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Wednesday, 20 November, 2024
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पृथ्वी साव को समझना होगा- यूं ही कोई सचिन तेंदुलकर नहीं बन जाता…

भारतीय क्रिकेट का इतिहास ऐसे कई ‘स्पेशल टैलेंटेड’ खिलाड़ियों को भटकते देख चुका है. पृथ्वी साव के साथ अगर ऐसा हुआ तो इसका अफ़सोस हर क्रिकेट फ़ैन को होगा.

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करीब 5-6 साल पहले की बात है. मुंबई के एक खिलाड़ी पृथ्वी साव की चर्चा बहुत ज़ोर शोर से शुरू हुई थी. अख़बारों से लेकर टीवी चैनल्स तक इस खबर को जगह मिली कि क्रिकेट के खेल में अगले सचिन तेंदुलकर ने कदम रख दिया है. ये खबर बिना आधार के नहीं लिखी गई थी. पृथ्वी साव ने स्कूली क्रिकेट और घरेलू क्रिकेट में कई ऐसे रिकॉर्ड्स अपने नाम कर लिए जो कभी सचिन के नाम हुआ करते थे. इसके अलावा वो क़द काठी में सचिन जैसे थे भी. मुंबई से ही उनका भी ताल्लुक़ था. काफ़ी कम उम्र से ही उन्होंने अपने खेल की बदौलत सुर्खियां बटोरना शुरू कर दिया था, वो सचिन को अपना आदर्श मानते थे, काफ़ी हद तक सचिन को कॉपी करने की कोशिश करते थे, मीडिया पर कई बार ये ऊंगलियां उठती हैं कि वो अपनी ‘स्टोरी’ को ‘हिट’ करने के लिए किसी खिलाड़ी के साथ बड़े स्टार खिलाड़ी का नाम जोड़ती है, जिससे पाठक या दर्शक उस बड़े खिलाड़ी के नाम पर उस नए खिलाड़ी की कहानी को भी पढ़ ले, पृथ्वी साव के केस में ऐसा नहीं था. पूरी दुनिया में क्रिकेट को संचालित करने वाली संस्था इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल यानी आईआईसी ने भी अपने एक वीडियो को टाइटिल यही दिया था कि क्या पृथ्वी साव भारत के अगले सचिन तेंदुलकर हैं?


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यानी ये चर्चा तो थी कि पृथ्वी साव ‘स्पेशल टैलेंट’ हैं. लेकिन आज 2020 में सवाल ये है कि क्या पृथ्वी साव अपने उस ‘स्पेशल टैलेंट’ के साथ न्याय कर रहे हैं? आम तौर पर हम इंटरनेशनल क्रिकेट में किसी भी खिलाड़ी को तीन चार कसौटियों पर परखते हैं. खिलाड़ी की फ़ॉर्म, उसकी फ़िटनेस, रिकार्ड्स और उसकी कमिटमेंट. आज वो वक्त है जब पृथ्वी साव को अपने आपसे ये सवाल करना चाहिए कि क्या वो इन कसौटियों पर सचिन तेंदुलकर के आस-पास भी दिखते हैं? इस सवाल का जवाब उन्हें आने वाले करियर में सही रास्ता दिखाएगा. पृथ्वी साव की उम्र अभी सिर्फ़ 20 साल है. अगर वो अगले 10-15 साल अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में किसी मुक़ाम तक पहुंचना चाहते हैं तो इस सवाल का जवाब ढूंढने में उन्हें देर नहीं करनी चाहिए.

आज क्यों उठ रहे हैं ये सवाल?

