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Saturday, 14 December, 2024
होममत-विमतशी जिनपिंग देख रहे थे, गार्ड्स ने जबरन पूर्व राष्ट्रपति हू जिंताओ को किया बाहर; वजह बनी रेड फोल्डर

शी जिनपिंग देख रहे थे, गार्ड्स ने जबरन पूर्व राष्ट्रपति हू जिंताओ को किया बाहर; वजह बनी रेड फोल्डर

रेड फोल्डर में शायद स्टैंडिंग कमेटी और पोलिब्यूरो के लिए प्रस्तावित नामों की सूची थी, हू की शायद अंतिम सूची पर कुछ आपत्ति थी.

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राष्ट्रपति शी जिनपिंग और नई पोलित ब्यूरो स्टैंडिंग कमेटी यनान पहुंची. मतलब कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी या सीसीपी में संघर्ष लाजिमी है. बीजिंग ने नया प्रोपेगेंडा प्रमुख चुना. पूर्व राष्ट्रपति हू जिंताओ की गुमशुदगी पर रहस्य और गहराया. मैड्रिड से एथेंस तक पचास चीनी पुलिस थानों की पहचान की गई. वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अंदरूनी सूत्रों के हवाले से हुआवेई की एक्जीक्यूटिव मेंग वनझोउ की नजरबंदी और दो कनाडाई नागरिकों की अदला-बदली की खबर छापी. चीन का पूर्वी लद्दाख में सडक़ों का निर्माण जारी है. चाइनास्कोप में चीनी राजनीति में अपेक्षाकृत शांत सप्ताह की खबरें.

हफ्ते भर चीन

शी जिनपिंग 22 अक्टूबर को बीजिंग में 20वीं पार्टी कांग्रेस के समापन के बाद अपनी शीर्ष नेतृत्व टीम को शानक्सी प्रांत के यनान की पहली यात्रा पर ले गए.

आधुनिक चीन के इतिहास और सीसीपी के उदय में यनान का विशेष महत्व है.

यनान में सीसीपी के अध्यक्ष माओ त्से तुंग और उनके सहयोगियों ने चीन-जापान युद्ध और चीन में गृहयुद्धों के दौरान सैन्य कार्रवाई के समन्वय के लिए कमांड बेस स्थापित किया था. 1930 और 1940 के दशक में भारी उथल-पुथल के दौर में यनान लगभग 13 वर्षों तक तेजी से उभरती सीसीपी की गतिविधियों का केंद्र बना रहा. यनान में शी ने कहा, ‘यनान रिवोल्यूशनरी साइट चीनी क्रांति के नेतृत्व और उस दौर में मार्क्सवाद के चीनीकरण की तलाश में गौरवशाली मुकाम है.’
शी के लिए शानक्सी प्रांत कोई अपरिचित जगह नहीं है.

शी ने कहा, ‘मैं यनान क्षेत्र में सात साल तक रहा हूं और काम किया है और मेरे दिल में इसकी खास जगह है. मेरे पिता की पीढ़ी भी यहीं से निकली है, इसलिए मैं इस क्षेत्र से काफी परिचित हूं.’

साम्यवाद की जड़ें मजबूत करने के लिए चीन में 1969-1975 के दौरान चले सामाजिक-राजनैतिक आंदोलन सांस्कृतिक क्रांति के दौर में शी जिनपिंग को शानक्सी में एक कृषि कम्यून में भेज दिया गया था.

मौजूदा यात्रा से शी ने संकेत दिया कि चीन में एक बार फिर उसी तरह का संघर्ष का दौर देखा जा सकता है, जैसा चेयरमैन माओ के दौर में पिछले ‘क्रांतिकारियों’ ने किया था.

हालांकि एक साथ यनान की यात्रा कोई असामान्य नहीं है. शी 2017 में नई चुनी गई स्थायी समिति को शंघाई ले गए थे, जो 1921 में पार्टी कांग्रेस का पहला अधिवेशन हुआ था. 2012 में, वे अपनी टीम को बीजिंग में एक प्रदर्शनी में ले गए थे.

इस बीच, पिछले सप्ताह पार्टी अधिवेशन के समापन के बाद महत्वपूर्ण पार्टी के पदों पर नियुक्तियां शुरू हो गईं.
फिलहाल प्रचार विभाग के प्रमुख ली शुलेई को प्रोपेगेंडा विभाग का प्रमुख चुना गया है. प्रचार या प्रोपेगंडा विभाग सीसीपी की संचार-संवाद तंत्र का शिखर है. वह संगीत, फिल्म, समाचार और सोशल मीडिया के जरिए उनके विचारों के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.

दूसरे अहम पदों पर भी भर्ती हो गई है.

चाइनीज एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज के पूर्व अध्यक्ष शी ताइफेंग को यूनाइटेड फ्रंट वर्क डिपार्टमेंट का प्रमुख चुना गया है. युनाइटेड फ्रंट वर्क डिपार्टमेंट सीसीपी के टूलबॉक्स में एक और महत्वपूर्ण औजार है, जो दुश्मनों को विभाजित रखने की चाल चलता है.

