यह बात तो पूरी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान अपने यहां मनी लॉन्ड्रिंग की समस्या को लेकर कितना गंभीर है, इसीलिए टिकटॉक स्टार हरीम शाह के खिलाफ जांच की जा रही है. फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स, क्या आपकी इस पर नजर है? क्या पता यही जांच देर-सबेर पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर ले आए. यह गंभीरता, हर टिकटॉक वीडियो के साथ कई गुना बढ़ जाती है. आलोचक तो यही कहेंगे कि शाह के खिलाफ जांच उतनी ही गंभीर है जितनी गंभीरता हर बार उनके टिकटॉक कबूलनामे में होती है. बहरहाल, कुछ भी कहें नया पाकिस्तान में टिकटॉक रॉक पेपर सिजर्स से ज्यादा मायने रखता है.
हरीम शाह के लिए वैसे तो बार-बार विवादों और सरकारी जांच का सामना करने में कुछ नया नहीं है लेकिन इस बार सोशल मीडिया पर वायरल उनका एक वीडियो उन पर भारी पड़ गया है, जिसमें वह बताती हैं कि कैसे लोगों को बड़ी मात्रा में धन विदेश लाते समय सावधान रहना चाहिए, क्योंकि ‘आप पकड़े जा सकते हैं.’ उन्होंने आगे कहा, ‘मुझे तो किसी ने कुछ नहीं कहा, कह भी नहीं सकते.’ और इसे सुनने वालों को यह संदेश भी देती हैं कि पाकिस्तान में नियम-कायदे सिर्फ गरीबों पर लागू होते हैं. अपने सामने ब्रिटिश पाउंड के दो गड्डियां रखकर बैठी हरीम ने पाकिस्तानी रुपये में लगातार गिरावट को लेकर राष्ट्रीय चिंता साझा की और साथ ही बताया कि कैसे मौजूदा सरकार मुद्रा और पासपोर्ट की साख बढ़ाने के अपने वादे से चूक गई है. उन्होंने कहा, ‘कुछ नहीं कर सकते, बस बातें ही कर सकते हैं.’
अधिकारियों को लानत भेजने और बड़ी मात्रा में नगदी लेकर कराची एयरपोर्ट से ब्रिटेन पहुंच जाने के ‘दावों’ पर सोशल मीडिया में खासी नाराजगी सामने आने के बाद के बाद मामले की जांच शुरू कर दी गई. तब टिकटॉक स्टार ने एक और वीडियो जारी किया और उसमें किया कि ये सब वो सिर्फ मजाक में कह रही थीं. मनी लॉन्ड्रिंग के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है. यह पिछले साल की घटना से कम बड़ा मजाक तो नहीं है जब पूरा पाकिस्तानी मीडिया यह पता लगाने के लिए 007 मोड में आ गया था कि क्या वाकई हरीम ने किसी मंत्री से शादी की है, हालांकि बाद में सामने यही आया कि यह केवल एक प्रैंक था. हालांकि, इस बार थोड़ी देर हो गई. अधिकारियों ने कार्रवाई शुरू कर दी और स्पष्ट किया कि यह कोई मजाक नहीं था, कम से कम प्रधानमंत्री इमरान खान के आंतरिक मामलों के सलाहकार शहजाद अकबर तो यही कहते हैं.
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دنیا کو قیادت، فراست، سفارت وغیرہ پر بے مغز لیکچر دینے والوں کے لئے یہ وڈیو ہی کافی ہے۔ یہ ہے اس نظام کی اصل وقعت! pic.twitter.com/53JAQrChls
— Syed Talat Hussain (@TalatHussain12) January 12, 2022
हालांकि, टिकटॉकर का जोर इस बात पर ज्यादा है कि शहजाद अकबर को पहले पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को लंदन से वापस लाने की कोशिश करनी चाहिए और उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों को साबित करना चाहिए, फिर उनके खिलाफ किसी कार्रवाई के बारे में सोचना चाहिए. उनकी नजर में इंवेस्टिगेशन पेपर की कीमत ‘टिश्यू पेपर’ से ज्यादा कुछ नहीं है.
टिकटॉक सरकार
नया पाकिस्तान में हरीम शाह ने अपनी स्थिति काफी मजबूत कर ली है जिनके स्पीड डायल पर देश के मंत्रियों के नंबर हैं, सत्ता के गलियारों तक उनकी पहुंच आसान है, और जो अक्सर कोई बात बिगड़ने पर राजनेताओं को कॉल और वीडियो ‘लीक’ करने की धमकी दे सकती हैं. वह एक तरह से समानांतर टिकटॉक सरकार चलाती हैं, जो अब तब्दीली सरकार की तुलना में अधिक असरदार नजर आती है—ये वही हैं जिन्होंने आंतरिक मामलों के मंत्री शेख रशीद पर उन्हें ‘अश्लील वीडियो’ भेजने का आरोप लगाया था और फिर यह दावा करते भी देर नहीं लगाई कि वह उनके एक अच्छे दोस्त हैं और एक चैट शो में बैठकर मंत्री को फोन मिला दिया था.
