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Thursday, 25 April, 2024
होममत-विमतशी जिनपिंग के लिए मॉस्को यात्रा काफी नहीं थी, एक दिन में दुनिया के तीन बड़े नेताओं से मिलना एक संदेश है

शी जिनपिंग के लिए मॉस्को यात्रा काफी नहीं थी, एक दिन में दुनिया के तीन बड़े नेताओं से मिलना एक संदेश है

शी ने हैनान में बोआओ फोरम में स्पेन के राष्ट्रपति पेड्रो सांचेज़, सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सीन लूंग और मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम से मुलाकात की.

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चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने दौर पर गए तीन नेताओं से एक दिन में मुलाकात की. भूटान के प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग ने डोकलाम ट्राइजंक्शन क्षेत्रीय विवाद पर अपनी विवादित टिप्पणी से बहस छेड़ दी है. एक नई रिपोर्ट में लद्दाख में भारत-चीन सीमा तनाव में अमेरिका की भूमिका पर प्रकाश डाला गया है. चायनास्कोप उन घटनाओं पर नजर डालता है जिन्होंने इस हफ्ते दुनिया में सुर्खियां बटोरीं.

इस हफ्ते चीन

अगर आपको लगता है कि शी मॉस्को की अपनी हालिया यात्रा के बाद चुपचाप बैठे रहेंगे, तो फिर से इस पर एक बार विचार करें. 31 मार्च को, उन्होंने तीन विश्व नेताओं- स्पेन के राष्ट्रपति पेड्रो सांचेज़, सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सीन लूंग और मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम के साथ मुलाकात की- अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में खुद को नई ताकत के रूप में पेश करने में बीजिंग की रुचि की पुष्टि की. एशिया के लिए वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की तर्ज पर बना हैनान में हर साल होने वाले बोआओ फोरम के लिए तीनों नेता चीन गए थे.

चीन और स्पेन के राजनयिक संबंधों के 50 साल पूरे होने पर शी ने सांचेज से मुलाकात की. सांचेज़ ने यूक्रेन में चल रहे युद्ध पर शी के साथ चर्चा की, जिन्होंने कीव के लिए शांति योजना का हवाला देकर बीजिंग की स्थिति की पुष्टि की.

बाद में, शी ने ली से मुलाकात की, जो बीजिंग की आधिकारिक यात्रा पर भी थे. राष्ट्रपति शी और प्रधानमंत्री ली ने द्विपक्षीय आदान-प्रदान किया. दोनों ने अपने संबंधों को ‘ऑल-राउंड हाई-क्वालिटी फ्यूचर-ओरिएंटेड पार्टनरशिप’ तक ले जाने का फैसला किया.

अंत में, शी जिनपिंग ने अनवर से मुलाकात की, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) परियोजनाओं और सुरक्षा पर सहयोग पर चर्चा की.

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अनवर के साथ बैठक के दौरान शी ने कहा,”चीन, मलेशिया के साथ एशियाई सभ्यताओं को बढ़ावा देने, रणनीतिक स्वतंत्रता और पूर्वी एशिया सहयोग की मूल आकांक्षा को बनाए रखने, दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान) की केंद्रीयता का समर्थन करने, शीत युद्ध की मानसिकता और अलग अलग कैंप के बीच टकराव और संयुक्त रूप से एकजुटता के लिए तैयार है.”

जिस समय शी ने विश्व नेताओं से मुलाकात की, प्रधानमंत्री ली कियांग बोआओ फोरम में व्यस्त थे.

ली ने बोआओ फोरम को संबोधित करते हुए कहा, “एशिया में अधिक सफलता प्राप्त करने के लिए, एशिया में अराजकता और संघर्ष नहीं होना चाहिए. अन्यथा, भविष्य खराब हो जाएगा.”

ली ने दुनिया को यह संदेश देने की कोशिश की कि चीन की आर्थिक वृद्धि मजबूत बनी हुई है और देश व्यापार के लिए खुला है.

इस बीच, अलीबाबा के संस्थापक जैक मा को कई महीनों बाद पहली बार चीनी मैनलैंड में देखा गया था, इस बात का संकेत देते हुए कि तकनीकी उद्यमियों के खिलाफ बीजिंग की कार्रवाई रुक सकती है – कम से कम अभी के लिए.

