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Saturday, 16 November, 2024
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क्या शिकायतकर्ता किसी खास वकील को विशेष लोक अभियोजक नियुक्त करने की मांग कर सकता है: अदालत

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मुम्बई, 19 अप्रैल (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को जानना चाहा कि क्या किसी मामले में शिकायतकर्ता किसी खास वकील को विशेष लोक अभियोजक नियुक्त करने की मांग कर सकता है।

न्यायमूर्ति पी बी वराले एवं न्यायमूर्ति एस एस एम मोडक की खंडपीठ ख्वाजा युनूस की मां आसिया बेगम की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। ख्वाजा युनूस की हिरासत में कथित रूप से हत्या कर दी दी गयी थी। बेगम ने पिछले विशेष लोक अभियोजक धीरज मिराजकर को इस मामले से हटाये जाने को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है।

इस मामले में बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाजे समेत चार पुलिसकर्मी मुकदमे का सामना कर रहे हैं। बेगम 2018 में मिराजकर को इस मामले से हटाये जाने के बाद उस साल अदालत पहुंची थीं।

मंगलवार को बेगम के वकील मिहिर देसाई ने अदालत में कहा कि उनकी मुवक्किल ने इस मामले में विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किये जाने के लिए तीन वकीलों के नाम दिये हैं।

राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने कहा कि राज्य सरकार सुझावों पर विचार करेगी और दो सप्ताह में नियुक्ति करेगी।

पीठ ने उनका बयान स्वीकार कर लिया, लेकिन कहा कि सरकार किसी और वकील की नियुक्त करने के लिए स्वतंत्र है, यदि वह महसूस करती है कि वह उचित उम्मीदवार है।

न्यायमूर्ति वराले ने कहा, ‘‘ व्यापक परिदृश्य को देखते हुए (सवाल उठता है कि), क्या शिकायतकर्ता किसी खास वकील को विशेष लोक अभियोजक नियुक्त करने के लिए कह सकता है? आपकी (शिकायतकर्ता की) सोच है कि मामला उचित तरीके से निचली अदालत में प्रस्तुत किया जाना चाहिये तथा विधि अधिकारी आपके हितों की रक्षा करने के लिये अपना दायित्व निभाए।’’

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यह स्पष्ट किया जाता है कि याचिकाकर्ता (बेगम) द्वारा सुझाये तीन नामों को राज्य सरकार ने सकारात्मक तरीके से लिया है।

उसने कहा, ‘‘ राज्य सरकार अपने विवेक और बुद्धि से निश्चित रूप से विशेष लोक अभियोजक के रूप में सही उम्मीदवार का चयन कर सकती है, भले ही वह (याचिकाकर्ता द्वारा) सुझाए गए तीन नामों में से कोई भी न हो।’’

अपनी अर्जी में बेगम ने कहा कि मिराजकर को हटाने का फैसला तब किया गया, जब उन्होंने निचली अदालत में आवेदन देकर अनुरोध किया कि सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी प्रफुल भोसले एवं तीन अन्य पुलिस अधिकारियों को सम्मन जारी किया एवं उनपर हत्या के आरोप में मुकदमा चलाया जाए।

चार पुलिसकर्मियों की ओर से पेश वकील सुभाष झा ने बेगम की अर्जी पर दखल देने की मांग की, लेकिन पीठ ने कहा कि विशेष लोक अभियोजक की नियुक्ति से इन पुलिसकर्मियों पर बुरा असर नहीं पड़ेगा और वह झा का पक्ष सुनवाई की अगली तारीख पर सुनेगी।

सॉफ्टवेयर इंजीनियर युनूस को दिसंबर, 2002 के घाटकोपर बम धमाके के शीघ्र बाद कथित रूप से हिरासत में लिया गया था और वह 2003 में छह एवं सात जनवरी की दरम्यानी रात को जांच के सिलसिले में औरंगाबाद ले जाये जाने दौरान कथित रूप से पुलिस हिरासत से भाग गया था, जब पुलिस की जीप अहमदनगर में दुर्घटना का शिकार हो गयी थी। बाद में अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने हिरासत में युनूस की हत्या करने और सबूत मिटाने को लेकर पुलिस अधिकारियों के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज की थी।

भाषा

राजकुमार दिलीप

दिलीप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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