नयी दिल्ली, 18 अप्रैल (भाषा) लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे 29वें थल सेना प्रमुख होंगे और वह जनरल एम. एम. नरवणे के 30 अप्रैल को सेवानिवृत्त होने के बाद उनका स्थान लेंगे।
लेफ्टिनेंट जनरल पांडे अभी थल सेना के उप-प्रमुख हैं। वह ‘कोर ऑफ इंजीनियर’ के पहले अधिकारी होंगे जो थल सेना के प्रमुख होंगे। इससे पहले पैदल सेना, तोपखाना और बख्तरबंद रेजिमेंट के अधिकारी ही 13 लाख कर्मियों वाली थल सेना के प्रमुख होते रहे हैं।
रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान में कहा, ‘‘सरकार ने लेफ्टिनेंट जनरल मनोज सी पांडे को अगला सेनाध्यक्ष नियुक्त किया है और उनकी नियुक्ति 30 अप्रैल दोपहर से प्रभावी होगी।’’
सरकार ने पांडे को शीर्ष पद पर नियुक्त करने में वरिष्ठता के सिद्धांत का पालन किया क्योंकि वह जनरल नरवणे के बाद सेना में सबसे वरिष्ठ अधिकारी हैं।
एक फरवरी को थल सेना का उप-प्रमुख बनने से पहले वह थल सेना की पूर्वी कमान का नेतृत्व कर रहे थे। इस कमान पर सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश सेक्टरों में वास्तविक नियंत्रण रेखा की रक्षा की जिम्मेदारी है।
अधिकारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की नियुक्ति संबंधी समिति ने लेफ्टिनेंट जनरल पांडे को अगला थल सेना प्रमुख नियुक्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी।
लेफ्टिनेंट जनरल पांडे सेना की कमान ऐसे समय में संभाल रहे हैं जब सरकार असंख्य सुरक्षा चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए थिएटर कमान की स्थापना के माध्यम से तीनों सेनाओं के एकीकरण पर ध्यान केंद्रित कर रही है। थिएटर कमान की योजना को भारत के पहले प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा था। उनकी गत दिसंबर में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। सरकार ने अभी तक जनरल रावत के उत्तराधिकारी की नियुक्ति नहीं की है।
समझा जा रहा है कि कि जनरल नरवणे इस पद के दावेदारों में से एक हो सकते हैं क्योंकि रक्षा प्रतिष्ठान में एक आम राय है कि यह पद सेना के एक अधिकारी को दिया जाना चाहिए।
लेफ्टिनेंट जनरल पांडे अपने करियर के दौरान अंडमान निकोबार कमान के प्रमुख के तौर पर भी काम कर चुके हैं। अंडमान निकोबार कमान भारत में तीनों सेनाओं की एकमात्र कमान है।
थल सेना ने ट्वीट किया, ‘‘थल सेना प्रमुख जनरल एम. एम. नरवणे और सभी कर्मी लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे को भारतीय थल सेना का 29वां प्रमुख नियुक्त किए जाने पर बधाई देते हैं।’’
पांडे राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के पूर्व छात्र हैं और उन्हें दिसंबर 1982 में कोर ऑफ इंजीनियर्स (द बॉम्बे सैपर्स) में नियुक्त किया गया था। उन्होंने अपने बेहतरीन करियर में कई अहम पदों पर काम किया और विभिन्न इलाकों में आतंकवाद रोधी अभियानों में भाग लिया।
उन्होंने जम्मू कश्मीर में ऑपरेशन पराक्रम के दौरान नियंत्रण रेखा के पास एक इंजीनियर रेजिमेंट की कमान संभाली। इसके अलावा उन्होंने पश्चिमी लद्दाख के ऊंचाई वाले इलाकों में एक पर्वतीय डिवीजन और पूर्वोत्तर में एक कोर की भी कमान संभाली।
उन्होंने इथोपिया और इरिट्रिया में संयुक्त राष्ट्र मिशन में मुख्य इंजीनियर के रूप में भी कार्य किया है। उन्होंने सेना मुख्यालय में सैन्य संचालन निदेशालय में अतिरिक्त महानिदेशक और दक्षिणी कमान के मुख्यालय में चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में भी काम किया।
उनकी शानदार सेवा के लिए उन्हें परम विशिष्ट सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, विशिष्ट सेवा पदक, थल सेना प्रमुख से प्रशस्ति पत्र आदि से सम्मानित किया जा चुका है।
लेफ्टिनेंट जनरल मनोज सी पांडे नागपुर के रहने वाले हैं और उनके परिवार के कुछ सदस्य रक्षा बलों से जुड़े रहे हैं। उनके पिता नागपुर विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त हुए और मां ने आकाशवाणी में काम किया है।
लेफ्टिनेंट जनरल पांडे से नागपुर में दो बार मुलाकात कर चुके कर्नल अभय पटवर्धन (सेवानिवृत्त) ने सोमवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि लेफ्टिनेंट जनरल पांडे ने अपनी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा शहर में प्राप्त की और यहां उनके काफी परिचित हैं।
लेफ्टिनेंट जनरल पांडे के परिवार को जानने वाले एक वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि लेफ्टिनेंट जनरल पांडे के पिता सी जी पांडे नागपुर में रहते हैं।
भाषा अमित वैभव
वैभव
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.