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Monday, 23 December, 2024
होममत-विमतये 'बिश्नोई गैंग' नहीं, लॉरेन्स गैंग है , जो बिश्नोई समाज को बदनाम कर रहा है

ये ‘बिश्नोई गैंग’ नहीं, लॉरेन्स गैंग है , जो बिश्नोई समाज को बदनाम कर रहा है

आवश्यकता इस बात की है कि बिश्नोई समाज आगे आकर अपनी प्रतिष्ठा हासिल करे और समाज में अपना योगदान दे. वरना उनके प्रतिनिधित्व के नाम पर आपराधिक तत्व ही छाए रहेंगे.

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पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला की हत्या में जो नाम आ रहा है, वह लॉरेन्स बिश्नोई का है. कथित गैंगवार की इस घटना में लॉरेन्स बिश्नोई एक माफिया की तरह है जो जेल से ही घटनाओं को अंजाम दे रहा है. आज स्थिति यह है कि बिश्नोई समाज के नाम पर पहले लॉरेन्स बिश्नोई का ही नाम आता है. यह इसलिए है कि बिश्नोई समाज का राजनीतिक प्रतिनिधित्व उतना ताकतवर नहीं है.

जबकि बिश्नोई समाज का इतिहास बिल्कुल अलग रहा है. पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन जैसे अत्यंत ज़रूरी मुद्दे, जो आज सोशल मीडिया और इंटरनेशनल कन्वेंशन में बहुत ज्यादा चर्चा में रहते हैं, उन्हीं मुद्दों के लिए अमृता देवी जैसी शख्सियतों समेत बिश्नोई समाज के कई लोगों ने बलिदान दिया है. बिश्नोई समाज जाति नहीं है, यह एक समुदाय है, एक लाइफस्टाइल है. मॉडर्न लाइफस्टाइल, जिसमें प्रकृति को लेकर प्रेम भावना है. भविष्य के आधुनिक समाज की भावना. खेजड़ली, चिपको आंदोलन खड़े करना और प्रकृति के लिए लड़ जाना. बिश्नोई समाज के लोग हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में रहते हैं लेकिन अधिकतर संख्या राजस्थान में केंद्रित हैं. करीब 10 लाख कुल जनसंख्या है बिश्नोईयों की. बिश्नोई पढ़ा-लिखा समाज है, और अपनी पढ़ाई से प्रकृति के लिए लड़ाई लड़ना जानता है. पशु-पक्षियों के बच्चों को अपने बच्चों की तरह पालना. पेड़-पौधों के संवर्धन और रक्षा के लिए त्याग कर देना. और यही वजहें हैं कि गुरु जम्भेश्वर जी के प्रकृति सरंक्षण, स्वास्थ्य, स्वछता और सामाजिक व्यवहार के 29 नियम आज के समय में बिश्नोई समाज को प्रासंगिक से अधिक आधुनिक बनाए हुए हैं.

बिश्नोई समाज और राजनीति

बिश्नोई समाज का नाम मीडिया में तब चमका जब 1998 में जोधपुर के नजदीक किसी गांव में, फिल्म शूटिंग करते हुए  सलमान खान और अन्य फ़िल्मी स्टार्स ने 2 काले हिरण का शिकार किया और फिर बिश्नोई समाज ने 20 साल तक कोर्ट का पीछा नहीं छोड़ा. 2018 में सलमान खान को 5 साल की सज़ा हुई, लेकिन कुछ दिनों बाद वो छूट गए. तब इसी लॉरेन्स बिश्नोई नाम के गैंगस्टर ने सलमान खान को मारने की धमकी दी थी. तब लगा कि शायद सलमान को टारगेट करके बिश्नोई समुदाय की सहानुभूति लेकर छात्र राजनीति करने वाला लॉरेन्स, राजनीति में आने के लिए यह सब कर रहा है.

