(अपर्णा बोस)
नयी दिल्ली, 28 अप्रैल (भाषा) ओडिसी नर्तक एवं पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित गुरु मायाधर राउत (90) दिल्ली में सरकार द्वारा आवंटित बंगले में दोपहर का भोजन कर रहे थे, जब अधिकारियों की एक टीम ने उन्हें बेदखल करने के लिए उनके दरवाजे पर दस्तक दी।
राउत की बेटी मधुरिमा ने दो दिन पहले अपने पिता से मुलाकात के दौरान घटी घटना को याद करते हुए बृहस्पतिवार को दावा किया कि उनके पिता को अपना भोजन खत्म करने के लिए 10 मिनट भी नहीं दिए गए और उन्हें एशियाई खेल गांव स्थित आवास से ‘‘बाहर’’ कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि वह यह देखकर ‘‘सन्न’’ रह गईं। मधुरिमा ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘मेरी आखों में आंसू थे। मेरे पिता 90 साल के हैं। उन्हें अस्थमा, उच्च रक्तचाप और आंखों की रोशनी की समस्या है।’’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘मेरे पिता दोपहर का भोजन भी पूरा नहीं कर सके और उन्हें घर से बाहर कर दिया गया। हमने 10 मिनट मांगे थे ताकि वह अपना भोजन खत्म कर सकें, लेकिन हमें बताया गया कि हमें इसके लिए दो मिनट भी नहीं दिए जा सकते।’’
मधुरिमा ने कहा, ‘‘क्या यही हमारी भारतीय संस्कृति है? एक वृद्ध आदमी को घर से बाहर कर देना, जिसने इतने सालों तक देश की सेवा की है? मेरे पिता के साथ जो कुछ हुआ, उसे देखकर मैं बहुत परेशान और निराश हूं।’’
बेदखली की कार्यवाही के वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर सामने आईं, जिसमें राउत बंगले के बाहर छड़ी के सहारे चलते हुए नजर आ रहे हैं, उनका पद्मश्री प्रशस्तिपत्र अन्य सामान के साथ सड़क पर पड़ा हुआ है।
मधुरिमा ने याद किया कि कैसे उन्होंने इस कार्रवाई को रोकने के लिए कई फोन कॉल किये लेकिन सब व्यर्थ रहा। उन्होंने कहा कि कई प्रयासों के बाद वह अपने पिता के लिए उनके एक छात्र के साथ एक अस्थायी आवास की व्यवस्था कर सकीं। उन्होंने कहा कि उनके पिता को बेदखल करने वाले अधिकारियों को बुधवार (27 अप्रैल) को दिल्ली उच्च न्यायालय में उनकी समीक्षा याचिका की सुनवाई तक का समय देना चाहिए था।
मधुरिमा ने आरोप लगाया कि अधिकारियों का उनके साथ व्यवहार पारदर्शी नहीं था। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे संविधान में लिखा है कि हमारे देश के प्रत्येक नागरिक को सम्मान के साथ जीने का अधिकार है। …… वे जो करना चाहते हैं इसके लिए उन्हें कम से कम एक नीति बनानी चाहिए। मेरे पिता को आकर मंगलवार को बाहर निकालने की क्या तात्कालिकता थी? अगर मैं अपने पिता के साथ नहीं होती, तो उनकी जान जा चुकी होती।’’
केंद्र ने बुधवार को आठ प्रतिष्ठित कलाकारों को दो मई तक आवास खाली करने के लिए कहा, जिन्हें वर्षों पहले सरकारी आवास आवंटित किया गया था, लेकिन 2014 में आवंटन रद्द कर दिया गया था।
वनश्री राव और कुचिपुड़ी नृत्यांगना गुरु जयराम राव ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर संस्कृति और आवास मंत्रियों तक से सम्पर्क किया लेकिन दोनों ने उनसे मिलने से इनकार कर दिया।
केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 28 कलाकारों में से अभी भी लगभग आठ ऐसे हैं जिन्होंने कई नोटिस के बावजूद अपने सरकारी आवास खाली नहीं किये हैं।
सरकार की नीति के अनुसार, संस्कृति मंत्रालय की सिफारिश पर सामान्य पूल रिहायशी आवास में एक विशेष कोटे के तहत 40 कलाकारों को आवास आवंटित किया जा सकता है, यदि वे 20,000 रुपये प्रति माह से कम कमाते हैं।
इस महीने की शुरुआत में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारतीय शास्त्रीय कलाकार रीता गांगुली को और समय देने से इनकार कर दिया था, जिन्होंने एकल न्यायाधीश के एक फैसले को चुनौती दी थी। एकल न्यायाधीश ने अपने फैसले में उन्हें और अन्य को अप्रैल के अंत तक राष्ट्रीय राजधानी में सरकार द्वारा आवंटित आवास खाली करने का निर्देश दिया था।
भाषा अमित मनीषा
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