scorecardresearch
Sunday, 3 November, 2024
होममत-विमतमासिक धर्म की स्वच्छता से लेकर पीरियड प्रोडक्ट्स तक, सरकार जरूरी संसाधन कराए उपलब्ध

मासिक धर्म की स्वच्छता से लेकर पीरियड प्रोडक्ट्स तक, सरकार जरूरी संसाधन कराए उपलब्ध

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 के अनुसार, 15-24 वर्षीय महिलाओं में से केवल 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 90% या उससे अधिक महिलाएं मासिक धर्म उत्पादों का उपयोग करती हैं.

Text Size:

“मैं किसी समुदाय की प्रगति को महिलाओं द्वारा प्राप्त की गई प्रगति के आधार पर मापता हूं.”
– डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर.

एक अग्रणी मंच के रूप में स्कॉटलैंड, पीरियड प्रोडक्ट्स एक्ट को पारित करके विश्व का पहला राष्ट्र-राज्य बन गया है जिसने उपयुक्त मासिक धर्म उत्पादों की मुफ्त उपलब्धता की सुरक्षा सुनिश्चित की है.

इस कानून से माहवारी की गरीबी का निवारण होगा जो एक ऐसी स्थिति है जब कम आय वाले लोग मान्य मासिक धर्म उत्पादों की खरीदारी या पहुंच की सक्षमता से वंचित रह जाते हैं. पीरियड प्रोडक्ट्स एक्ट के तहत, विद्यालों एवं विश्वविद्यालयों सहित स्थानीय सरकारी निकायों को अपने स्नानघरों में मुफ्त उपयुक्त माहवारी सामग्री की विभिन्न विकल्पों को उपलब्ध कराने की अनिवार्यता होती है. हर परिषद को स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर माहवारी के उत्पादों की सर्वोत्तम पहुंच बनाने के लिए निर्धारित करना होता है.

सुगमता: – एक मोबाइल फोन ऐप इसमें मदद करता है लोगों को नजदीकी स्थान का पता लगाने में – जैसे स्थानीय पुस्तकालय या समुदाय केंद्र- जहां नागरिक माहवारी के उत्पाद ले सकते हैं जो यह दर्शाता है की किस प्रकार हम प्रौद्योगिकी यंत्रों का इस्तेमाल करके सामाजिक समानता की प्राथमिकता को प्राप्त करा जा सकता है. इसके तहत माहवारी सामग्री पुस्तकालय, स्विमिंग पूल, सार्वजनिक जिम, समुदायिक इमारतें, टाउन हॉल, फार्मेसी और डॉक्टर के ऑफिस में उपलब्ध करवाए जा रहे हैं.

भारत में मासिक धर्म की स्वच्छता की हालत क्या है?

2011 में संयुक्त राष्ट्र बाल नेतृत्व द्वारा आयोजित एक अध्ययन के अनुसार, मासिक धर्म से पहले केवल 13% भारतीय लड़कियां इसके बारे में जागरूक होती हैं. यह अंक दर्शाते हैं कि क्यों 60% लड़कियां मासिक धर्म के कारण स्कूल छोड़ देती हैं. इसके परिणामस्वरूप, 79% महिलाएं कम आत्मविश्वास का सामना करती हैं और 44% को प्रतिबंधों के कारण शर्मिंदगी और अपमान का सामना करना पड़ता है. यह स्थिति मासिक धर्म के नकारात्मक प्रभाव को स्पष्ट रूप से दर्शाती है, जो महिलाओं की शिक्षा, समानता, मातृत्व और बाल स्वास्थ्य को प्रभावित करता है.


यह भी पढ़ें: ‘बदलाव की राह’ में जुटे हैं देश के युवा, किसी को गांव में खुलवाना है अस्पताल, किसी का शिक्षा पर है जोर


राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 के अनुसार, 15-24 वर्षीय महिलाओं में से केवल 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 90% या उससे अधिक महिलाएं मासिक धर्म उत्पादों का उपयोग करती हैं. यहां तक कि पुडुचेरी और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में इस आंकड़े का हिस्सा 99% है. वहीं, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़, असम, गुजरात, मेघालय, मध्य प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में केवल 70% या उससे कम महिलाएं मासिक धर्म प्रोडक्ट्स का उपयोग करती हैं. विशेष रूप से बिहार एकमात्र राज्य है जहां यह आंकड़ा 60% से कम है.

इसी कारणवश भारत सरकार को भी स्कॉटलैंड की तर्क प्रणाली का विचार करना चाहिए और माहवारी उत्पादों को उपलब्ध अथवा उसे माफ़ी/छूट पर उपलब्ध कराना चाहिए.

सरकार को स्वस्थ स्वाच्छता के लिए छोटे पैमाने पर सैनिटरी पैड निर्माण इकाइयों का प्रचार भी करना चाहिए, जिससे कम कीमत वाले पैड आसानी से उपलब्ध हों और जिन्हें कम आय वाली महिलाएं खरीद सकें. स्वच्छता के मुद्दों पर जागरूकता को बढ़ाने के लिए महिलाओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने की भी आवश्यकता है तथा शिक्षा संस्थानों में यह जागरूकता शामिल की जानी चाहिए.

इनके इलावा, महिलाओं को उचित माहवारी स्वास्थ्य और सामग्री के बारे में जागरूक करने के लिए संगठनों, मीडिया और सार्वजनिक-निजी क्षेत्र के सहयोग की आवश्यकता होती है. स्थानीय सरकारों और संघीय सरकार को भी इस मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए और सामुदायिक स्तर पर उचित सुविधाएं और संरचना सुनिश्चित करनी चाहिए ताकि महिलाएं माहवारी स्वास्थ्य के लिए समर्पित स्थानों की दृष्टि से आसानी से पहुंच सकें.

नारी: नया आदर्श रखो इससे

नारी परिवर्णी शब्द के मंत्र से आने वाले समय में हम एक नए भारत की आधारशिला रख सकते हैं, जिसका विवरण कुछ इस प्रकार दिया जा सकता है –
ना: निर्मलता – सभी महिलाओं की स्वच्छता की प्राथमिकता सुनिश्चित करना.
र: रोजगार – महिलाओं के लिए रोजगार के अवसरों को बढ़ाने और स्वावलंबन के माध्यम से आर्थिक सशक्तिकरण करना. तथा
इ: इंसाफ़ – समान अवसरों, अधिकारों और सुरक्षा की सुनिश्चितता के माध्यम से महिलाओं के लिए न्यायपूर्ण माहौल सुनिश्चित करने के लिए.

नारी: निर्मलता, रोजगार और इंसाफ़- यह मंत्र महिलाओं के समृद्ध और सशक्तिशाली जीवन को समर्पित है. इसका उद्देश्य महिलाओं के संपूर्ण विकास, स्वतंत्रता और समानता को प्रोत्साहित करना है. इस मंत्र का पालन करके, हम नारी शक्ति को मजबूत बना सकते हैं और समाज में वास्तविक परिवर्तन ला सकते हैं.

(संपादनः आशा शाह)
share & View comments