scorecardresearch
Thursday, 25 April, 2024
होममत-विमतमिलिए दिप्रिंट के उन पत्रकारों से जो शब्दों से नहीं खेलते बल्कि उनकी आवाज है- चार्ट, ग्राफ्स, इलस्ट्रेशन

मिलिए दिप्रिंट के उन पत्रकारों से जो शब्दों से नहीं खेलते बल्कि उनकी आवाज है- चार्ट, ग्राफ्स, इलस्ट्रेशन

दिप्रिंट के ये ग्राफिक्स आर्टिस्ट माउस और पेंट ब्रश के साथ कहानियों को चित्रित करते हैं; लेकिन उनका काम मूड और अर्थ के रंगों को भी व्यक्त करता है, जो एक लेख या फोटो से समझ नहीं आती उसे ग्राफ से बताते हैं.

Text Size:

चेतावनी: यह रीडर्स एडिटर पीस अन्य लेखो से अलग और ग्राफिक्स से भरा हुआ हो सकता है.

इसका मतलब यह बिलकुल नहीं है कि मैं आपके सामने कोई सनसनीखेज चित्र पेश करने जा रही हूं, इसलिए अपनी आंखों को ढकें नहीं. बल्कि सोहम, रमनदीप, मनीषा और प्रज्ञा अपने चित्रण में क्या कहते हैं या क्या कहना चाहते हैं, यह मैं आपको शब्दों में बताने की कोशिश करूंगी.

दिप्रिंट के ये ग्राफिक्स कलाकार कहानियों को चित्रित करते हैं; लेकिन उनका काम मूड और रंगों को भी व्यक्त करता है, क्योंकि कभी कभी एक स्टोरी या फिर फोटो अपनी पूरी बात कहने में असर्मथ होती है.

एक ग्राफिक, एक चित्रण, एक चार्ट, एक आसान शब्दों में दी गई तालिका सीधे तौर पर अपनी बात आपको सरल और साधारण से साधारण शब्दों में और कुछ समय में ही समझा देते हैं. उन्हें देखते ही आपको विषय के बारे में पता चल जाता है. और जब इसके साथ तस्वीरों के साथ जोड़ दिया जाता है, तो वे सचमुच स्क्रीन को और चमका देते हैं.

हां इस बात में कोई दो राय नहीं कि जब वे बहुत अधिक जोर से बोलते हैं, या जब वे बहुत एक्सप्लेन करते हैं तो वे भ्रमित कर देते हैं और उसमें लिखे शब्द को अभिभूत कर देते हैं.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

लेकिन वे एक फ्रेम में क्या कह सकते हैं, मैं इसे लगभग 200 शब्दों में व्यक्त करने के लिए संघर्ष कर रही हूं, इसलिए मैं एक उदाहरण साझा करना चाहती हूं:

सिंदूर, बिंदी, एके 47- और जम्मू-कश्मीर, छत्तीसगढ़ और मणिपुर में सीआरपीएफ महिलाओं के जीवन पर एक नज़र (30 अप्रैल 2023) मनीषा मोंडल और उर्जिता भारद्वाज द्वारा ग्राउंड रिपोर्टिंग का एक सबसे अच्छा उदाहरण है, जिसे वरिष्ठ ग्राफिक्स पत्रकार सोहम सेन और इलस्ट्रेटर प्रज्ञा घोष द्वारा और खूबसूरती से समृद्ध किया गया है. प्रज्ञा ने कहानी को डिजाइन और चित्रित किया.

इस खबर को अगर आप स्क्रॉल करें तो आप इस बात से सहमत होंगे कि चित्र, डेटा विज़ुअलाइज़ेशन और हीट मैप (ऐसा मनमोहक विवरण!) के साथ तस्वीरें, एक नज़र में बताती हैं कि शब्द क्या वर्णन करते हैं: “चुटकी-भर सिंदूर, एक छोटी लाल बिंदी” और अपने दाहिने कंधे पर 3 किलो का एके -47 बांधकर, शशि ने अपने लंबे, काले हल्के गीले बालों को दो रबर बैंड से बांध दिया. बैरक से निकलने से पहले वो आखिरी बार खुद को शीशे में देखती है और श्रीनगर में एक ड्रिल करने के लिए निकल जाती है.

