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Thursday, 28 March, 2024
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बाइडन और शी ने बाली में हाथ मिलाया, पर जाहिर किया कि एक दूसरे को कमजोर करना नहीं बंद करेंगे

चीन ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर कुछ भी नहीं कहा, लेकिन इसमें शक नहीं कि बीजिंग यूक्रेन में रूसी फौज के निराशाजनक प्रदर्शन को लेकर असहज है.

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इंडोनेशिया के बाली में जी-20 शिखर सम्मेलन, मुश्किल दौर में तनावपूर्ण स्थितियों से गुजर रहे अंतरराष्ट्रीय सहयोग का छोटा रूप है. सम्मेलन का सबसे बड़ा आकर्षण अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात थी, जिसकी पटकथा शिद्दत से तैयार की गई थी. इस द्विपक्षीय मुलाकात को ‘मुस्कुराहट के लिए खींचतान’ से बेहतर और कुछ नहीं कहा जा सकता है. बाली के मुलिया होटल में जहां बाइडन और शी की मुलाकात हुई वहां उस छोटे रूप के लिए आज जारी ‘दोध्रुवीय विश्व व्यवस्था’ का खास मौका था. मुलाकात तकरीबन तीन घंटे चली और उसमें अमेरिका-चीन रिश्तों के सबसे चुनौतीपूर्ण मुद्दे शामिल थे. मुश्किल में फंसे रिश्ते में फिर जान डालने के लिए बाइडन के शी के साथ व्यक्तिगत रिश्ते पर खासा जोर दिया गया, जो कि 11 साल पुराने हैं.

लेकिन शी अगर यह प्रचार करने में कामयाब हो सकते हैं कि बीजिंग अलग-थलग नहीं है और सबसे बातचीत चाहता है.

चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीबो पर हैशटैग ‘चीनी और अमेरिकी राष्ट्रपति की बाली में मुलाकात’ कुछ देर के लिए नंबर एक पर ट्रेंड कर रहा था और उसे 31 करोड़ बार से अधिक देखा गया था. चीनी सर्च इंजन बायदू पर ‘बाली में चीनी और अमेरिकी नेताओं की बैठक के 10 मिनट का वीडियो’ नंबर एक पर ट्रेंड कर रहा था. इससे शी के लिए बैठक की अहमियत का अंदाजा लगता है.

बहुत कुछ कहते हैं बैकग्राउंड के सीन

यह बहुत से लोगों को अजीब लग सकता है लेकिन शी जिनपिंग कभी-कभार ही वीचैट और वीबो जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर पब्लिश किए गए बड़े फोटो-ऑप्स में दिखते हैं. सिना वीबो, वीचैट या बिलिबिली पर ‘झुक्सी शी जिनपिंग’ (主席习近平 ) का सर्च करके इसकी पुष्टि की जा सकती है, जहां शी के बारे में सीमित संख्या में सर्च मिलेगा.

बस एक अपवाद है, चीनी सेंसर ने बाइडन के साथ मुस्कुराते और हाथ मिलाते हुए शी के फोटो की अनुमति दी – जिसे वीबो पर पीपुल्स डेली ने भी साझा किया. बाली में बाइडन के साथ बैठक के महत्व के मद्देनजर, इस मौके पर शी के हाथ मिलाने से उनके प्रयास में कामयाबी मिली.

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बाली में, अमेरिका और चीन ने कड़वे रिश्ते में कुछ मिठास घोलने की कोशिश की और इसके बजाय खुद को अपने ‘मूल हितों’ की बात में उलझा पाया. बाइडन और शी का करीने से तैयार किया गया हाथ मिलाने का फोटो, तेजी से सिकुड़ती ‘साझा जमीन’ की बात पर आ टिका.

असल में तनाव का पैमाना तो सम्मेलन के बाहर की वारदात से ज़ाहिर हुआ. न्यूज वालों ने पूछा कि क्या बाइडन मानवाधिकारों के बारे में शी के साथ बात करेंगे, तो एक कथित चीनी अधिकारी ने उन्हें पीछे से खींच लिया. उस कथित घटना के चश्मदीद, ह्वाइट हाउस रिपोर्टर्स के मुताबिक, ‘फौरन चीनी पक्ष के किसी ने पत्रकार को अपनी पीठ से पीछे की ओर झटका दिया. वह गिरते-गिरते बची और उसे दरवाजे की ओर धकेल दिया गया.’

बाइडन ने शी के साथ अपनी मुलाकात को ‘एक-दूसरे के साथ एकदम दो-टूक’ जैसा बताया. लेकिन हाथ मिलाने की दिखावटी घटना के अलावा शायद ही कुछ था.

