(अरुणव सिन्हा)
हाथरस (उप्र), तीन जुलाई (भाषा) सत्येंद्र यादव ‘सत्संग’ के बाद अपने वाहन की ओर जा रहे थे, तभी उनकी पत्नी ने फोन करके कहा कि उनके तीन वर्षीय बेटे ‘छोटा’ की कुछ देर पहले मची भगदड़ में मौत हो गई है।
उनतीस वर्षीय वाहन चालक यादव दिल्ली से अपनी मां और दो भाभियों सहित अपने परिवार के साथ विश्वहरि ‘भोले बाब’ के सत्संग में पहुंचे थे। कार्यक्रम समाप्त होने से ठीक पहले वह अपनी मां और बड़े बेटे मयंक (चार) के साथ अपने वाहन की तरफ बढ़े तभी फोन पर उनकी पत्नी ने जो कहा, उस पर उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ।
यादव ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ”जैसे ही हम अपने वाहन के पास पहुंचे, मुझे मेरी पत्नी का फोन आया…उसने कहा, पिलुआ थाने आ जाओ, छोटा खत्म (मौत) हो गया है।”
यादव के तीन वर्षीय बेटे रोविन को उसका परिवार प्यार से छोटा बुलाता था। वह मंगलवार को हाथरस के फुलरई गांव में मची भगदड़ में मरने वाले 121 लोगों में शामिल है।
रोविन की तरह कई और परिवार हैं जिन्होंने इस दुखद घटना में अपने बच्चों को खो दिया।
आयुष (नौ) और काव्या (तीन) नाम के भाई-बहन के लिए सोमवार शाम को राजस्थान के जयपुर से यहां कार्यक्रम स्थल तक का सफर उनकी आखिरी यात्रा साबित हुई। दोनों शोकाकुल परिवारों ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि धार्मिक आयोजन में ऐसी घटना घटेगी।
यादव ने कहा, ‘‘मैं अपनी पत्नी, उसकी दो बहनों और हमारे दो बेटों के साथ सोमवार रात करीब 11 बजे दिल्ली से निकला और मंगलवार सुबह साढ़े पांच बजे हम यहां पहुंच गए।’’
उत्तर प्रदेश के एटा में अपने गांव में मौजूद यादव ने कहा, ‘‘रोविन का अंतिम संस्कार मंगलवार रात को गांव में किया गया। यह घटना मेरे परिवार के लिए बहुत दुखद है।’’
भगदड़ के डरावने मंजर को याद करते हुए यादव ने कहा, ‘‘एक बार तो मैं समझ ही नहीं पाया कि यह क्या हो गया है? बाद में मैंने देखा कि कुछ लोग एक महिला को कहीं ले जा रहे थे। मुझे लगा कि वह (मौसम के कारण) बेहोश हो गई होगी, इसीलिये उसे इलाज के लिये ले जाया जा रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसके बाद मेरी पत्नी की कॉल आई। मेरी आवाज तो उस तक पहुंच रही थी, लेकिन मैं उसकी आवाज नहीं सुन पा रहा था। इसलिए मैंने उसे वहां आने के लिए कहा, जहां मैंने अपनी गाड़ी खड़ी की थी।’’
यादव ने कहा कि कुछ समय बाद उसके पास पत्नी का फिर से फोन आया। उस वक्त वह अपनी बहनों के साथ एटा के पिलुआ थाने में थी। फोन पर उसने भगदड़ में रोविन की मौत की खबर दी।
उन्होंने बताया कि बाद में गांव के प्रधान समेत उनके गांव से लोग मौके पर पहुंचे।
वहीं, काव्या और आयुष के पिता आनंद के साथ बस से शाहजहांपुर जा रहे उनके रिश्तेदार रामलखन ने कहा कि उन्होंने अब तक आनंद को इस दुखद समाचार के बारे में नहीं बताया है, क्योंकि उन्हें डर है कि इससे उन्हें गहरा सदमा पहुंच सकता है।
रामलखन ने कहा, ‘‘मुझे शाम करीब पांच बजे इस दुखद घटना के बारे में पता चला। वे (काव्या और आयुष) मेरी पत्नी के साथ सत्संग में गए थे। हम शाहजहांपुर के रहने वाले हैं, लेकिन मैं जयपुर में काम करता हूं। बच्चे और परिवार के अन्य सदस्य सोमवार शाम को जयपुर से निकले थे और सुबह छह बजे तक वे सत्संग वाली जगह पर पहुंच गए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘दोनों बच्चे मेरे काफी करीब थे और रविवार को मैंने उनसे बात भी की थी। यह बेहद दुखद घटना है और हमारा परिवार सदमे में है। हमने कभी नहीं सोचा था कि ऐसी घटना घटेगी। बच्चे और परिवार के सदस्य पहले भी सत्संग में शामिल हुए थे।’’
रामलखन ने कहा कि उन्हें पता चला कि आयोजन स्थल पर भीड़भाड़ थी। उन्होंने कहा, ‘‘आयुष और काव्या के पिता मेरे साथ (बस में) हैं। मैंने उन्हें दुखद समाचार के बारे में नहीं बताया है, ताकि उन्हें सदमा न लगे।’’
उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के सिंकदराराऊ के फुलरई गांव में मंगलवार को एक सत्संग में भगदड़ मचने से 121 लोगों की मौत हो गई, जिनमें से अधिकांश महिलाएं थीं।
इस मामले में कार्यक्रम के मुख्य सेवादार और उसके साथियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या तथा कई अन्य आरोपों में मुकदमा दर्ज किया गया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिये हैं।
भाषा सलीम नोमान
नोमान
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