हम सभी जानते हैं कि 31 दिसंबर और 1 जनवरी के तड़के अंजलि के साथ क्या हुआ, जो अपनी सहेली निधि के साथ स्कूटी से घर जा रही थी. कार में फंस जाने के कारण उसकी मृत्यु हो गई. कार सवार पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है.
दिल्ली पुलिस ने सोमवार सुबह मीडिया से कहा, ‘यह एक दुर्घटना थी.’ रिपब्लिक टीवी के एक रिपोर्टर ने बुधवार सुबह कहा, ‘(सभी फोरेंसिक रिपोर्ट) यह स्पष्ट करते हैं- यह दुर्घटना थी.’
और फिर भी, इन दो बयानों के बीच चार घंटे की अवधि में, टेलीविजन समाचार चैनलों ने क्या किया? क्या उन्होंने तुरंत उन पांच आरोपी युवकों की तस्वीरें लीं, जिन्होंने रिपोर्ट के अनुसार, स्वीकार किया कि वे ‘नशे में’ थे, जब वे अंजलि को अपनी कार में 13 किमी से अधिक तक घसीटते रहे? कम से कम जी न्यूज ने बुधवार को तो यही दावा किया.
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‘अनुमान वाली पत्रकारिता’
क्या उन्होंने दोषियों की पहचान की, उनके घर गए, उनके परिवार, दोस्तों से बात करने की कोशिश की? क्या उन्होंने घटना से पहले और बाद में उनकी हरकतों का पता लगाया? क्या उन्होंने उन्हें खलनायक के रूप में चित्रित किया? ठीक है, उन्होंने श्रद्धा और तुनिषा की मौत के मामलों में यही किया, इसलिए यह मान लेना उचित है कि वे कथित अपराधियों के खिलाफ सख्ती से पेश आए, खासकर जब उन्होंने ‘दुर्घटना नहीं, हत्या है’ (एबीपी न्यूज) जैसी टिप्पणियां कीं और कहा, ‘एक और निर्भया?’ (इंडिया टीवी). क्या उन्होंने इनमें से कुछ किया?
नहीं, इसके बजाय, उन्होंने दिल्ली पुलिस को उसकी ‘लापरवाही’ के लिए पूरी तरह से दोषी ठहराया.
मंगलवार और बुधवार को घटना से पहले की घटनाओं का पता लगाने और कथित पुलिस लापरवाही के अलावा निधि के व्यवहार पर उनका ध्यान और भी अधिक पेचीदा था. पोस्टमॉर्टम के निष्कर्षों की सूचना दी गई थी लेकिन समाचार चैनल कुछ और सनसनीखेज खोज रहे थे.
इसलिए वे सीसीटीवी क्लिप के प्रति आसक्त हो गए और उन्हें अपनी पहेली में एक साथ जोड़ने की कोशिश की- बेशक इसका कोई मतलब नहीं था.
अभियुक्त की पहचान और गतिविधियों ने टीवी पत्रकारों को बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं दी- अभियुक्तों की तस्वीरें न्यूज़ 18 इंडिया जैसे चैनलों पर मंगलवार दोपहर को ही दिखाई दीं. इसके बजाय, पूरे सोमवार को, हमें बलेनो के यू-टर्न लेते हुए ‘चिलिंग’ (एनडीटीवी 24×7) फुटेज दिखाया गया, जिसमें अंजलि को खींचा था.
मंगलवार का अधिकांश समय ओयो होटल में पूछताछ के बीच विभाजित था- जहां होटल के कर्मचारियों के अनुसार, दो महिलाएं लड़कों के साथ ‘पार्टी करने आए थे’ (टीवी9 भारतवर्ष) और सीसीटीवी फुटेज से पता चला कि पीड़िता अपने दोस्त के साथ थी. सीसीटीवी फुटेज में दोनों के बीच कहासुनी होती नज़र आ रही है. टीवी के लिए अपनी प्रश्नावली तैयार करने के लिए इतना ही काफी था: निधि कौन थी? क्या हुआ? और वह क्यों भागी?
