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Friday, 26 April, 2024
होममत-विमतप्रधानमंत्री जी, हिंदुत्व ब्रिगेड को इस्लामी इतिहास पर हमले करने से सिर्फ आप रोक सकते हैं

प्रधानमंत्री जी, हिंदुत्व ब्रिगेड को इस्लामी इतिहास पर हमले करने से सिर्फ आप रोक सकते हैं

लेकिन सवाल यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिंदुत्व ब्रिगेड को कब कहेंगे कि भारत के समृद्ध इतिहास पर हमले उनके मन में जोश नहीं भरते.

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जनाब प्रधानमंत्री जी,

भाजपा से संरक्षण और शह पा रहा हिंदुत्व ब्रिगेड काबू से बाहर होता जा रहा है. उसकी मंशाएं और कार्रवाइयां, दोनों आपस में टकरा रही हैं. ‘इस्लामी’ ढांचों और प्रथाओं के खिलाफ दायर याचिकाओं में सबसे ताजा वह है जिसमें मांग की गई है कि ताजमहल के नीचे खुदाई करके पता लगाया जाए कि पहले वह एक मंदिर तो नहीं था. दिल्ली के कुतुब मीनार को भी नहीं बख्शा गया है. ऐसे दावों के पक्ष में तथ्य और प्रमाण प्रायः व्हाट्सअप पर फॉरवर्ड किए गए संदेशों में ही पाए जाते हैं.

इसी तरह, मस्जिदों और उनके नीचे दबे मंदिरों के दावों की सूची लंबी होती जा रही है और उनके खिलाफ दायर हर याचिका को मीडिया सबसे ज्यादा तवज्जो दे रहा है. एक है वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद और फिर मथुरा की शाही ईदगाह भी है. मोहम्मदपुर का नाम बदलकर माधवपुरम तो किया ही गया है, दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष आदेश गुप्ता चाहते हैं कि उन्होंने जिन करीब 40 गांवों की सूची बनाई है उनके नाम बदलकर हिंदू नाम किए जाएं.

यह सब किस लिए? क्या सिर्फ इसलिए कि वे आपकी नज़रों में आएं और भाजपा में अपनी अच्छी जगह बनाएं? आखिर भगवा भीड़ के बेकाबू होने के कई उदाहरण सामने हैं. भाजपा सांसद जयंत सिन्हा जब केंद्रीय मंत्री थे तब उन्होंने उन सात लोगों को माला पहनाकर सम्मानित किया था जिन पर एक मांस व्यापारी की हत्या करने का आरोप था और हाई कोर्ट ने उनकी सजा को स्थगित करते हुए उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया था.

सांसद गिरिराज सिंह भारत के मुसलमानों को ‘पाकिस्तान चले जाओ’ की हिदायत देते रहते हैं. दिल्ली दंगे से पहले भड़काऊ भाषण देने वाले कपिल मिश्र को कोई सजा नहीं दी जाती, जबकि अनुराग ठाकुर भाजपा की एक चुनावी सभा में निडर होकर ‘देश के गद्दारों को….’ नारे लगाते हैं और उनके समर्थक ‘गोली मारो सालों को ‘ कहकर नारे को पूरा करते हैं. ठाकुर को युवा मामलों और सूचना व प्रसारण मंत्री बनाया जाता है. इस तरह की बातें भगवा ब्रिगेड के सदस्यों में यह उम्मीद जगाती है कि इससे उन्हें भाजपा में अहम ओहदा मिल सकता है.

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जिस उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राज्य में कानून-व्यवस्था सुधारने के दावे करते हैं वहां डुमरियागंज के पूर्व विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह इस तरह की रैली कैसे करते हैं जिसमें ‘जब कटुए काटे जाएंगे तब राम राम चिल्लाएंगे ’ जैसे नारे लगाए जाते हैं? क्या वे यह मानते हैं कि इस तरह के काम करने पर आप उन्हें भाजपा में तरक्की देने की बात करने के लिए 7, लोक कल्याण मार्ग पर आने का निमंत्रण देंगे?


