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Friday, 29 March, 2024
होममत-विमतभांग से लेकर सुरक्षा तक, 2021 में 'सबसे पहले' हुई कई चीज़ों का गवाह रहा इमरान खान का पाकिस्तान

भांग से लेकर सुरक्षा तक, 2021 में ‘सबसे पहले’ हुई कई चीज़ों का गवाह रहा इमरान खान का पाकिस्तान

पीएम इमरान खान का 'अब्सोल्युटली नॉट’ इस साल के सबसे जादुई शब्द थे- तब भी जब बात वे अपने सबसे अजीज दोस्त जनरल बाजवा की कर रहे हों.

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पाकिस्तान के लिए इस साल होने वाली घटनाओं को एकदम संक्षेप में पेश करना मुश्किल हो सकता है लेकिन उन लोगों के लिए नहीं जिन्होंने अपने मोहजाल से 2021 को मुग्ध कर लिया हो या फिर उसे अपनी ‘प्रतिभा’ से डरा दिया. इस साल ऐसी ‘ऐतिहासिक घटनाएं’ हुई जो पहले कभी नहीं हुईं थीं, ऐसी नई साझेदारियां बनी, जिन्होंने पूरा मैदान मार लिया और ऐसे आविष्कार हुए जिनके बारे में शायद आविष्कारक भी ठीक से नहीं जानते थे.

अगर जनवरी के महीने को देश भर में हुए ब्लैकआउट के लिए याद किया जा सकता है, तो अगस्त वह महीना था जिसने पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा पर रणनीतिक रौशनी बिखेरी. वर्ष 2021 कई मायनों में सबसे पहले होने वाली चीजों का साल था- और इसने हमें इस बात पर ताज्जुब करने पर मजबूर किया कि क्या 2022 हमारे लिए ‘हमेशा के लिए’खुशी-खुशी रहने’ वाला साल होगा.


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वह ‘प्रतिभा’ जिसने बहुतों को डरा दिया

मंहगाई से तंग हो चुके पाकिस्तान में अब वह समय आ गया था जब ‘तबदीली’ द्वारा फैलाई गयी भयावहता को एक मौशिकी भरे जादू में कैद किया जाए. और वह हुआ कैसे? बारह वर्षीय अली हैदर ने भ्रष्टाचार मुक्त ‘नवां पाकिस्तान’ बनाने के प्रधानमंत्री इमरान खान के सारे तमाशे, वह भी तब जब वह खुद भ्रष्ट लोगों के साथ मिल बैठ रहें हों- का बड़े संगीतमय अंदाज में भंडाफोड़ कर दिया.

हैदर ने ‘तबदीली’ वाली इस सारी योजना में पड़ रहीं दरारों को उजागर करते हुए गाया, ‘साड्डा पीएम तरीन जी दा छोटा पाई ऐ ’. यहां उसका इशारा साफ तौर प्रधानमंत्री के करीबी जहांगीर तरीन से जुड़े चीनी घोटाले की ओर, तथा इस बात पर था कि कैसे अपने खेमे के ‘चोरों’ को छुपाया जा रहा है और केवल विरोधियों को ही खदेड़ा जा रहा है. पंडोरा पेपर्स ने अपनी जांच द्वारा इस बात पर रौशनी डाली है कि कैसे प्रधानमंत्री इमरान खान ने तो ‘नवां पाकिस्तान’ का वादा किया था लेकिन उनके अपनी अंदरुनी खेमे के लोगों ने ही चोरी-छिपे लाखों रुपये विदेश भेज दिए.’

हैदर ने प्रधानमंत्री की बहन अलीमा खान, जिन्होंने यह दावा किया था कि वह एक सिलाई मशीन के सहारे करोड़पति बन गयी हैं, के बारे में भी गाया. यह दीगर बात है कि अलीमा के इस दावे ने पाकिस्तान को 9गैग में जगह दिलवा दी.

