नयी दिल्ली, नौ जुलाई (भाषा) भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) द्वारा भारतीय न्याय संहिता को लेकर उठाये जा रहे सवाल निराधार हैं और नये कानून के तहत लापरवाही से मौत के लिए सजा में कोई बदलाव नहीं किया गया है। आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
मीडिया की खबरों में ऐसा बताया जा रहा था कि आईएमए नये आपराधिक कानून बीएनएस की धारा 106 (1) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगा, जिसके बाद यह स्पष्टीकरण सामने आया है।
सूत्रों ने बताया कि धारा के तहत अगर चिकित्सा प्रक्रिया के दौरान किसी पंजीकृत चिकित्सक की लापरवाही से मरीज की मौत हो जाती है तो उसे दो वर्ष की सजा हो सकती है और उस पर जुर्माना लगाया जा सकता है।
एक आधिकारिक सूत्र ने बताया, “यह स्पष्ट किया जाता है किसी भी व्यक्ति (चिकित्सकों सहित) की लापरवाही से अगर किसी दूसरे व्यक्ति की मौत होती है तो भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 ए के तहत दो साल तक की कैद या जुर्माना का प्रावधान था। जब दिसंबर, 2023 में आईपीसी को भारतीय न्याय संहिता, 2023 (बीएनएस) के साथ बदलने का विधेयक लोकसभा में पेश किया गया तब लापरवाही से होने वाली मौत के मामले में बीएनएस, 2023 की धारा 106 (1) के तहत पांच साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान लाया गया।”
सूत्र के मुताबिक, चिकित्सकों से अभ्यावेदन प्राप्त हुए और बीएनएस, 2023 की उक्त धारा 106(1) में संशोधन किया गया ताकि यह प्रावधान किया जा सके कि अगर किसी पंजीकृत चिकित्सक द्वारा चिकित्सा प्रक्रिया करते समय लापरवाही से किसी रोगी की मौत हो जाती है तो उन्हें दो वर्ष तक के कारावास और जुर्माने से दंडित किया जाएगा।
सूत्र ने बताया, “इस पर गौर किया जाना चाहिए कि चिकित्सकों की लापरवाही से मरीज की मौत के लिए सजा अब भी दो वर्ष तक के कारावास की ही है।”
आईएमए ने हाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर इस बात पर प्रकाश डाला था कि मरीज का इलाज करते समय चिकित्सक की कोई आपराधिक मंशा नहीं होती और उसपर आपराधिक मुकदमा चलाने लायक किसी प्रकार की कोई लापरवाही नहीं होती।
आईएमए ने साथ ही जांच अधिकारी द्वारा कथित आपराधिक चिकित्सा लापरवाही के मामलों में बीएनएस की धारा 26 के तहत सुरक्षात्मक प्रावधान लागू करने की मांग की थी।
भाषा जितेंद्र माधव
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