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Tuesday, 26 March, 2024
होममत-विमततिहाड़ जेल से चंद्रशेखर आज़ाद का संदेश- संविधान बहुजन समाज का रक्षा कवच है, इसे बचाना बहुत जरूरी

तिहाड़ जेल से चंद्रशेखर आज़ाद का संदेश- संविधान बहुजन समाज का रक्षा कवच है, इसे बचाना बहुत जरूरी

दिप्रिंट को लिखे एक्सक्ल्यूसिव चिट्ठी में चंद्रशेखर आज़ाद ने देशवासियों से आह्वान किया है, 'संविधान को बचाने की लड़ाई हमें मिलकर लड़नी है क्योंकि यही हमरा कवच है.'

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केंद्र सरकार द्वारा दिसंबर में संसद से पारित कराए गए नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन के मद्देनज़र देशभर में कई लोगों को गिरफ्तार किया गया. जिसमें भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद भी हैं. दिल्ली के जामा मस्जिद क्षेत्र में सीएए कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शन में आज़ाद शामिल हुए थे जहां उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार करने की कोशिश की थी लेकिन उनके समर्थकों ने उन्हें वहां से निकाल लिया. अगले दिन पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. तब से आज़ाद तिहाड़ जेल में बंद हैं.

तिहाड़ जेल से चंद्रशेखर आज़ाद ने अपने समर्थकों से और नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन में शामिल लोगों को इसे जारी रखने का आह्वान किया है. दिप्रिंट को लिखे एक्सक्ल्यूसिव चिट्ठी में उन्होंने देशवासियों से आह्वान किया है कि संविधान को बचाने की लड़ाई हमें मिलकर लड़नी है क्योंकि यही हमरा कवच है. उन्होंने प्रदर्शन को हिंसक होने से बचाने को भी कहा है और झारखंड के जनादेश पर वहां की जनता को धन्यवाद दिया है.

दिप्रिंट को लिखी चंद्रशेखर आज़ाद की एक्सक्ल्यूसिव चिट्ठी:

मेरे प्यारे देशवासियों

‌तिहाड़ जेल से जय भीम, जय संविधान

‌हमारा संघर्ष कितना विराट, संवैधानिक और बहुजनों के हित में होता है, यह सरकारों के रवैये से ही पता चल जाता है.
‌जब आरएसएस के दबाव में भारतीय जनता पार्टी की सरकार एससी-एसटी एक्ट को शून्य करना चाहती थी, तब भीम आर्मी और उसके संगठनों की ही कार्यशैली से घबराकर इसे उल्टे पांव लौट जाना पड़ा. यही स्थिति उस समय भी बनी जब दिल्ली में संत शिरोमणि रविदास महाराज के गुरुघर को तोड़ा गया. तब भी बहुजनों का संघर्ष काम आया और नेतृत्व करने की सज़ा के तौर पर मुझे फिर जेल भेज दिया गया. आज यह स्थिति फिर बन गई है. संविधान विरोधी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम का जो काला कानून बनाया है, यह सिर्फ मुस्लिम विरोधी नहीं बल्कि यह बहुजन यानि तमाम एससी-एसटी-ओबीसी और धार्मिक अल्पसंख्यक विरोधी है. जब हमने इसका विरोध किया तो मुझे फिर जेल भेज दिया गया.

मुझे सूचना मिली है कि उत्तर प्रदेश में आंदोलन के दौरान काफी लोगों की जान गई है. मुझे बहुत पीड़ा है कि इस दुःख की घड़ी में मैं मेरे बहुजन समाज के बीच नही हूं. जिस तरह शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन कर रहे लोगों पर गोलियां चलाई जा रही है, इससे यह मालूम हो रहा है कि योगी सरकार पूरी तरह निरंकुशता पर उतर गई है. लेकिन समझने की बात ये है कि ये गोलियां बहुजन समाज के लोगों पर नही इस देश के संविधान पर चलाईं जा रही है और हम सभी संविधान के अनुयायियों को देश के संविधान को बचाने की इस लड़ाई को संविधानिक तरीकों से कायम करना है.

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इसमें कोई शक नहीं की जब से भाजपा सत्ता में आई है उसने देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की ठान ली है. जैसे कि बाबा साहेब कहते थे कि हिंदू राष्ट्र बनने के बाद इस देश का पतन निश्चित है और भाजपा उसी पतन की तरफ देश को लेकर जा रही है लेकिन मुझे संतुष्टि इस बात की है कि मेरे जेल जाने और सैंकड़ों साथियों को नज़रबंद करने के बावजूद आप लोगों ने इस आंदोलन को रुकने नही दिया है. मैं फिर एक बार दोहराना चाहता हूं कि यह लड़ाई सिर्फ मुस्लिम समाज की नहीं है बल्कि पूरा बहुजन मूलनिवासी समाज इससे प्रभावित होगा.


