scorecardresearch
Saturday, 21 December, 2024
होममत-विमतआपकी नींद की समस्या लाइफस्टाइल की नहीं बल्कि मेडिकल की प्रॉब्लम हो सकती है

आपकी नींद की समस्या लाइफस्टाइल की नहीं बल्कि मेडिकल की प्रॉब्लम हो सकती है

स्लीप एप्निया से पीड़ित लाखों लोगों को जिन्हें इसकी जानकारी नहीं है उन्हें हमारे दोस्तों, परिवार, गूगल और समाचार मीडिया से गलत सलाह ही मिलती है.

Text Size:

नींद के विशेषज्ञ ने मुझे लक्षणों की एक लंबी चौड़ी लिस्ट दी: क्या आप कभी-कभी आधी रात में जाग जाते हैं? और फिर क्या आपको बहुत ज्यादा प्यास लगती है? क्या आपको अक्सर पेशाब करने की इच्छा होती है, तब भी जब आपको वास्तव में इसकी जरूरत महसूस नहीं हो रही होती है? क्या आपको सुबह सिरदर्द, थकान या दिन में नींद आती है? क्या आप छोटी-छोटी चीज़ें भूल जाते हैं जैसे कि आपने अपना फ़ोन या चाबियां कहां रखी थीं? क्या आप अक्सर चिड़चिड़े रहते हैं?

हां! हां! हां! लेकिन उसे कैसे पता चला?

यह ऐसा है मानो नींद का विशेषज्ञ मेरे साथ रहता हो. वह मुझसे मेरी दिनचर्या के बारे में बात कर रहा है.

उन्होंने एक स्लीप टेस्ट किया, जिसमें मुझे मेरे ही अपने घर के आरामदेह बिस्तर पर, चारों ओर कुछ तारों और एक मशीन के साथ सोना पड़ा. एक पल्स ऑक्सीमीटर, जो टेप से मेरी तर्जनी उंगली के चारों ओर कसकर लपेटा गया था, सोते समय लगातार मेरे खून में ऑक्सीजन को मापता रहा. एक तार मेरी नाक पर लगा था, जो मेरे सांस लेने के तरीके को रिकॉर्ड कर रहा था. मशीन ने मेरी हृदय गति भी रिकॉर्ड की. शुरू में मेरे चारों ओर इतना सारा सामान रखकर सोना असुविधाजनक था, लेकिन फिर भी मैं सो गया.

अगले दिन, मैं उन मशीनों को वापस करने के लिए डॉक्टर के पास गया. डेटा एक कंप्यूटर पर डाउनलोड किया गया था, और एक पल में, एक प्रिंटआउट ने मुझे गंभीर ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया (ओ एस ए) से पीड़ित बताया.

‘लाइफस्टाइल वाले’

मुझे बहुत पहले ही डॉक्टर को दिखाना चाहिए था, लेकिन मैं जिसे ‘लाइफस्टाइल सलाह उद्योग’ कहता हूं, उसमें मैं फंस गया था. मित्र, परिवार, Google और समाचार मीडिया – सभी आपको मोटापे और खराब नींद जैसी समस्याओं के समाधान के लिए अपनी “जीवनशैली” को सही करने के लिए कहते हैं. जैसेकी सारी गलतियां आपकी ही होती है.

मुझे याद है कि जब मैं 18 साल का हुआ तब से मुझे कम नींद आने लगी और वजन बढ़ने लगा. हर गुजरते साल के साथ, दोनों समस्याएं बदतर होती गईं.

लाइफस्टाइल सलाह उद्योग ने मुझे यह विश्वास दिलाने के लिए गुमराह किया कि समस्या मेरे द्वारा चुने गए विकल्पों में थी.

“आप जिम क्यों नहीं ज्वाइन करते?”

मुझे यह समझाने में कठिनाई हो रही थी कि मेरे पास कसरत करने के लिए एनर्जी नहीं है, क्योंकि मैं अक्सर जिम के लिए पैसे देता तो हूं. पर जाता कभी नहीं हूं. यह एक बहाना, इस बात को साबित कर रहा था कि मैं आलसी था.

“तुम समय पर क्यों नहीं सोते?”

स्वयं के लिए नोट: आज रात मैं जल्दी सोऊंगा. सिवाय इसके कि कोई भी नींद को बुला नहीं सकता.