सोहम सेन कहते हैं कि उन्होंने चित्रण करने से पहले कहानी को अंदर तक जानने की कोशिश की: “कहानी महिलाओं के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है जिसमें उनका द्वंद भी शामिल था उसे समझते हुए हमने आपको यह दिखाने की कोशिश की है. मैं यही करना चाहता हूं – कहानी में घुसकर उसे समझने में ग्राफिक्स के द्वारा आपकी मदद करना, आपको एक व्यापक अनुभव देना, यदि संभव हो तो, जमीनी रिपोर्ट की 360 डिग्री की समझ प्रदान करना.

न्यूज़रूम का समर्थन

यहां एक और चेतावनी: कहानी का यह भाग उस बारे में है जिसे ग्राफिक्स पत्रकारिता कहा जा सकता है, न कि ग्राफिक्स कला – हालांकि मुझे लगता है कि यह कला काम का एक अंग भी है.

ग्राफिक्स पत्रकारिता न्यूज़ रूम का समर्थन कैसे करती है? मुझे उसके तरीकों को बताने दें:

हर दिन 20 कहानियां ग्राफिक्स के लिए या फिर इनफो ग्राफिक्स, फिर से फोटो को तैयार करने, कट-आउट, कोलाज, डेटा फॉरमेशन की जरूरत के साथ आते हैं. दिप्रिंट पर लिखी गई किसी भी चीज़ जिसमें रिपोर्ट्स, ओपिनियन पीस, रिव्यूज़ शामिल होते हैं – के लिए ग्राफ़िक्स की ज़रूरत पड़ सकती है.

वीडियो टीम को भी हर एक वीडियो के विषय को व्यक्त करने के लिए स्पेशल सिग्नेचर बैकग्राउंड डिज़ाइन, थंबनेल, विज़ुअल क्यू, शो के लिए प्रोमो के लिए इनकी मदद की जरूरत होती है.

ओह, एक मिनट रुकिए, मार्केटिंग टीम को भी अपने विज्ञापनों या अलर्ट के लिए इनकी मदद चाहिए होती है – और वो पूछते हैं क्या आपने उस पीपीटी को डिजाइन किया उसे अभी पब्लिश करना है..उसकी अभी जरूरत है…


यह भी पढ़ें: खान मार्केट, जॉर्ज सोरोस गैंग, बुलडोजर राजनीति- TV की दुनिया के ये हैं कुछ पसंदीदा शब्द


समय सीमा और दूसरी चुनौतियां

सेन पांच साल से दिप्रिंट के साथ हैं और उनका मानना है कि उनका काम “संक्षिप्त और सरल रूप से… शब्दों में गहराई को जोड़ना है…”

सीनियर इलस्ट्रेटर रमनदीप कौर उनसे सहमत हैं, “हमारा काम कहानी को विजुअली आकर्षक तरीके से पेश करके पाठकों को प्रभावी तरीके से कहानी पढ़ने के लिए आकर्षित करता हैं.” वह कहती हैं, “मैं कम से कम चीजों के साथ लाइनों और आकृतियों को साफ साफ रखना पसंद करती हूं.”

टीम की सबसे अनुभवी मनीषा यादव के लिए पेंटिंग उनका पहला प्यार और महत्वाकांक्षा है. और आप दिप्रिंट पर उनके कुछ काम को एक पेंटर (चित्रकार) के स्पर्श के साथ देख सकते हैं: इस चित्रण को दीवार पर लटकाने के लिए बस एक फ्रेम और एक हुक की जरूरत है.

यह हमेशा प्लान्ड नहीं होता है. वह कहती हैं, “हम चारों एक साथ किसी स्टोरी के विचार पर काम करते हैं- हम एक-दूसरे की बहुत मदद भी करते हैं – लेकिन कभी-कभी खबरों की डेड लाइन कम होने के कारण इसे लागू नहीं कर पाते हैं.”

