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रविवार, 4 मई, 2025
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‘ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते’ के तहत सात साल में 84,119 बच्चों को बचाया गया : रेलवे

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नयी दिल्ली, 17 जुलाई (भाषा) रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने गत सात साल में रेलवे स्टेशन और रेलगाड़ियों से 84,119 बच्चों को गलत हाथों में जाने से बचाया है। रेल मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति जारी कर यह जानकारी दी।

मंत्रालय ने बताया कि आरपीएफ पिछले सात साल से ‘नन्हे फरिश्ते’ नाम से चलाये जा रहे अभियान में अग्रणी रहा है। यह मिशन विभिन्न भारतीय रेलवे जोन में देखभाल और संरक्षण की जरूरत वाले बच्चों के लिए है।

मंत्रालय ने बताया कि 2018 में ‘ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते’ की शुरुआत हुई। इस वर्ष, आरपीएफ ने कुल 17,112 पीड़ित बच्चों को बचाया, जिनमें लड़के और लड़कियां दोनों शामिल हैं। बचाए गए 17,112 बच्चों में से 13,187 बच्चों की पहचान भागे हुए बच्चों के रूप में की गई जबकि 2105 लापता पाए गए, 1091 बच्चे बिछड़े हुए, 400 बच्चे निराश्रित, 87 अपहृत, 78 मानसिक रूप से कमजोर और 131 बच्चे बेघर पाए गए।’’

विज्ञप्ति के मुताबिक, 2018 में इस तरह की पहल की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करते हुए अभियान के लिए एक मजबूत नींव रखी गई।

मंत्रालय ने वर्षवार आंकड़े देते हुए बताया कि वर्ष 2019 में कुल 15,932 बच्चों को बचाया गया जिनमें से 12,708 भागे हुए, 1454 लापता, 1036 बिछड़े हुए, 350 निराश्रित, 56 अपहृत, 123 मानसिक रूप से कमजोर और 171 बेघर बच्चे थे।

विज्ञप्ति के मुताबिक, साल 2020 कोविड महामारी के कारण चुनौतीपूर्ण था, इसने सामान्य जीवन को बाधित किया और अभियानों पर गहरा प्रभाव डाला। इन चुनौतियों के बावजूद आरपीएफ ने 5,011 बच्चों को बचाया।

मंत्रालय ने बताया कि 2021 के दौरान 11,907 बच्चों को बचाया गया जिनमें से 9601 बच्चों की पहचान घरों से भागे हुए बच्चों के रूप में, 961 लापता के रूप में, 648 बिछड़े हुए, 370 निराश्रित, 78 अपहृत, 82 मानसिक रूप से कमजोर और 123 की पहचान बेघर बच्चों के रूप में हुई।

आरपीएफ की सराहना करते हुए मंत्रालय ने कहा कि 2022 में बल ने 17,756 बच्चों को बचाया। इनमें से 14,603 भागे हुए, 1156 लापता, 1035 बिछड़े हुए, 384 निराश्रित, 161 अपहृत, 86 मानसिक रूप से कमजोर और 212 बेघर बच्चे थे। मंत्रालय के अनुसार, इस पहल को रेलवे जोनों में अधिक समन्वित अभियानों तथा बढ़ती जागरूकता के कारण और अधिक सहयोग मिला।

विज्ञप्ति के मुताबिक, 2023 में आरपीएफ ने 11,794 बच्चों को बचाया जिनमें से 8916 बच्चे घर से भागे हुए थे। वहीं 986 की पहचान लापता के तौर पर, 1055 की बिछड़े हुए, 236 की निराश्रित, 156 की अपहृत, 112 मानसिक रूप से कमजोर और 237 की बेघर के तौर पहचान की गई ।

मंत्रालय ने बताया कि 2024 के शुरुआती पांच महीनों में 4,607 बच्चों को बचाया है जिनमे से 3430 की पहचान घर से भागे हुए बच्चों के तौर पर की गई है। यह संख्या बच्चों के भागने की लगातार जारी समस्या तथा उन्हें अपने माता-पिता के पास सुरक्षित पहुंचाने के लिए आरपीएफ द्वारा किए जा रहे प्रयासों दोनों को दर्शाती हैं।

विज्ञप्ति के मुताबिक ‘ट्रैक चाइल्ड पोर्टल’ पर बचाये गए बच्चों की पूरी जानकारी उपलब्ध रहती है। 135 से अधिक रेलवे स्टेशन पर ‘चाइल्ड हेल्पडेस्क’ उपलब्ध हैं। इसमें कहा गया कि आरपीएफ बचाये गए बच्चों को जिला बाल कल्याण समिति को सौंप देती है। जिला बाल कल्याण समिति बच्चों को उनके माता-पिता तक पहुंचाती है।

भाषा धीरज मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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