जब ऐसा होता है, तब भी मैं खुद को बहुत जल्दी या बहुत देर से जागता हुआ पाता हूं, फिर भी तरोताजा महसूस नहीं करता हूं. “कितना सोते हो?” मुझसे पूछा जाएगा. विडंबना यह है कि चाहे मैं कितना भी सोऊं, मुझे पूरी तरह से आराम महसूस नहीं हुआ.

हमेशा ही जिंदगी में थकान महसूस करना

इन वर्षों में, सुबह का सिरदर्द, लगातार थकान और कम एनर्जी मेरे जीवन का हिस्सा बन गए. यह यहां तक हो चुका था कि, मैंने इसे एक समस्या के रूप में देखना बंद कर दिया क्योंकि मुझे लगा कि इसके लिए मेरा मोटापा, मेरी “जीवनशैली”, मेरे जीन्स, मेरा मानसिक स्वास्थ्य या सिर्फ मुझे दोषी ठहराया जाना चाहिए. अब जैसा है वैसा है.

मेरी हालत इतनी खराब हो गई कि इसका असर मेरे काम, सेहत, रिश्ते हर चीज पर पड़ा.

जागने के बाद कई घंटों तक मैं ऊर्जा के लिए संघर्ष करता रहता. इसका मतलब यह था कि मेरे दिन की सार्थक शुरुआत शाम तक ही होगी.

मैं सुबह उठने वाला व्यक्ति नहीं हूं, मैंने गर्व से अपने बारे में यह घोषणा कर दी.

यह तब होता है जब आपकी नींद का चक्र गड़बड़ा जाता है. आप जितनी देर से सोएंगे, उतनी ही देर से जागेंगे. रात दिन बन जाती है, दिन रात बन जाता है.

मैं चक्रव्यूह में अभिमन्यु था, क्योंकि एक बुरी रात के बाद एक बुरा दिन आता था, जिसके कारण दूसरी बुरी रात आती थी.

ऐसी रातें थीं जब मुझे बिल्कुल भी नींद नहीं आती थी. और सुबह 5 बजे तक, मुझे इतनी तेज़ भूख लगती थी कि मैं फ्रिज खाली कर देता था और फिर सुबह के बुफ़े नाश्ते के लिए किसी होटल में जाता था.

कई बार मैं पूरे दिन जागते रहने के लिए शहर से बाहर यात्रा करता था, और केवल रात में सोता था, इस प्रकार अपने नींद के चक्र को सही करता था.

मैं यह भी नहीं बता पाता था कि मैं कब जागूंगा और कब सो जाऊंगा. मैंने कई प्रोफेशनल मीटिंग्स, शानदार पार्टियां और डॉक्टर से एप्वाइंटमेंट को मिस किया क्योंकि उस दौरान नींद मुझपर हावी हो जाती थी.

नींद के सहायक उपकरण जो काम नहीं करते

लाइफस्टाइल इंडस्ट्री ने कहा, चिंता बिलकुल मत करो . हम इसे ठीक कर सकते हैं. आप थोड़ी कम कॉफ़ी क्यों नहीं पीते? आप कैमोमाइल चाय क्यों नहीं आज़माते? मेलाटोनिन? मेरे ज्ञानी दोस्त ने मुझे एल्प्रैक्स (नींद की दवा) भी दी .

उस समय मुझे यह पता नहीं था, लेकिन नींद की ये सभी चीजें वास्तव में मेरी हालत खराब कर रही थीं. उन्होंने मेरे मस्तिष्क के साथ विपरीत उद्देश्यों के लिए काम किया. उन्होंने मुझे गहरी नींद में जाने से रोकने के लिए मेरे दिमाग को जरूरत पड़ने पर स्विच ऑफ करने और सोने के लिए कहा.

स्लीप एपनिया आपके सोने के दौरान सांस ठीक से न ले पाने के कारण होने वाली एक बीमारी है जिसमें सांस लेने के सारे वायुमार्ग पूरी तरह से बंद हो जाते हैं. यदि ऐसा होता है, तो आप मर जाओगे – जैसे पानी में डूबते हैं. यह वह जगह है जहां आपका मस्तिष्क आपको जगाकर बचाता है, ताकि आप अपने बंद वायुमार्ग को खोलने और फिर से सांस लेने के लिए कुछ प्रयास कर सकें. यह बिना किसी को एहसास हुए एक पल में घटित हो जाता है.

