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Friday, 3 May, 2024
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सफल नहीं होगी चीन की तीन बच्चा की नीति, इसका कोई आर्थिक औचित्य भी नहीं

शी जिनपिंग ने पिछले दिनों विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में चीन के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए घरेलू प्रतिभा पर भरोसा करने की बात कही है.

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चीन के तत्कालीन सर्वोच्च नेता देंग शियाओपिंग ने 1978 में एक ‘अस्थायी’ परिवार नियोजन उपाय पेश किया था जोकि चीन के सामाजिक ढांचे के लिए एक मिसाल बना- एक बच्चे की नीति. वो ‘अस्थायी उपाय’ 2015 तक जारी रहा, जब चीन ने दंपतियों को दो बच्चे पैदा करने की अनुमति दे दी. गत सोमवार को, पहली जून को मनाए जाने वाले बाल दिवस से ठीक पहले, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने अपनी परिवार नियोजन नीति में नवीनतम बदलाव की घोषणा की- चीनी दंपति अब तीन बच्चे पैदा कर सकते हैं. लेकिन इस घोषणा से लोगों के अधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रेरित होने की संभावना नहीं है. परिवार के पालन-पोषण की बढ़ती लागत नई नीति के आड़े आएगी.

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के पोलित ब्यूरो की एक घोषणा में कहा गया, ‘जन्म नीति को और अनुकूलित करना, दंपति को तीन बच्चे पैदा करने की अनुमति देना और अन्य संबंधित उपाय चीन के जनसंख्या ढांचे में सुधार, आबादी के उम्रदराज होने की स्थिति का सक्रिय रूप से सामना करने की राष्ट्रीय रणनीति के कार्यान्वयन और चीन के मानव संसाधन संबंधी फायदों को कायम रखने में मददगार बनेंगे.’

एक बच्चे की नीति लागू होने के बाद तीन दशकों तक चीन ने परिवार नियोजन उपायों को सख्ती से लागू किया. दूसरा बच्चा पैदा करने पर लोगों को भारी जुर्माना भरना पड़ता था, जबकि इस कारण कई लोगों को नौकरियां तक गंवानी पड़ी. हजारों महिलाओं को जबरन नसबंदी और गर्भपात के लिए मजबूर होना पड़ा. दूसरा बच्चा पैदा होने से जुड़ा सामाजिक कलंक भी प्रभावी बना रहा.

नीति में नवीनतम परिवर्तन चीन की हाल की घोषणा के बाद आया है कि पिछले दशक के दौरान देश की जनसंख्या वृद्धि दर धीमी रही थी. अप्रैल में, फाइनेंशियल टाइम्स ने सूत्रों का हवाला देते हुए बताया था कि चीन 60 वर्षों में पहली बार अपनी जनसंख्या में गिरावट का सामना करेगा. बाद में, नेशनल ब्यूरो ऑफ सेंसस ने फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट का खंडन करते हुए कहा था कि चीन की आबादी बढ़ती रहेगी, हालांकि धीमी दर से. ब्यूरो ने चीन की जनसंख्या 1.41 अरब आंकी है.

गलत वक्त पर?

चीन के गूगल जैसे सर्च इंजन बाइडू के साथ-साथ ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीइबो पर इस सप्ताह नंबर वन ट्रेंड था — ‘तीन बच्चों की नीति आ गई!’ वीइबो पर इस ट्रेंड को 3.73 अरब बार देखा गया और 5,77,000 बार टिप्पणियां की गईं. चीन के सभी प्रमुख सरकारी मीडिया माध्यमों पर ये खबर सर्वाधिक पढ़ी गई. वीइबो पर एक और प्रमुख ट्रेंड था, ‘तीसरे बच्चे के युग में किस तरह के सहायता उपायों की आवश्यकता है.’

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घोषणा के ठीक एक दिन बाद कम्युनिस्ट पार्टी के अखबार पीपुल्स डेली में राष्ट्रपति शी जिनपिंग के हवाले से कहा गया, ‘संपूर्ण समाज को बच्चों की आंखों की अच्छी देखभाल करने और उन्हें उज्ज्वल भविष्य देने का प्रयास करना चाहिए.’ लेकिन अखबार ने नवीनतम नीति परिवर्तन का उल्लेख नहीं किया. रिपोर्ट अखबार के प्रिंट संस्करण के पहले पन्ने पर छापी गई थी.

कैक्सिन ग्लोबस के संस्थापक चीनी पत्रकार माइकल एंटी लिखते हैं, ‘जब हम छात्र थे, तब हमें बताया गया था कि ‘परिवार नियोजन बुनियादी राष्ट्रीय नीति है.’ क्या आपने कभी सोचा होगा कि एक दिन पार्टी सेंट्रल कमेटी हमें तीन बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु नीति पेश करेगी? तीन बच्चे अभी भी बहुत महंगे पड़ेंगे.’

