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Monday, 23 December, 2024
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बिशन सिंह बेदी: क्रिकेट में मुंबई के प्रभुत्व को चुनौती देने वाला और BCCI को निशाने पर लेने वाला खिलाड़ी

डीडीसीए में सुधार के लिए बिशन सिंह बेदी की लड़ाई को प्रशासकों के खिलाफ किया गया हमला व्यक्तिगत माना गया, जो एक गलत समझ का परिचायक है. हालांकि उनका हर काम दिल्ली क्रिकेट की बेहतरी जैसे एक बड़े उद्देश्य से प्रेरित था.

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यह जीवन का सच है कि जिसका जन्म हुआ है उनकी मृत्यु निश्चित है. लेकिन कुछ मौतें दूसरों की तुलना में अधिक दर्द दे जाती हैं. सोमवार को बिशन सिंह बेदी का निधन न केवल भारतीय क्रिकेट बल्कि विश्व क्रिकेट के लिए भी सबसे दुखद दिनों में से एक था. बेदी को क्रिकेट और खिलाड़ियों के लिए कई लड़ाइयां लड़नी पड़ीं, उनमें से सबसे प्रमुख थी घरेलू क्रिकेट में मुंबई क्रिकेट के दबदबे को कम करने की उनकी चुनौती.

अमृतसर में जन्में बेदी दिल्ली और नॉर्थ जोन के लिए खेले. फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उन्होंने उस समय एंट्री ली जिस समय मुंबई का भारतीय घरेलू क्रिकेट पर दबदबा था, जो बेदी को बिलकुल भी स्वीकार्य नहीं था. उन्होंने मुंबई के वर्चस्व का विरोध करने का फैसला लिया और उसके लिए उन्होंने साहस भी दिखाया. उनके साथ दक्षिणी राज्य कर्नाटक ने भी मुंबई क्रिकेट के प्रभुत्व को तोड़ने में अहम भूमिका निभाई. हालांकि बेदी के नेतृत्व में दिल्ली द्वारा दी गई चुनौती अधिक कारगर साबित हुई.

उस दौर में जहां कर्नाटक के पास कई महान खिलाड़ी थे; दिल्ली के पास सिर्फ बेदी ही थे. स्पिनर के दृढ़ संकल्प ने उन्हें युवा क्रिकेटरों की एक टीम तैयार करने के लिए प्रेरित किया जो भारतीय घरेलू क्रिकेट में मुंबई के प्रभुत्व का मुकाबला करती. उन्होंने अरुण लाल, चेतन चौहान जैसे कई प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को निखारा. भारतीय क्रिकेट में बेदी का पहला बड़ा योगदान तब देखने को मिला जब 1970 के अंत में दिल्ली रणजी ट्रॉफी एक बड़ी ताकत बनकर उभरा.

नैतिकता का आदमी

बिशन सिंह बेदी कई मायनों में भारतीय क्रिकेट में अग्रणी थे. वह मोरल वैल्यूज वाले व्यक्ति भी थे. तीन महत्वपूर्ण अवसरों पर उन्होंने जहां इसका परिचय दिया साथ ही खिलाड़ियों और खेल को लेकर अपने प्रेम के असीम साहस को भी दुनिया को दिखाया.

बेदी का पहला महान नैतिक रुख 1976 में सबीना पार्क में वेस्टइंडीज के खिलाफ एक टेस्ट मैच के दौरान देखने को मिला. श्रृंखला तब अधर में लटक गई जब वेस्टइंडीज के बॉलर ने भारतीय बल्लेबाजों को घायल करने के इरादे से जानबूझकर बाउंसर फेंक कर अनुचित रणनीति का सहारा ले रहे थे. इसका बेदी ने जमकर विरोध किया और टीम के निचले क्रम को गंभीर चोट से बचाने के लिए 306/6 पर पारी घोषित कर दी. कप्तान के रूप में, उन्होंने क्रिकेट मैच जीतने के उद्देश्य से ऊपर अपने खिलाड़ियों की सुरक्षा को रखा.

खेल की नैतिकता को बनाए रखने के लिए बेदी का दूसरा रुख 1977 में इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू श्रृंखला के दौरान फिर से देखने को मिला, जब बाएं हाथ के स्पिनर ने अंग्रेजी गेंदबाज जॉन लीवर पर गेंद से छेड़छाड़ करने और माथे पर वैसलीन लगाने का आरोप लगाया. इंग्लिश कप्तान और प्रेस ने लीवर का बचाव करते हुए दावा किया कि उन्होंने भारतीय गर्मी में पसीने को रोकने के लिए वैसलीन का इस्तेमाल किया. बेदी ने इसपर हंसते हुए जवाब दिया और कहा पसीने से निपटने के लिए स्वेटबैंड अधिक तार्किक और उचित समाधान होता. गौरतलब है कि, उस समय बेदी का अनुबंध इंग्लिश काउंटी नॉर्थेंट्स के साथ था, लेकिन उन्होंने भारतीय क्रिकेट की अखंडता को खुद से ऊपर रखा.

एक साल बाद, 1978 में, भारत के पाकिस्तान दौरे के तीसरे वनडे के दौरान, बेदी ने एक बार फिर मैच गंवाकर नैतिक रुख अपनाया क्योंकि पाकिस्तानी गेंदबाजों ने भारतीय बल्लेबाजों को खेल जीतने के लिए आवश्यक रन बनाने से रोकने के लिए शॉर्ट-पिच गेंदें फेंकनी शुरू कर दी थी. भारत श्रृंखला जीतने की कगार पर था, लेकिन बेदी ने पाकिस्तान की अनैतिक रणनीति और खराब अंपायरिंग निर्णयों के कारण मैच छोड़ने का फैसला किया, जिसके कारण उन्हें वाइड घोषित नहीं करना पड़ा.