कभी-कभी, यह इतना बुरा हो सकता है कि मस्तिष्क आपातकालीन अलार्म दबाता है और आपको पूरी तरह से जगा देता है. आप हांफ रहे हैं, हांफ रहे हैं, दम घुट रहा है… ठीक वैसे ही जैसे जब आप तैर नहीं सकते. आपको तुरंत पानी पीने की इच्छा होती है. यही कारण है कि नींद की गोलियां और सहायक उपकरण एपनिया वाले किसी व्यक्ति पर काम नहीं करेंगे.

लगभग सभी लोग खर्राटे लेते हैं, इसलिए लोग खर्राटों को एक समस्या के रूप में नहीं देखते हैं. लेकिन नींद विशेषज्ञ ने मुझे समझाया कि नींद में खर्राटे लेना वायुमार्ग के संकुचित (पतले) होने का संकेत है.

यदि आपने भारतीय रेलवे में रात भर यात्रा की है, तो आपने स्लीप एप्निया देखा होगा. प्रत्येक डिब्बे में हमेशा कम से कम एक व्यक्ति अजीब खर्राटों के पैटर्न वाला मिलेगा ही. उसके (और संभवतः उसके मुकाबले उसके) खर्राटे तेज आवाज की तरह बढ़ते हैं – और फिर अचानक बंद हो जाते हैं. यह नीचे नहीं आते. तभी आप आशा करते हैं कि उसने खर्राटा लेना बंद कर दिया है और अब आप शांति से सो सकते हैं. अफ़सोस, वह फिर से शुरू करता है. जब वह खर्राटे के चरम पर अचानक चुप हो जाता है, तो संभवतः यह वायुमार्ग का बंद होना है, जिसे एपनिया घटना कहा जाता है.

मुझे आश्चर्य हुआ जब डॉक्टर ने मुझे बताया कि वयस्कों में प्रति घंटे 5 एप्निया की घटनाएं सामान्य मानी जाती हैं. प्रति घंटे 30 से अधिक नींद आना गंभीर स्लीप एप्निया माना जाता है. मेरे टेस्ट में 32 दिखाया गया.

इससे यह भी पता चला कि रात में एक समय, मेरे खून में ऑक्सीजन 73 मिमी एचजी तक गिर गई थी. मेरी हृदय गति 48 बीपीएम तक कम हो गई.

हम जानते हैं कि कोविड के कारण खून में ऑक्सीजन का इतना कम स्तर कितना भयानक है, जब हमसे कहा गया कि यदि खून में ऑक्सीजन 93 से नीचे चला जाए तो अस्पताल में जांच कराएं. यह सब अब समझ में आया – जब मैं ऑक्सीजन के लिए लड़ रहा था तब मुझसे कैसे खुश रहने, एनर्जी बनाए रखने और चुस्त बने रहने की उम्मीद की गई थी

नींद का तीसरा चरण नॉन-रैपिड आई मूवमेंट (आरईएम) नींद या डेल्टा नींद है जिसमें मस्तिष्क जानकारी को स्मृति में बदलता है. फिर अंतिम चरण आता है – आरईएम नींद, जो भावनाओं को छांटने के लिए आवश्यक है. यह तब होता है जब हम सपने देखते हैं. स्लीप एपनिया इन दोनों चरणों को बाधित करता है.

मेरी भूलने की बीमारी इतनी बुरी थी और है कि मैं नियमित रूप से ऐसे लोगों से मिलता हूं जो मुझसे मिलकर आहत हो जाते हैं क्योंकि मैं उन्हें याद नहीं रख सका हूं.

लेप्टिन और घ्रेलिन

जब हम सोते हैं, तो हमारे शरीर में लेप्टिन नामक हार्मोन निकलता हैं, जो मस्तिष्क को आश्वस्त करता है कि शरीर में पर्याप्त एनर्जी है और उसे भोजन की आवश्यकता नहीं है. यदि हम अच्छी नींद नहीं लेते हैं, तो हमारे पास पर्याप्त लेप्टिन नहीं है, जिससे हम ज़रूरत से ज़्यादा खाने लगते हैं. यदि आप अच्छी नींद नहीं लेते हैं तो एक अन्य हार्मोन घ्रेलिन, जो मस्तिष्क को भूख के बारे में संकेत देता है, अधिक मात्रा में निकलता है.

स्लीप एपनिया के रोगियों में लेप्टिन और घ्रेलिन की कमी हो जाती है, और ऊर्जा की अतिरिक्त कमी के साथ, वे अधिक खाने लगते हैं, विशेषकर कार्बोहाइड्रेट. इससे शरीर में मोटापा और वजन बढ़ता है, जो बदले में, गर्दन के चारों ओर वसा जमा होने के साथ स्लीप एपनिया को खराब कर देता है.