साथ ही, हमेशा एक उपयुक्त उदाहरण के साथ चित्रण करना आसान नहीं होता: यादव ने बैंक ऋण ऐप घोटालों के बारे में एक कहानी का उल्लेख करते हुए कहा – “इसे कैसे चित्रित करें?” खैर, अंत में इसे इस तरह दिखाया गया:

वह सेन से सहमत हैं कि आपको कहानी के “मुख्य बिंदू” या “कहानी क्या कहना चाहती है” की पहचान करनी होगी उसके बाद ही इलस्ट्रेशन उसके इर्द-गिर्द घूम सकेगा.

घोष कहती हैं, “आपकी इमेजिनेशन और अपनी सोच को आप अपनी कहानी में नहीं ढाल सकते हैं, आपको पाठकों को आकर्षित करने के लिए एक कहानी पैकेज करनी होती है.”

लेकिन क्या होगा यदि यह एक हिंसक अपराध या यौन उत्पीड़न के बारे में है – आप इसे कैसे ‘पैकेज’ करेंगे? क्या कोई सीमा हैं. सेन कहते हैं, “कोई उंगली नहीं उठा सकते, और आप खून या हत्या नहीं दिखा सकते हैं. इसके अलावा, आपको विभिन्न क्षेत्रों या धर्मों के लोगों का ईमानदारी से प्रतिनिधित्व करना होगा, आपको अपनी कल्पना को सीमित करना होता है.”

बहुत आत्मा-खरोंच के बाद, घोष दो महिला न्यायाधीशों के उत्पीड़न पर ज्योति यादव की स्टोरी की सिरीज पर चित्रण करते हुए घोष को बहुत सोच विचार के बाद क्या करना है – का विचार आया था.

उसे अर्थव्यवस्था के टुकड़ों को चित्रित करना भी चुनौतीपूर्ण लगता है – “आप हर बार सिर्फ पैसे के नोट नहीं दिखा सकते, आपको एक अनूठा विचार बनाना होगा…”

सबसे अधिक समय लेने वाली एक्सरसाइज डेटा इन्फो-ग्राफिक्स हैं. कौर कहती हैं आपको ऐसे चित्रण करना होगा कि संख्या बोलती हुई लगें और विजुअल्स आकर्षक. उसका क्या मतलब है इसका एक उदाहरण यहां दिया गया है.

दिप्रिंट का कोरोना वायरस कवरेज दूसरा माइंड-बेंडर था – इसकी जबरदस्त ग्राउंड रिपोर्ट के अलावा हर समय डेटा का अपडेट करना.

विजुअल्स के साथ खेल

सेन कहते हैं, “कोविड मेरे लिए एक गेम चेंजर था,” सबसे कठिन लेकिन बहुत कुछ सिखाने वाला. कौर के दिप्रिंट में आने से पहले सोहम सेन एकमात्र ग्राफिक्स आर्टिस्ट थे: वो याद करते हुए कहते हैं, उन दिनों “मैं लैपटॉप के साथ सोता था, मुझे डेटा ग्राफ़ को लगातार बदलना पड़ता था.”

कौर जो 2020 में इस टीम का हिस्सा बनीं वो सोहम से सहमती जताती हुई कहती हैं: “मैंने कोविड के दौरान बहुत कुछ सीखा,” वह कहती हैं, ‘कोविड ट्रैकर’ को बनाए रखना हर दिन की चुनौती होती थी.

सेन कहते हैं, “यह दो साल के लंबे चुनाव परिणाम दिन की तरह था.” परिणाम के दिन, अधिकांश न्यूज़रूम ‘पागल’ हो जाते हैं और दिप्रिंट भी इससे अलग नहीं है.

चुनाव के दिन के काम में काफी सरलता की आवश्यकता होती है. जैसा कि सेन कहते हैं, दर्शकों को चुनाव परिणामों के लिए एक निश्चित प्रारूप से जोड़ा जाता है और प्रस्तुति में कोई भी ‘परिवर्तन’ उन्हें भ्रमित कर सकता है. वह कहते हैं, “लेकिन कोई भी संख्याओं के साथ सैकड़ों तालिकाओं के माध्यम से नहीं जाना चाहता,” यहीं से हीट मैप काम आता है और उम्मीद है कि इस सर्दी में होने वाले विधानसभा चुनाव और अगली गर्मियों में लोकसभा चुनाव में हम उनमें ये और देखेंगे.