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सत्ता के सामने खड़े होना

बिशन सिंह बेदी का जीवन भारतीय टेस्ट क्रिकेटरों में सबसे अमीर खिलाड़ियों में से एक है. वह भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) पर अक्सर हमला करके खिलाड़ियों के अधिकारों के लिए बोलने वाले पहले ही थे. अपने खिलाड़ियों के अधिकारों की मांग को लेकर बेदी का अपने ही क्रिकेट बोर्ड से कई बार टकराव हुआ था.

उन्होंने भारतीय क्रिकेट में नैतिकता बहाल करने के लिए लगातार लड़ाई भी लड़ी. ऐसा ही एक प्रतिरोध दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) में सुधार की उनकी इच्छा के रूप में सामने आया. अपने पूरे क्रिकेट जीवन में, बेदी ने दिल्ली क्रिकेट को गौरव दिलाने के लिए कड़ी मेहनत की थी और डीडीसीए को जिन्हें खेल की अधिक जानकारी नहीं है ऐसे एडमिनिस्ट्रेटर द्वारा चलाए जाने को लेकर भी आवाजें उठाई और वो इससे दुखी रहे .

यह संभवतः उनके जीवन की सबसे कठिन लड़ाई थी क्योंकि इसमें शक्तिशाली राजनेता शामिल थे जिन्होंने दिल्ली क्रिकेट को अपने नियंत्रण में कर लिया था. जबकि राजनेताओं ने इससे पहले भी भारतीय क्रिकेट का प्रबंधन किया था और कुछ ने राज्य क्रिकेट संघों के प्रशासकों के रूप में अच्छा काम किया था, डीडीसीए को भ्रष्टाचार मुक्त रखने और साफ सुथरी छवि बनाने की बेदी की कोशिशों को अक्सर गलत समझा गया था. उनके द्वारा डीडीसीए एडमिनिस्ट्रेटर पर लगाए जाने वाले आरोप किसी पर किए जाने वाले व्यक्तिगत हमले नहीं थे; वे एक बड़े उद्देश्य, जिसमें दिल्ली क्रिकेट की बेहतरी शामिल थी, से प्रेरित थे .

क्रिकेट का सच्चा चैंपियन

बिशन सिंह बेदी का दिल सोने का था. मैं आज दिल्ली गोल्फ क्लब में घटी एक निजी घटना के बारे में यहां जरूर बताना चाहता हूं. बेदी के साथ लंच करते समय एक पूर्व क्रिकेटर हमारे पास आए और सोचा कि वह टेबल पर बैठ हमारी बातचीत का हिस्सा बन सकते हैं. जब बेदी ने क्रिकेटर से कहा कि वह उनसे बातचीत करने से पहले मेरे साथ खाना खत्म करेंगे तो मैं थोड़ा हैरान रह गया. जो लोग बेदी को गलत समझते हैं वे आसानी से इस निष्कर्ष पर पहुंच जाएंगे कि उन्होंने क्रिकेटर को डांटा होगा. इसके विपरीत बेदी बहुत विनम्र थे. जिस क्रिकेटर ने हमसे संपर्क किया वह कोई और नहीं बल्कि भारत के महानतम ऑलराउंडर कपिल देव थे.

बेदी के सबसे उल्लेखनीय गुणों में से एक यह था कि वह पैसे के पीछे नहीं भागते थे. उन्होंने एक बार मुझसे पूछा था कि अगर उन्होंने कभी अफगानिस्तान क्रिकेट टीम को कोचिंग दी तो क्या मैं उनके साथ काबुल जाऊंगा. मेरा इनकार उन्हें पसंद नहीं आया और उन्होंने मुझपर खेल से सच्चा प्यार न होने का आरोप भी लगाया. एक बार न्यूजीलैंड क्रिकेट ने मुझसे बेदी से यह पूछने के लिए संपर्क किया था कि क्या वह वेलिंगटन में युवा, उभरते स्पिनरों को ट्रेनिंग देने में सहायता करेंगे. बेदी इस काम के लिए झटपट हां कर दिया वह भी बिना फीस लिए.

बिशन सिंह बेदी ने क्रिकेट से जुड़े मेरे जीवन में उल्लेखनीय योगदान दिया है. उन्होंने मुझे सिखाया कि खेल में कभी भी धर्म को नहीं लाना चाहिए. यह उल्लेखनीय है क्योंकि वह सिख थे और अपने धर्म को अपने दिल के करीब रखते थे. बिशन ने मुझे यह भी सिखाया कि क्रिकेट जीत और हार से कहीं ऊपर है. उनके जैसा कोई दूसरा व्यक्ति नहीं होगा, एक मजबूत नैतिक दिशा-निर्देश और अटूट विवेक वाला. दुनिया बिशन सिंह बेदी को विजडन के शब्दों में हमेशा याद रखेगी- ‘धीमे गेंदबाजों में सबसे बेहतरीन.’

(कुश सिंह ‘द क्रिकेट करी टूर कंपनी’ के संस्थापक हैं. उनका एक्स हैंडल @singhkb है. व्यक्त विचार निजी हैं)

(संपादन: पूजा मेहरोत्रा)

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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