका मिजाज ही बदल गया, कहने लगे कि अब पाकिस्तान क्रिकेट खेलने के लिए सुरक्षित है. अब जो टीमें पाकिस्तान खेलने नहीं आना चाहती हैं, उन्हें बताना चाहिए कि पाकिस्तान में उन्हें असुरक्षित क्यों लगता है और तो और उन्होंने यहां तक कहा कि घटनाएं तो ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड जैसे देशों में भी हो जाती हैं. भारत में तो सुरक्षा के हालात और खराब हैं. ये बात एहसान मनी ने सोच भी कैसे ली इस बात पर हैरानी होती है. उनका बयान जब घूम फिरकर हर जगह पहुंचा तो सोशल मीडिया सहित हर जगह उनकी जग हंसाई शुरू हो गई.
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की तरफ से भी करारा जवाब मिला. बीसीसीआई ने कहा- एहसान मनी अपने देश की फिक्र करें, हिंदुस्तान की चिंता ना करें, आगे बढ़ने से पहले आपको बस इतना याद दिला दें कि इस साल ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, वेस्टइंडीज जैसी टीमें भारत के दौरे पर आ चुकी हैं. इसके अलावा आईपीएल में दुनिया भर के स्टार खिलाड़ी हिंदुस्तान में हर साल जुटते हैं. लिहाजा सुरक्षा को लेकर भारत और पाकिस्तान में कोई तुलना ही नहीं है. ये बात दुनिया भर की क्रिकेट टीमें भी जानती हैं.
यह भी पढ़ें : जब पाकिस्तान में डेविस कप नहीं हुआ तो एशिया कप कैसे होगा
श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट सीरीज से बदले तेवर
करीब दस साल का वक्त बीत गया. लाहौर में गद्दाफी स्टेडियम के लिए जाते वक्त श्रीलंका की टीम की बस पर आतंकी हमला हुआ था. उस हमले में श्रीलंकाई खिलाड़ियों के साथ-साथ आईसीसी अंपायर घायल हो गए थे. इस घटना के बाद से पाकिस्तान में अंतरराष्ट्रीय टीमों ने जाना बंद कर दिया. पाकिस्तान बिल्कुल अलग-थलग पड़ गया. पहले तो पीसीबी ने हाथ पैर मारे, लेकिन बाद में उन्होंने ज्यादातर मैच दुबई में खेलना शुरू कर दिया. पीसीबी मुखिया एहसान मनी शायद भूल गए कि इसी साल श्रीलंका की टीम जब वनडे सीरीज खेलने आई थी तो उसके कई सीनियर खिलाड़ी साथ में नहीं आए थे. उस पर से जो खिलाड़ी आए भी थे उन्होंने वापस जाकर कहा था कि उन्हें कैदियों की तरह होटल में बंद करके रखा गया.
खिलाड़ियों से अलग पाकिस्तान की आवाम भी उस सीरीज के सुरक्षा इंतजामों की वजह से हुई असुविधा से बहुत नाराज था. सोशल मीडिया में एक वीडियो बहुत वायरल हुआ था जब एक पाकिस्तानी शख्स ने टीम के साथ चलने वाली पुलिस गाड़ियों की गिनती की थी. तमाम टीवी चैनल्स पर इस बात को लेकर ‘डीबेट’ हुई थी कि एक सीरीज के लिए क्या शहर के हालात कर्फ्यू जैसे बनाना ठीक है. समझना ये भी होगा कि वो तो श्रीलंकाई क्रिकेट की भी हालत इन दिनों अच्छी नहीं है लिहाजा उन्होंने मजबूरन पाकिस्तान आना स्वीकार कर लिया, वरना अगर बात ‘मेरिट’ पर होती तो श्रीलंका की टीम शायद ही पाकिस्तान में खेलने के लिए हामी भरती. इस बात को ऐसे भी समझा जा सकता है कि जिस समय एहसान मनी बेतुका दावा कर रहे थे उसी समय बांग्लादेश की टीम पाकिस्तान में खेलने को लेकर आनाकानी कर रही है.
भारत के मुकाबले पिछड़ने के गम से उबर नहीं पाया पाकिस्तान
खेल के मैदान में पाकिस्तान भारत के मुकाबले बहुत ज्यादा पिछड़ता चला जा रहा है. डिपार्टमेंट्ल क्रिकेट खत्म किए जाने के बाद पाकिस्तान में पूर्व क्रिकेटर टैक्सी चलाने को मजबूर हैं. इसके अलावा मौजूदा खिलाड़ियों को भी कई महीने से पीसीबी से सैलरी नहीं मिली है. पाकिस्तान के ऑडिट विभाग ने पीसीबी पर अरबों के घोटाले का आरोप लगाया है.
यह भी पढ़ें : पाकिस्तानी खिलाड़ियों को बैंक बैलेंस बढ़ाना आता है, आतंकी हमले पर ग़म जताना नहीं
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के पास पैसे नहीं हैं. लेकिन उनके हुक्मरान ऑस्ट्रेलिया दौरे पर टीम के साथ गए थे. मैदान के भीतर ऑस्ट्रेलिया में पाकिस्तान का जो हाल हुआ था वो हर किसी को याद है. पिछले कई साल से इंडियन प्रीमियर लीग में पाकिस्तानी खिलाड़ियों के खेलने पर पाबंदी है. पाकिस्तान के तमाम पूर्व क्रिकेटर्स अपने अपने यूट्यूब चैनल खोलकर भारतीय टीम की तारीफ में ही जुटे रहते हैं. लेकिन, एहसान मनी ने आंखे मूंद रखी हैं. उन्हें पाकिस्तान भारत से ज्यादा सुरक्षित दिखाई दे रहा है. इस बात को कहने की ताकत शायद उन्हें इसलिए मिलती है क्योंकि वो इमरान खान के करीबी हैं. लेकिन उन्हें ये बात नहीं समझ आ रही है कि इमरान के रहते खेलों की जिस तरह बर्बादी हो रही है उसमें उनका भी भविष्य अंधेरे में ही है.
(शिवेंद्र कुमार सिंह खेल पत्रकार हैं. पिछले करीब दो दशक में उन्होंने विश्व कप से लेकर ओलंपिक तक कवर किया है. फिलहाल स्वतंत्र लेखन करते हैं.)