लेकिन समाज को आगे बढ़ाने के लिए सही राजनैतिक नेतृत्व और रोल मॉडल्स चाहिए होते हैं. और ज़रूरी भी होते हैं. बिश्नोई समाज में सत्ता की धुरी अभी तक एक परिवार के आसपास ही घूमी है. जहां एक समय था जब हरियाणा, राजस्थान समेत पश्चिम उत्तर प्रदेश में बिश्नोई परिवार की तूती बोलती थी. इन प्रदेशों में अगर कोई विधायक अपने बूते भी जीतता भी था तो वो बिश्नोई परिवार के दरबार ज़रूर जाता था. भजन लाल बिश्नोई, कुलदीप बिश्नोई- चंद्रमोहन बिश्नोई, ये नाम बिश्नोई समाज के पर्याय बन चुके थे. लेकिन समय बदला, बिश्नोई परिवार का सत्ता का दायरा सिकुड़ गया. और बिश्नोई समाज भी इस तरह राजनैतिक नेतृत्व से दूर हो गया. जब किसी भी समाज को सही राजनैतिक नेतृत्व नहीं मिलता तब आपराधिक तत्व समाज को राह दिखाने के लिए ज़ोर लगाते हैं.

हालांकि, भजन लाल परिवार के अलावा राजस्थान, उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश से सुखराम विश्नोई, बिहारी लाल विश्नोई, सलिल विश्नोई, पब्बाराम विश्नोई, जसवंत सिंह विश्नोई, दूडाराम विश्नोई, अजय विश्नोई, महेंद्रलाल बिश्नोई नामक विधायक हैं जिससे समाज को राजनैतिक प्रतिनिधित्व मिलता है लेकिन क्या ये नेतृत्व सम्पूर्ण बिश्नोई समाज और खासकर युवाओं की आकांक्षाओं को पूर्ण करने में समर्थ हैं?

इस बीच लॉरेन्स बिश्नोई नाम का लड़का अपना नाम बनाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन मर्डर और उगाही से. लॉरेन्स की सलमान खान को काले हिरन वाले केस में मारने की धमकी देने से बिश्नोई युवाओं में पॉपुलरिटी ऐसी चढ़ी कि रुकी ही नहीं. सोशल मीडिया पर लड़के उसकी फोटो लगाकर रील्स बनाने लगे. अजमेर जेल से बैठे बैठे उसका 700 लोगों का गैंग हरियाणा, हिमाचल, दिल्ली, राजस्थान और पंजाब में चलने लगा. क्यों? शराब माफियाओं, पंजाबी गायकों और अन्य प्रभावशाली लोगों से पैसे उगाही के लिए. और अब सिद्धू मूसेवाला जैसे मशहूर पंजाबी गायक की हत्या का इलज़ाम लेने को लॉरेन्स ने तमगा बना लिया. लॉरेन्स का यह गैंगवार अब अपने चरम को पार कर चुका है. अखबार और न्यूज़ चैनल ‘बिश्नोई गैंग’ नाम से न्यूज़ चला रहे हैं. लॉरेन्स को हरियाणा और पंजाब का सबसे बड़ा गैंगस्टर बता दिया गया है.


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लॉरेन्स: फ़िरोज़पुर से तिहाड़ जेल 

फ़िरोज़पुर, पंजाब के एक माध्यम वर्गीय घर से आने वाले लॉरेन्स बिश्नोई को राजनीति का चस्का तब लगा, जब उसने डीएवी कॉलेज, चंडीगढ़ में स्टूडेंट आर्गेनाइजेशन ऑफ़ पंजाब यूनिवर्सिटी (सोपू) से स्टूडेंट प्रधानी का चुनाव लड़ा. लॉरेन्स चुनाव हार गया लेकिन जिसने चुनाव जीता, उसको लारेन्स ने बहुत मारा. इस सब पर सुक्खा काहलों नज़र बनाये हुए था. सुक्खा काहलों को गुरु मानकर लॉरेन्स और विकी पटिआल दोनों ने ही पंजाब-हरियाणा में गैंग शुरू किया.

माइनिंग, शराब माफ़िया से उगाही, जमीन पर कब्ज़ा, सट्टेबाज़ी, जमीन विवाद और कॉन्ट्रैक्ट किलिंग लॉरेन्स ग्रुप के आय का ज़रिया बने. धीरे-धीरे उसने अन्य राज्यों के लोकल गैंग्स से संपर्क साधना शुरू किया. उसके बाद लॉरेन्स ने हरियाणा में काला जठेड़ी और सुब्बे गुज्जर, राजस्थान में आनंद पाल सिंह और दिल्ली में जितेंदर गोगी के गैंग्स के साथ संपर्क साध उनसे गठजोड़ किया. सिंडिकेट तैयार हुआ. जठेड़ी ने हरियाणा, जग्गू भगवानपुरिया ने हथियार संभालने और बिश्नोई ने लीडर की तरह फैसले लेने शुरू किये. लॉरेन्स फ़ोन के ज़रिये अपने गुर्गों को बताता,और वो उसे बाकी साथियों के साथ अंजाम देते.

