पहली नज़र में कोरोनावायरस रूपी सुरंग काफ़ी लंबी और अंधियारी नज़र आती है. पर अंततः इस अंधेरे के पार भी प्रकाश की किरणें मौजूद हैं. जैसा कि चीन ने दिखाया है, पूरी दुनिया भी जल्द इस सुरंग से बाहर आएगी, भले ही हम उस समय थोड़े दिग्भ्रमित हों और हमारी आंखें इस प्रकाश के समक्ष थोड़ी धुंधलाई सी होंगी.
पर हमारी प्यारी पृथ्वी अभी भी पहले जैसी होगी, पक्षी अब भी चहकेंगे, फूल अब भी खिलेंगे, और हरी घास भी पहले जैसी होगी. हालांकि, हमारी यह दुनिया – जिस दुनिया में हम रहते हैं, जिस दुनिया में हम अपने दैनिक जीवन के क्रिया-कलाप करते हैं, वह दुनिया जिसे हम अच्छी तरह से जानते हैं – काफी हद तक बदल जाएगी. संभवतः अब हम एक नए युग में प्रवेश कर रहे हैं और इसे वैश्विक महामारी काल (पेंडेमिक पीरियड) कह सकते हैं.
अक्सर, आगामी महापरिवर्तन के साक्ष्य हमारे इर्द-गिर्द ही होते हैं पर वे हमारी जानकरी के स्तर से काफ़ी नीचे छिपे होते हैं. उनके संकेत हमारी नज़र के सामने ही होते हैं, लेकिन हम उनके प्रति अपनी आंखें मूंद सी लेते हैं और बस अपने व्यस्त दैनिक जीवन के साथ आगे बढ़ते जाते हैं. अचानक, इन परिवर्तनों के कारण एक प्रकार का वैश्विक तूफान सा आ जाता है और फिर, हम सब को उस ओर ध्यान देना पड़ता है.
1989 में बर्लिन की दीवार का गिरना, 2001 में 9/11 का आतंकी हमला, और 2008 में फैले वैश्विक वित्तीय संकट जैसे वैश्विक परिवर्तनों के कारक पिछले कई वर्षों से विकसित हो रहे थे, लेकिन एक दिन अचानक वे प्रस्फुटित हुए और हमारी दुनिया ही बदल दी.
उपरोक्त घटनाओं में से प्रत्येक ने न केवल राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं को बदल डाला बल्कि हमारे खर्च करने के तरीके को भी प्रभावित किया, और साथ ही उन्होंने लोगों, व्यापार और पूंजी के वैश्विक प्रवाह को भी एक बार फिर से नये तरीके से संयोजित कर दिया. नॉवेल कोरोनावायरस की महामारी का वैश्विक जगत पर और भी अधिक गहरा प्रभाव हो सकता है. मैं इनमें से कुछ प्रभावों का वर्णन करने का प्रयास करता हूं-
यह हमारे यात्रा करने के तरीके को बदल देगा
यह स्वतः स्पष्ट है कि इस पेंडेमिक पीरियड के बाद अंतरराष्ट्रीय यात्रा का तरीका नाटकीय रूप से बदलने वाला है. पहले ही आतंकवादी हमलों के ख़तरे ने हमारी यात्रा के तरीके को बदल दिया था. हमारा लंबा समय सुरक्षा जांच में गुजर जाता है, हवाई अड्डे किलों में तब्दील हो गए हैं, और विमानों के अपहरण को रोकने के लिए उनकी सुरक्षर सख्त कर दी गयी है. अब संक्रमण के वैश्विक स्तर पर फैलने का ख़तरा एक बार फिर हमारी हवाई यात्रा को बदल देगा.
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यात्रा करने से पहले हमें स्वास्थ्य संबंधी प्रमाणपत्र की आवश्यकता हो सकती है. शायद कई परीक्षण केंद्र भी बनेगें जिनसे आपको अंतरराष्ट्रीय उड़ान में जाने से पहले गुजरना होगा. ये परीक्षण काफ़ी त्वरित और सटीक होंगे. कुछ हीं मिनटों के भीतर, आपको पता चल जाएगा कि आप किसी विशेष वायरस से संक्रमित हैं या नही और उसके बाद ही आप किसी भी उड़ान में सवार हो सकेंगे. संभव है कि इन परीक्षण केंद्रों को हर एमबारकेशन पाइंट (हवाई अड्डा, बंदरगाह, राजमार्ग, आदि) पर बनाया जाएगा और निजता की सुरक्षा के सख्त उपायों के तहत किसी सरकारी एजेंसी द्वारा संचालित किया जाएगा.
हमारे स्वास्थ्य संबंधी रिकॉर्ड सार्वजनिक रूप से सुलभ हो सकते हैं. आज हमारा क्रेडिट स्कोर सभी वित्तीय संस्थानों के लिए सुलभ है और वे इसकी मदद से तय करते हैं कि हमें किस दर पर ऋण देना चाहते हैं. कल को हो सकता है कि हमारे वायरल स्कोर को निरंतर अद्यतन किया जाएगा और यह विभिन्न प्रयोजनों के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होगा.