डॉक्टर ने मुझे कुछ ऐसा बताया जो मैंने हमेशा सहज रूप से महसूस किया था – मेरी नींद और वजन के मुद्दे आपस में घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे.

उन्होंने कहा कि मैं कोई भी आहार और व्यायाम नियम अपना सकता हूं, कोई भी दवा ले सकता हूं और जितना संभव हो उतना अनुशासित रह सकता हूं, लेकिन स्लीप एपनिया को एड्रेस किए बिना, मैं अपना वजन कम नहीं कर सकता. काश मैं उसे उन सभी मोटापे की वजह से शर्मिंदा होने वालों से मिलवा पाता जिनके संपर्क में आने का मुझे कई कई बार दुर्भाग्य से मौका मिला है. वह कम से कम उस व्यक्ति से मिल सकता था जो सामाजिक समारोहों में बीयर पीने के लिए मुझे चिढ़ाता था. नींद की तरह, मोटापा भी आप पर है – यह आपकी गलती है, यह आप ही हैं जो किसी पार्टी में बीयर के बिना नहीं रह सकते.

डॉक्टर ने कहा, मैंने स्लीप एप्निया से राहत पाने के लिए कुछ नहीं किया. यह एक शारीरिक दोष की तरह था जो हमेशा रहता था और समय के साथ बदतर होता जाता है.


यह भी पढ़ें: सिकल सेल बीमारी से पीड़ित लोगों को सरकार जल्द उपलब्ध करा सकती है वैक्सीन, डॉक्टर्स ने बताया अच्छा कदम


सीपीएपी के अलावा कुछ नहीं

नींद के डॉक्टर ने कहा, अच्छी खबर यह है कि मेरी समस्या का समाधान रातोंरात किया जा सकता है.

मैं वर्षों से जानता था कि वह क्या कहने जा रहा है: आपको एक स्लीप मशीन की आवश्यकता है जिसे निरंतर सकारात्मक वायुमार्ग दबाव (सीपीएपी) मशीन कहा जाता है, जो हवा को इतनी तेज गति से आपकी नाक में धकेलती है कि आपका सांस लेना लगातार जारी रहे.

डॉ. गूगल द्वारा कुछ वर्षों से मुझसे यह कहे जाने के बावजूद कि मुझे संभवतः स्लीप एपनिया है और मुझे स्लीप टेस्ट और सीपीएपी मशीन की आवश्यकता है, मैंने डॉक्टर के पास जाने में देरी की क्योंकि गूगल ने भी मुझे “लाइफस्टाइल” टाइप की सलाह दी थी. आप करवट लेकर सोने की कोशिश क्यों नहीं करते? आप एक विशेष तकिये का उपयोग क्यों नहीं करते? एक दांतों के एप्लाएंस को आजमाएं या सिर्फ वजन को कम करें? आदि आदि..

उस डॉक्टर ने मुझे बताया कि इनमें से कोई भी कभी काम नहीं करता. उसने बताया कि उसने अपने करियर में मेरे जैसे हजारों लोगों को देखा होगा. उसने पूछा, “आप कितनी बार करवट लेकर सोए हैं और करवट से उठे भी हैं?” “केवल एक ही चीज़ है जो काम करती है, और वह है सीपीएपी.”

डॉक्टर ने मुझे एक टेस्ट सीपीएपी का उपयोग करने को कहा. मैंने इसे ठीक वैसे अपनाया जैसे मछली पानी को अपनाती है. और आधी रात के आसपास नींद में आराम किया. मशीन के ह्यूमिडिफायर बॉक्स में पानी ने हवा को पहाड़ी हवा की तरह ठंडा बना दिया. यह अच्छा लगा.

आठ घंटे बाद, मैं जागा और ऐसा महसूस हुआ जैसे मैं किसी अंतरिक्ष यान से बाहर आ रहा हूँ. मैंने नकाब उतार दिया और किसी दैवीय शक्ति ने मुझे अपने बिस्तर से कूदकर खिड़की के पास जाने, पर्दे अलग करने और सुबह की रोशनी लेने के लिए प्रेरित किया. मुझे देजा वु का एहसास था – मेरी किशोरावस्था में सुबह उठने पर ऐसा ही महसूस होता था. मैं इस एहसास को भूल चुका था.

