राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन के शुरुआती दिनों में रथयात्रा की सुरक्षा के लिए गठित बजरंग दल करीब 36 सालों के बाद एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में छाया है.
द वॉल स्ट्रीट जर्नल (डब्ल्यूएसजे) ने पिछले सप्ताह बताया कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को हिंदू राष्ट्रवादी समूह के कथित समर्थन को देखते हुए सोशल मीडिया दिग्गज फेसबुक की आंतरिक मूल्यांकन टीम ने इस पर पाबंदी लगाने की मांग उठाई थी. लेकिन इस अमेरिकी कंपनी ने वित्तीय और सुरक्षा कारणों को ध्यान में रखते हुए ये सलाह नज़रअंदाज कर दी.
इस पर तात्कालिक प्रतिक्रिया में बजरंग दल के मूल संगठन विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने अमेरिकी दैनिक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की धमकी दे डाली.
यही नहीं, फेसबुक इंडिया के प्रमुख अजीत मोहन ने एक संसदीय पैनल के समक्ष पेश होकर वॉल स्ट्रीट जर्नल के दावों का खंडन किया. उन्होंने कहा कि कंपनी की फैक्ट-चेकिंग टीम को कोई ऐसा साक्ष्य नहीं मिला जिसे देखते हुए बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की जरूरत पड़े.
लेकिन यह एकमात्र कारण नहीं था जिसकी वजह से बजरंग दल पिछले हफ्ते चर्चाओं में छाया था.
कभी मुख्यत: वैलेंटाइन डे पर युवा जोड़ों के लिए मुश्किलें खड़ी करने और ‘धार्मिक भावनाएं आहत करने’ वाली फिल्मों की स्क्रीनिंग बाधित करने के लिए चर्चित रहे इस समूह ने अब उत्तर प्रदेश के नए अवैध धर्मांतरण संबंधी कानून के तहत तथाकथित ‘लव जिहाद’ के मामलों पर अपनी नज़रें टिका रखी हैं.
मुरादाबाद में बजरंग दल सदस्यों ने राशिद नाम के एक व्यक्ति को पुलिस को सौंप दिया. क्योंकि राशिद ने पड़ोसी राज्य उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में करीब पांच महीने पहले बिजनौर की 22 वर्षीय युवती पिंकी से शादी कर ली थी. पिंकी का कहना है कि वैसे तो पुलिस आश्वस्त थी कि उन्होंने पसंद से शादी की थी लेकिन बजरंग दल के दबाव में उन्होंने प्राथमिकी दर्ज की. हालांकि, नए कानून के तहत राशिद और उसके भाई को गिरफ्तार करने वाली पुलिस ने पिंकी के आरोपों को खारिज कर दिया है.
यूपी में नए कानून के तहत बजरंग दल के ‘हस्तक्षेप’ के अन्य मामले भी सामने आए. यही कारण है कि यह दिप्रिंट के लिए न्यूजमेकर ऑफ द वीक है.
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‘जब कहीं संघ परिवार दखल नहीं देता तो इस्तेमाल किया जाता है’
बजरंग दल का गठन 1984 में अयोध्या से लखनऊ तक राम-जानकी रथ यात्रा के दौरान सुरक्षा प्रदान करने के लिए हुआ था और पिछले चार दशकों के दौरान यह लगातार बढ़ा है.
किताब द आरएसएस: आइकंस ऑफ द इंडियन राइट के लेखक वरिष्ठ पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय कहते हैं कि बजरंग दल की शुरुआत विहिप की ‘उग्र’ इकाई—राम जन्मभूमि आंदोलन के लिए एक आक्रामक बल के रूप में हुई थी.
मुखोपाध्याय कहते हैं, ‘एक संगठन के रूप में यह अधिक उग्र था और कुछ हद तक हिंसक साधनों का भी इस्तेमाल करता था. (समूह के पहले संयोजक) विनय कटियार तब उसके सर्वे सर्वा थे. इसे राम सेना के हनुमान जैसे सिपाहियों के रूप में पेश किया गया. (भगवान) हनुमान के रूप का इस्तेमाल किया गया और संगठन को राम मंदिर आंदोलन में राजनीतिक हनुमान के रूप में चित्रित किया गया.’
रथयात्रा के लिए ‘सशक्त’ और ‘हट्टे-कट्टे’ लोगों को इसमें शामिल किया गया. विहिप ने युवाओं से इसका हिस्सा बनने और साधुओं को सुरक्षा कवच प्रदान करने का आग्रह किया. सदस्यों की भर्ती के लिए उन्हें इसका हिस्सा बनाने का कार्यक्रम यानी दीक्षा समारोह भी आयोजित किया गया था.
बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक सोहन सिंह सोलंकी बताते हैं, ‘जब विहिप ने राम-जानकी यात्रा शुरू करने का फैसला किया तो कुछ हिंदू विरोधी और असामाजिक तत्वों ने विहिप को धमकी दी और हमसे यात्रा का आयोजन नहीं करने के लिए कहा. उत्तर प्रदेश सरकार ने रथयात्रा और उसमें हिस्सा ले रहे लोगों को सुरक्षा प्रदान करने से इनकार कर दिया था. तब युवाओं से रथयात्रा की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने का आह्वान किया गया. यह एक रिले की तरह होता था— हर जिले में युवाओं की नई टीम यह जिम्मेदारी संभालती थी.’
उन्होंने कहा, ‘राम जन्मभूमि आंदोलन में अपनी भागीदारी की शुरुआत के बाद से बजरंग दल शिला पूजन, राम ज्योति यात्रा और फिर 1992 की कार सेवा, सभी गतिविधियों में अग्रिम मोर्चा संभाले रहा है.’
मुखोपाध्याय के मुताबिक, 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के बाद ही ‘आंदोलन का सारा मकसद पूरा हो गया था क्योंकि यह स्पष्ट हो गया था कि पीवी नरसिम्हा राव की तरफ से ऐसे वादे किए जाने के बावजूद भारतीय राजनीति मस्जिद के पुनर्निर्माण पर एक आम सहमति तक नहीं पहुंचेगी.’
फिर कुछ समय तक बजरंग दल के लिए अधर में रहने वाली जैसी स्थिति रही क्योंकि एलके आडवाणी की तरफ से अटल बिहारी वाजपेयी की राह प्रशस्त कर देने के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को भी इस बात का अहसास हो चुका था कि उसे थोड़ा ज्यादा मध्यमार्गी दृष्टिकोण अपनाना होगा.
विहिप और बजरंग दल 1997 के बाद एक बार फिर तेजी से उभरे जब उन्होंने कथित जबरन धर्मांतरण रोकने का बीड़ा उठाया जिसका एक रूप अब उत्तर प्रदेश में नज़र आ रहा है.
मुखोपाध्याय ने कहा, ‘बजरंग दल का इस्तेमाल अक्सर तब किया जाता था जब संघ परिवार ये नहीं चाहता था कि वह औपचारिक रूप से किसी मुद्दे में दखल दे या किसी विवादास्पद गतिविधि में शामिल हो.’
1999 में ऑस्ट्रेलियाई मिशनरी ग्राहम स्टेंस और उनके बेटों को उड़ीसा (अब ओडिशा) के एक गांव में भीड़ द्वारा जिंदा जला दिया गया था. कुष्ठ रोगियों के लिए वहां काम कर रहे ग्राहम स्टेंस पर दक्षिणपंथी समूहों ने हिंदुओं के जबरन धर्मांतरण में लिप्त होने का आरोप लगाया था. ईसाई समुदाय ने स्टेंस की हत्या का आरोप उस समय बजरंग दल पर ही लगाया था.
वाधवा आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए समूह यह दावा करता है कि इसमें उसका हाथ नहीं था क्योंकि रिपोर्ट के मुताबिक हत्या के दोषी करार दिए गए दारा सिंह और बजरंग दल के बीच किसी तरह का संबंध नहीं पाया गया था.
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अब यह क्या करता है
विहिप की वेबसाइट के अनुसार, बजरंग दल जनसाधारण के बीच कोई राय कायम करने और संगठन के विस्तार के लिए ‘आंदोलनकारी गतिविधियों’ को अंजाम देता है.
ये आंदोलन धार्मिक स्थलों के जीर्णोद्धार, गौरक्षा, दहेज और छुआछूत जैसी सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन और हिंदू परंपराओं और मान्यताओं का अपमान करने वाली गतिविधियों के विरोध से जुड़े हो सकते हैं.
अपनी संगठनात्मक गतिविधियों के तौर पर बजरंग दल साप्ताहिक बैठकें, दीक्षा समारोह, प्रशिक्षण शिविर और नियमित अभ्यास आदि करता रहता है.
यह 14 अगस्त को पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अखंड भारत संकल्प दिवस, बालोपासना दिवस (हनुमान जयंती) और 6 दिसंबर को बाबरी विध्वंस की तारीख पर शौर्य दिवस सहित विभिन्न आयोजन करता रहता है.
यह समूह ‘टेलीविजन विज्ञापनों और सौंदर्य प्रतियोगिताओं के जरिये परोसी जा रही अश्लीलता और अवैध घुसपैठ के खिलाफ’ भी विरोध प्रदर्शन करता है.
विहिप के वरिष्ठ सदस्यों का कहना है कि बजरंग दल ‘कल्याण’ कार्यों में सक्रियता से हिस्सा लेता है.