शी ने बाइडन के साथ बैठक के दौरान कहा, ‘चीन अमन-चैन की स्वतंत्र विदेश नीति का दृढ़ता से पालन करता है, हमेशा मामले की खासियत को देखकर अपनी स्थिति और रवैया तय करता है, बातचीत और सलाह-मशविरे की वकालत करता है, विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की वकालत करता है, वैश्विक साझेदारी को गहरा और विस्तार करता है, और संयुक्त राष्ट्र-केंद्रित अंतर्राष्ट्रीय तंत्र और अंतर्राष्ट्रीय कानून पर आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की रक्षा में खड़ा रहता है, और मानव जाति के साझा भविष्य को ध्यान में रखकर एक समुदायिक भावना के निर्माण को बढ़ावा देता है.’

शी ने क्वाड सिक्योरिटी डायलॉग और चीन को चुनौती देने के लिए दूसरी व्यवस्थाओं के अमेरिका के इस्तेमाल पर अपनी परेशानी की ओर इशारा करते हुए बाइडन की चीन नीति पर सीधा कटाक्ष किया. एक मौके पर तो शी की टिप्पणियां एकदम स्पष्ट थीं.

शी ने जी-20 में अपने संबोधन में कहा, ‘किसी को भी पड़ोसी-भिखारी जैसे जुमलों को नहीं उछालना चाहिए, ‘ऊंची चारदीवारी वाले छोटे दायरे’ बनाने या बंद दरवाजों वाले खास क्लब बनाने में नहीं उलझना चाहिए.’


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दरारें कायम

अमेरिका और चीन की होड़ को शतरंज की बाजी से बेहतर ढंग से समझा जा सकता है. दोनों ही इस पक्की धारणा के साथ चाल चल रहे हैं कि दूसरा उसकी शह को मात देने की कोशिश करेगा. दोनों एकदम अविश्वास भरे वातावरण में चालें चल रहे हैं. इसलिए, कूटनीतिक बातचीत में दोहराव बेतुका लग सकता है लेकिन स्थिरता बनाए रखने के लिए ज़रूरी है.
शी की ‘तकनीकी युद्ध’ के बारे में टिप्पणी हुआवेई और सेमीकंडक्टर उद्योग के खिलाफ अमेरिका के लक्षित निशानों के साथ-साथ प्राथमिक नवाचारों में आत्मनिर्भर बनने में अक्षमता पर उनकी गहरी निराशा को दर्शाती है.

राष्ट्रपति बाइडन ने हाल ही में सेमीकंडक्टर टेक्नॉलजी तक चीन की पहुंच को रोकने के उपायों की घोषणा की, जो पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हर उपाय से आगे का कदम है.

ग्लोबल टाइम्स में चायनीज़ में छपे एक ऑप-एड में लिखा गया, ‘जब राष्ट्रपति बाइडन ने कुर्सी संभाली, तो उन्होंने वादा किया था कि चीन के प्रति उनके विचार ट्रंप वाले ‘हमारे साथ नहीं, तो हमारे खिलाफ हैं’ की नहीं होगी. लेकिन, इसके विपरीत अब वे अमेरिकी पार्टनरों को गहराते वैश्विक टेक्नॉलजी टकराव में पक्ष चुनने को मजबूर कर रहे हैं.’

चीनी अधिकारी देखते हैं कि सेमीकंडक्टर टेक्नॉलजी जैसे पहले के गैर-राजनीतिक क्षेत्रों में तनाव को कम करने के सीमित दायरे का भी राजनीतिकरण हो गया है. चीनी सरकारी मीडिया ने बाइडन के कड़े सेमीकंडक्टर मानकों के ऐलान को अमेरिका की ‘दादागीरी’ बताया.

चाइना डेली में बिना बाइलाइन वाले अंग्रेजी संपादकीय में लिखा गया, ‘लेकिन बाइडन ने मध्यावधि चुनावों में अपनी पार्टी के प्रदर्शन के बाद सम्मेलन में आने के साथ कहा कि ‘मुझे पता है कि मैं ताकतवर बनकर आया हूं’, इसलिए पुरानी बातें फिर हावी हो जाएं, उसके पहले सही दिशा में जाने के मौके कम हो जा सकते हैं. वाशिंगटन अपनी चीन नीति में बदलाव में जितनी देर करेगा, उसके लिए होड़ लेने की बाजी में दांव उतना ही ऊंचे हो जाएंगे.’


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एक-दूसरे की ताकत को कम करने की कोशिश

अमेरिका और चीन एक-दूसरे के भू-राजनीतिक बढ़त को मात देने की कोशिश कर रहे हैं और तथाकथित लक्ष्मण रेखाएं, या मौलिक हित धुंधले पड़ने लगे हैं. मात देने की चाल वर्षों से बीजिंग का पसंदीदा हथियार रही है, और इधर वॉशिंगटन ने उसकी कुछ नकल कर ली है.

अंतर्निहित तनाव के बावजूद, बाइडन ने शी को यह कहकर आश्वस्त करने का प्रयास किया कि वाशिंगटन बीजिंग के मूल हितों में हस्तक्षेप नहीं करेगा, जैसे कि ‘ताइवान की स्वतंत्रता’ का समर्थन नहीं करेगा.