वीइबो पर लोकप्रिय शख्सियतों में से एक झांग फेंग ने कहा, ‘सच तो ये है हमें सब्सिडी में नकदी चाहिए, न कि सतही प्रोत्साहन. ऐसा क्यों है कि हम तीन बच्चे पैदा नहीं कर सकते? ऐसा इसलिए है क्योंकि मेरी इतनी औकात नहीं है. एक बच्चे को जन्म से लेकर नौकरी मिलने तक हर कदम पर समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, आवास आदि से जुड़ी समस्याएं शामिल हैं. आज के युवा अपना ख्याल भी नहीं रख पा रहे हैं. वे भला अगली पीढ़ी को पालने का जिम्मा कैसे उठा सकते हैं.’ फेंग ने ‘जुमलेबाजी’ के बजाय युवा पीढ़ी के समर्थन के लिए व्यावहारिक उपायों का आह्वान किया है.

वीइबो उपयोगकर्ताओं ने ‘996’ कार्य संस्कृति को भी बच्चे पैदा करने और पालने में बाधक बताया है. ‘996’ का मतलब है सप्ताह में छह दिन सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक काम करने की मजबूरी. ये प्रवृति आमतौर पर शंघाई, शेनझेन या गुआंगझोउ जैसे चीन के बड़े महानगरों में देखी जा सकती है.


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क्या ये नीति कारगर होगी?

बीते वर्षों में, एक अतिरिक्त बच्चा पैदा करने से जुड़ा कलंक तो कम हो गया, लेकिन अधिक बच्चे पैदा करने पर लोगों को जुर्माने के रूप में भारी-भरकम ‘सामाजिक समर्थन शुल्क’ देना पड़ता था. यह ‘शुल्क’ स्थानीय पार्टी पदाधिकारियों के लिए आय के स्रोत का काम करता है. उल्लेखनीय है कि चीन में एक परिवार ने सात बच्चे पैदा करने पर ‘सामाजिक सहायता शुल्क’ के रूप में 150,000 डॉलर से अधिक का भुगतान किया है. चीनी लोग अब जितने चाहें उतने बच्चे पैदा कर सकते हैं, जब तक कि वे अत्यंत धनवानों के हिसाब से तय जुर्माना अदा करते हों.

वीचैट और वीइबो पर लोगों के बीच चर्चा का विषय ये भी था कि क्या सरकार अतिरिक्त बच्चे पैदा करने के लिए जुर्माना भर चुके लोगों के पैसे लौटाएगी.

उल्लेखनीय है कि दंपत्तियों को दो बच्चे पैदा करने की अनुमति देने वाले 2015 के नीतिगत बदलाव के वांछित परिणाम नहीं मिले थे.

हाल के एक अध्ययन में कहा गया, ‘दो बच्चों की नीति को लागू करने के बाद, पहले के मुकाबले नवजात शिशुओं की संख्या बढ़ी, पर वृद्धि में गिरावट का रुझान देखा गया. अकेले परिवार नियोजन नीति आबादी में वृद्धि सुनिश्चत नहीं कर सकती है.’

तीन बच्चों की नीति बच्चे पैदा करने की कृत्रिम सीमा को हटाने भर से रह जाती है.

चीनी कानून और राजनीति के विशेषज्ञ कार्ल मिंजनर कहते हैं, ‘ये नौकरशाही की जड़ता है. सारी सीमाएं हटाने पर जनसंख्या नियोजन तंत्र के अस्तित्व के समर्थन वाले बहुत सारे तर्क गायब हो जाएंगे. ऐसे में अनेक कैडरों को नियोजित करने की आवश्यकता पर सवाल उठेगा, इसीलिए पार्टी तीन बच्चों की सीमा को बनाए रखना चाहती है.’

शी का एजेंडा

चीन शिनजियांग प्रांत में परिवार नियोजन की एक अलग तरह की नीति को बढ़ावा देता है, जहां लोगों को कम बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. खोजी रिपोर्टों में कठोर उपायों के ज़रिए शिनजियांग की मुस्लिम आबादी को कम करने के अभियान का पता चला है. ये भी एक वजह है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी बच्चे पैदा करने की सीमा को पूरी तरह से नहीं हटा रही है.

शी जिनपिंग ने पिछले दिनों विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में चीन के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए घरेलू प्रतिभा पर भरोसा करने की बात कही है. चीन नवोन्मेष और मानव संसाधनों के लिए शेष विश्व पर निर्भरता कम करने की दिशा में अग्रसर है. कार्यबल में प्रतिभाओं की अपर्याप्त संख्या अर्थव्यवस्था में नवोन्मेष और विकास को धीमा कर देगी.

अभी के लिए, चीनी महिलाओं के प्रजनन अधिकारों पर कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीकृत योजना का सोवियत शैली का नियंत्रण बरकरार है. लेकिन तीसरा बच्चा पैदा करना वास्तव में अधिकांश चीनी लोगों के लिए बहुत महंगा फैसला है. ऐसे में संख्या पर कड़ी नज़र रखने का मोह छोड़ना कम्युनिस्ट पार्टी के सर्वोत्तम हित में होगा.

(लेखक एक स्तंभकार और स्वतंत्र पत्रकार हैं. वह बीबीसी वर्ल्ड सर्विस में चीनी मीडिया पत्रकार रह चुके हैं. व्यक्त विचार निजी हैं.)

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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