दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चयनित कार्टून पहले अन्य प्रकाशनों में प्रकाशित किए जा चुके हैं. जैसे- प्रिंट मीडिया, ऑनलाइन या फिर सोशल मीडिया पर.
आज के विशेष कार्टून में, सतीश आचार्य ने NYT के व्यापक रूप से प्रसारित कार्टून पर व्यंग्य किया है जिसमें एक किसान को गाय के साथ “एलीट स्पेस क्लब” लेबल वाले कमरे के दरवाजे पर दस्तक देते हुए दिखाया गया है. यहां, आचार्य भारत द्वारा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहली बार सॉफ्ट लैंडिंग करने के बाद बदलती धारणाओं का चित्रण किया जा रहा है.
आलोक निरंतर के कार्टून में, चंद्रमा पर भारत के विजयी चंद्रयान-3 मिशन के बाद, प्रज्ञान रोवर को सब्जियों और पेट्रोल जैसी आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों को लेकर एक बातचीत के रूप में देखा जा सकता है, जो चंद्रमा पर सफलतापूर्वक भेजे जाने के अलावा महंगाई जैसे मुद्दे को काफी चतुराई से प्रदर्शित करता है.
आर. प्रसाद एक व्यंग्यात्मक कार्टून प्रदर्शित करते हैं जहां वह एक लड़की को “नई शिक्षा नीति” और कर्नाटक में “फैक्ट चेक यूनिट” की घोषणा करते हुए दिखाते हैं, जो केंद्रीय और राज्य पाठ्यक्रम के बीच विसंगति को उजागर करती है. यह कार्टून एकीकृत शिक्षा नीति के अभाव को दर्शाता है.
नाला पोनप्पा के कार्टून में मजाकिया ढंग से एक छोटे बच्चे को एचएल अखबार पकड़े हुए दिखाया गया है जिस पर चंद्रयान 3 लिखा है और पूछता है कि क्या भारत अब एक महाशक्ति है, जिस पर वह आदमी जवाब देते हैं, “अब? हम हमेशा से ही हैं. इसमें वह व्यक्ति चंचलतापूर्वक भारत के ‘दीर्घकालिक महत्व’ पर ज़ोर देते दिख रहे हैं.