शाम तक, निधि के साथ पहला साक्षात्कार सामने आया- आज तक पर दिखा. उसने दुर्घटना के बारे में कई दावे किए, जिस पार्टी में अंजलि का कथित ‘बॉयफ्रेंड’ शामिल था और उनके बीच एक बहस हुई.
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बुधवार का पूरा दिन निधि की टिप्पणियों के बारे में था. अंजलि के शराब पीने और दुर्घटना के समय के बारे में बात होती रही- जो कि दोनों ही पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और चश्मदीदों के बयानों से अलग हैं.
आक्रोशित समाचार चैनलों ने इन्हें पकड़ लिया और अचानक निधि के बारे में कहानी बन गई.
हेडलाइन्स कुछ इस तरह थीं: ‘अंजलि के खिलाफ कानाफूसी अभियान शुरू?’ (इंडिया टुडे); ‘क्या निधि का वर्जन वास्तव में चीज़ों को आगे बढ़ाता है?’ (रिपब्लिक टीवी)’ ‘(अंजलि का) निधि को लेकर परिवार का सवाल’ (सीएनएन न्यू 18 इंडिया); ‘क्या निधि झूठ बोल रही है?’ (न्यूज 18 इंडिया).
टीवी पत्रकारों ने पीड़िता के पड़ोसी, एक दुकान सहायक को ट्रैक किया जिसने उसका फोन चार्ज करने में मदद की. क्या यह अजीब नहीं है कि निधि पर इतना ध्यान दिया जाए जबकि कथित दोषियों को नजरअंदाज किया जा रहा है?
दिल्ली पुलिस की धीमी प्रतिक्रिया और सुरक्षा उपायों पर कुछ गंभीर आलोचनाएं हुईं: ‘पुलिस सो रही थी’, टाइम्स नाउ ने कहा नवभारत, ‘पीसीआर ने जवाब देने में इतना वक्त कैसे लगा दिया? किसी ने बलेनो को रोकने की कोशिश क्यों नहीं की?’ इंडिया टुडे ने पूछा. जी न्यूज़ ने कहा, ‘पुलिस जांच में खामियां’, ‘पुलिस मामले को कम करने की कोशिश कर रही है’.
महिला पत्रकारों ने बलेनो की यात्रा को फिर से दोहराया और मंगलवार को राजधानी के बाहरी इलाकों में गईं- उन्हें कोई पुलिस गश्ती, कोई पुलिस कियोस्क, कोई पुलिस बैरिकेड नहीं मिला. इसके बाद पुलिस ने दावा किया था कि 31 दिसंबर की रात 18,000 पुलिसकर्मी ड्यूटी पर होंगे. रिपब्लिक टीवी ने मांग की, ‘दिल्ली पुलिस सवालों से क्यों भाग रही है?’
खैर, समाचार चैनलों के लिए हमारे पास कुछ प्रश्न हैं: यह बेकार की गुफ्तगू (बातचीत) जो आप पिछले तीन दिनों से गढ़ रहे हैं, वो क्या है? आप हमें क्या बताने की कोशिश कर रहे हैं? दिल्ली पुलिस को दोष देना है? निधि की भूमिका? होटल ओयो में हुई ‘पार्टी’ का हादसे से कुछ लेना-देना है? वैसे भी सीसीटीवी फुटेज में सभी विवरण कौन चाहता है?
और अंत में, तुम इतने संवेदनहीन क्यों हो? आप अंजलि की शोक संतप्त मां से पूछते हो, ‘क्या अंजलि पार्टियों में जाती थी, पीती थी?’ और एक हेडलाइन में कहा गया, ‘अंजलि के सर का एक हिस्सा गायब.’ (सीएनएन न्यूज़ 18 इंडिया)
आखिर आपके साथ दिक्कत क्या है?
(व्यक्त विचार निजी हैं)
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