दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चयनित कार्टून पहले अन्य प्रकाशनों में प्रकाशित किए जा चुके हैं. जैसे- प्रिंट मीडिया, ऑनलाइन या फिर सोशल मीडिया पर.
आज के विशेष रूप से प्रदर्शित कार्टून में, संदीप अधर्व्यु नरेंद्र मोदी सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहते हैं क्रिप्टोकरेंसी पीएम मोदी के वादे ‘अच्छे दिन’ की तरह है, जो कि यह भौतिक रूप से मौजूद नहीं है.
डेक्कन हेराल्ड में साजिथ कुमार ने भी क्रिप्टोक्यूरेंसी पर सरकार के प्रस्तावित बिल का मज़ाक उड़ाया है, जिसमें पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के बीच एक काल्पनिक बातचीत को दर्शाया है.
सतीश आचार्य उन टीवी न्यूज चैनलों पर कटाक्ष करते हैं जिन्होंने खुले तौर पर मोदी और बीजेपी का समर्थन किया और विरोध करने वाले किसानों के खिलाफ तरह-तरह के लेबल (बदनाम) लगाए. वह पीएम के शब्दों का इस्तेमाल करते हैं कि किसानों को यह समझाने की उनकी क्षमता में कमियां थीं कि तीन कृषि कानून उनके लिए फायदेमंद होंगे.
मंजुल मोदी सरकार द्वारा यू-टर्न लेने व तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने और लखीमपुर खीरी हिंसा के मुख्य आरोपी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा के बीच एक समानांतर रेखा खींचते हैं.
ईपी उन्नी ने कांग्रेस में इंदिरा गांधी-युग के विभाजन का हवाला देते हुए बताया है कि क्यों सभी दलों के नेता ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं.
अब जब सरकार क्रिप्टोकरेंसी को रेग्युलेट करने की योजना बना रही है, तो कीर्तीश भट्ट गरीबी से पीड़ित एक शख्स को यह कहते हुए दिखाते हैं जिसमें वह सवाल करता है कि क्या यह (क्रिप्टोकरेंसी) कागजी मुद्रा जैसी है, क्योंकि उसके पास नहीं है.
(इन कार्टून्स को अंग्रेजी में देखने के लिए यहां क्लिक करें)