दिल्ली की बसों में महिलाओं के लिए जो गुलाबी रंग का टिकट मुफ्त में दिया जाता है उस पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की फोटो के साथ उनका यह बयान भी छपा होता है- ‘मैं चाहता हूं कि आप और आपका परिवार खूब तरक्की करे. जब महिलाएं आगे बढ़ेंगी तभी देश आगे बढ़ेगा.’ दिल्ली की सरकारी बसों में रोज करीब 20 लाख महिलाएं सफर करती है, जबकि दिल्ली में कुल 1.6 करोड़ लोग रहते हैं.
जाहिर तौर पर दिल्ली में अगली फरवरी में ही होने वाले चुनाव के मद्देनजर शुरू की गई. यह मुहिम देश भर के 60 हज़ार पेट्रोल पंपों पर लगाए गए उस चित्र की याद दिलाती हैं, जिसमें नरेंद्र मोदी आपकी ओर मुस्कराते नज़र आते हैं. इस तस्वीर के निचले कोने में वे महिलाएं नज़र आती हैं, जो मोदी को रियायती दर पर रसोई गैस सिलेंडर मुहैया कराने के लिए धन्यवाद दे रही हैं. मानो वह मोदी की ओर से निजी खैरात हो. ये होर्डिंग गर्मियों में चुनाव के दौरान हटा दिए गए थे, मगर फिर से टांग दिए गए हैं.
कम-से-कम दिल्ली में तो ‘आप’ के केजरीवाल मोदी के राजनीतिक विकल्प नज़र आते हैं. लेकिन, जरा देखिए कि इन दोनों में कितनी समानता है. दिल्ली सरकार ने तीर्थयात्रियों को मथुरा-वृन्दावन, ऋषिकेश-हरिद्वार, आनंदपुर साहिब, अजमेर शरीफ की यात्रा कराने के लिए मुख्यमंत्री तीर्थयात्रा योजना शुरू की है, जिसमें यात्रा का सारा खर्च सरकार देगी. आप सोच सकते हैं कि धार्मिक यात्रा कराने का प्रायोजन कोई सेकुलर सरकार कैसे कर सकती है और यह कि मोदी ने ऐसा किया होता तो कितना विरोध हुआ होता! दरअसल, कांग्रेस वर्षों तक हज सब्सिडी के लिए पैसे देती रही, जिसे मोदी सरकार ने पिछले साल खत्म कर दिया. फिर भी हम सर्वधर्म समभाव वाली व्यवस्था में हैं, न कि पश्चिमी शैली की सख्त धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था में. इसलिए सब चलता है!
यह भी पढ़ें : मोदी के विपक्ष-मुक्त भारत में जेएनयू को शाश्वत विरोधी बने रहना चाहिए
अब जरा लोकलुभावन राजनीति की विरोधी धाराओं पर विचार करें. मोदी सरकार मुफ्त शौचालय, मुफ्त स्वास्थ्य बीमा, किसानों को रियायतें दे रही है, तो केजरीवाल मुफ्त बिजली, मुफ्त बस व मेट्रो सेवा की पेशकश कर रहे हैं. मोदी यह नहीं सोच रहे कि उनकी दिवालिया सरकार इन सबके लिए पैसे कहां से लाएगी, तो केजरीवाल उस दिल्ली पर राज कर रहे हैं, जिसकी प्रति व्यक्ति आय इसके राष्ट्रीय औसत की तीन गुना ज्यादा है और वे यह नहीं सोच रहे कि यहां इस तरह की खैरात बांटने की जरूरत क्या है. ऐसा तो नहीं है कि उन्हें और ज्यादा पैसे की जरूरत महसूस नहीं होती? आखिर, शहर में संपत्तिकर 15 साल से जस का तस है और उसमें मुद्रास्फीति का हिसाब भी नहीं जोड़ा गया है.
दोनों नेता बड़बोले दावे करने में माहिर हैं. पांच साल से हम 1000 मोहल्ला क्लीनिक खोले जाने के बारे में सुन रहे हैं जबकि उनकी असली संख्या करीब 200 ही होगी. क्या यह उसी तरह संदिग्ध लगता है जिस तरह देश को खुले शौच से मुक्त कराने या ‘आधार’ से देश को टनों पैसे की बचत का दावा लगता है? जहां तक महिलाओं को मुफ्त बस यात्रा की सुविधा की बात है, 2010 के बाद से शहर के 5000 बसों के बेड़े में एक भी नयी बस नहीं जोड़ी गई है. बेशक इसकी वजह यह है कि राज्य सरकार को समझ में नहीं आ रहा कि नयी बसों की पार्किंग कहां होगी.
कार्यशैली देखें तो मोदी ने अगर काडर वाली पार्टी को ऐसी पार्टी में तब्दील कर डाला, जो दिन-रात उनके ही गुणगान में लगी रहती है, तो केजरीवाल ने भ्रष्टाचार के खिलाफ और एक नयी राजनीतिक संस्कृति की खातिर खड़े हुए एक जनांदोलन को ऐसी पार्टी में बदल दिया जिस पर उनका एकछत्र वर्चस्व हो. यानी सार यह कि केजरीवाल और मोदी जो पैकेज पेश कर रहे हैं उनमें कोई फर्क नहीं है. इस पैकेज में हैं- निजी महिमामंडन, दिन-ब-दिन अखबारों में पूरे पन्ने के विज्ञापन देकर व्यक्तिपूजा को बढ़ावा, सबसीडियों पर आधारित लोकलुभावन योजनाएं (चाहे उनके लिए पैसे हों या नहीं अथवा उनकी जरूरत हो या नहीं), धर्मनिरपेक्षता को तिलांजलि, बड़बोले दावे, और बेलगाम नेतृत्व. क्या शैली और सत्व में समानता के पीछे कोई रणनीति है? शायद. क्योंकि पिछले चुनाव के दौरान केजरीवाल ने कहा था कि उनका जनाधार भी वही है जो भाजपा का है.
