रायपुर, सात मई (भाषा) छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री टी. एस. सिंहदेव ने परसा कोयला खदान परियोजना से प्रभावित ग्रामीणों की कथित फर्जी ग्राम सभा की जांच की मांग का समर्थन किया है, जिसके आधार पर परियोजना को मंजूरी दी गई है।
सिंहदेव ने शानिवार शाम अपने चार दिवसीय दौरे के समापन के बाद राजधानी रायपुर में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यदि ग्रामीण मांग कर रहे हैं तो फिर से ग्राम सभा आयोजित करने में समस्या क्यों है?
राज्य के सरगुजा संभाग में परसा कोयला खदान परियोजना के खिलाफ ग्रामीणों के विरोध संबंधी सवाल पर सिंहदेव ने कहा, “मेरे विधानसभा क्षेत्र (अंबिकापुर) के उदयपुर विकास खंड के फतेहपुर, हरिहरपुर और साल्ही गांव के निवासियों को परियोजना पर आपत्ति है। लगभग सभी ग्रामीणों का कहना है कि वे अपनी जमीन (परियोजना के लिए) नहीं देना चाहते हैं।”
उन्होंने कहा, ‘‘ग्रामीण यहां तक कि वह दावा कर रहे हैं कि जिस ग्राम सभा के प्रस्ताव के माध्यम से परियोजना को सहमति देने की बात कही जा रही है वह फर्जी था। इसलिए वे चाहते हैं कि फिर से ग्राम सभा हो और फिर आगे का फैसला लिया जाए।”
फर्जी ग्राम सभा की जांच की मांग के सवाल पर मंत्री ने कहा, ”हां शत-प्रतिशत इसकी जांच होनी चाहिए। और फिर से ग्राम सभा आयोजित करने में क्या समस्या है? संबंधित परियोजना के लिए ग्राम सभा को आयोजित हुए 8-10 साल हो चुके हैं। यह अनावश्यक रूप से मुद्दा बन गया है। अगर ग्रामीणों ने तब अपनी जमीन देने की सहमति दी थी, तो अब भी वे तैयार होंगे। अगर ग्राम सभा की रिपोर्ट सही नहीं थी तो ग्रामीण अपनी राय रखेंगे।”
यह पूछे जाने पर कि उनके चार जिलों के दौरे के दौरान कलेक्टरों ने उनसे दूरी बनाए रखी, सिंह देव ने कहा, ‘कलेक्टरों के लिए कैबिनेट मंत्रियों की बैठक में शामिल होना अनिवार्य नहीं है, लेकिन शिष्टाचार के रूप में कम से कम उन्हें मिलने आना चाहिए।’
उन्होंने कहा, “कलेक्टर जिले के सभी विभागों के समन्वयक होते हैं। यदि कोई कैबिनेट मंत्री समीक्षा बैठकों के लिए जिले का दौरा करता है और स्थानीय सर्किट हाउस में रूकता है, तब शिष्टाचार और प्रोटोकॉल कहता है कि उन्हें (कलेक्टर) कम से कम उनसे मिलने आना चाहिए।”
सिंहदेव इस महीने की चार तारीख से दंतेवाड़ा, बस्तर, कांकेर और धमतरी जिले के दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने अपने विभागों के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की।
राज्य सरकार ने हाल ही में परसा कोयला ब्लॉक और परसा पूर्व केंते बसान कोयला खदान के दूसरे चरण को अपनी मंजूरी दी है। खदानें राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) को आवंटित की गई हैं।
भाषा संजीव अर्पणा
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