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क्या अब आपको चुप्पी नहीं तोड़नी चाहिए?

सवाल यह है कि इन लोगों को आप कब यह कहेंगे कि इस तरह की बातें आपके मन में जोश नहीं भरतीं? क्योंकि अगर ऐसा होता तो आप देश का प्रधानमंत्री बनने की कोशिश में केवल ‘विकास’ और ‘विश्वास’ की बातें ही क्यों करते. दो बार ऐसा हुआ है कि गृह मंत्री अमित शाह ने आपकी करुणा के किस्से सुनाए हैं. आखिर दयालुता का संदेश देने के लिए हर किसी को ‘मोर को दाना खिलाने’ का मौका नहीं मिलता. अब भाजपा के कार्यकर्ता आपका ध्यान खींचने के लिए मोर को जबरन दाना खिलाने के अपने वीडियो जारी करने लगें तो मुझे आश्चर्य नहीं होगा. हिंदू दक्षिणपंथी आपसे वाकई संदेश का इंतजार कर रहे हैं. चाहें तो आप अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में इन लोगों से कह सकते हैं कि वे लोगों की जान, स्मारकों, मस्जिदों, खानपान, हिजाब, मुसलमानों के शादी-ब्याह आदि पर हमले बंद करें.

प्रधानमंत्री जी, यह तो आप समझते ही होंगे कि भारत करीब 20 करोड़ मुसलमानों से या 7वीं सदी में भारत पहुंचे इस्लाम के साथ जुड़ी अपनी नियति से छुटकारा नहीं पा सकता. मुसलमान यहां 12वीं सदी में तब आकर बसे थे जब यह देश विभिन्न साम्राज्यों में बंटा एक भूभाग था. अगर हिंदुत्ववादी भीड़ यह सोचती है कि वह 900 साल के इतिहास को मिटा सकती है तो यह कतई मुमकिन नहीं है. प्रधानमंत्री जी, आप अपनी चुप्पी से इन मुस्लिम विरोधी आख्यानों को बढ़ावा दे रहे हैं और इन उन्मादियों को मतदाताओं के मन में ऐसी आकांक्षाएं जगाने की छूट दे रहे हैं जिन्हें पूरा किया ही नहीं जा सकता.

टीवी और सोशल मीडिया पर मुसलमानों के खिलाफ नफरत का जो जहर उगला जा रहा है वह तेजी से जमीन पर भी फैल रहा है. माना जा रहा था कि सभ्यतागत वर्चस्व की चाहत राम जन्मभूमि आंदोलन के पक्ष में अयोध्या विवाद के निपटारे और वहां भव्य मंदिर के निर्माण के साथ पूरी हो जाएगी. लेकिन किसे पता था कि यह तो लंबे मंदिर आंदोलन और कई मस्जिदों पर हमले तथा उन्हें मिटाने की मुहिम की शुरुआत है. लेकिन इतिहास इन मुहिमों को उसी तरह याद करेगा जिस तरह आज हम तालिबान द्वारा बामियान बुद्ध की मूर्तियों को तोड़े जाने को याद करते हैं. उन्होंने भी यह सब ‘आस्था’ के नाम पर किया. प्रधानमंत्री जी, भारत उसी अंधे कुएं में नहीं जा सकता क्योंकि उसके नतीजे सिर्फ मुसलमानों के लिए भयावह नहीं होंगे.

आवाज़ लगाइए और हिंदुत्व ब्रिगेड के इस पागलपन को रोकिए. आपकी चुप्पी से किसी का भला नहीं होगा, आपकी छवि का तो कतई नहीं.

(लेखिका एक राजनीतिक पर्यवेक्षक हैं. व्यक्त विचार निजी हैं)

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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