यह भी पढ़ें : दिल्ली में प्रदूषण राजनीतिक मुद्दे में बदला गया है और यह केजरीवाल के लिए अच्छी ख़बर नहीं
लेकिन एक अंतर है. ‘आप’ में वह तीखी सांप्रदायिकता नहीं है जो भाजपा में है. दिल्ली में न तो किसी पहलू खान को मारा गया, न किसी मोहम्मद अखलाक़ को. इसलिए मुसलमानों को ‘आप’ के साथ सुरक्षा महसूस होती है, जबकि विरोधाभास यह है कि शहर की पुलिस अमित शाह के नियंत्रण में है. इतनी ही अहम बात यह है कि भाजपा के शिक्षा कार्यक्रम में इतिहास की किताबों से नेहरू को निकाल बाहर करने की योजना शामिल है, तो ‘आप’ सरकारी स्कूलों में शिक्षा को सुधारने पर ज़ोर देती रही है. दोनों के बीच के इस फर्क पर हमें खुशी मनानी चाहिए.
(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
aap ne apne lekh mein pahul khan aur akhlak ka jikar kar Diya Vikash puri jisme hindu ladka mara muslimo ne ushka jikar kyu nahi kiya esha lagta hein chatukarita ki had nahi hoti balance karo lekh ko
जय हिंद,
आप जैसे ही आश्चर्य जनक! लोग भी इसी भारत मे रहते है जन्हें पाई। की जगह बिंदी• पसंद होती है।
आप की सोच आप को ही मुबारक।
Aapke is lekh me hi communalism ki bhawna bhari Hui h. Kejriwal ki modi se tulna. Kaha raja bhoj aur kaha gangu teli. Vaise aapke kuchh nizi hit honge is tarah ki patrakarita karne ke peeechhe. Par isey patrakarita nahi kahte desh ki dalali kahte h. M aapko debate ke liye challenge karta hu. Agar aapme thoda bhi dam h to aa Jana saamne
Good.. Well said
यहां डाक्टर नारंग और अंकित सक्सेना की हत्या हुई वैसे केजरीवाल ने बड़ी आसानी से दूसरे राज्यो में हुई हत्या में दिल्ली के करदाताओं से लिया हुआ कर दूसरे राज्यो के हत्या पीड़ित केस में दिया गया अगर पीड़ित केवल मुस्लिम है तो
Sab ke comment padhne ke baad bhi is lekh ko likhne wale mein dimag nhi aaya hoga .. aaye bhi kaise usko paise mile hain bhai modi vs kejriwal karwane ke liye ….. pata nhi kaise patrkaar hain …. koi iman nhi dharm nhi …. haj yatra ki subsidy aur desho ne bhi band ki waha jaake bolo … par vo pichwade pe lath maar denge aur paise bhi na dene
तो फिर चुनाव मे केजरीवाल की मोदी से तुलना करते रहना,( केजरीवाल तक जिससे वचना चाह रहे हैं) … सब पता चल जाएगा ।।
Ho gaya bakwas ya kuch baki hai… Tumhri soch or tumhari upbringing pe muje taras aa rha hai… Kitne gira hua admi ho yar tum… Chullu bhar pani me doob maro…
Ho gaya bakwas ya kuch baki hai… Tumhri soch or tumhari upbringing pe muje taras aa rha hai… Kitne gira hua admi ho yar tum… Chullu bhar pani me doob maro…
Mai ye to nhi kah skta ki kejriwal modi ke takkar ke neta hai pr ye jaroor kah skta hu ki kejriwal modi ke mukable garibò ke liye jyada sanvedanshil hai,,,,,,,,Aur ek baat aur modi ko itna bda neta banane mein lakho logon ka swarth juda hai jo ki es des ke samantvadi aur punjivadi mansikta vale log hai,,,,,,,,,,,,modi itne bade neta isliye hai kyonki modi ko wo log support kr rhe hai jo logon ko murkh banane mein expert hai,ye log hazaro varso se aam logon ko murkh bnate aa rhe hai aur aaj bhi bna rhe hai,,,,,,,,,Ab to inlogo ke paas media ka bhi hathiyar ho gya hai jisse ye log aam janta ko murkh aasani se bna le rhe hai,,,,,,,,,,,Agr kejriwal ki baat ki jaye to ye abhi bahut bda neta nhi bna hai pr jitna bhi hai apne dum pr hai,aam janta ki support pr hai………
आप लोग सिर्फ मोदी के पीछे पड़े हुए हो एक ऐसा PM जिसने देश को नया सोचने के लिये प्रेरित किया कुछ नए काम हो रहे है पर लेखक महोदय आप ताउम्र कांग्रेस के तालू चाटे जा रहे थे आपके या आपके लेख को कभी मोदी राज के पहिले नही देखा कहाँ थे आप …..किसी कांग्रेस नके नेता के घर पर गले मे पट्टा डाल कर आने जाने वालों का मनोरंजन कर रहे थे क्या