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Sunday, 22 December, 2024
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मोदी ने कमांडर्स के कॉन्फ्रेंस को कैसे बदल दिया- सैन्य जुमलेबाज़ी से इमेज बिल्डिंग तक

एक चतुर राजनेता के रूप में, मोदी ने सैन्य दिमाग को समझा और अपने प्रभुत्व को बनाने के लिए इसकी जड़ता का फायदा उठाया.

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भोपाल में हाल ही में कंबाइंड कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों सेवाओं को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए नए और उभरते खतरों के लिए तैयार होने का आह्वान किया और उन्हें आश्वासन दिया कि सशस्त्र बलों को आवश्यक हथियारों और प्रौद्योगिकियों से लैस करने के लिए सभी कदम उठाए जा रहे हैं. सम्मेलन के दौरान, भविष्य के लिए एक संयुक्त सैन्य दृष्टि विकसित करने, साइबर सुरक्षा, सोशल मीडिया की चुनौतियों, आत्मनिर्भरता, अग्निवीरों को शामिल करने और संयुक्तता को बढ़ावा देने के उपायों सहित राष्ट्रीय सुरक्षा के संबंध में व्यापक मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया.

2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से सीसीसी के कंटेंट और कंडक्ट में आमूल-चूल परिवर्तन आया है, और इस पर काफी विवाद भी हुआ है. इस सम्मेलन का उद्देश्य क्या है? क्या सुधार किए गए हैं, और इसके कंटेंट और कंडक्ट को बेहतर बनाने के लिए और क्या किया जा सकता है?

क्या है CCC का मतलब?

सीसीसी एक वार्षिक कार्यक्रम है जिसकी अध्यक्षता Chief of Defence Staff करते हैं. इसमें सेना/वायु/नौसेना स्टाफ के प्रमुख और उप प्रमुख, Army Commander और तीनों सेवाओं के समकक्ष, अंडमान निकोबार कमान और सामरिक बल कमान के कमांडर, Chief of Integrated Defence Staff और कोई अन्य विशेष आमंत्रित व्यक्ति (जो सम्मेलन सचिव के रूप में कार्य करते हैं) शामिल होते हैं.

रक्षा मंत्री एक सत्र की अध्यक्षता और संबोधन करते हैं जिसमें रक्षा मंत्रालय के सचिव भी भाग लेते हैं. सम्मेलन का समापन प्रधानमंत्री द्वारा समापन सत्र की अध्यक्षता और संबोधन के साथ होता है, जिसमें सभी प्रतिभागी भाग लेते हैं. सम्मेलन को Strategic स्तर पर रखा गया है. इसका उद्देश्य सभी राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों पर तीनों सेवाओं से तालमेल बनाना है, जैसे प्रचलित Strategy और सुरक्षा वातावरण, आंतरिक/बाहरी खतरे, राष्ट्रीय सुरक्षा और संयुक्त सैन्य रणनीति, सशस्त्र बलों का परिवर्तन, रक्षा तैयारियां, परिचालन स्थितियां, आत्मनिर्भरता और डिफेंस प्रोडक्शन.


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सीसीसी दीर्घकालिक रक्षा बजट के साथ राजनीतिक रूप से स्वीकृत राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति, संयुक्त सैन्य रणनीति और परिवर्तन रणनीति के संबंध में चल रही लागू करने की प्रक्रिया का हिस्सा है. इसलिए, सम्मेलन का मुख्य रूप से व्यापक स्तर के मुद्दों पर स्वतंत्र और स्पष्ट तरीके से चर्चा करने के लिए उपयोग किया जाता है. सीडीएस और सेवा प्रमुखों के साथ संस्थागत बातचीत के अलावा, राजनीतिक नेतृत्व सीसीसी का उपयोग अपने फोकस क्षेत्रों को सीधे सभी वरिष्ठ कमांडरों तक पहुंचाने के लिए भी करता है. इसका उपयोग देश को उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा स्थिति के बारे में बताने के लिए भी किया जाता है.