ऐसा लगा जैसे मैं किसी नये देश में आ गया हूं. लगभग 20 वर्षों में पहली बार, मैं सचमुच सोया.

मुझे नई जिंदगी मिली

मुझे तुरंत इस बात का अफसोस हुआ कि मैं पहले किसी नींद विशेषज्ञ के पास क्यों नहीं गया. मैं नींद पूरी न होने की वजह से इतना सुन्न हो गया था कि मैं कल्पना भी नहीं कर सकता था कि सुरंग के अंत में रोशनी कैसी दिख सकती है.

डेढ़ साल बाद, मैं अपने सीपीएपी के पहले वाले समय में खुद को देखता हूं और इसे एक अन्य व्यक्ति के रूप में देखता हूं. मैं अब रात में काम नहीं करता या अपनी एपाइंटमेंट को मिस नहीं करता.

अब मुझे रात में कई बार बाथरूम जाने की ज़रूरत नहीं है. डॉक्टर ने कहा कि स्लीप एपनिया हृदय में एक रसायन का उत्पादन करता है जो आपको ज़रूरत न होने पर भी पेशाब करने की आवश्यकता पैदा करता है. मैं केवल यह आशा कर सकता हूं कि सीपीएपी थेरेपी ने स्लीप एपनिया के कारण होने वाली कुछ मस्तिष्क क्षति को भी उलट दिया है.

मैं अब भी भूल जाता हूं कि मैंने चाबियां कहां रखी हैं, लेकिन कम से कम मुझे वह ब्लैकआउट और दिन की नींद नहीं आती.

एक बार मैं बेहोश हो गया था और सीढ़ियों से गिर गया था, जिससे लिगामेंट फट गया था. मुझे किसी को भी यह बताने में शर्म आ रही थी कि मुझे ब्लैकआउट (कुछ समय के लिए बेहोशी की हालत में आ जाना) हो गया है क्योंकि 30 वर्ष से अधिक उम्र के किसी व्यक्ति को ब्लैकआउट और गिरने की समस्या कैसे हो सकती है? पता चला, ओएसए में यह इतना आम है कि इलाज न कराए गए लोगों को गाड़ी न चलाने की सलाह दी जाती है. एयरलाइन पायलटों को साल में एक बार अनिवार्य नींद का टेस्ट देना पड़ता है और गंभीर एपनिया होने पर उन्हें उड़ान से बाहर किया जा सकता है.

ऐसे और भी बदलाव थे जिनकी मुझे उम्मीद भी नहीं थी. मेरी आंखें पहले की तुलना में बहुत कम सूखी थीं, मैंने हर समय अनावश्यक रूप से उदास और अस्वस्थ महसूस करना बंद कर दिया था, और शायद नींद में अपने दांत पीसना भी बंद कर दिया था. फिर, ये सभी स्लीप एपनिया के जाने-माने प्रभाव हैं.

मैं यह लेख इसलिए लिख रहा हूं क्योंकि मुझे एहसास है कि स्लीप एपनिया के बारे में जागरूकता बहुत कम है, भले ही लाखों भारतीय संभावित रूप से इससे पीड़ित हैं. जिन लोगों ने स्लीप एपनिया के बारे में सुना है उनमें से कई लोगों ने सीपीएपी के बारे में नहीं सुना है.

हालांकि मुझे इस बात का पछतावा है कि मैंने लाइफस्टाइल इंडस्ट्री की गलत सलाह पर अपने कई साल बर्बाद कर दिए, कम से कम मैं बहुत देर होने से पहले डॉक्टर के पास गया. स्लीप एपनिया का जो इलाज नहीं कराते हैं उन्हें डायबिटीज, हृदय रोग, डिमेंशिया और अल्जाइमर में योगदान देने के लिए जाना जाता है.

इनमें से कुछ मामले जो हम सुनते हैं कि लोगों की नींद में अचानक दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो जाती है, वे अज्ञात स्लीप एपनिया के मामले हो सकते हैं.

अगली बार जब कोई आपसे कहे कि उन्हें नियमित रूप से नींद आने में परेशानी हो रही है, तो उनसे उनकी ‘जीवनशैली’ सही करने के लिए न कहें. उन्हें डॉक्टर को दिखाने के लिए कहें.

(अनुवाद/ संपादन- पूजा मेहरोत्रा)

इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: केरल स्टोरी से 72 हूरें तक — हिंदी फिल्मों की इस्लाम में दिलचस्पी, मुसलमानों को इसमें शामिल होना चाहिए


share & View comments