82 साल पहले इसी सप्ताह, बकिंघम पैलेस पांच बम धमाकों से दहल गया, जिनमें से दो भीतरी आंगन में फटे थे, जब रानी रविवार को अपनी सुबह की चाय पी रहीं थीं. इंग्लैंड की रानी एलिज़ाबेथ बोवेस-लियोन ने याद किया, ‘उसकी आवाज़ हमारे पास से होते हुए गई, और वो एक ज़बर्दस्त धमाके के साथ आंगन में फट गया’. 7 सितंबर 1940 से नाज़ी जर्मनी ने लंदन पर हवाई हमले शुरू कर दिए थे. जिस दोपहर महल पर बम्बारी हुई, रानी ने तबाह हो चुके ईस्ट एंड का दौरा किया. उन्हें ‘एक मुर्दा शहर’ दिखाई पड़ा.
तीन महीने पहले, उनके देवर ड्यूक ऑफ विंडसर एडवर्ड अष्टम ने- जिन्हें एक तलाक़शुदा अमेरिकी महिला से शादी की ज़िद पकड़ने के कारण, 1936 में मजबूरन राजगद्दी त्यागनी पड़ी थी- अपने लोगों की तबाही की कामना की थी.
राजनयिक युजेनियो दे लो मॉन्टेरोस वाई बरमेजिलो के साथ एक गुप्त मीटिंग में, एडवर्ड अष्टम ने कहा कि उनका मानना था कि अगर जर्मनी ‘इंग्लैंड पर प्रभावी रूप से बम बरसा दे, तो उससे शांति आ सकती है’. इतिहासकार करीना उरबक ने दर्ज किया कि बरमेजिलो ने अपने लीडर स्पेनी तानाशाह फ्रांसिस्को फ्रांको को लिखा, ‘ऐसा लगता है कि उन्हें बहुत उम्मीद थी कि ऐसा हो जाएगा’.
एलिज़ाबेथ बोवेस-लियोन और किंग ज्यॉर्ज षष्टम की बेटी, और एडवर्ड अष्टम की भतीजी एलिज़ाबेथ द्वितीय को उनके जीवन के दौरान, और इस महीने निधन के बाद, परिवार और राष्ट्र के प्रति कर्तव्य भावना के लिए सराहा गया. उसी कर्तव्य भावना ने शायद दूसरे विश्व युद्ध से निकलने वाली एक सबसे अजीब कहानी को जन्म दिया- ये आरोप कि एलिज़ाबेथ द्वितीय और उनकी मां ने एक केजीबी जासूस को इस डर से संरक्षण दिया कि वो एडवर्ड अष्टम के काले पारिवारिक रहस्यों को खोल देगा.
यह भी पढ़ें: ‘हीरे तो सस्ती चीज हैं’, इमरान खान तो सबसे ताकतवर संस्था का वर्चस्व तोड़ने का इरादा रखते हैं
मारबर्ग मिशन
1963 के अंत की ओर, जब एक ब्रिटिश काउंटर इंटेलिजेंस अधिकारी पीटर राइट, प्रसिद्ध आर्ट स्कॉलर, कोरटॉल्ड संस्थान के निदेशक, रानी की तस्वीरों के सर्वेक्षक, और बरसों तक सुरक्षा सेवा या एमआई5 में केजीबी गुप्तचर एंथनी ब्लंट से पूछताछ की तैयारी कर रहे थे, तो उन्हें एलिज़ाबेथ द्वितीय के निजी सचिव का अनपेक्षित फोन आया. माइकल एडीन ने कहा, ‘हो सकता है आपके सामने ब्लंट एक ऐसे काम का उल्लेख करे, जिसे उन्होंने पैलेस के लिए अंजाम दिया था- युद्ध के ख़ात्मे पर जर्मनी का दौरा. कृपया उस मामले को आगे न बढ़ाएं’.
राइट ने वो सवाल फिर भी किया. ब्लंट ने ग़ुस्से से कहा, ‘ये ठीक नहीं है. आप जानते हैं कि आपको मुझसे ये नहीं पूछना है’.