2014 से पहले सीसीसी

हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा योजना का मुख्य दोष यह है कि हमारे पास राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति, राजनीतिक रूप से स्वीकृत ट्रांसफॉर्मेशन रणनीति और प्रतिबद्ध दीर्घकालिक रक्षा योजना बजट नहीं है. नियोजन के लिए एक कार्यात्मक दृष्टिकोण अपनाने के लिए सशस्त्र बलों पर छोड़ दिया गया है. राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के अभाव में, रक्षा मंत्री के संचालन संबंधी निर्देश, जिसे स्वयं सशस्त्र बलों द्वारा तैयार किया गया था और जिसकी समीक्षा 2009 से नहीं की गई है, को मोटे तौर पर एक संदर्भ बिंदु के रूप में उपयोग किया जाता है.

इस प्रकार, संपूर्ण नियोजन प्रक्रिया दिशाहीन बनी हुई हैं – जिसमें सैन्य और ट्रांसफॉर्मेशन रणनीतियों का निर्माण, तीनों-सेवाओं के एकीकरण और दीर्घकालिक एकीकृत परिप्रेक्ष्य योजनाएं शामिल हैं. रक्षा बजट के दीर्घकालिक पूर्वानुमान की कमी समस्या को और बढ़ा देती है. सीमित रक्षा बजट के कारण, रक्षा मंत्रालय के मध्यस्थ के रूप में कार्य करने के साथ, अलगाव और टर्फ युद्धों में नियोजित तीन सेवाएं आम थीं.

उपरोक्त पृष्ठभूमि और 2014 तक, सीसीसी एक नियमित घटना थी. तीनों-सेवाओं के किसी भी तरह के मुद्दे पर चर्चा नहीं की जाती थी. पहले दो दिन इन-हाउस संबंधित सेवा चर्चाओं के लिए उपयोग किए जाते थे, और तीसरे दिन, एक सुसज्जित ट्राई-सर्विस कार्यक्रम आयोजित किया जाता था. प्रत्येक सेवा प्रमुख अपनी सेवा से संबंधित मुद्दों पर प्रकाश डालते हुए एक संक्षिप्त प्रस्तुति देते थे, जबकि Chiefs of Staff Committee के चेयरमैन कोई भूमिका नहीं निभाते थे. अंततः, पीएम ने Integrated Defence Staff द्वारा तैयार किए गए मसौदे के आधार पर सम्मेलन को संबोधित करते थे.

जब CCC पूरी तरह से बदल गया

अपनी पार्टी की विचारधारा के अनुरूप, मोदी हमेशा भारत को सैन्य रूप से मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध रहे हैं. वह सशस्त्र बलों के परिवर्तन की आवश्यकता के बारे में स्पष्ट हैं, यह एक ऐसा दृष्टिकोण है जो 17 अक्टूबर 2014 को सीसीसी को उनके समापन भाषण से स्पष्ट हो गया.

“भविष्य में आने वाली चुनौतियों का पहले से अंदाजा लगाना मुश्किल होगा, परिस्थितियां विकसित होंगी और तेज़ी से बदलेंगी; और तकनीकी परिवर्तनों के साथ तालमेल बिठाना प्रतिक्रियाओं को और अधिक कठिन बना देगा… फुल-स्केल वार दुर्लभ हो सकते हैं… और संघर्षों की अवधि कम होगी,”. मोदी ने आगे विस्तार से बताया, कि लेकिन सबसे महत्वपूर्ण कार्य, भारत के रक्षा बलों को ट्रांसफॉर्म करना और संयुक्तता लाने के लिए ट्राई-सर्विस एकीकरण पर ध्यान केंद्रित करना था. इसके लिए, उन्होंने निर्देश दिया कि प्रत्येक सेवा विभिन्न सैन्य स्थानों में बारी-बारी से सम्मेलन की मेजबानी करेगी.