लोगों के जेहन में अभी वह घटना ताजा है, जब 20वीं पार्टी कांग्रेस के समापन समारोह से पूर्व राष्ट्रपति हू जिंताओ को जबरन खींचकर बाहर ले जाया गया.

जानकार इस पर एक राय है कि हू को इसलिए नहीं ले जाया गया क्योंकि वे बीमार थे, बल्कि इसलिए कि उनके सामने वे रेड फोल्डर खोलने की कोशिश कर रहे थे. स्टैंडिंग कमेटी के पूर्व सदस्य ली झांशु को हू को फोल्डर न खोलने के लिए मनाते देखा जा सकता था, जिसे वे लगातार खोलने की कोशिश कर रहे थे.

तभी शी ने हस्तक्षेप किया. उन्होंने अपने निजी सुरक्षा गार्ड से हू को बाहर ले जाने को कहा.

हम नहीं जानते कि फोल्डर में क्या था, लेकिन फोल्डर में बंद कागजों में स्टैंडिंग कमेटी और पोलितब्यूरो के सदस्यों के संभावित नामों की शायद सूची थी. हू को शायद नामों की अंतिम सूची से कुछ असहमति हो सकती थी. शी को हू के व्यवहार से असहज महसूस कर रहे थे, सो, उन्होंने फैसला किया कि पार्टी कांग्रेस के अंतिम चरण की कार्यवाही से हू को बाहर बैठाना बेहतर होगा.

हू और उनके बेटे, हू हाइफेंग को चीनी सोशल मीडिया से सेंसर कर दिया गया है. इशारा यह है कि हू शायद लाल फोल्डर की अंतिम सूची में अपने बेटे का नाम न होने से परेशान हो सकते हैं.

उस घटना के बाद से हू को अभी तक कहीं देखा नहीं गया है.

पिछले कुछ हफ्तों से तिब्बत में कोविड -19 प्रतिबंध खबरों से गायब है, लेकिन लोग स्थानीय अधिकारियों की हरकतों से नाराज हैं.

ल्हासा में 26 अक्टूबर को प्रवासी चीनी श्रमिकों के तिब्बत छोडऩे पर लगाए गए प्रतिबंधों को लेकर विरोध प्रदर्शन के वीडियो ट्विटर पर वायरल हैं.


यह भी पढ़ें: CCP की 20वीं कांग्रेस में नीतिगत बदलाव के संकेत नहीं, शी बने रह सकते हैं 2032 तक चेयरमैन


विश्व खबरों में चीन

लोग शायद कनाडा में हुआवेई की सीएफओ मेंग वानझोउ की हिरासत को भूलने लगे हैं. लेकिन द वॉल स्ट्रीट जर्नल में कनाडा और चीन के बीच मेंग की रिहाई के बदले दो कनाडाई नागरिकों, माइकल स्पावर और माइकल कोवरिग को छोडऩे पर बातचीत के विशेष ब्यौरे छपे हैं, जो जासूसी के आरोप में चीन में बंद हैं.

वॉल स्ट्रीट जर्नल ने खुलासा किया, ‘शी ने मेंग के मामले के बारे में 100 से अधिक नोट लिखे, और उन्होंने दो अमेरिकी राष्ट्रपतियों के साथ दोनों माइकल पर चर्चा की. शी ने मेंग की रिहाई से पहले उन्हें छोडऩे से मना कर दिया. कनाडा बीच में फंस गया है.’

वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट से पता चलता है कि चीन में सार्वजनिक सुरक्षा मंत्रालय के पास शी के लिए कनाडाई लोगों की सूची तैयार थी, और उन्हें केवल दो नाम चुनने थे. उनमें दोनों माइकल बदकिस्मत साबित हुए.

वॉल स्ट्रीट जर्नल के पास तीन देशों के राजनयिकों के जरिए शी, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रुडो के बीच हुई बातचीत का पूरा ब्यौरा उपलब्ध है.

मैड्रिड या ग्लासगो की सडक़ों पर घूमते हुए, आप चीनी पुलिस थानों के होने की उम्मीद नहीं कर सकते, लेकिन आप यह सुनकर हैरान रह जाएंगे कि इन ग्लोबल शहरों में 54 पुलिस स्टेशन चीन के प्रांतीय पुलिस विभाग द्वारा संचालित हैं.

सितंबर में, स्पेन के मानवाधिकार एनजीओ सेफगार्ड डिफेंडर्स ने दुनिया भर में 54 पुलिस ‘सर्विस स्टेशनों’ के बारे में एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जो विदेशों में चीनी नागरिकों पर नजर रखने की कोशिश करते हैं, ताकि कुछ को चीन लौटने के लिए राजी किया जा सके. उस रिपोर्ट पर अंतत: मीडिया का ध्यान गया, और नीदरलैंड और कनाडा में स्थानीय अधिकारी अपने क्षेत्र में चीनी पुलिस स्टेशनों की मौजूदगी की जांच कर रहे हैं.