हालांकि, ब्लंट के जर्मन शहर मारबर्ग के पुराने महल जाने के मिशन की काफी जानकारी सार्वजनिक हो चुकी है, जो इतिहासकारों की पीढ़ियों की उत्सुकता जगाती रही है. एलिज़ाबेथ द्वितीय की दादी और ब्लंट की मां बचपन की सहेलियां थीं. जॉर्ज षष्टम ने ट्रिनिटी कॉलेज और कैम्ब्रिज से पढ़े गणितज्ञ और भाषाविद के करियर को बढ़ावा दिया था- एक ऐसा रिश्ता जिसने संभवत: 1940 में उनकी एमआई5 में भर्ती की राह आसान की.
लड़ाई ख़त्म हो जाने के बाद- जिसके दौरान ब्लंट यूनाइटेड किंगडम के कोडब्रेकर्स से जुटाई बेहद गोपनीय खुफिया जानकारी केजीबी को देते रहे, जिन्होंने नाज़ी पहेली साइफर को सुलझा लिया था. युवा स्कॉलर को राजा की तस्वीरों का सर्वेक्षक नियुक्त कर दिया गया, और उन्हें शाही कला संग्रह का ज़िम्मा मिल गया.
मारबर्ग मिशन का आधिकारिक मक़सद कैसर विल्हेम द्वितीय की मां महारानी फ्रेड्रिक, और रानी की अपनी मां महारानी विक्टोरिया के शवों को निकालकर लाना था. ये लगभग सही है- लेकिन ऐसा मानने के कारण भी मौजूद हैं कि ब्लंट को कुछ संवेदनशील दस्तावेज़ों की तलाश का ज़िम्मा भी सौंपा गया था. लेखक एण्ड्रयु मोर्टिमेर लिखते हैं, ‘शाही परिवार को मालूम था कि शव कहां पर दफन थे, और उसने अपने दरबारियों को उन्हें खोद निकालने के लिए भेजा था’.
नाज़ी और शाही परिवार
इतिहासकार जोनाथन पेट्रेपूलस ने लिखा है कि कम से कम 1938 के बाद से, एडवर्ड षष्टम के भाई ड्यूक ऑफ केंट जॉर्ज सेक्से-कोबर्ग-गोथा, अपने कज़िंस के साथ खुफिया कूटनीतिक रिश्ते बनाए हुए थे, जो हाउस ऑफ हेसे के राजकुमार थे. हालांकि फिलिप हेसे नाज़ियों के दूसरे नंबर के कमांडर हरमन गोरिंग के दरबारियों में से थे, लेकिन ड्यूक ऑफ केंट एडॉल्फ हिटलर से मुलाक़ात करना चाहते थे. उनकी इस कोशिश को जॉर्ज षष्टम और तत्कालीन प्रधानमंत्री जोज़फ चैम्बरलेन का समर्थन हासिल था, जो लड़ाई को टालना चाहते थे.
हेसे के एक और कज़िन प्रिंस लुडविग वॉन हेसे ने, ड्यूक ऑफ केंट से मुलाक़ात के बाद अपनी डायरी में लिखा: ‘जर्मनी के प्रति बेहद दोस्ताना. साफतौर से फ्रांस के खिलाफ. विशेष रूप से चतुर नहीं, लेकिन अच्छे जानकार’.
एडवर्ड षष्टम ड्यूक ऑफ कोबर्ग चार्ल्स एडवर्थ के साथ भी एक अलग संवाद चला रहे थे- जिनसे जर्मन सेना में रहकर लड़ने के लिए, 1919 में यूनाइटेड किंगडम में उनकी शाही उपाधियां वापस ले ली गईं थीं. ड्यूक ऑफ कोबर्ग आगे चलकर नाज़ी पार्टी और उसकी मिलीशिया में शामिल हो गए, जहां वो तरक़्क़ी करते हुए थर्ड राइक की रेड क्रॉस के प्रमुख बन गए. एडवर्ड षष्टम और चार्ल्स एडवर्ड के संपर्क का समापन ये हुआ कि एडवर्ड षष्टम ने एडॉल्फ हिटलर से मुलाक़ात करने के लिए, जर्मनी के सीमावर्ती शहर बर्कतेसगादन में तानाशाह के घर का दौरा किया.
