scorecardresearch
Wednesday, 6 November, 2024
होममत-विमतट्रम्प का वीज़ा कंट्रोल कुशल एनआरआई को वापस भारत आने के लिए नहीं करेगा मजबूर; वजह-भारत की जर्जरता

ट्रम्प का वीज़ा कंट्रोल कुशल एनआरआई को वापस भारत आने के लिए नहीं करेगा मजबूर; वजह-भारत की जर्जरता

जब विश्व के कुशल और सिद्धहस्त लोग निर्णय लेते हैं कि किस देश में जाना है, भारत वो देश नहीं है जो दिमाग में आए। इसलिए अच्छी खासी संख्या में कुशल अप्रवासी भारतीयों के वापस आने की उम्मीद तो बिलकुल मत कीजिए।

Text Size:

ट्रम्प प्रशासन का संयुक्त राज्य अमेरिका की आप्रवासन नीतियों को मजबूत करना जारी है। हाल के हफ़्तों में, यह निकल कर सामने आया है कि प्रशासन उस प्रावधान को वापस लेने पर विचार कर रहा है जो एच 4 वीज़ा धारकों (जो संयुक्त राज्य अमेरिका में एच -1 बी वीजा धारकों के आश्रित के रूप में प्रवेश करते हैं) को काम करने की अनुमति देता है।यह लगभग 72,000 पति / पत्नियों (ज्यादातर पत्नियों) को प्रभावित करता है, जिनमें से लगभग 66,000 भारतीय हैं।

एक और कदम में, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) में अमेरिकी विश्वविद्यालयों से स्नातक छात्रों को अब वैकल्पिक व्यावहारिक प्रशिक्षण (ओपीटी) के तहत रोजगार पर कड़े नियंत्रण का सामना करना पड़ेगा।इसका मतलब है कि लगभग 40,000 भारतीय छात्रों को हर साल अमेरिका में ह्रासमान रोजगार संभावनाओं का सामना करना पड़ेगा। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि इस वर्ष अमेरिकी विश्वविद्यालयों में भारतीय नामांकन 27 प्रतिशत गिरा है।
कुछ आप्रवासन सलाहकारों के अनुसार, ट्रम्प प्रशासन के ढंग के जवाब में भारतीय कंपनियों ने अपने एच -1 बी आवेदनों को 50 प्रतिशत तक घटा दिया है।

इसका मतलब यह है कि हजारों कुशल भारतीयों को अमेरिका में नियोजित रह पाना मुश्किल होगा, और बहुत ज्यादा लोग अपने काम पर भी नहीं जा सकेंगे।

जाहिर है, यह अमेरिका के लिए एक आत्म-पराजय की नीति है। लेकिन भारत के लिए इसका क्या अर्थ है?
कुछ साल पहले, जैसा कि ओबामा प्रशासन अपनी आप्रवासन नीतियों की समीक्षा कर रहा था, कुछ अमेरिकी प्रतिनिधिमंडलों ने बैंगलोर में तक्षशिला संस्थान का दौरा किया। चूंकि यह शहर अमेरिकी प्रौद्योगिकी उद्योग और हाउसेस की कंपनियों,जो संयुक्त राज्य अमेरिका में इंजीनियरों को साइट पर काम करने में सक्षम होने पर निर्भर हैं, के साथ लगभग नाभि से जुड़ी एक कड़ी साझा करता है,वे वीजा नीति पर हमारी राय प्राप्त करने में रुचि रखते थे।

वे अचंभित हो गये जब मैंने उनसे कहा कि अगर अमेरिका वीजा नीति को मजबूत करता है तो भारत को फायदा होगा।सभी एक दूसरे के समकक्ष है , क्योंकि एक भारतीय आईटी कम्पनियाँ, शायद, बैंगलोर से बाहर काम कर रहे उन्हीं कर्मचारियों के माध्यम से, उन्हीं अमेरिका में रह रहे ग्राहकों को सेवा देंगे।वे वापस भारत में रहेंगे, भारत में करों का भुगतान करेंगे, और घरेलू श्रमिकों के मानकों को बढ़ाएंगे।उनमें से कुछ उद्यमी बन जाएंगे और अमेरिकी उद्यम पूंजीपति उनके स्टार्ट-अप को वित्त-पोषित करेंगे, जबकि उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को समृद्ध किया।
यह एक अति-सरलीकरण है और बड़ी आईटी सेवा कंपनियों,जो साइट पर काम करने वालों को रखने के लिए बहुत ज्यादा निर्भर हैं, के हितों और व्यापार मॉडल में कारक नहीं है। फिर भी, व्यापक तस्वीर भारत को शुद्ध आधार पर संभावित रूप से बेहतर दर्शाती है।

महत्वपूर्ण सवाल यह है: क्या भारत, अनिवासी भारतीयों के लिए, वापस आने के लिए एक आकर्षक जगह है?प्रतिभाशाली भारतीयों को देश लौटने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए, सरकारी प्रतिष्ठान में, नीतियों की आवश्यकता की एक विकासशील आम-राय है।फिर भी, समकालीन सोच में घातक कमजोरी है: भारत को अकेले अनिवासी भारतीयों के लिए आकर्षक बनाना पर्याप्त नहीं है।