आज इन सवालों को उठाने का मक़सद पृथ्वी साव की आलोचना करना क़तई नहीं है. बल्कि इस बात का आंकलन करने की कोशिश है कि क्या न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ तीन वनडे मैचों की सीरीज़ में उन्होंने अपने ‘स्पेशल टैलेंट’ के साथ न्याय किया? आपको बता दें कि शिखर धवन और रोहित शर्मा की चोट की वजह से पृथ्वी साव और मयंक अग्रवाल को पारी की शुरुआत करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी. तीनों ही मैच में पृथ्वी साव को अच्छी शुरुआत मिली. लेकिन, तीनों ही मैच में वो उस अच्छी शुरुआत का कोई फ़ायदा नहीं उठा पाए. रिकार्ड बुक में ये दर्ज हुआ कि तीन मैचों की सीरीज़ में उन्होंने सिर्फ़ 84 रन बनाए. कभी वो अति आक्रामकता का शिकार हुए, कभी अति आत्मविश्वास का और आख़िरी वनडे में तो वो जिस तरह रन आउट हुए उससे ये लगा ही नहीं कि उन्हें अपने विकेट की क़ीमत पता है. इन तीनों मैचों में जो थोड़ा वक्त उन्होंने क्रीज़ पर बिताया उसमें ये दिखा कि वो बैकफ़ुट के लाजवाब खिलाड़ी हैं. गेंद की लेंथ को जल्दी पकड़ते हैं.

आप उनके क्रीज़ पर खड़े होने के अंदाज को देखेंगे तो समझ जायेंगे कि वो शॉट्स खेलने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. पृथ्वी साव की ‘प्लेसमेंट’ और ‘टाइमिंग’ कमाल की है. उन्हें अपना स्वाभाविक खेल खेलने में मज़ा आता है. इसीलिए जब आप पृथ्वी साव को खेलते देखते हैं तो कई बात लगता है कि ये सचिन और सहवाग को मिलाकर एक खिलाड़ी बनाया गया है. लेकिन इस सारे ‘स्पेशल टैलेंट’ के साथ 20, 24 और 40 रन की पारी है, जो पृथ्वी साव के लिए ख़तरे की घंटी होनी चाहिए.


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क़रीब दो साल के करियर पर कई बार उठे हैं सवाल

ये वही पृथ्वी साव हैं जिनकी कप्तानी में भारत ने अंडर 19 विश्व कप जीता है. जो टेस्ट करियर के पहले ही मैच में सबसे कम उम्र में शतक लगाने वाले बल्लेबाज़ हैं. लेकिन ये वही पृथ्वी साव हैं जो करियर शुरू करने के कुछ महीनों बाद ही डोपिंग विवाद में फंस गए. उन्हें बैन किया गया, ये वही पृथ्वी साव हैं जिनके बर्ताव को लेकर सवाल उठे. ये वाक़या रणजी ट्राफ़ी के दौरान उठा था. जब टीम मैनेजर के हवाले से ढकी छुपी ये खबर सामने आ गई थी कि मैनेजमेंट साव के बर्ताव से चिंतित है. इतना ही नहीं खबरें ये भी आईं कि पृथ्वी साव ‘डिप्रेशन’ का शिकार हो गए हैं. सदियों पुरानी कहावत है कि सुबह का भूला अगर शाम को वापस आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते, मौजूदा परिस्थितियां तो यही इशारा कर रही हैं कि अब शाम हो गई है पृथ्वी साव को भी मैदान में लौटना होगा. उन्हें अपने फ़ॉर्म, फ़िटनेस, रिकॉर्ड्स के साथ-साथ ‘टेंपरामेंट’ से साबित करना होगा कि वो वाक़ई ‘स्पेशल टैलेंट’ हैं. वरना भारतीय क्रिकेट का इतिहास ऐसे कई ‘स्पेशल टैलेंटेड’ खिलाड़ियों को भटकते देख चुका है. पृथ्वी साव के साथ अगर ऐसा हुआ तो इसका अफ़सोस हर क्रिकेट फ़ैन को होगा और उस महान खिलाड़ी को भी जिसका उत्तराधिकारी पृथ्वी साव को बताया गया था यानी सचिन तेंदुलकर.

(शिवेंद्र कुमार सिंह खेल पत्रकार हैं. पिछले करीब दो दशक में उन्होंने विश्व कप से लेकर ओलंपिक तक कवर किया है. फिलहाल स्वतंत्र लेखन करते हैं.)

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