यदि आप किसी विशेष वायरस से मुक्त हैं, तभी आपको बड़े सार्वजनिक समारोहों में भाग लेने या यात्रा करने की अनुमति होगी. व्यक्तिगत गोपनीयता को भंग किए बिना इसे पूरा करने के कई उपयुक्त तरीके हैं. सर्वप्रथम आपको (इन परीक्षणों के लिए) सहमति देनी होगी, और फिर आपको किसी विशेष वायरस के प्रति हां/न के रूप में चिह्नित किया जा सकता है.
जब आप किसी प्रकार के एक्सेस्स कंट्रोल पॉइंट से गुजरते हैं, तो इसका सिस्टम आपके हां/न के रिकॉर्ड को देख सकता है और तभी आपको आगे जाने देता है. तत्पश्चात इस जानकारी को आपके रिकॉर्ड से मिटा दिया जाएगा और किसी को भी पता नहीं चलेगा कि आपने कहां यात्रा की है या वहां आपने क्या किया है. कई देश पहले से ही संभावित संपर्कों का पता लगाने और संक्रमण श्रृंखलाओं को जानने के लिए सभी व्यक्तियों/आगंतुकों को सावधानीपूर्वक ट्रैक कर रहे हैं.
यह हमारे स्वास्थ्य सेवा तंत्र को भी बदल देगा
निरंतर रूप से सभी की जांच करने के लिए परीक्षण संबंधित एक विशाल बुनियादी ढांचा तैयार करना होगा. यह कतई सस्ता नहीं होगा और यह हमारी निजता में घुसपैठ जैसा भी होगा. हालांकि, अगर हम देशव्यापी लॉकडाउन के व्यापक सामाजिक और आर्थिक प्रभावों पर विचार करें तो एक अन्य वायरस द्वारा हमें राष्ट्रीय लॉकडाउन के लिए मजबूर करने से रोकने के लिए, हमें सभी के लिए सुविधाजनक और मुफ्त परीक्षण सुविधाएं स्थापित करना ही होगा.
इस वैश्विक महामारी का दौर हमें यह भी बताता है कि हमें सभी नागरिकों को बिना किसी वक्तिगत लागत वाली राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की आवश्यकता हो सकती है. आज हर किसी का स्वास्थ्य अचानक हमारी अपनी निजी समस्या बन गया है. हम सभी को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि हर कोई स्वस्थ है, और यदि ऐसा नहीं हैं, तो उन्हें अलग-थलग किया जाना चाहिए और तुरंत उनका इलाज किया जाना चाहिए.
इसके लिए, सभी नागरिकों के स्वास्थ्य की सावधानीपूर्वक निगरानी करने की आवश्यकता होगी और उनके कुछ स्वास्थ्य रिकॉर्ड (जैसे कि ऊपर वर्णित वायरल स्कोर) को सर्वसुलभ करना होगा. इसके अलावा, सभी के लिए बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल की व्यवस्था एक वैश्विक सार्वजनिक सुविधा बन सकती है.
और अधिक वैश्वीकरण
इन सब तंत्रों को खड़ा करने में अकूत धन की आवश्यकता होगी. अच्छे स्वास्थ्य संबंधी देखभाल और परीक्षण की आधुनिक सुविधाएं सस्ती नहीं हैं. अधिकांश देश इसे स्वतंत्र रूप से वहन करने में सक्षम नहीं होंगे. लेकिन यह ‘बटरफ्लाइ इन ब्राजील’ जैसी समस्या है और हम सभी आपस में इससे जुड़े हुए हैं. वैश्विक महामारी के इस दौर में, ज़ूनोटिक (पशुओं से आने वाले) वायरस अफ्रीका, मध्य पूर्व, चीन, कहीं से भी आ सकते हैं. इसलिए हमें सभी के लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवा को बढ़ावा देने का एक समग्र तरीका खोजना होगा. वृहत संभाव्य लागत के बावजूद यह हमारी अर्थव्यवस्थाओं को फिर से बर्बाद होने देने की तुलना में काफ़ी सस्ता होगा.
कोरोनावायरस महामारी के दौरान स्वास्थ्य सेवा पर होने वाले खर्च के साथ-साथ ज़रूरतमंद लोगों को न्यूनतम आय सहायता प्रदान करने पर होने वाले खर्च के कारण दुनिया भर में राजकोषीय घाटे के बढ़ने की संभावाना है. अंततः, इन सभी का भुगतान करने के लिए करों की दर को बढ़ाना ही होगा. पर इससे जुड़ी अच्छी खबर भी है कि यह दुनिया को और अधिक न्यायसंगत बना देगा क्योंकि हमें दुनिया भर में बुनियादी स्वास्थ्य मानकों को सुनिश्चित करना होगा.
कुछ लोगों का मानना है कि महामारी के कारण वैश्वीकरण की समाप्ति हो जाएगी. पर इसके विपरीत, महामारी की यह अवधि और भी अधिक वैश्वीकरण को जन्म देगी क्योंकि हमें संयुक्त रूप से दुनिया की समस्याओं को हल करने और सभी लोगों की वैध जरूरतों को पूरा करने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता होगी.
(जयंत सिन्हा संसद में वित्त संबंधी स्थायी समिति के अध्यक्ष और झारखंड के हजारीबाग से लोकसभा सांसद हैं.ये उनके निजी विचार हैं)
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