यहाँ तक कि यदि वेतनमान बराबर होते (क्रय शक्ति समानता के सन्दर्भ में कहा जाये), तो कुछ अप्रवासी भारतीय एक विकसित देश में आराम, सुरक्षा और जीवन की गुणवत्ता का व्यापार करते और वापस आते और भारत में दैनिक जीवन की चुनौतियों का सामना करते। भावनात्मक जुड़ाव, देशभक्ति की भावनाओं और पारिवारिक लगाव के बावजूद, ज्यादातर अप्रवासी भारतीय विदेशों में रहना पसंद करते हैं।यह सरकारी योजनाओं के कारण नहीं बदलेगा, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे कागज़ पर कितने ही महत्वपूर्ण हों।

तो, कौन सी चाल है, जो हमें पता नहीं है? भारत के लिए, पर्याप्त संख्या में कुशल अप्रवासी भारतीयों की वापसी के लिए पर्याप्त आकर्षक होने के लिए, राष्ट्रीयता देखे बिना, इसे सामान्य रूप से कुशल लोगों के लिए भी आकर्षक होना चाहिए।
इसे बदलने के लिए बहुत सी चीजों की जरूरत है।एक के लिए, हमें दर्पण में कड़ी नजर डालने की जरूरत है। मैं आप पर अंतर्राष्ट्रीय सूचकांक और जीवन की गुणवत्ता से सम्बंधित रैंकिंग का बोझ नहीं डालूँगा, क्योंकि इस सूची में हम बहुत नीचे हैं जिससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

भारत उन देशों में से नहीं है जो उस समय दिमाग में आते हैं जब दुनिया के सबसे कुशल लोग निर्णय लेते हैं कि किस देश में चला जाए।यही कारण है कि हमें बड़ी संख्या में कुशल अनिवासी भारतीयों के वापस आने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। (अर्ध-कुशल और अकुशल अनिवासियों की,दी गयी मजदूरी के स्तर में व्यापक भिन्नताओं और उनके प्रमुख स्थान पर प्रवासगमन के कारणों के होते हुए, वापसी की सम्भावना बहुत कम है यदि उनके पास कोई विकल्प है)

यदि भारत सरकार – और भारतीय समाज सामान्य रूप से – दुनिया के कुशल लोगों के लिए देश को आकर्षक बनाने के बारे में सोचना शुरू कर देता है, तो हम पाएंगे कि कैसे अपनी निवासी आबादी के लिए जीवन को आसान बनाना है। क्या अच्छी नौकरियां उपलब्ध हैं? क्या बच्चों को लाने के लिए यह एक अच्छी जगह है? क्या यह जगह महिलाओं के लिए सुरक्षित है? क्या हम उन लोगों से उचित व्यवहार करते हैं जो ‘हमारी तरह नहीं दिखते’? क्या मौलिक वस्तुओं जैसे सड़कों, फुटपाथों, बिजली, सार्वजनिक परिवहन और कानून प्रवर्तन की उचित गुणवत्ता मौजूद हैं? क्या पीने के लिए पानी सुरक्षित है और सांस लेने के लिए हवा स्वच्छ है? क्या सरकार से बात करना आसान है? ये मूलभूत चीजें हैं।

निवासियों के रूप में हमें जर्जर गुणवत्ता वाला जीवन जीने की इतनी अधिक आदत हो चुकी है कि अब हमने सब कुछ इसी पर छोड़ दिया है और इसके बजाय हमने संस्कृति युद्धों पर चर्चा करने और लड़ने में अपना अत्यधिक समय बर्बाद कर दिया है। अगर हम यह सोचने का फैसला करें कि हम कैसे विदेशियों को भारत में स्थानांतरित करने के लिए आकर्षित कर सकते हैं, तो हमें उन महत्वपूर्ण बुनियादी चीजों पर ध्यान केंद्रित करना होगा जो वास्तव में हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं। इसलिए, हम उन विदेशियों के पक्ष में काम नहीं करेंगे जो हमें आकर्षित करना चाहते हैं। हम खुद के पक्ष में काम करेंगे।

जब तक विदेशी सरकारें और इंटरनेशनल डेवलपमेंट एनआरआई (अनिवासी भारतीय) को बाहर नहीं निकाल देते और यदि उनके पास जाने के अलावा कोई और विकल्प है, तो वह बड़ी मात्रा में भारत वापस आना पसंद नहीं करेंगे। इंटरनेट ने एनआरआई और उनके घरों के बीच भावनात्मक दूरी को भारत में लगभग शून्य कर दिया है।विदेश में, भारतीय फिल्में, संगीत, भोजन और समुदाय आसानी से उपलब्ध हैं। लंबी दूरी के राष्ट्रवाद के रूप में लंबी दूरी की देशभक्ति संभव है। मोदी सरकार लाँग-डिस्टेंस वोटिंग के विचार के साथ अपना राजनीतिक खेल भी खेल रही है। भारत से लगातार जुड़े रहने के बावजूद भी पहली (विकसित) दुनिया के देशों में शारीरिक रूप से रहना आसान होगा

जैसा कि मैंने अमेरिका दौरे के दौरान अमेरिकियों को समझाया, जब प्रतिभाशाली लोग भारत वापस आते हैं तो भारत को लाभ होता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में राजनीतिक विकास और आप्रवास के खिलाफ अन्य पश्चिमी देशों ने भारत को अपनी अर्थव्यवस्था में कुशल श्रमिकों की भारी कमी को कम करने के अवसर प्रदान किए हैं। इस बात को समझने के लिए हमें पहले अपने दिमाग को और अधिक विकसित करना होगा और फिर हमें अपने देश के द्वार दुनियाभर के प्रतिभाशालियों के लिए खोलने होंगे।

नितिन पाई तक्षशिला संस्थान के निदेशक हैं, जो सार्वजनिक नीति में अनुसंधान और शिक्षा के लिए एक स्वतंत्र केंद्र है।

share & View comments