scorecardresearch
Monday, 23 December, 2024
होममत-विमतकोविड क्वारेंटाइन में नेटफ्लिक्स और अमेज़न ही लगातार मेरे साथी थे: किरन मजूमदार शॉ

कोविड क्वारेंटाइन में नेटफ्लिक्स और अमेज़न ही लगातार मेरे साथी थे: किरन मजूमदार शॉ

मैं अपेक्षा कर रही थी कि इंफेक्शन हल्का होगा और थोड़े समय तक रहेगा. कोविड-19 का मेरा अनुभव इन अपेक्षाओं पर पूरा उतरा है और मुझे उम्मीद है कि इससे वायरस का डर कम होगा.

Text Size:

कोविड-19 का मेरा पहला लक्षण था, 16 अगस्त की शाम को हल्के बुखार का अहसास. जून के शुरू में भी मैंने यही लक्षण महसूस किए थे और मेरा टेस्ट निगेटिव आया था. इसलिए मैंने बस एक क्रोसिन ले ली और सोचा कि ये ठीक हो जाएगा. लेकिन अगली सुबह भी मुझे बुखार का अहसास होता रहा और नापा तो वो 99 डिग्री फैरेनहाइट था. तब मैंने अपना और अपने सभी घरवालों का टेस्ट कराने का फैसला किया क्योंकि मेरी 89 साल की मां हैं जो एक कैंसर सरवाइवर हैं और 71 साल के पति हैं जो खुद कैंसर के मरीज़ हैं जिनकी मुझे चिंता है.

मैंने फौरन खुद को एक अलग कमरे में क्वारेंटाइन कर लिया और बेचैनी से नतीज़ों का इंतज़ार करने लगी. शाम 5 बजे मुझे बताया गया कि मेरा टेस्ट पॉज़िटिव आया है लेकिन घर के बाकी लोगों के टेस्ट, जिनमें मेरा स्टाफ भी था, निगेटिव आए थे. मेहरबानी ये रही कि वायरस ने मेरी मां और पति को छोड़ दिया. मैंने सीटी यानि साइकिल थ्रेसहोल्ड के लिए पूछा ताकि अपने वायरल लोड का अंदाज़ा लगा सकूं. जब मैंने देखा कि वो 23 था तो मुझे लगा कि लोड इतना सेफ था कि मैं टेली-सुपरवीज़न में घर पर क्वारेंटाइन रह सकती हूं.


यह भी पढ़ें: जीएसटी संग्रह में जुलाई के मुकाबले अगस्त में आई कमी, 86449 करोड़ रुपये हुए जमा


मेडिकल निगरानी

नारायणा हेल्थ, बेंगलुरू के डॉ मुरली मोहन और लीलावती अस्पताल, मुम्बई के डॉ शशांक जोशी, मेरे प्रमुख मेडिकल सुपरवाइज़र थे. पहले मुझे फेविपिराविर, एज़िथ्रोमाइसिन और पैरासिटामॉल का कोर्स दिया गया. इसके अलावा मैं विटामिन सी, विटामिन डी, ज़िंक, बेबी एस्पिरिन और च्यवनप्राश का अपना रोज़ाना का डोज़ लेती रही. साथ ही हफ्ते में दो बार 200 मिग्रा. एचसीक्यू भी लेती थी. दूसरे और तीसरे दिन कुछ खास नहीं हुआ.

मैं दिन में 6 बार अपने ऑक्सीजन सैचुरेशन लेवल्स नाप रही थी और 6 मिनट की तेज़ वॉक के बाद वो सब 96-98 प्रतिशत थे. मेरा टेम्प्रेचर नॉर्मल था लेकिन तीसरे दिन देर शाम मुझे फ्लू सा लगने लगा, जो चौथे और पांचवें दिन तक चला. टेम्प्रेचर तो नापने लायक नहीं था लेकिन बार-बार पसीना आया जिससे लगता था कि मेरा शरीर वायरस से लड़ रहा था. मैं अपने साइटोकीन लेवल्स पर भी नज़र रखे हुई थी.

संक्रमण के पूरे समय मेरा सी-आरपी, 0.5 से कम पर सामान्य बना रहा जो संकेत था कि कोई सूजन नहीं थी. मेरे डी-डिमर और फेरिटिन लेवल्स भी सामान्य रेंज में थे. मैं अपने साइटोकीन लेवल्स भी ट्रैक कर रही थी, खासकर आईएल-6 जिनका पता नहीं लग सकता था.

छठे दिन मुझे बेहतर लगने लगा. मेरा आरटी-पीसीआर टेस्ट, दसवें दिन भी पॉज़िटिव था लेकिन उसकी सीटी वैल्यू 33 थी जिससे लगता था कि वायरल लोड, बहुत कम और गैर-संक्रामक था जिसे अमूमन डेड वायरस शेडिंग से जोड़ा जाता है. नौवें दिन मैंने एंटीबॉडीज़ और टी-सेल्स के लिए अपना ब्लड टेस्ट भी कराया. आईजीएम (इम्योगुलोबिन एम) तो काफी हद तक मौजूद था लेकिन आईजीजी (इम्यूनोगुलोबिन जी) नहीं था.