पूर्व में बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक रहे विहिप के संयुक्त महासचिव सुरेंद्र जैन बताते हैं, ‘चाहे हिंदू समाज के लिए कल्याणकारी कदम उठाना हो, भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान राहत पहुंचाना हो या कांवड़ यात्रा में सहयोग करना, हम हर काम करते हैं…..हमने लॉकडाउन के दौरान भी हरसंभव सहायता प्रदान की. हम पूरे देश में कौशल प्रशिक्षण केंद्र चलाते हैं.’
बजरंग दल संगठन में 14-35 वर्ष की आयु के पुरुष युवाओं को शामिल करता है.
सोलंकी ने बताया कि समूह के सदस्यों की संख्या 2012 में 32 लाख से बढ़कर 2016 में 40 लाख हो गई और 2020 में यह आंकड़ा लगभग 55 लाख हो गया. उन्होंने कहा, ‘हम हर चार साल में पंजीकरण और सदस्यता अभियान चलाते हैं. इस साल, कोविड-19 के कारण यह आधिकारिक तौर पर नहीं हो पाया है लेकिन (सदस्य) लगभग 55 लाख होने का अनुमान है.’
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बजरंग दल के तौर-तरीके और उसकी आलोचना
बजरंग दल के तौर-तरीकों को लेकर होने वाली आलोचना के सवाल पर जैन ने कहा कि विहिप को इसकी कोई परवाह नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘हम जानते हैं कि हम क्या कर रहे हैं. 1996 में जब कश्मीरी इस्लामिक जिहादियों की धमकियों के कारण अमरनाथ यात्रा बंद होने के कगार पर थी, कोई भी आतंकियों से लोहा लेने के लिए आगे आने को तैयार नहीं था तब साधुओं ने बजरंग दल से यह चुनौती स्वीकारने को कहा. बजरंग दल के कुल 51,000 युवा आगे आए और 50,000 और लोग इसमें शामिल हुए और यात्रियों की संख्या एक लाख से अधिक हो गई.’
बलराज डूंगर, जो पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में समूह के संयोजक थे, का कहना है, ‘बजरंग दल हमेशा उन लोगों के खिलाफ रहा है जो हिंदू विरोधी गतिविधियों को अंजाम देते हैं.’
डूंगर ने कहा, ‘जहां तक ‘लव जिहाद’ की बात है बजरंग दल ने हमेशा इस मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. बजरंग दल ने कानूनी शादी को कभी नहीं रोका. लेकिन कई ऐसे लोग हैं जो अपनी असली पहचान छिपाए रहते हैं और मासूम हिंदू लड़कियों को धोखा देने की कोशिश करते हैं…इसलिए हमारा काम हिंदू लड़कियों की रक्षा करना है.’
जैन ने स्टेंस मामले में हिंसात्मक गतिविधि में शामिल होने के आरोपों से भी इनकार किया. उनके मुताबिक, ‘ये सब सिर्फ निंदा के लिए निंदा किया जाना है. आयोग ने साफ कहा था कि बजरंग दल और दारा सिंह के बीच कोई संबंध नहीं था.’
उन्होंने कहा कि बुद्धिजीवी वर्ग से लेकर आम जनता तक हर कोई बजरंग दल के साथ है. उन्होंने कहा, ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल की तरह कुछ निहित स्वार्थी तत्व हैं लेकिन हम कागज के शेर नहीं हैं. हम दिन-प्रतिदिन मजबूत हो रहे हैं.’
हालांकि, कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत्र ने कहा, ‘बजरंग दल को खुली छूट दे दी गई है…हम बजरंग दल को कानून अपने हाथ में लेने के लिए नहीं छोड़ सकते. कोशिश केवल ध्रुवीकरण करना है और मुझे लगता है कि जल्द ही अदालत कुछ कार्रवाई करेगी और इस मामले में हस्तक्षेप करेगी क्योंकि यह हमारे संविधान के साथ-साथ कानून के खिलाफ भी है.’
मुखोपाध्याय ने कहा कि बजरंग दल जैसे संगठन कपोल कल्पित ‘अन्य’ का डर पैदा करते हैं और उस पर ही पनपते हैं.
उन्होंने कहा, ‘बजरंग दल जैसे संगठनों का उद्देश्य यह दावा करना है कि भारत के विकास को रोकने के लिए हर क्षेत्र में एक इस्लामी साजिश चल रही है और ऐसे लोगों को रोकने की जरूरत है.’
उन्होंने कहा, ‘बजरंग दल और उनके जैसे संगठनों को फेसबुक जैसे विवाद खूब पसंद आते हैं क्योंकि तब उन्हें अपने अहम दायरे के बीच इसे उठाने और यह आरोप लगाने का मौका मिल जाता है कि धर्मनिरपेक्ष, वामपंथी, उदारवादी लॉबी पाकिस्तान और अब चीन भी ऐसी गतिविधियों में लिप्त हैं जो भारत विरोधी हैं.
(व्यक्त विचार निजी हैं)
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