चीन की सरकारी मीडिया में बाइडन का जिक्र किया गया, ‘अमेरिका, चीन के सिस्टम का सम्मान करता है, चीन के सिस्टम में बदलाव की मांग नहीं करता, ‘नया शीत युद्ध’ नहीं चाहता, सहयोगियों के साथ गठजोड़ मजबूत करके चीन का विरोध नहीं करना चाहता, ‘ताइवान स्वतंत्रता’ का समर्थन नहीं करता, और ‘दो चीन’ और ‘एक चीन, एक ताइवान’ का समर्थन नहीं करता.’

लेकिन यह फौरन साफ नहीं हो पाया कि बाइडन ने ‘ताइवान स्वतंत्रता’ को लेकर ठीक यही बात कही थी, जैसा कि चीन की सरकारी मीडिया में चीनी और अंग्रेजी भाषा में इस बात को कहा गया है. यह पहली बार नहीं होगा कि चीन में प्रचार अभियान में बढ़त के लिए बाइडन का गलत तरीके से जिक्र किया गया है.

शी के साथ मुलाकात से पहले वॉशिंगटन का रणनीतिक तालमेल खराब था. अमेरिकी अधिकारियों ने चीनी पक्ष के लिए सहूलियत का माहौल बनाने की कोशिश की, ताकि वे ऊंचे दांव वाली बैठक में कुछ समझौते करने को तैयार हो जाएं.
नाम न जाहिर करने की शर्त पर एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा, ‘मुझे लगता है कि रूस की ओर से लापरवाह बयानबाजी और गतिविधि के संदर्भ में हमने जो कुछ देखा है, उसके बारे में बीजिंग कुछ असहज है.’

द वॉल स्ट्रीट जर्नल की खबर के मुताबिक, एक अमेरिकी अधिकारी ने नॉम पेन्ह में आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान चीनी प्रधानमंत्री ली केकियांग की टिप्पणियों का हवाला दिया. लेकिन चीनी अधिकारी शायद व्यक्तिगत बातचीत में जो कहते हैं, वह विदेश मंत्रालय की सार्वजनिक रवैए के उलट हो सकता है, जो दुनिया को चीन-रूस संबंधों की स्थिरता के बारे में आश्वस्त करना चाहता है.

जानकारों और समीक्षकों को गौर करना चाहिए कि चीन ने रूस-यूक्रेन के बारे में एक भी आधिकारिक आख्यान पेश नहीं किया है और इसलिए, किसी एक टिप्पणी से मास्को के साथ संबंधों पर झोंगनहाई के दीर्घकालिक दृष्टिकोण को भांपने की कोशिश में भारी जोखिम है जिससे हमें बचना चाहिए. लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि यूक्रेन में रूसी सेना के निराशाजनक प्रदर्शन से बीजिंग असहज है.

फिर चीनी अधिकारियों ने बाली में शो-ऑफ से पहले अपने अनुकूल कहानी लीक करके अमेरिकी अधिकारियों के लीक का जवाब दिया.

एक चीनी अधिकारी के हवाले से फाइनेंशियल टाइम्स के मुताबिक, “फरवरी में मुलाकात के दौरान यूक्रेन युद्ध की अपनी योजनाओं के बारे में ‘पुतिन ने शी को सच नहीं बताया.’ चीनी पक्ष की लीक से पता चलता है कि बीजिंग में कुछ लोग रूस-यूक्रेन युद्ध पर अमेरिका की ‘आंख से आंख मिलाने’ को तैयार हो सकते हैं.”

बाइडन के अलावा, शी ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस के साथ भी द्विपक्षीय बैठकें कीं, जिसके दौरान दोनों नेताओं ने यूक्रेन युद्ध के खत्मे के लिए शी पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने का दबाव डाला.

बैठक समाप्त हुई, तो बाइडन और शी ने अपने-अपने अधिकारियों से बाली में हुई चर्चा को आगे बढ़ाने को कहा. बाली में दोनों पक्षों के बीच जिस सीमित आम सहमति पर सहमति बनी, उस पर अमल का जिम्मा फिर अमेरिकी विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकेन और चीनी विदेश मंत्री, शायद वांग यी, पर आ टिकेगा.

बाली शिखर सम्मेलन का मुख्य निष्कर्ष यही था कि अमेरिका और चीन अल्पावधि में टकराव से बच सकते हैं, लेकिन एक-दूसरे की ताकत को मात देना नहीं छोड़ेंगे.

(लेखक स्तंभकार और स्वतंत्र पत्रकार हैं, फिलहाल लंदन विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ ओरिएंटल ऐंड अफ्रीकन स्टडीज (एसओएएस) से चीन केंद्रित अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में एमएससी कर रहे हैं, वे पहले बीबीसी वर्ल्ड सर्विस में चीन के मीडिया पत्रकार थे. उनका ट्विटर हैंडल @aadilbrar है. व्यक्त विचार निजी हैं)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(अनुवादः हरिमोहन मिश्रा)


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