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हैदर ने अपने तराने में कहा, ‘बाजी अलीमा भैया कहे हैं तुमने नहीं घबराना, लूटेंगे मिल के, खाएंगे मिल के, इमरान का है तराना ’.

वाकई अली हैदर ‘छोटी पैकिंग में बड़ा बम’ जैसा है- उसने मीनार-ए-पाकिस्तान के सामने गाये एक वायरल वीडियो के साथ शुरुआत की और अब उसके पास अपने तबदीली वाले गाने का स्टूडियो संस्करण मौजूद है.

साथ ही, हमारे आज-कल के हालात वाली परेशानियों पर पाकिस्तानी कलाकार साद अल्वी की तल्ख टिप्पणी भी ना भुलाने लायक है, वे कहते हैं, ‘साबुन मंहगा हो जाए तो आप ने लगाना नहीं, आप ने घबराना नहीं.’

क्या आपने भारतीय रैपर और यू-ट्यूबर ओम प्रकाश मिश्रा के बारे में कभी सुना है? यदि नहीं तो फिक्र न करें पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने आपकी तरफ से सब जानकारी हासिल कर ली है. अपने सबसे डरावने रहस्योद्घाटन में, उन्होंने हमें बताया कि ओम प्रकाश मिश्रा, जिन्होंने ‘बोल ना आंटी‘ वाला गाना गाया था, इस साल सितंबर में न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम द्वारा सुरक्षा हालात के बहाने पाकिस्तान छोड़ने के लिए जिम्मेदार थे.

शातिर दिमाग मिश्रा ने अपने तेजतर्रार गाने से नहीं बल्कि फर्जी ई-मेल बनाकर न्यूजीलैंड के लोगों को डरा दिया. एक जांच में पाया गया कि विदेशी क्रिकेटरों को महसूस हुए खतरे के पीछे स्थानीय (देशी) गालियों वाली ई-मेल आईडी का हाथ था. इस बात से कि यह रहस्य कुछ ही घंटों में सुलझ गया, एक ऐसे देश में थोड़ी ‘उम्मीद’ जगी है, जो अभी तक अपने दो प्रधानमंत्रियों की हत्या के पीछे के मास्टरमाइंड का आज तक पता नहीं लगा पाया है.

और फिर टीवी शो होस्ट्स के हुनर की बात भी कमाल है. इनमें से एक ने फॉर्मूला 1 कार के पीछे छिपे ‘फॉर्मूला’ को ढूंढ निकालने की सोची कि इसमें कितने लोग बैठ सकते हैं और क्या यह पेट्रोल से चलती है? या फिर एक अन्य टीवी होस्ट का इस बात पर हंसना जब एक पैनलिस्ट ने कहा कि सिंध के केले मुंबई और ढाका के केले की टक्कर के नहीं हैं.


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मोह फैलाने वाले मायाकार

पाकिस्तान में रहते हुए अगर आप सोचते हैं कि ‘बीइंग ऑन द सेम पेज, मतलब कि सेना प्रमुख और प्रधानमंत्री आपस में अजीज दोस्त हैं, तो आप गलत हैं. 2021 में हमें पता चला कि इमरान खान जनरल कमर जावेद बाजवा के बॉस थे न कि उनके बेस्ट फ्रेंड. दिल टूट गया न? चिंता न करें. और यह कभी न भूलें कि एक अच्छे जनरल की तरह बाजवा अपनी प्लेट में ‘अंडे का ऑमलेट’ लेने के लिए कतार में खड़े थे, जिसे उन्होंने स्वयं अपने कांटे से खाया था. वास्तव में यह दिल तोड़ देने की हद तक मोहक माजरा था.