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मोदी जल्दी में थे; उन्होंने उम्मीद की कि सशस्त्र बल उत्साह के साथ परिवर्तन शुरू करेंगे. सशस्त्र बल स्वभाव से ‘यथास्थितिवादी’ हैं, और अंतर-सेवा प्रतिद्वंद्विता सैन्य दिमाग में गहराई से घुसी हुई है. रक्षा मंत्रालय के नौकरशाही तंत्र ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है. सैन्य पदानुक्रम (हायरार्की) सुधार प्रक्रिया को शुरू कर सकती थी लेकिन उसने ऐसा नहीं किया.

एक चतुर राजनेता के रूप में, मोदी ने सेना के दिमाग को समझा और अपने प्रभुत्व का दावा करने के लिए इसकी जड़ता का फायदा उठाया. निश्चित रूप से नहीं लेकिन ऐसा कहा जा सकता है कि उन्होंने होने वाली प्रगति की कमी के लिए आईएनएस विक्रमादित्य पर आयोजित सीसीसी 2015 में पदानुक्रम (हायरार्की) की निंदा की. इस प्रकार, CCC की गुणवत्ता और सामग्री तब से मौलिक रूप से बदल गई है. तीन दिवसीय कार्यक्रम को राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा में आत्मनिर्भरता और ट्राई-सर्विस एकीकरण पर केंद्रित चर्चाओं में बदल दिया गया. अपडेटेड सम्मेलन 2017 में देहरादून में भारतीय सैन्य अकादमी और 2018 में जोधपुर में वायु सेना स्टेशन में आयोजित किया गया था. कोई कारण नहीं पता लेकिन 2016 में कोई सीसीसी आयोजित नहीं किया गया था.

वास्तव में मोदी की सुधार प्रक्रिया दूसरे कार्यकाल में शुरू हुई. 2019 में दो दूरगामी बदलावों की घोषणा की गई. पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति थी, जिसके बाद तीनों सेवाओं का थिएटर कमांड में एकीकरण किया गया. दूसरा सुधार रक्षा में आत्मनिर्भरता के लिए प्रतिबद्धता थी.

इसकी वजह से सीसीसी को सीडीएस के रूप में एक नया अध्यक्ष मिला और कॉन्फ्रेंस के कंटेंट को ट्रांसफॉर्मेशन के इन दो महत्वपूर्ण पहलुओं पर फोकस किया गया. अस्पष्ट रूप से, सरकार ने एक राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति को औपचारिक रूप नहीं दिया है, जो कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के तहत रक्षा योजना समिति को 2018 में ऐसा करने का काम सौंपा गया है, National Security Strategy रक्षा योजना के लिए शुरुआती बिंदु है. यह सशस्त्र बलों और इस प्रकार सीसीसी के कंटेंट और कंडक्ट की पूरी योजना प्रक्रिया को बाधित करता है.

इसके साथ ही, सरकार को सेना के ट्रांसफॉर्मेशन की जटिल समस्याओं का सामना करना पड़ा. रक्षा बजट जीडीपी के दो प्रतिशत से अधिक नहीं बढ़ सकता है जब तक कि बाद में तेजी से वृद्धि न हो. रक्षा में आत्मनिर्भरता मजबूरी है. उच्च सैन्य प्रौद्योगिकी ने संघर्ष के स्वरूप को बदल दिया है. परमाणु हथियार संपन्न देश फुल-स्केल में युद्ध नहीं लड़ते हैं. इसने 4-6 मार्च 2021 को गुजरात के केवडिया में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की छाया में और हाल ही में 30 मार्च से 1 अप्रैल तक भोपाल में सीसीसी के आगे के एडिशन में आयोजित चर्चाओं को प्रभावित किया. 2019, 2020 और 2022 में कोई सीसीसी आयोजित नहीं किया गया था.

