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Thursday, 21 November, 2024
होममत-विमतCCP की 20वीं कांग्रेस में नीतिगत बदलाव के संकेत नहीं, शी बने रह सकते हैं 2032 तक चेयरमैन

CCP की 20वीं कांग्रेस में नीतिगत बदलाव के संकेत नहीं, शी बने रह सकते हैं 2032 तक चेयरमैन

सीसीपी के नेताओं ने जिन्होंने शी जिनपिंग को 2007 में इसलिए चुना था कि उन्हें लगता था कि उन्हें आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है वे 20वीं कांग्रेस के दौरान बैठकर उन्हें सुनते रहे.

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चीन पर नजर रखने वाले सोमवार को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के चेयरमैन शी जिनपिंग दो घंटे लंबे भाषण के दौरान कान लगाए रहे, ताकि कोई ऐसा नीतिगत संकेत मिले, जिससे अहम बदलाव का पता चले. उनके भाषण की जांच-परख नीतिगत बयानों के लिए की गई, मगर उसमें शी के पिछले दो साल के दौरान किए गए ऐलानों से कोई अहम बदलाव नहीं दिखा.

शी कुछ समय से उथल-पुथल भरी दुनिया में आत्मनिर्भर नीति का अफसाना गढ़ रहे हैं. वे सबसे बड़े संकटमोचन हैं। यह काबिलियत उन्होंने कई वर्षों में हासिल की है.

1980 के दशक की शुरुआत में शी जिनपिंग हेबेई प्रांत में काउंटी पार्टी प्रमुख थे, उस समय उनकी मां की शिन ने प्रांत के पार्टी प्रमुख को एक पत्र लिखी थी कि वे उनके बेटे के करियर का ख्याल रखें.

पार्टी प्रमुख गाओ यांग ने शी की मां की पत्र की बातों को सार्वजनिक कर दिया था तो परिवार को तब शर्मींदगी झेलनी पड़ी थी. लेकिन शी ऐसे कई झटकों से उबरने में कामयाब रहे और खुद के संकटमोचन बने रहे.

चीन के लिए आज अंतरराष्ट्रीय माहौल चुनौतीपूर्ण बना हुआ है. शी अपने देश को अमेरिका की जगह दुनिया की प्रमुख महाशक्ति बनाना चाहते हैं.शी ने तीसरा कार्यकाल हासिल कर लिया है. मतलब यह कि वह 2032 तक सत्ता में बने रहेंगे. शी ने अपने स्पष्ट उत्तराधिकारी को नामजद नहीं किया है, यह शायद उनकी सोची-समझी चाल है कि वे उत्तराधिकारी का ऐलान 2027 में अगली पार्टी कांग्रेस में कर सकते हैं और वे 2032 तक चेयरमैन बने रहेंगे.

उनकी बुलंदी का मंत्र यह है कि हर संकट को चुपचाप देखो और सही समय आने पर चोट करो.


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प्रतिद्वंद्वियों को किनारे लगाना

हू जिंताओ जब चेयरमैन थे तो 2007 में खासकर जियांग जेमिन गुट के 600 लोगों के एक छोटे समूह ने शी को चुना था. सत्ता की बागडोर हू जिंताओ के हाथ भले थी, मगर पार्टी में जियांग जेमिन गुट का दबदबा थी, बाद में शी ने जियांग और उसके सहयोगियों के दबदबे को तोडऩे के लिए सब कुछ किया.

चीनी लेखक तथा विद्वान देंग युवेन ने फॉरेन पॉलिसी में लिखा, ‘उनका मानना था कि कम बोलने वाले और लो-प्रोफाइल वाले शी को काबू में रखना तेजतर्रार बो के मुकाबले आसान होगा. बो आखिरकार 2012 में एक जटिल घोटाले में फंस कर बाहर हो गए. अगर यह सच है तो ऐसा मानने वालों को सिर्फ पछतावा ही हाथ लगा. लेकिन शी के नाम पर समझौता करने वाले पार्टी दिग्गजों में जियांग और ज़ेंग शायद ही अकेले थे.’