एक अन्य उदाहरण है पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के नेता फैयाज-उल-हसन चौहान के साथ उनका झगड़ा, जिसमें हरीम शाह ने उन्हें बेनकाब करने की धमकी दे डाली थी, वहीं सूचना मंत्री फवाद चौधरी से जब कथित तौर पर ‘हरीम शाह वीडियो’ के बारे में पूछा गया तो उन्होंने एक टेलीविजन एंकर को थप्पड़ ही जड़ दिया. चौधरी तो चाहते थे कि ऐसे ‘निराधार आरोपों’ पर सवाल उठाने वाले मीडिया से जुड़े कानून तब्दील होने चाहिए. ‘लीक वीडियो बम’ का खतरा इस कदर मंडराता रहता है कि सीमा पर दुश्मनों से लड़ने के बारे में बात करने से ज्यादा चर्चा तो इन पर ही होती है. हो भी क्यों ना यही हमारे मंत्रियों के असली मुद्दे हैं. आखिर मंत्रियों की जान हमारे लिए ज्यादा मायने रखती है!
विदेश मंत्रालय में ‘जुत्ती थल्ले’
ये भी कोई भूला नहीं होगा कि हरीम शाह ने कैसे मुफ्ती अब्दुल कावी को कथित तौर पर ‘अश्लील बातें’ करने के कारण थप्पड़ रसीद कर दिया था या फिर जब वह घूमते-फिरते पाकिस्तानी विदेश विभाग के दफ्तर पहुंच गई थीं. वहां वह आराम से विदेश मंत्री की कुर्सी पर बैठकर टिकटॉक वीडियो बनाते दिखी थीं और बैकग्राउंड में भारतीय गाने चल रहे थे. प्रधानमंत्री इमरान खान ने केवल काउंसलर की पहुंच वाले परिसर में शाह के आने के मामले में जांच के आदेश भी दिए थे. यहां शाह जिन्ना के चित्र के सामने खड़ी थीं, जबकि टिकटॉक वीडियो में ओह जुत्ती थल्ले रखदी आ मित्रां दे दिल नू गाना बज रहा था.
हमारे समय में विदेश मामलों पर टिप्पणी की एक बानगी—मंत्री शाह महमूद कुरैशी हाल ही में सऊदी राजदूत के साथ एक बैठक के दौरान अपनी बैठने की अजीब मुद्रा के कारण आलोचनाओं के घेरे में आ गए. यहां तक कि मित्र देश ने भी इस पर आपत्ति जताई. इस पर मजहबी मामलों में प्रधानमंत्री के स्पेशल असिस्टेंट ताहिर अशरफी को बाकायदा बयान देकर स्पष्ट करना पड़ा—कुरैशी साहब की पीठ में समस्या है, इसलिए आमतौर पर वह उसी तरह बैठते हैं.
Who allowe #hareemshah to set on chair of PM @ImranKhanPTI pic.twitter.com/xBe1UiLc7i
— Rj imran official (@rjimranofficial) October 23, 2019
इमरान खान की एक उत्साही फॉलोअर हरीम शाह ने यह दावा भी किया है कि प्रधानमंत्री ने उन्हें अपनी पार्टी में शामिल होने और शिक्षा नीति पर काम करने के लिए आमंत्रित किया हैं. हालांकि, पीटीआई समर्थक होने के बावजूद उनके पसंदीदा नेता पाकिस्तानी पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो हैं. पाकिस्तान में टिकटॉक पर पाबंदी को लेकर उनकी नाराजगी जायज ही है. उनकी राय थी कि अगर अश्लीलता चिंता का विषय है तो पीएम इमरान खान को इस्लामी कानून लागू करने चाहिए, बजाये इसके कि वह ऐप पर पाबंदी लगाएं. अब देखिए वह कितनी दूरदर्शी हैं, यही नेतृत्व की पहचान है? वैसे जमीनी तौर पर यह सब आपको एक प्रैंक की तरह लग सकता है. लेकिन हमने 2018 के चुनाव और टीम नया पाकिस्तान के प्रदर्शन से जो जाना-समझा है, उसे देखते हुए मेरी राय तो यही है—एक चांस हरीम शाह को मिलना चाहिए, और मिलना भी क्यों नहीं चाहिए?
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(लेखिका पाकिस्तान की स्वतंत्र पत्रकार हैं. उनका ट्विटर हैंडल @nalainayat है. व्यक्त विचार निजी हैं.)
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