नयी दिल्ली, 13 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) में बड़े पैमाने पर रिक्तियों को गंभीरता से लेते हुए कहा कि “पूरा अधिकरण ढह गया है”।
शीर्ष अदालत ने कहा कि केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा है कि जिन पीठों में रिक्तियां हैं, वे अन्य पीठों के सदस्यों को शामिल करके भौतिक/हाइब्रिड रूप से और डिजिटल तरीकों के माध्यम से काम कर रही हैं।
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि अगर अधिकरण के कुल स्वीकृत 69 सदस्यों में से शेष 27 सदस्य भी सेवानिवृत्त हो जाते हैं, तो “यह और चरमरा जाएगा”।
पीठ ने कहा, “अगर नियुक्तियां नहीं होंगी तो अधिकरण कैसे काम करेगा? आपने (केंद्र ने) अप्रैल 2022 में विज्ञापन दिया था और चयन में स्पष्ट रूप से कुछ समय लगेगा। यह गिर गया है और यदि शेष सदस्य भी सेवानिवृत्त हो जाते हैं, तो यह और भी गिर जाएगा।”
पीठ ने निर्देश दिया, “इस मामले में चूंकि कैट में रिक्तियां नागरिकों के न्याय तक पहुंच के अधिकार को प्रभावित करती हैं, इसलिए इस अदालत का विचार है कि अनुच्छेद 142 के अधिकार क्षेत्र के प्रयोग अनिवार्य है। हम तदनुसार, आगे के आदेशों के लंबित रहने तक, निर्देश देते हैं कि कैट के सदस्यों का पद धारण करने वाले, न्यायिक सदस्य या प्रशासनिक सदस्य, उनकी सहमति और उपलब्धता के अधीन, अपने कार्यकाल के पूरा होने के बाद भी कार्य करना जारी रखेंगे।”
पीठ ने कहा कि यह व्यवस्था मामले को सूचीबद्ध करने की अगली तारीख तक की जा रही है, जिस तारीख तक केंद्र सरकार द्वारा रिक्तियों को भर लिए जाने का अनुमान लगाया जा रहा है। न्यायालय ने मामले को अगली सुनवाई के लिये 26 जुलाई को सूचीबद्ध किया।
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि कैट में 69 न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या में से केवल 27 न्यायाधीश ही उपलब्ध हैं जबकि अध्यक्ष सहित 43 रिक्तियां हैं।
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प्रशांत माधव
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