स्पेन से एडवर्ड षष्टम पर ख़बरें भेज रहे जर्मन खुफिया एजेंट्स को यक़ीन था कि वो नाज़ियों के दोस्त थे. एक रिपोर्ट में एक खुफिया अधिकारी ने ख़बर दी कि पूर्व राजा को ‘यक़ीन था कि अगर वो गद्दी पर बने रहते, तो लड़ाई से बचा जा सकता था’. बरमेजिलो के साथ अपनी बातचीत में एडवर्ड षष्टम ने ‘लड़ाई के लिए यहूदियों, रेड्स, और विदेश ऑफिस को ज़िम्मेदार ठहराया’.
नाज़ियों के साथ शाही संपर्क के बहुत कम पुरालेख लड़ाई के ख़ात्मे तक बच पाए. कुछ इतिहासकार मानते हैं कि ब्लंट का खुफिया मारबर्ग मिशन ही इसकी वजह है. यूनाइटेड किंगडम ने मांग रखी कि एडवर्ड षष्टम पर नाज़ी विदेश कार्यालय की फाइल को, जो मारबर्ग में बरामद की गई थी, नष्ट कर दिया जाए, लेकिन इतिहासकार और पुरालेखविद पॉल स्वीट के तीखे विरोध की बदौलत उनकी याचिका फेल हो गई.
भले ही हमें कभी पता न चल पाए कि ब्लंट को दरअसल वहां क्या मिला था, लेकिन इस बात के कारण ज़रूर मौजूद हैं कि उसकी एक कॉपी केजीबी के पास पहुंच गई.
विश्वासघात के सबूत
1948 के बाद से सोवियत कम्युनिकेशंस को लक्ष्य बनाने वाली अमेरिका की नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी (एनएसए) ने, पश्चिम में केजीबी गुप्तचरों की मौजूदगी के सुबूतों को बेनक़ाब करना शुरू कर दिया. सांकेतिक नाम वेनोना के उनके ऑपरेशन के नतीजे में, भौतिक विज्ञानी क्लॉस फक्स का पता चला, जिसने सोवियत यूनियन को अमेरिका के परमाणु हथियार कार्यक्रम की जानकारी मुहैया कराई थी. एनएसए के हाथ वो जानकारी भी लगी जिसने उन्हें किम फिल्बी– जो गुप्त खुफिया सेवा या एमआई6 के प्रमुख बनने की क़तार में थे- और उनके साथ राजनयिक डोनाल्ड मैक्लीन और गाइ बर्गेस तक पहुंचा दिया.
पीछे कॉलेज के दिनों के दोस्ताना रिश्ते को देखते हुए ब्लंट एक ज़ाहिरी संदिग्ध थे. 1951 से 1964 के बीच एमआई5 ने कम से कम 11 बार उनसे पूछताछ की, लेकिन उन पर ज़्यादा दबाव नहीं बनाया. एमआई5 बल्कि कोरटॉल्ड्स के अंडरग्रेजुएट्स के बीच भी, ब्लंट के केजीबी से रिश्तों की अफवाहें फैल गईं. लेकिन एजेंसी ने दावा किया कि ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिससे कोई मुक़दमा चलाया जा सके.
कुछ संदेह ज़रूर है कि खुफिया प्रतिष्ठान को उम्मीद थी कि ये समस्या अपने आप ख़त्म हो जाएगी. बर्गेस और मैक्लीन 1953 में भागकर मॉस्को चले गए. फिलबी को उसकी भूमिका के लिए एमआई6 से बाहर कर दिया गया, और बाद में वो बेरूत में बतौर पत्रकार काम करने लगा.
10 साल बाद- एमआई5 से क़बूल करने के बाद- वो भी भागकर मॉस्को चला गया. ब्रिटिश ख़ुफिया समुदाय उत्तराधिकार कांड से हिल गया. शीर्ष अधिकारी गॉर्डन लेंसडेल, जॉर्ज ब्लेक और जॉन वासल, सभी का पर्दाफाश हुआ कि वो लंबे समय से केजीबी एजेंट्स चले आ रहे थे.
