नयी दिल्ली, चार मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने ट्विटर को साहित्यिक चोरी के आरोपों को लेकर इतिहासकार विक्रम संपत के खिलाफ शिक्षाविद डॉ. ऑड्रे ट्रुश्क द्वारा पोस्ट किए गए कुछ मानहानिकारक ट्वीट को हटाने का निर्देश दिया है।
ट्वीट हटाने के अनुरोध वाली संपत की याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति अमित बंसल ने कहा कि ट्वीट मानहानिकारक प्रकृति के हैं और इनमें “उन्हीं पत्रों” के लिंक हैं जिनके प्रकाशन पर पूर्व में अदालत द्वारा रोक लगाई गई थी। उन्होंने कहा कि वादी की ओर से प्रथम दृष्टया मामला बनता है।
संपत का आवेदन विनायक दामोदर सावरकर पर उनके काम के संबंध में उन पर लगाए गए साहित्यिक चोरी के आरोपों पर ट्रुश्क और अन्य के खिलाफ उनके मानहानि के मुकदमे का हिस्सा है।
अदालत ने कहा कि उनके खिलाफ पारित अंतरिम आदेशों के बावजूद, ट्रुश्क ने ट्विटर पर “वादी के खिलाफ अपमानजनक सामग्री पोस्ट करना जारी रखा” और उसके सामने पेश होने में विफल रहीं।
अदालत ने दो मई के अपने आदेश में कहा, “प्रथम दृष्टया वादी की ओर से मामला बनता है… इस तथ्य को देखते हुए कि प्रतिवादी संख्या-1 (ट्रुश्क) इस अदालत में पेश नहीं हुई हैं और उसकी कार्यवाही में शामिल नहीं हो रही हैं, प्रतिवादी संख्या-4/ट्विटर को निर्देश दिया जाता है कि वह मौजूदा याचिका में अनुरोध ‘ए’ में उल्लेखित ट्वीट को हटाए।”
अदालत ने कहा, “मेरे विचार में, वर्तमान आवेदन की विषय वस्तु के संबंध में ट्वीट की प्रकृति मानहानिकारक हैं और उक्त ट्वीट में उन्हीं पत्रों के संदर्भ में एक लिंक पोस्ट किया गया है, जिसके प्रकाशन पर इस न्यायालय द्वारा 18 फरवरी 2022 और 24 फरवरी 2022 के आदेश द्वारा रोक लगाई गई थी।”
अदालत ने ट्रुश्क को याचिका पर अपना जवाब दायर करने के लिये चार हफ्ते का समय भी दिया।
अदालत ने 18 फरवरी को शिक्षाविद् ट्रुश्क, डॉ. अन्नया चक्रबर्ती, डॉ. रोहित चोपड़ा और अन्य के खिलाफ पारित अंतरिम आदेश में कोई भी मानहानिकारक सामग्री और लंदन स्थित रॉयल हिस्टोरिकल सोसाइटी को लिखे गये उस पत्र के प्रकाशन पर सोमवार को रोक लगा दी थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि इतिहासकार विक्रम संपत ने विनायक दामोदर सावरकर पर अपनी कृति में साहित्यिक चोरी की है।
इस मामले में अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी।
भाषा
प्रशांत अविनाश
अविनाश
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