ताइवान इस सप्ताह दो हाई-प्रोफाइल यात्राओं के कारण अंतरराष्ट्रीय समाचारों में था. राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन की न्यूयॉर्क यात्रा और पूर्व राष्ट्रपति मा यिंग-जोउ की चीनी मेनलैंड की यात्रा को लेकर ताइवान स्ट्रेट में भविष्य में संभावित तनावों को लेकर सबकी अलग-अलग राय थी.

न्यूयॉर्क में थोड़ी देर रुकने के बाद, त्साई ग्वाटेमाला में पहुंची जो कि ताइवान के केवल 13 आधिकारिक राजनयिक सहयोगियों में से एक है.

त्साई संभवतः दक्षिण अमेरिका से वापस लौटते वक्त रास्ते में कैलिफोर्निया में अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष केविन मैकार्थी से मिलेंगी, जो ताइवान स्ट्रेट में कुछ सैन्य तनाव को बढ़ा देगा.

इस बीच, मा यिंग-जोउ की यात्रा एक व्यक्तिगत यात्रा के रूप में शुरू हुई, लेकिन चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के ताइवान वर्क ऑफिस के प्रमुख सोंग ताओ के साथ बैठक करने के बाद यह एक राजनीतिक कार्यक्रम में बदल गई.


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दुनिया की सुर्खियों में चीन

जैसे ही पूर्वी लद्दाख में हिमालय की चोटियों पर बर्फ पिघलती है, सैनिकों की तैनाती धीरे-धीरे शुरू हो जाती है. अमेरिकी अधिकारियों ने भारत-चीन सीमा गतिरोध पर ध्यान केंद्रित किया है क्योंकि एक नई रिपोर्ट लद्दाख सैन्य तनाव में अमेरिका की हिस्सेदारी को रेखांकित करती है.

अमेरिकी राष्ट्रपति के डिप्टी असिस्टेंट और इंडो-पैसिफिक के समन्वयक कर्ट कैंपबेल ने कहा, “चीन ने 5,000 मील की इस विशाल सीमा के साथ जो कुछ कदम उठाए हैं, वे भारतीय भागीदारों और दोस्तों को भड़काने वाले और चिंताजनक थे.”

भारत-चीन सीमा पर बढ़ते तनाव के बारे में अमेरिकी अधिकारियों की चिता जाहिर करने के साथ-साथ, एक नई रिपोर्ट ने अप्रैल 2020 में लद्दाख गतिरोध शुरू होने के बाद से अमेरिका द्वारा भारत को दिए गए समर्थन पर प्रकाश डाला है.

सेंटर फॉर न्यू अमेरिकन सिक्योरिटी की रिपोर्ट में कहा गया है, “संयुक्त राज्य अमेरिका ने दो एमक्यू-9बी निगरानी ड्रोन और बेहद ठंडे मौसम की स्थिति के लिए विशेष तरह के कपड़े/वर्दी सहित सूचना और खुफिया जानकारी व उपकरणों की त्वरित डिलीवरी प्रदान की है.”

वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ सीमा विवादों के बारे में होने वाली बातें सप्ताह के दौरान लद्दाख क्षेत्र तक ही सीमित नहीं रहीं.

भूटान के प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग ने बेल्जियम के समाचार पत्र ला लिब्रा बेल्गिक के साथ एक साक्षात्कार में टिप्पणी की है, जिसने डोकलाम क्षेत्र पर चीन के दावे के बारे में एक तीखी बहस शुरू कर दी है.

त्शेरिंग ने ला लिब्रे बेल्गिक को बताया, “डोकलाम भारत, चीन और भूटान के ट्राइजंक्शन पर है. समस्या को हल करना अकेले भूटान पर निर्भर नहीं है.” कुछ मीडिया आउटलेट्स ने चीन को ट्राइजंक्शन क्षेत्र विवाद में एक पार्टी बनाने पर कहा कि भूटान की स्थिति में बदलाव आया है.

भारत का कहना है कि ट्राइजंक्शन क्षेत्र पर विवाद नई दिल्ली और थिम्पू के बीच है, जिसमें बीजिंग एक पक्षकार (पार्टी) नहीं है.

त्शेरिंग ने यह भी कहा है कि भूटान गैर-डोकलाम क्षेत्रों में एक रेखा खींच सकता है जहां थिम्पू का बीजिंग के साथ विवाद है.

साक्षात्कार में त्शेरिंग ने कहा, “एक या दो और बैठकों के बाद, हम शायद एक रेखा खींचने में सक्षम होंगे.”