डेंड्राइटिक और एनके सेल्स (नेचुरल किलर सेल्स) पर आधारित मेरा स्वाभाविक इम्यून रेस्पॉन्स मज़बूत था. मेरे सैम्पल में टी-सेल को मज़बूती से सक्रिय होते देखा गया जिसमें उकसाने पर एंटिजेन-स्पेसिफिक टी-सेल्स, इफेक्टर-टी-सेल्स, मेमोरी टी-सेल्स की उच्च आवृत्ति देखी गई और साइटोकीन रिलीज़ होते देखा गया. मैंने दरअसल टी-सेल इम्यूनिटी विकसित कर ली थी जो मुझे संभावित रूप से लंबे समय तक बचाए रख सकती थी. 12वें दिन, मेरा आरटी-पीसीआर टेस्ट पॉज़िटिव था और सीटी वैल्यू 36 थी और जिसके साथ मेरी कोविड-19 गाथा का आखिरी चरण शुरू हुआ.

मेरा अनुभव हल्का और शांत रहा है. सूंघने और चखने का अहसास भी खत्म नहीं हुआ और ऑक्सीजन सैचुरेशन भी कम नहीं हुई. जिसे भी फ्लू के हल्के लक्षण हों मैं उसे कहूंगी कि टेस्ट कराए और वायरल लोड के हिसाब से अस्पताल या घर में क्वारेंटाइन करने का फैसला करे: बुखार और 20 से कम सीटी वैल्यू में घर पर आइसोलेट नहीं करना चाहिए. वायरस से लड़ते हुए हौसला बनाए रखने के लिए दिन में कई बार ऑक्सीजन सैचुरेशन लेवल मॉनीटर करना मनोवैज्ञानिक रूप से सही रहता है.

मैं ये भी कहूंगी कि फिट रहने के लिए आपको हर दिन वर्ज़िश करनी चाहिए या थोड़ी देर वॉक करनी चाहिए. मैंने भूख में कमी महसूस नहीं की और मैं कहूंगी कि खाने में फल, सब्ज़ियां, दालें और अनाज लेना चाहिए. मेरे अभिन्न साथी थे नेटफ्लिक्स और अमेज़ॉन प्राइम, टीवी और सोशल मीडिया से बचिए क्योंकि निगेटिव खबरें कोविड-19 से लड़ने के लिए खराब होती हैं. मेरी सीधी सीख ये हैं:

1. टेस्ट पॉज़िटिव आने पर घबराइए मत.

2. ध्यान रखें कि आप सीटी-वैल्यू पर आधारित अपने वायरल लोड का आंकलन करें.

3. हल्के वायरल लोड और हल्के लक्षणों में आप होम आइसोलेशन कर सकते हैं.

4. दिन में कई बार अपने ऑक्सीजन सैचुरेशन लेवल्स नापें और ध्यान रखें कि ये 95 प्रतिशत से नीचे न आए.

5. सुनिश्चित करें कि टेली-हेल्थ प्रोग्राम के ज़रिए आप डॉक्टर की निगरानी में रहें.

6. जितना संभव हो, योगा करें और पैदल चलें.

7. आपका शरीर एक हफ्ते में वायरस से लड़ लेगा.

8. डॉक्टरों को क्लीनिकल लक्षणों का नहीं बल्कि लक्षणों के कारणों का इलाज करना चाहिए. अगर एसपीओ2 (ऑक्सीजन सैचुरेशन) घट जाए, तो सिर्फ ऑक्सीजन प्रवाह बढ़ाना ही उसका जवाब नहीं है. उसका तरीका ये है कि साइटोकीन्स से पैदा हुई सूजन का इलाज किया जाए.

9. अगर समय रहते सूजन का इलाज न किया जाए तो साइटोकीन तूफान कोविड-19 के बाद थकान और सांस की बीमारियां पैदा कर सकता है.

10. अंत में जैसे ही आपको लक्षण महसूस हों, कृपया टेस्ट कराएं और डॉक्टरों के पास जाएं. इनकार न करें और अधिक लक्षणों का इंतज़ार न करें. ऐसा करके आप हल्की बीमारी की संभावना भी कम कर देंगे.

साइंस के इस्तेमाल से इस वायरस को संभालना ही आगे बढ़ने का एक भरोसेमंद तरीका है. जून में मैं कुछ उम्मीद कर रही थी कि मुझे कोविड-19 हो जाए ताकि उस पागलपन और दुविधा पर काबू पा सकूं, जिसने हमारी ज़िंदगियों को जकड़ लिया है. मैं भी अपेक्षा कर रही थी कि इनफेक्शन हल्का होगा और थोड़े समय रहेगा. कोविड-19 का मेरा अनुभव इन अपेक्षाओं पर पूरा उतरा है और मुझे उम्मीद है कि इससे वायरस का डर कम होगा.

(किरन मजूमदार शॉ बायोकॉन की कार्यकारी अध्यक्ष हैं. वो दिप्रिंट के प्रतिष्ठित संस्थापक-निवेशकों में से एक हैं. निवेशकों की डिटेल्स देखने के लिए कृपया यहां क्लिक करें)

(व्यक्त विचार निजी हैं)

(इसे अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: अनलॉक-4 में रेलवे और स्पेशल ट्रेनें चला सकता है, अभी 230 गाड़ियां पटरी पर दौड़ रहीं


 

share & View comments