सीधे हाथ पर हनुमान का टैटू लगाने वाला लॉरेन्स कनाडा से गोल्डी बरार के जरिये अपने ग्रुप को कण्ट्रोल करता. वही गोल्डी बरार जिसने सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद फेसबुक पोस्ट डालकर उसकी जिम्मेदारी ली. लकी पटिआल बंबीहा गैंग से जा मिला, अर्मेनिआ चला गया और यहां से शुरू हुई बंबीहा-लॉरेन्स गैंग की दुश्मनी. इसमें पंजाबी गायकों को भी घसीटा गया और दोनों ही गैंग ने पंजाबी गायकों से गैंगवार, बंदूकों पर गाने यूट्यूब पर डालने के लिए दबाव बनाते. साथ ही यूट्यूब से होने वाली आमदनी, पंजाब-हरियाणा में होने वाले कबड्डी टूर्नामेंट की कमाई पर भी हक़ जताते.

2016 में लॉरेन्स बिश्नोई गिरफ्तार हो गया. उस पर दो दर्जन से अधिक केस थे. हत्या, हत्या की कोशिश, जबरन वसूली, डकैती जैसे केसों में उन्हें दोषी पाया गया. बंबीहा भी मारा गया और सुक्खा काहलों की भी मौत हो गयी. गिरफ्तारी के बाद, लॉरेन्स को राजस्थान की भरतपुर जेल के बाद उसे दिल्ली की मंडोली जेल (मकोका केस के अंतर्गत) लाया गया. और अब उसे दिल्ली की तिहाड़ जेल में रखा गया है.

बिश्नोई अपने समाज के अपराधियों से नहीं, प्रगतिशील सोच पर गर्व करता है

राजनीति में खालीपन का जवाब लॉरेन्स नहीं 

यूपी-बिहार के जाति आधारित ठाकुर-ब्राह्मण-यादव के बाहुबली या गैंगस्टर निकलने पर जिस तरह समाज का एक हिस्सा उन पर गर्व करता है, बिश्नोई समाज में वैसा नहीं है. बिश्नोई समाज का कोई भी व्यक्ति ऐसे व्यक्ति पर गर्व नहीं करेगा जो अपने समाज में तनाव पैदा कर रहा हो और अपराधी गतिविधियों से लोगों से उनके मशहूर गायकों की जान छीन रहा हो. बिश्नोई समाज प्रगतिवादी सोच वाला रहा है. पर्यावरण की केवल चिंता ही नहीं उस पर काम करने, आंदोलन चलाने और अन्य समाज के लिए मिसाल कायम करने वाला.

बिश्नोई समाज के लोग विदेशों में कार्य कर रहे हैं, डॉक्टर, इंजीनियर, ब्यूरोक्रेट हैं, खेलों में भी आगे हैं. रवि बिश्नोई जैसे युवा जब क्रिकेट में बढ़िया करता है तो समाज गर्वित हो जाता है. जब फ्रांस में जाकर जोधपुर के गांव में रहने वाला खामु राम बिश्नोई पूरी दुनिया के सामने पर्यावरण का बिश्नोई मॉडल सामने रखता है तो समाज को ख़ुशी होती है कि कैसे गुरु जम्भेश्वर जी के बरसों पुराने नियम प्रकृति को बचाने में कारगर हैं और आगे भी रहेंगे. यही समाज चाहता भी है कि प्रगतिशील सोच वाली राजनीति, विचार और लोग समाज का नेतृत्व करे वरना लारेन्स जैसे लोग बिश्नोई समाज को तनावपूर्ण व समाज की समरसता को प्रदूषण की तरह दूषित करते रहेंगे.

इसलिए आवश्यकता इस बात की है कि बिश्नोई समाज आगे आकर अपनी प्रतिष्ठा हासिल करे और समाज में अपना योगदान दे. वरना उनके प्रतिनिधित्व के नाम पर आपराधिक तत्व ही छाए रहेंगे.


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