दिसंबर के अंत में 2021 एक ऐसा साल भी दिखा जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन इमरान खान से भूत की तरह पीछा छुड़ाते दिखे. हम अभी भी नहीं जानते है क्यों!. बार-बार की कोशिशों, तमाम तरकीबों और रिझाने के तरीकों के बाद भी पोटस से अभी तक कोई फोन नहीं आया है. इस में ‘बाइडन मुझे कॉल करो‘ से लेकर पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार द्वारा व्हाइट हाउस से कोई कॉल नहीं आने की शिकायत करना, पीएमओ द्वारा दूसरे नेताओं के कॉल का प्रचार करना और हर इंटरव्यू में पीएम से यह पूछे जाने पर कि ‘बाइडन ने आपको अब तक कॉल क्यों नहीं किया?’, उनका यह जवाब देना, ‘वह एक व्यस्त आदमी है’- सब शामिल हैं.

बेशक, इसका नतीजा यह हुआ कि पाकिस्तान ने बाइडन द्वारा बुलाई गई ‘समिट फॉर डेमोक्रेसी’ में भाग नहीं लेने का फैसला किया.

‘बिल्कुल नहीं’ इस साल के जादुई शब्द थे. और कॉल आये या न आये, इमरान खान को ‘अभी-भी-उतनी-आजाद नहीं’ वाली दुनिया का नेता बनने से कोई नहीं रोक सकता. या सब ‘चार्म ओफेंसिव’ (मोहपाश) का हिस्सा है. अफगानिस्तान में तालिबान की जीत को हमारे सामने पाकिस्तान की जीत की तरह परोसा गया. आप जानते ही हैं कि हम जीतना किस हद तक पसंद करते हैं. ‘चिंता मत करो सब ठीक हो जाएगा’ यही हमारे लिए आश्वासन है, भले ही अफगानिस्तान में जमीनी हकीकत अभी भी कठिनाई भरी हो. खान साहब पूरी दुनिया को यह आश्वस्त करते रहे हैं कि अफगान तालिबान कितने अच्छे हैं, भले ही इसके लिए हक्कानी नेटवर्क के इतिहास को नए सिरे से ढालने की आवश्यकता हो, पश्तूनों को ज़ेनोफोब (नस्ली नफरत वाले) के रूप में दागदार करना पड़े और यह कहना पड़े कि अफगानिस्तान में लड़कियों को पढ़ाई की इजाजत नहीं देना उनकी संस्कृति का हिस्सा है.

संयुक्त राष्ट्र से लेकर इस्लामिक देशों के संगठन तक पाकिस्तान लगातार अफगान तालिबान का मुखपत्र बना हुआ है. और इस बारे में भविष्यवाणी यह है कि या सब 2022 में भी जारी रहेगा.


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‘सबसे पहले’ से लेकर ‘जो कुछ भी हो’

इस साल पाकिस्तान अपनी पहली भांग नीति के साथ और ‘हाई’ हो गया है. भांग को अब उसी तरह देखा जा रहा है जैसा कभी देसी चिकन, अंडे, भेड़, बकरियों पर आधारित ‘मुर्गिनोमिक्स’ को देखा गया था- एक कायापलट कर सकने वाले फैक्टर (गेम-चेंजर) के रूप में. जैसा कि किस्मत में होगा, यह नई नीति अरबों डॉलर के वादों और एक संप्रभु विदेश नीति के वायदे के साथ शुरू होगी.

आप बस इंतजार कीजिए और देखिए. भांग के साथ-साथ पाकिस्तान की पहली राष्ट्रीय सुरक्षा नीति भी आयी है जो भू-राजनैतिक पहलुओं (जिओपोलिटिक्स) के बजाय भू-अर्थशास्त्रीय पहलुओं (जिओइकॉनॉमिक्स) पर अपना ध्यान केंद्रित करने का वादा करती है.

अब जब लहसुन अदरक हो सकता है, अंतर्राष्ट्रीय पोर्नस्टार कश्मीर के लिए फिल्में कर सकते हैं और सलवार कमीज बैंकिंग जगत में ई-क्रांति ला सकती है, तो 2022 ‘सबसे पहले’ वाले कई ‘चीजों’ वाला भी हो सकता है.

(लेखक पाकिस्तान की एक स्वतंत्र पत्रकार हैं. उनका ट्विटर हैंडल @nalainayat है. व्यक्त विचार निजी हैं)

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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