चीनी छात्रों से लेकर श्रमिकों तक व्यक्तिगत और व्यावसायिक कारणों से शी के चीन से बचने के तरीकों की तलाश कर रहा है. लेकिन चीन की मुख्य भूमि से बच निकलने का मतलब यह नहीं है कि आपने देश पीछे छोड़ दिया है क्योंकि चीनी पुलिस की दबिश प्रमुख यूरोपीय और एशियाई शहरों में पहले से ज्यादा बढ़ गई है.

चीनी विदेश मंत्रालय ने इन ‘सर्विस स्टेशनों’ की मौजूदगी से इनकार नहीं किया है और कहा है कि ये स्टेशन ‘विदेश में चीनी नागरिकों की मदद’ के लिए हैं.

द हिंदू के अनुसार, सर्दियों के शुरू होते ही पूर्वी लद्दाख में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) अपनी चौकियों पर जमे रहने के लिए तंबू गाड़ रही है.

द हिंदू ने सूत्रों का हवाले लिखा, ‘पिछले दो महीनों में बड़ी संख्या में टेंट, शेड और आवास बनाए गए हैं, और निर्माण का काम जारी है. ऐसा ही कुछ निर्माण रणनीतिक उप-क्षेत्र उत्तर (एसएसएन) के पास देखा गया है.’

यहां तक कि स्पैंगगुर झील और पैंगोंग झील क्षेत्र में भी शांति नहीं हैं क्योंकि नई सडक़ें बनाई जा रही हैं.
द हिंदू ने खबर की, ‘अधिकारियों ने बताया कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) स्पैंगगुर त्सो के पास अपनी कमजोरी को दुरुस्त करने की कोशिश में यह कर रही है, जैसा कि अगस्त 2020 के अंत में पैंगोंग त्सो के दक्षिणी तट पर भारी तनाव के दौरान देखा गया था जब भारतीय सेना कैलाश रेंज की चोटियों पर टैंक और सैनिक लेकर पहुंच गई थी, जिससे स्पंगगुर दर्रे का पूरा नजारा दिखाई देता है.’

20वीं पार्टी कांग्रेस के समापन के साथ, नई दिल्ली में बीजिंग के राजदूत का कार्यकाल समाप्त हो गया. सन वेइदॉन्ग जल्द ही दिल्ली में अपना पद छोड़ देंगे, और नया राजदूत नियुक्त किया जाएगा.

इस हफ्ते क्या पढ़ें

एक्जिट स्टेज राइट: चीन के राजनीतिक परिदृश्य से हू जिंताओ की हैरानगी भरी विदाई – चाइना हेरिटेज

फाइव फर्म ग्रास्प्स फॉर द वल्र्ड – चाइना मीडिया प्रोजेक्ट

विशेष रिपोर्ट: वांग यी ने रूसी, सऊदी नेताओं को फोन किया क्योंकि बीजिंग ओपेक की उत्पादन कटौती के हम में है – चाइना-रशिया रिपोर्ट

इस हफ्ते विशेषज्ञ

शंघाई इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल स्टडीज (एसआईआईएस) के वरिष्ठ फेलो तथा दक्षिण एशिया और चीन केंद्र महासचिव ली जोंगीई ने गुआंचा के साथ एक साक्षात्कार में कहा, ‘जॉनसन, ट्रस और सुनक के लिए, ब्रिटिश कूटनीति में भारत के साथ संबंधों को बढ़ावा देना प्राथमिकता थी. दरअसल भारत के साथ ब्रिटिश संबंधों को मजबूत करना अन्य यूरोपीय देशों के साथ भारत से रिश्ते मजबूत करने जैसा ही है.

वे अब खासकर रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर, अपने बाहरी रणनीतिक तालमेल पर जोर दे रहे हैं. चीन उनके बाहरी रणनीतिक तालमेल पर खास असर डालता है. ब्रिटेन के लिए, निश्चित रूप से, यह ब्रेक्सिट के बाद अपने बाहरी रणनीतिक तालमेल को बढ़ाने का मौका है. वह एशिया-प्रशांत क्षेत्र पर विशेष ध्यान दे रहा है, जो जाहिरा तौर पर दुनिया की राजनीतिक अर्थव्यवस्था के गुरुत्वाकर्षण का केंद्र है.’

(लेखक स्तंभकार और फ्रीलांस पत्रकार हैं, फिलहाल लंदन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओरिएंटल ऐंड अफ्रीकन स्टडीज (एसआऐएस), से चीन पर फोकस वाली अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एमएससी कर रहे हैं. वे पहले बीबीसी वर्ल्ड सर्विस में चीन के मीडिया पत्रकार थे. उनका ट्विटर हैंडल @aadilbrar है. व्यक्त विचार निजी हैं.)

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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