जब पार्टी में चोंगकिंग पार्टी के पूर्व सचिव बो शिलाई की पराजय पर चर्चा हुई, तो शी अचानक सक्रिय हो उठे कि उनके प्रतिद्वंद्वियों का चीनी राजनीति से सफाया हो जाए. शी ने आश्वस्त किया कि बो को दंडित किया जाए, जिससे चीन की कम्युनिस्ट पार्टी में एक नया रिवाज शुरू हुआ, क्योंकि पोलित ब्यूरो प्रवर समिति के सदस्यों पर आपराधिक मुकदमे नहीं चलाए जाते थे.

लेकिन शी के दिमाग में साफ था कि विरोधियों को दंडित करना है. टेनिस खिलाड़ी पेंग शुआई के यौन उत्पीडऩ के आरोपों से घिरे पूर्व उप-प्रधानमंत्री झांग गाओली की 20वीं पार्टी कांग्रेस में मौजूदगी बताती है कि शी अपनी मंडली के लोगों की रक्षा करते हैं.

बो शिलाई कांड के बाद शी को ऊपर उठाने में मददगार रहे कुछ बुजुर्ग दिग्गज सोमवार को 20वीं पार्टी कांग्रेस में शी का भाषण सुन रहे थे.

लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि शी का विरोध करने वाले सभी लोगों को खामोश कर दिया गया है. चीनी एलिट वर्ग में कुछ विरोधी चुप्पी साधे हुए हैं, क्योंकि मुंह खोलने पर बदले की कार्रवाई का डर है.

देंग ने अपने लेख में लिखा, ‘शी के समर्थन आधार का मतलब है कि चाहे उनकी ओर से उन्हें कोई चुनौती मिली हो, मगर उनके साथ बदले की कार्रवाई नहीं हुई. उनका अपना ठोस जनसमर्थन भी है, जो खासकर एलिट वर्ग में उनके विरोधियों जैसा ही व्यापक और विविध है. उनके विरोधी बंटे हुए, भयभीत, संगठित होने में असमर्थ भी हैं. उनके पास कोई वैकल्पिक अफसाना भी नहीं है. यानी शी के दुश्मन कई हैं, लेकिन उनके पास औजार भी उतने ही हैं.’

विरोधियों को दंडित करने की शी की शैली चीनी राजनीतिक सिद्धांत की विधि प्रणाली जैसी है, जो उन्हें सम्मान भी दिलाती है और उनका डर भी बनाए रखती है.

अंदरूनी सूत्रों के हवाले से द वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक, शी पोलित ब्यूरो प्रवर समिति (पीबीएससी) में अपने खासमखास को भरने वाले हैं. इससे पता चलेगा कि शी के राज में किसे तोहफा और किसे दंड मिलेगा. हमें नेताओं के फेरबदल के बारे में अधिवेशन के रविवार को खत्म होने पर या उसके बाद पता चलेगा.


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शी कभी बड़े संकट को बर्बाद नहीं होने देते

शी की सफलता का रहस्य जियांग जेमिन और हू जिंताओ के बीच संक्रमण काल में चीनी समाज की भावनाओं की समझ में छुपा है. सुधार और खुलेपन के जरिए चीन के तेज आर्थिक विकास से भ्रष्टाचार का एक तंत्र कायम हो गया, जिसे चीन के एलिट वर्ग ने सामान्य व्यवस्था की तरह स्वीकार कर लिया था. अभिजात वर्ग ने लगभग मामलों की स्थिति के रूप में स्वीकार कर लिया था और नतीजा वैकल्पिक आर्थिक विकास मॉडल के रूप में आया.

लेकिन शी के भ्रष्टाचार से निपटने के बहाने अपने तमाम विरोधियों के सफाए को मौका मिला और चीनी जनता को ‘साझा समृद्धि’ का नया ख्वाब दिखाया गया.

इस लेखक को सूत्रों के हवाले से पता चला कि युवा नौकरशाहों का एक नया तबका शी के ‘साझा समृद्धि’ अभियान का हिमायती है क्योंकि चीन की आंतरिक स्थिरता को कायम रखने के लिए गैर-बराबरी को मिटाना अहम सुधार बताया जा रहा है.

