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Monday, 23 September, 2024
होमदेशयदि आतंकवादी देश को बाहर से निशाना बनाते हैं तो भारत सीमा पार करने से नहीं हिचकिचाएगा: राजनाथ

यदि आतंकवादी देश को बाहर से निशाना बनाते हैं तो भारत सीमा पार करने से नहीं हिचकिचाएगा: राजनाथ

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गुवाहाटी, 23 अप्रैल (भाषा) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि भारत सीमा पार से देश को निशाना बनाने वाले आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने से नहीं हिचकिचाएगा।

रक्षा मंत्री एक कार्यक्रम में बोल रहे थे जिसमें 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में शामिल रहे असम के सैनिकों को सम्मानित किया गया। सिंह ने कहा कि सरकार देश से आतंकवाद को उखाड़ फेंकने के लिए काम कर रही है।

उन्होंने कहा, ‘भारत यह संदेश देने में सफल रहा है कि आतंकवाद से सख्ती से निपटा जाएगा। अगर देश को बाहर से निशाना बनाया जाता है तो हम सीमा पार करने से नहीं हिचकिचाएंगे।’

चीन के साथ हालिया गतिरोध में भारतीय सैनिकों द्वारा प्रदर्शित वीरता की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा, ‘मेरा दृढ़ विश्वास है कि दुनिया की कोई भी शक्ति ‘भारत माता’ के सिर को नहीं झुका सकती।’

मामले में सेना की भूमिका पर सवाल उठाने वाले विपक्षी नेताओं के एक वर्ग पर निशाना साधते हुए सिंह ने कहा कि इस तरह की आलोचना से सैनिकों का मनोबल गिरता है और लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचती है।

रक्षा मंत्री ने कहा, ‘मैं नियमित रूप से हमारे सशस्त्र बलों के प्रमुखों के संपर्क में हूं। मैंने उन्हें बताया कि मुझे क्या करना है और उन्होंने वही किया जो उन्हें करना था। उन्होंने भारत माता का सिर ऊंचा रखा है।’

सिंह ने यह भी कहा कि पश्चिमी सीमा की तुलना में देश की पूर्वी सीमा पर वर्तमान में अधिक शांति और स्थिरता है क्योंकि बांग्लादेश एक मित्र पड़ोसी है।

उन्होंने कहा, ‘पश्चिमी सीमा की तरह भारत पूर्वी सीमा पर तनाव का सामना नहीं कर रहा क्योंकि बांग्लादेश एक मित्र देश है।’

मंत्री ने कहा, ‘घुसपैठ की समस्या लगभग समाप्त हो गई है। सीमा पर (पूर्वी सीमा) अब शांति और स्थिरता है।’

सिंह ने रक्षा तैयारियों के लिए आवश्यक मजबूत सीमा बुनियादी ढांचे के निर्माण के प्रयासों के लिए सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की प्रशंसा की।

उन्होंने कहा, ‘हमारे पास अब मजबूत सीमा अवसंरचना है, लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना है और हम इस पर काम कर रहे हैं।’

पूर्वोत्तर के विभिन्न हिस्सों से सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (आफ़स्पा) को हाल ही में वापस लिए जाने पर रक्षा मंत्री ने कहा कि जब भी किसी स्थान की स्थिति में सुधार हुआ, सरकार ने ऐसा किया।

उन्होंने कहा, ‘जब मैं केंद्रीय गृह मंत्री था, तब अरुणाचल प्रदेश (अधिकतर हिस्सों) और मेघालय से आफस्पा हटा दिया गया था। अब अमित शाह के तहत इसे असम के 23 जिलों और मणिपुर तथा नागालैंड में 15-15 थाना क्षेत्रों से हटा दिया गया है।

उन्होंने कहा, ‘स्थायी शांति और स्थिरता ने सुनिश्चित किया है कि आफस्पा पूर्वोत्तर से वापस ले लिया जाए और इस क्षेत्र में मुख्यमंत्रियों की भूमिका भी सराहनीय रही है, जिनमें असम के हिमंत बिस्व सरमा प्रमुख हैं।’

यह उल्लेख करते हुए कि यह एक गलतफहमी है कि सेना हमेशा ‘आफ़स्पा’ को लागू रखना चाहती है, सिंह ने कहा, ‘यह स्थिति है जो आफ़स्पा लगाए जाने के लिए जिम्मेदार है, सेना नहीं।’’

जम्मू-कश्मीर में लगातार आफस्पा जारी रहने पर मंत्री ने कहा, ‘‘इसके लिए स्थिति जिम्मेदार है, सेना नहीं।’’

देश की रक्षा में सेवारत सैनिकों और पूर्व सैनिकों की भूमिका की सराहना करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, ‘सैनिक हमारी शक्ति हैं और पूर्व सैनिक एवं ‘वीर नारी’ (शहीदों की विधवाएं) हमारी प्रेरणा हैं।’’

उन्होंने कहा कि यहां तक ​​​​कि जब कोई सैनिक सेवानिवृत्त हो जाता है और पूर्व सैनिक बन जाता है, तो भी उसके अंदर का योद्धा जीवित रहता है और यह उसके ‘तेवर’, शरीर की भाषा में देखा जा सकता है।’

सिंह ने यह भी कहा कि जब सैनिक सीमाओं पर शांति स्थापित रखते हैं तो आम लोगों को सुनिश्चित करना चाहिए कि देश में भाईचारा बना रहे।

उन्होंने कहा, ‘जब कोई व्यक्ति वर्दी पहनता है और देश के लिए सैनिक बन जाता है तो हमें धर्म दिखाई नहीं देता है।’’

सिंह ने युद्ध विधवाओं, शहीदों के परिवारों, युद्धबंदियों और 1971 में घायल हुए पूर्व सैनिकों को सम्मानित करते हुए कहा, ‘1971 के युद्ध में विभिन्न धर्मों के लोगों ने एक साथ काम किया था…असम, भारत का यह सामाजिक सद्भाव टूटना नहीं चाहिए।’

उन्होंने मुक्ति संग्राम में सशस्त्र बलों की वीरता और सर्वोच्च बलिदान को प्रदर्शित करने वाली सैनिक कल्याण निदेशालय की एक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया।

बाद में एक ट्वीट में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि नौ युद्ध विधवाओं को दस-दस लाख रुपये, युद्ध में घायल हुए आठ कर्मियों को पांच-पांच लाख रुपये और दो पूर्व युद्धबंदियों को ढाई-ढाई लाख रुपये देकर सम्मानित किया गया।

उन्होंने कहा कि 1971 के युद्ध में भाग लेने वाले 86 अन्य सैनिकों को दो-दो लाख रुपये की राशि दी गई।

भाषा

नेत्रपाल माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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