नयी दिल्ली, 23 जून (भाषा) संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने 18वीं लोकसभा के पहले सत्र की पूर्व संध्या पर रविवार को तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय से मुलाकात की। इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता भर्तृहरि महताब को लोकसभा का अस्थायी अध्यक्ष (प्रोटेम स्पीकर) नियुक्त किए जाने को लेकर विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन के साथ गतिरोध अभी जारी है।
रीजीजू की बंदोपाध्याय के साथ बैठक ऐसे समय हुई जब विपक्षी गठबंधन ने पीठासीन अधिकारियों के पैनल से अपने सदस्यों को हटाने का फैसला किया है। इन सदस्यों को बुधवार को अध्यक्ष के चुनाव तक लोकसभा की कार्यवाही के संचालन में महताब की सहायता करने के लिए नियुक्त किया गया था।
बंदोपाध्याय लोकसभा में पीठासीन अधिकारियों के पैनल में नामित तीन विपक्षी सदस्यों में से एक हैं। बंदोपाध्याय ने रीजीजू से कहा कि वह पैनल में शामिल नहीं हो पाएंगे। उन्होंने ‘इंडिया’ गठबंधन द्वारा लिए गए निर्णय पर ही अड़े रहने का निर्णय लिया।
रीजीजू ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा, ‘तृणमूल कांग्रेस संसदीय दल के नेता सुदीप बंदोपाध्याय जी से मुलाकात की। सुदीप दा का संसदीय करियर काफी लंबा है और वह संसद में अपने शांत एवं गरिमामय आचरण के लिए जाने जाते हैं। 18वीं लोकसभा को उनके अनुभवों से काफी लाभ मिलेगा।’
इससे पहले राष्ट्रपति ने लोकसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाने में महताब की सहायता के लिए कोडिकुन्निल सुरेश (कांग्रेस), टी आर बालू (द्रमुक), राधा मोहन सिंह और फग्गन सिंह कुलस्ते (दोनों भाजपा) तथा सुदीप बंदोपाध्याय (तृणमूल कांग्रेस) को नियुक्त किया था।
कांग्रेस ने महताब की नियुक्ति पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि आठ बार के सदस्य एवं दलित नेता सुरेश को नजरअंदाज किया गया है। ‘इंडिया’ गठबंधन ने कहा है कि विपक्षी नेता सुरेश, बालू और बंदोपाध्याय विरोध स्वरूप पीठासीन अधिकारियों के पैनल में शामिल नहीं होंगे।
रीजीजू ने दावा किया है कि महताब लगातार सात बार लोकसभा सदस्य रहे हैं, जिससे वह इस पद के लिए योग्य हैं, जबकि सुरेश 1998 और 2004 में चुनाव हार गए थे, जिससे उनका मौजूदा कार्यकाल निचले सदन में लगातार चौथा कार्यकाल बन गया है। इससे पहले वह 1989, 1991, 1996 और 1999 में लोकसभा के लिए चुने गए थे।
कांग्रेस ने रविवार को भाजपा पर हमला जारी रखा और वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सत्तारूढ़ पार्टी को दलित विरोधी करार दिया।
पार्टी के संचार प्रभारी महासचिव रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘अगर यह तर्क अपनाया जाता है, तो लगातार सातवीं बार सांसद भाजपा सदस्य रमेश चंदप्पा जिगाजिनागी के नाम पर विचार क्यों नहीं किया गया? क्या इसलिए कि वह सुरेश की तरह दलित हैं।’
भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांग्रेस को सुरेश को नेता प्रतिपक्ष बनाना चाहिए।
उन्होंने ‘एक्स’ पर कहा, ‘अगर आप श्री कोडिकुन्निल सुरेश के राजनीतिक करियर को लेकर इतने चिंतित हैं, तो मैं आपसे आग्रह करूंगा कि उन्हें विपक्ष का नेता और 2026 के केरल चुनाव के लिए यूडीएफ का मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया जाए। एक अस्थायी पद के लिए इतना तनाव क्यों?’
भाजपा प्रवक्ता ने यह भी कहा कि तमिलनाडु में जहरीली शराब त्रासदी के अधिकतर पीड़ित अनुसूचित जाति से हैं और कांग्रेस को उनके लिए भी न्याय सुनिश्चित करना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘शराब त्रासदी में कल्लाकुरिची में मरने वाले 56 लोगों में से अधिकतर अनुसूचित जाति समुदाय से हैं। एम के स्टालिन जी से आबकारी मंत्री को बर्खास्त करने के लिए कहना कैसा रहेगा, जिससे उनके लिए कुछ न्याय मिल सके।’
भाषा अमित नेत्रपाल
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