19वीं पार्टी कांग्रेस के दौरान, यह कयास काफी तेज था कि शी उत्तराधिकारी का ऐलान 20वीं पार्टी कांग्रेस के दौरान करेंगे. लेकिन इसके बजाय, उन्होंने सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत की और उन सुरक्षा अधिकारियों की भी छंटनी की, जो सर्वोच्च पायदान पर पहुंचाने में मददगार बने थे.

20वीं पार्टी कांग्रेस में दिए उनके भाषण पर गौर करने से पता चलता है कि पिछली 19वीं पार्टी कांग्रेस से नीतिगत विचारों में काफी हद तक निरंतरता बनी हुई है. विज्ञान और प्रौद्योगिकी, चीनी शैली के आधुनिकीकरण, साझा समृद्धि और राष्ट्रीय सुरक्षा के मसलों पर दोनों पार्टी कांग्रेस में बहुत हद तक निरंतरता है.

लेकिन फर्क इस संदर्भ में समझा जा सकता है कि कैसे शी इन संकटों का समाधान पेश करते हैं, जिस पर दरअसल लंबे समय से बात चल रही थी, अमूमन शी के सत्ता में आने से पहले से.

शी जिनपिंग ने 20वीं पार्टी कांग्रेस में अपने भाषण में कहा, ‘हमारी प्राथमिकता शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता और आत्म-सुधार, और नेतृत्व में प्रतिभा के समावेश जैसे विषयों में विकास पर होनी चाहिए. मजबूत देश के निर्माण में तेजी लाने के लिए पार्टी और देश के लोगों को शिक्षित करने, प्रतिभाओं के स्वतंत्र प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार करने और नई-नई प्रतिभाओं को तैयार करनेे पर ध्यान देना चाहिए.’

विज्ञान और प्रौद्योगिकी अनुसंधान को बढ़ावा देने पर जोर से पता चलता है कि शी के मुताबिक, चीन के राष्ट्रीय कायाकल्प में कई अड़चनें हैं क्योंकि वह बाहरी दुनिया पर बहुत अधिक निर्भरता के बिना प्रमुख उद्योगों के विकास में नाकाम है.
शी को पता है कि एक और संकट आने वाला है, क्योंकि चीनी कंपनियों पर विदेशी तकनीक के इस्तेमाल पर पाबंदियां लगी हुई हैं और शी अपनी शैली में इस संकट से निबटना चाहते हैं.

उन्होंने सोमवार को अपने भाषण में कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में भारी बदलावों, खासकर चीन को ब्लैकमेल करने, रोकने, नाकाबंदी करने और अधिकतम दबाव डालने की बाहरी कोशिशों के मद्देनजर हमने अपने राष्ट्रीय हितों को पहले रखा है, आंतरिक राजनीतिक चिंताओं पर ध्यान केंद्रित किया है, और दृढ़ रणनीतिक संकल्प बनाए रखा है.’

शी कभी मनमौजी राजकुमार जैसे थे, जिन्होंने प्रभावशाली पार्टी पदों पर पहुंचनेे के लिए अपने परिवार के रसूख का इस्तेमाल किया था. शी लगातार ताकतवर ही होते गए और अपनी छवि को आखिरी संकटमोचन जैसी बना ली है.

लेखक स्तंभकार और फ्रीलांस पत्रकार हैं, फिलहाल, लंदन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज (एसओएएस)से चीन केंद्रित अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एमएससी कर रहे हैं. वे पहले बीबीसी वर्ल्ड सर्विस में चीन के मीडिया पत्रकार थे.

(लेखक स्तंभकार और फ्रीलांस पत्रकार हैं, फिलहाल लंदन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओरिएंटल ऐंड अफ्रीकन स्टडीज (एसआऐएस), से चीन पर फोकस वाली अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एमएससी कर रहे हैं. वे पहले बीबीसी वर्ल्ड सर्विस में चीन के मीडिया पत्रकार थे. उनका ट्विटर हैंडल @aadilbrar है. व्यक्त विचार निजी हैं.)

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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