CCC को लेकर विवाद

सेना के जरिए राजनीतिक लाभ लेने का अवसर कभी नहीं चूकने वाले मोदी ने सैन्य पदानुक्रम पर अपने पूर्ण प्रभुत्व के साथ सीसीसी के साथ भी ऐसा ही किया है. सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा के नीचे सीसीसी 2021 का आयोजन – जिन्हें भारतीय जनता पार्टी के आइकन के रूप में अपनाया गया है – ने उनकी मजबूत छवि को बढ़ाया. डिजाइन या डिफ़ॉल्ट रूप से, CCC 2023 का समापन सत्र भोपाल में कुशाभाऊ ठाकरे (एक भाजपा दिग्गज) इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में आयोजित किया गया था, न कि सैन्य स्टेशन में. सीसीसी के औपचारिक द्वार के बगल में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बगल में मोदी का एक विशाल कटआउट था. सभी मानदंडों के अनुसार, यह उस राज्य में सशस्त्र बलों के जरिए राजनीतिक लाभ लेना था जहां नवंबर 2023 में चुनाव होने हैं.

मोदी ने भाजपा के लोकाचार को रेखांकित करने के लिए अहानिकर सैन्य परंपराओं को बदलने का निर्देश देकर सशस्त्र बलों के पदानुक्रम पर खुद को हावी करने के लिए सीसीसी का इस्तेमाल किया. 2021 में उन्होंने सशस्त्र बलों के “औपनिवेशिक परंपराओं” को चुना, यह अच्छी तरह से जानते हुए कि सेना ने कुछ रेजिमेंटों के प्रतीक चिन्ह की तरह सबसे पहले स्वतंत्रता के बाद कुछ मामूली परंपराओं को छोड़कर जो सैन्य लोकाचार और वीरता से जुड़े हुए हैं, इनका त्याग कर दिया था. CCC 2023 में, उन्होंने तीन सेवाओं की विभिन्न अधिकारियों की गड़बड़ियों पर प्रकाश डाला, उनका उपयोग अप्रत्यक्ष रूप से यह सुझाव देने के लिए किया गया कि सैन्य प्रमुख ट्राई-सर्विस एकीकरण को एक्जीक्यूट करने में धीमे थे.

एक जन नेता के रूप में, यह उनकी छवि को सेना के साथ एकीकृत करने में मदद करता है. सामरिक स्तर के सम्मेलन में सैन्य कमान की श्रृंखला और इसकी अप्रासंगिकता की अवहेलना करते हुए, उन्होंने सेना, नौसेना और वायु सेना के सैनिकों, नाविकों और वायुसैनिकों को जमीनी प्रतिक्रिया के बहाने सीसीसी 2021 और 2023 में भाग लेने का निर्देश दिया.

आगे का रास्ता

इसमें कोई संदेह नहीं है कि मोदी ने सीसीसी में सुधार किया है और अपने एजेंडे को उसके उद्देश्य पर अधिक केंद्रित किया है. हालांकि, राजनीतिक रूप से स्वामित्व वाली, औपचारिक और निगरानी वाली ट्रांसफॉर्मेशन प्रक्रिया की कमी के कारण चारों में भारी कमी रह जाती है. इसके लिए एक प्रतिबद्ध दीर्घकालिक रक्षा बजट के साथ एक राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति और राजनीतिक रूप से स्वामित्व वाली ट्रांसफॉर्मेशन स्ट्रेटजी की जरूरत है. इस प्रक्रिया में समयसीमा के साथ एक राजनीतिक निर्देश, मार्गदर्शन और समन्वय के लिए एक संचालन समिति और एक विस्तृत निष्पादन योजना शामिल होनी चाहिए. एक बार यह हो जाने के बाद, सीसीसी ट्रांसफॉर्मेशन प्रोसेस में मतभेदों को दूर करने के लिए प्रगति पर अधिक ध्यान केंद्रित करने में सक्षम होगी.

अंत में, राष्ट्रीय सुरक्षा से निपटने वाले सर्वोच्च सैन्य मंच के रूप में सीसीसी की पवित्रता को बनाए रखा जाना चाहिए. इसे राजनीतिक रूप लाभ के लेने के लिए या किसी भी और तरह से छोटा नहीं बनाया जाना चाहिए.

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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