एक ट्विटर पोस्ट में, तिब्बत विज्ञानी रॉबर्ट बार्नेट ने क्षेत्रीय विवादों पर भूटान की पूर्व घोषित स्थिति की जांच करके त्शेरिंग की टिप्पणियों को समझने की कोशिश की.

2020 के एक लेख में, इस लेखक ने पूर्व के मटीरियल का उपयोग यह तर्क देने के लिए किया कि ट्राइजंक्शन क्षेत्र पर विवाद, जिसे लोकप्रिय रूप से ‘डोकलाम बाउल’ के रूप में जाना जाता है, सिक्किम साम्राज्य और भूटान साम्राज्य के बीच था. सिक्किम पैलेस के अभिलेखागार (आर्काइव्ज़) में एक दस्तावेज़ में सिक्किम के राजा और भूटान के राजा के बीच जिपमोची पहाड़ी तक पहुंचने के अधिकारों पर एक चर्चा के बारे में जिक्र है, जहां डोकलाम का कटोरा स्थित है.

चीनी विशेषज्ञों ने त्शेरिंग की टिप्पणी को बीजिंग की जीत बताया है.

चाइनीज एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज के इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रंटियर अफेयर्स के तिब्बत रिसर्च ऑफिस झांग योंगपान ने कहा, “भूटान ने महसूस किया है कि दक्षिण एशिया में भारत का आधिपत्य भूटान के विकास के लिए अनुकूल नहीं है.”

भूटानी प्रधानमंत्री की टिप्पणी से जुड़े विवाद ने चीनी सोशल मीडिया पर चर्चा शुरू कर दी है.

हैशटैग “भूटान के प्रधानमंत्री ने कहा कि वह चीन और भूटान के बीच सीमा संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार हैं” को वीबो पर 860, 000 से अधिक बार देखा गया.

चीनी सोशल मीडिया पर टिप्पणीकारों ने भी बीजिंग के क्षेत्रीय विवाद के लिए एक सफलता के रूप में त्शेरिंग की टिप्पणी की सराहना की है.

अब, पीएम ने यह कहकर अपनी स्थिति स्पष्ट करने का प्रयास किया है कि भूटान की आधिकारिक स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है. हो सकता है कि भूटान त्शेरिंग की टिप्पणियों के नतीजों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहा हो, लेकिन नुकसान पहले ही हो चुका होगा.

पिछले तीन वर्षों में भारत और चीन के बीच उच्च स्तरीय राजनयिक संबंध का काफी कम हो गए हैं.

चीन के नए रक्षा मंत्री ली शांगफू के अप्रैल में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षामंत्री की बैठक के लिए नई दिल्ली आने की संभावना है.

इस सप्ताह अवश्य पढ़ें

हाउ टू आउट-डिटेक्टर चाइना – जोएल वुथनोव

चायना ट्रूस बिद बिजनेस – फॉर नाउ – जो लेही, रयान मैककोरो, थॉमस हेल और एड व्हाइट

इंडिया-चायना बॉर्डर टेंशन एंड यूएस स्ट्रेटजी इन इंडो-पैसिफिक – लिसा कर्टिस और डेरेक ग्रॉसमैन

पॉडवर्ल्ड

चीन-पाकिस्तान सैन्य संबंध भारत और दुनिया भर में सार्वजनिक चर्चा का विषय रहा है. द्विपक्षीय संबंधों का सैन्य गठबंधन में बदलना एक खुला प्रश्न बना हुआ है. चाइनापावर पॉडकास्ट के एक एपिसोड में सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के बोनी लिन ने चीन-पाकिस्तान साझेदारी के विकास पर यूनाइटेड स्टेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ पीस के वरिष्ठ विशेषज्ञ समीर पी. लालवानी से बात की. चायनास्कोप बातचीत सुनने की सलाह देता है.

[लेखक स्तंभकार और स्वतंत्र पत्रकार हैं, फिलहाल लंदन विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ ओरिएंटल ऐंड अफ्रीकन स्टडीज (एसओएएस) से चीन केंद्रित अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में एमएससी कर रहे हैं. वे पहले बीबीसी वर्ल्ड सर्विस में चीन के मीडिया पत्रकार थे. उनका ट्विटर हैंडल @aadilbrar है. व्यक्त विचार निजी हैं]

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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