नयी दिल्ली, 16 मई (भाषा) दिल्ली के मुंडका क्षेत्र में एक इमारत में आग लगने की घटना में बची महिलाओं को अब अपनी आजीविका और भविष्य को लेकर चिंता सता रही है।
इस हादसे में बचे लोगों में से एक 45 वर्षीय ममता ने कहा, ‘‘यह मेरे दिमाग में लगातार चल रहे एक वीडियो की तरह है और मैं अभी भी मदद के लिए चिल्लाने वाले लोगों की आवाज सुन सकती हूं।’’
उन्होंने कहा कि हालांकि अभी उसके पास शोक में डूबने का समय नहीं है क्योंकि उसके मन में एक और चिंता है कि वह अपने नौ लोगों के परिवार के लिए भोजन का प्रबंध कैसे करेगी जो उस पर ही निर्भर है।
इस हादसे में ममता के हाथ जल गए और पैर में चोटें आईं और उन्हें ठीक होने तक आराम करने के लिए कहा गया है।
गत शुक्रवार को चार मंजिला एक इमारत में भीषण आग लग गई थी, जहां ममता कई वर्षों से काम कर रही थीं। हादसे में 21 महिलाओं समेत 27 लोगों की मौत हो गई थी।
मुंडका के निकट मुबारकपुर के प्रवेश नगर में रहने वाली
ममता ने कहा कि उस दिन जो कुछ भी हुआ, उसे वह जीवनभर नहीं भुला सकती।
हालांकि, उसकी सबसे बड़ी चिंता अपने भूखे बच्चों को खाना खिलाने की है।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे पति दिव्यांग हैं। मेरे पांच बेटियों सहित सात बच्चे हैं। मेरे बेटे काम के साथ-साथ पढ़ाई भी करते हैं। वे दिहाड़ी मजदूर हैं और ज्यादातर समय उनके पास कोई काम नहीं होता है।’’
हादसे में बची एक अन्य महिला मालती ने कहा कि यहां दूसरा काम मिलना मुश्किल है। उन्होंने कहा, ‘‘यहां ज्यादा कारखाने नहीं हैं। हमारे पास ज्यादा बचत भी नहीं है। हम बहुत मुश्किल से अपना गुजारा कर रहे थे और अब इस त्रासदी ने हम पर एक और बोझ डाल दिया है।’’
हादसे में बची एक अन्य महिला की बेटी अपने परिवार के भविष्य को लेकर चिंतित है।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरी मां कारखाने में काम करती थी। वह उस दिन भाग्यशाली रही, कि वह बच गई। मैं अपनी मां को नहीं खो सकती हूं।’’
भाषा
देवेंद्र उमा
उमा
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.