जो उन्हें आपस में जोड़े रखता है

जब मैंने इन चार ग्राफिक्स कलाकारों से पूछा कि क्या उनकी रचनात्मकता पत्रकारिता में संतुष्टि लाती है, तो मुझे पता चला कि समसामयिक मामलों में उनकी समान रुचि है. घोष के लिए, सीएए प्रोटेस्ट एक महत्वपूर्ण मोड़ था, यादव इतिहास, भूगोल में रुचि रखती हैं, कौर ने दिप्रिंट की पत्रकारिता से प्रभावित होकर इसमें शामिल होने का मन बनाया, जबकि सेन ने ग्राफिक्स से पहले ब्रोडकास्ट जर्नलिज्म में पढ़ाई की.

वे कहते हैं, “मुझे लगता है कि राजनीति सबसे अधिक आकर्षित करने वाली और होने वाली चीज है,” यही वजह है कि शायद उन्होंने 2018 की गर्मियों के बाद से हर हफ्ते प्रधान संपादक शेखर गुप्ता के ‘नेशनल इंट्रेस्ट’ कॉलम के लिए इलस्ट्रेशन बनाने की शुरुआत की. वे कहते हैं, “यह दिप्रिंट का सबसे महत्वपूर्ण कॉलम है और मुझे विचार प्रस्तुत करने जिसमें सार के रूप में भावना को भी प्रस्तुत करना होता है.” अपनी इस एम्बीशन को पूरा करने के लिए उन्हें शुक्रवार की पूरी रात और शनिवार की सुबह लग जाती है. उन्होंने आगे कहा, “कभी-कभी, मैं सुबह 7 बजे तक काम करता हूं!”

‘नेशनल इंट्रेस्ट’ के लिए उनके चित्रों को देखें और फिर दिप्रिंट पर अन्य कहानियों के लिए किए गए काम को देखें – आप देखेंगे, जैसा कि यादव कहती हैं, हमारे ग्राफिक्स “एक रंग पैलेट और एक शैली” है. शब्दों में इसका वर्णन करना कठिन है, इसलिए मैं इसकी कोशिश भी नहीं करूंगी. आप खुद देखें कभी कभी आप अपने कुछ चित्रण को पसंद नहीं करते हैं या उसपर सराहना नहीं मिलती है. लेकिन हमेशा ध्यान रखना होता है कि उस पर दिप्रिंट की मुहर होती है इसलिए बेहतर और अलग करना चाहिए.

घोष कहती हैं, “बेशक एक स्टाइल शीट है, लेकिन मुझे जो पसंद है वह यह है कि आप प्रयोग कर सकते हैं.” यादव को कहानी सुनाना पसंद है और वह पाती हैं कि उसमें अपना हाथ आजमाने के लिए उनके लिए पर्याप्त जगह है.

दिप्रिंट के पास चार कलाकारों वाला एक ग्राफिक्स विभाग है जो आपको बताता है कि यह घटक अपने संपादकीय विजन के लिए कितना महत्वपूर्ण है- कोई अन्य ऑनलाइन समाचार वेबसाइट इस तरह से दिप्रिंट की तरह काम नहीं करती है.
यह इस आशा के साथ है कि भविष्य में दिप्रिंट में अधिक से अधिक ग्राफिक बनाए जाएंगे.

(शैलजा बाजपेयी दिप्रिंट की रीडर्स एडिटर हैं. कृपया अपने विचारों, शिकायतों के साथ रीडर्स.editor@theprint.in पर लिखें)

(संपादन: पूजा मेहरोत्रा)


यह भी पढ़ें: कैसे दिप्रिंट के पत्रकारों ने Covid महामारी के खिलाफ जंग को साहस से कवर किया और जीता IPI पुरस्कार


share & View comments