यह भी पढ़ें : नागरिकता कानून संविधान की प्रस्तावना के खिलाफ, देश का बहुजन इससे सबसे ज्यादा प्रभावित


इसलिए, ‌मेरे प्यारे बहुजन साथियों, हमे यह समझना होगा कि नागरिकता संशोधन कानून संविधान और देश के खिलाफ है. जब एनआरसी में लोगों से उनकी नागरिकता साबित करने के लिए यह सरकार सबूत मांगेगी तो इसके लक्ष्य में सिर्फ मुसलमान नहीं- अनुसूचित जाति, जनजाति, वनवासी, गरीब, बेघर, खेतीहर, घुमन्तू, यायावर और अल्पसंख्यक ट्राइबल भी निशाने पर होंगे. भारतवासी होने के सबूत के तौर पर कागज मांगे जाएंगे, यानी जो बेघर, वनवासी, घुमन्तू और अनपढ़ हैं वह करोडों बहुजन और ट्राइबल रातोंरात अपना मताधिकार तो खोएंगे ही, वह संविधान में दिए गया विशेषाधिकार यानी आरक्षण भी खो देंगे. यही आरएसएस की असली चाल है और हमें वापस उसी सिस्टम में लाया जाएगा जिस सिस्टम के खिलाफ बाबा साहेब ने अपना जीवन दांव पर लगा दिया था. इसलिए यह लड़ाई हम सबको मिलकर लड़नी है और भाजपा सरकार यह जान ले कि हम लोगों को जेल में डालकर वो इस आंदोलन को नहीं कुचल सकती क्योंकि यह विचारों की लड़ाई है, यह मनुस्मृति बनाम संविधान की लड़ाई है, यह बहुजन समाज के अस्तित्व की लड़ाई है और इस लड़ाई में मुझे यदि पूरी उम्र भी जेल में रहना पड़े तो मुझे स्वीकार है.

देश के संविधान को बचाने की लड़ाई में मैं हर कुर्बानी देने को तैयार हूं. बाकी मेरे बहुजन समाज से यही उम्मीद है कि वो इस आंदोलन को रुकने न दें और इसे हिंसक होने से बचाये क्योंकि यह आंदोलन बहुत बड़ा है और हिंसा हमारे इस आंदोलन को कमजोर बनाती है बाकी जिन परिवारों से लोगों की जान गई है उन परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है और जेल से बाहर आते ही मैं उन सब परिवारों से मिलने का कार्य करूंगा.

उत्तर प्रदेश में पुलिस की कार्यवाही संदेहास्पद है क्योंकि यूपी पुलिस पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर आरएसएस के लोगों की तरह व्यवहार कर रही है. मेरठ एसएसपी का वॉयरल वीडियो इसका ताजा उदाहरण है जिसमें लोगों को पाकिस्तान जाने के लिए बोला जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट को इसपर तुरन्त संज्ञान लेना चाहिए और पुलिस बर्बरता की सुप्रीम कोर्ट के जजों की निगरानी में एक कमेटी बनाकर जांच करवानी चाहिए.

‌मुझे आशा ही नहीं बल्कि विश्वास है कि भीम आर्मी के इस मामूली कार्यकर्ता के मनोबल को बनाए रखते हुए आप अमित शाह की पुलिस ने जिन लोगों पर झूठे मुकदमें बनाए हैं, उन पीड़ित परिवारों का साथ देंगे. अपने आंदोलनों को पुलिस की अमानवीय चालों से बचाएंगे. संविधान से ही हमारा अस्तित्व है यही हमारा मौलिक विचार है, यही बहुजन समाज का रक्षा कवच है. इसलिए संविधान के विरोध की हर चाल को नाकाम करते रहिए. आखिर में, मैं झारखंड की जनता को बधाई देना चाहता हूं कि वहां की जनता ने मनुवादी भाजपा सरकार को सत्ता से बेदखल करके आपातकाल के समय में एक रोशनी की किरण दिखाई.

‌सदैव आपका
‌चन्द्रशेखर आज़ाद
‌प्रमुख, भीम आर्मी

(चंद्रशेखर आज़ाद भीम आर्मी के प्रमुख हैं. यह उनके निजी विचार हैं)

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