जब जॉन वासल को एमआई5 ने गिरफ्तार किया था, तो पूर्व प्रधानमंत्री हेरॉल्ड मैकमिलन ने एमआई5 चीफ रॉजर हॉलिस से कहा, ‘मैं बिल्कुल भी ख़ुश नहीं हूं. जब मेरा शिकारी किसी लोमड़ी को गोली मारता है, तो वो जाकर उसे लोमड़ी के शिकारी कुत्तों के मालिक के ड्रॉइंगरूम के बाहर टांग नहीं देता: वो उसे निगाहों से दूर ले जाकर कहीं दफन कर देता है’.
लेकिन कहानी दफन नहीं हुई. 1964 में अमेरिका के नेशनल एंडाउमेंट फॉर दि आर्ट्स के डिप्टी डायरेक्टर माइकल स्ट्रेट ने, एक छात्र के नाते ब्लंट की भर्ती पर फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) की गवाही की पेशकश की. उसके बाद एमआई5 ने ब्लंट को पूरी तरह अपराध स्वीकारने के बदले में, अभियोजन से प्रतिरक्षा की पेशकश की. ब्लंट के कबूलनामे को आख़िरकार उनकी मौत से चार साल पहले, तत्कालीन प्रधानमंत्री मार्ग्रेट थैचर ने 1979 में सार्वजनिक किया. ब्लंट से सर का ख़िताब छीन लिया गया, और उसे ट्रिनिटी कॉलेज के मानद फेलो पद से हटा दिया गया.
इतिहासकार मिरांडा ख़ुलासा करती हैं कि 1964 में उसके विश्वासघात के बारे में सूचित किए जाने के बाद भी, एलिज़ाबेथ द्वितीय ने लंबे समय तक ब्लंट के साथ सौहार्दपूर्ण रिश्ते बनाए रखे. उनके निजी सचिव एडीन को कुछ न करने की सलाह दी गई. रानी ने ब्लंट के साथ सार्वजनिक रिश्ता बनाए रखा और 1968 में कोरटॉल्ड्स की नई गैलरियां देखने गईं. 1972 में उन्होंने ब्लंट के रिटायरमेंट पर उन्हें बधाई दी, और एक मानद सलाहकार पद के लिए उनकी नियुक्ति पर अपने दस्तख़त किए- एक ऐसा जुड़ाव जो और छह साल तक चलता रहा.
अपनी ओर से एलिज़ाबेथ द्वितीय की मां एलिज़ाबेथ बोवेस लियोन ने भी ब्लंट के साथ दोस्ताना रिश्ते बनाए रखे. 1968 में कोरटॉल्ड्स का दौरा करने के बाद, उनके निजी सचिव ने जासूस को एक धन्यवाद नोट भी भेजा था.
इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए सबूत बहुत कम हैं कि एलिज़ाबेथ द्वितीय या उनकी मां ने ब्लंट को उनकी मारबर्ग सेवाओं के अहसान के बदले में सुरक्षित ठिकाना मुहैया कराया. हालांकि संदेह को हवा देते हुए ब्रिटिश आर्काइव्ज़ अभी भी किसी को महत्वपूर्ण शाही पत्राचार तक पहुंचने नहीं देते, और ये भी डर है कि काफी सामग्री 1945 में तबाह हो गई थी. सवाल इतने ज़्यादा हैं कि सच्चाई का छिपे रहना मुश्किल है, ख़ासकर अब, जब एलिज़ाबेथ द्वितीय गुज़र गई हैं.
7 साल पहले लीक हुई फुटेज में, सात साल की उम्र में रानी को बालमोरल के पारिवारिक घर में अपनी बहन, मां, और दो राजाओं- जॉर्ज षष्टम तथा एडवर्ड अष्टम के साथ, नाज़ी सैल्यूट में अपना हाथ उठाते देखा गया था. बम्बारी के शिकार लंदन में शाही परिवार की ललकारती हुई सिर्फ यही तस्वीरें नहीं हैं, जो इतिहास ने पीछे छोड़ी हैं.
(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
(लेखक दिप्रिंट के नेशनल सिक्योरिटी एडिटर हैं. वह @praveenswami पर ट्वीट करते हैं. व्यक्त विचार निजी हैं.)
यह भी पढे़ं: तीस्ता मसले पर शेख हसीना की बेताबी नजर आती है लेकिन मोदी राष्ट्रीय हितों को आंकने पर फोकस कर रहे हैं