नई दिल्ली: नई दिल्ली और अबूधाबी द्वारा शुक्रवार को हस्ताक्षरित भारत-संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (कम्प्रेहैन्सिव इकनोमिक पैक्ट एग्रीमेंट – सीईपीए) के तहत इन वस्तुओं पर वर्तमान में संयुक्त अरब अमीरात द्वारा लगाए जा रहे पांच प्रतिशत आयात शुल्क को हटाए जाने से लगभग 26 बिलियन डॉलर मूल्य के भारतीय उत्पादों को लाभ होगा.
यह सीईपीए किसी भी खाड़ी देश के साथ भारत द्वारा हस्ताक्षरित पहला व्यापक व्यापार समझौता है. साथ ही, यह पिछले एक दशक में भारत का पहला मुक्त व्यापार समझौता भी है.
इस समझौते के मई के पहले सप्ताह में प्रभावी होने की उम्मीद है और दोनों देशों द्वारा निर्यात किए जा रहे उत्पादों की बड़ी श्रृंखला पर आयात-निर्यात शुल्कों को समाप्त कर दिए जाने के साथ अगले पांच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार, जो वर्तमान में 50-60 अरब डॉलर से अधिक है, के दोगुना होकर 100 अरब डॉलर तक पहुंच जाने का अनुमान है.
नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अबू धाबी के क्राउन प्रिंस और संयुक्त अरब अमीरात के सशस्त्र बलों के डिप्टी सुप्रीम कमांडर शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के बीच शुक्रवार को हुए वर्चुअल शिखर सम्मेलन के बाद यूएई के अर्थव्यवस्था मंत्री (मिनिस्टर ऑफ़ इकॉनमी) अब्दुल्ला बिन तौक अल मर्री के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करते हुए भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, ‘यह व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता दोनों अर्थव्यवस्थाओं के लिए व्यापक लाभ प्रदान करने वाला है और दोनों अर्थव्यवस्थाओं में व्यापार के काफी सारे अवसर प्रदान करता है.’
वहीं मीडिया को संबोधित करते हुए अल मर्री ने कहा कि भारत-यूएई सीईपीए भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच आपसी संबंधों के संदर्भ में एक मील का पत्थर है जिसे दशकों के उद्यम के आधार पर बनाया गया है और जो दोनों देशों के लोगों के लिए प्रगति और समृद्धि का एक नया युग स्थापित करने की आशा रखता है.‘
यह समझौता न केवल भारतीय निर्यातकों को संयुक्त अरब अमीरात के बाजार तक अपनी पहुंच हासिल करने में सक्षम बनाएगा, बल्कि उन्हें अरब और अफ्रीकी देशों के एक बड़े क्षेत्र तक भी व्यापक पहुंच प्रदान करेगा.
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कई सारी वस्तुओं पर लगेगी जीरो ड्यूटी
एक साल से भी कम समय में हुई बातचीत के दौरान तैयार किये गए इस इस सीईपीए के तहत संयुक्त अरब अमीरात अपनी 80 प्रतिशत से अधिक टैरिफ लाइनों पर तात्कालिक रूप से करों को समाप्त करने की पेशकश करेगा. निर्यात मूल्य के आधार पर ये वस्तुएं भारत के द्वारा संयुक्त अरब अमीरात को किये गए निर्यात का 90 प्रतिशत हैं.
समझौता लागू होने के दिन से ही जीरो ड्यूटी लगायी जाएगी, लेकिन इसका प्रभाव चरणबद्ध तरीके से महसूस किया जाएगा.
इस समझौते से जिन भारतीय उत्पादों को लाभ होने वाला है उनमें रत्न और आभूषण, कपड़ा और दवा उत्पाद (फार्मास्यूटिकल्स) शामिल हैं. संयुक्त अरब अमीरात की ओर से धातु, खनिज, पेट्रोकेमिकल, पेट्रोलियम उत्पाद और खजूर जैसे उत्पादों को लाभ होगा.
अल मर्री ने कहा, ‘मुझे पूरा विश्वास है कि संयुक्त अरब अमीरात-भारत व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते को न केवल हमारे दोनों देशों के लिए, बल्कि वैश्विक व्यापार के लिए भी एक नए युग की शुरुआत के रूप में एक बड़ी उपलब्धि के रूप में माना जाएगा.’
शुक्रवार को हुए वर्चुअल शिखर सम्मेलन के दौरान ही पीएम मोदी और अबू धाबी के क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने एक मेमोरेंडम ऑफ़ अंडरस्टैंडिंग (समझौता ज्ञापन) के माध्यम से भारतीय कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (इंडियन एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फ़ूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी – एपेड़ा) और संयुक्त अरब अमीरात की लॉजिस्टिक्स फर्मों डीपी वर्ल्ड और अल दाहरा के बीच एक संयुक्त खाद्य सुरक्षा गलियारा (जॉइंट फ़ूड सिक्योरिटी कॉरिडोर) स्थापित किये जाने के पहल की भी घोषणा की थी.
भारतीय फार्मास्यूटिकल्स, टेक्सटाइल्स, प्लास्टिक उत्पादों को होगा फायदा
वाणिज्य मंत्री गोयल के अनुसार, सीईपीए भारत के श्रम प्रधान क्षेत्रों में मदद करेगा और इसमें भारतीय दवा उत्पादों के व्यापार को और सुविधाजनक बनाने के लिए अलग से एक अनुबंध शामिल किया गया है.
गोयल ने कहा, ‘भारत में जिन प्रमुख क्षेत्रों को इससे लाभ होगा उनमें रत्न और आभूषण, वस्त्र, चमड़ा, जूते, खेल के सामान, प्लास्टिक, फर्नीचर, कृषि उत्पाद, इंजीनियरिंग उत्पाद, फार्मास्यूटिकल्स, चिकित्सा उपकरण और ऑटोमोबाइल (बाइक और गाड़ियां) शामिल हैं. इनमें से अधिकांश क्षेत्र बड़े पैमाने पर श्रम-उन्मुख (कामगार्रों के द्वारा संचालित) हैं.’ साथ ही उन्होंने बताया कि इस सौदे से भारत में 10 लाख नई नौकरियां पैदा होने का अनुमान है.
करों में की गयी इस कमी का उदाहरण देते हुए वाणिज्य सचिव बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने कहा: ‘हमने संयुक्त अरब अमीरात को सोने पर करों में रियायतें दी हैं, और उन्होंने आभूषणों पर लगने वाले शुल्क ख़त्म कर दिया है.’
यह पहली बार है कि संयुक्त अरब अमीरात ने 90 दिनों के भीतर भारतीय फार्मास्यूटिकल्स के लिए विनियामक अनुमोदन (रेगुलेटरी अप्रूवल) की सुविधा के प्रति अपनी सहमति व्यक्त की है. खास तौर पर उन उत्पादों के लिए जिन्हें यूएस, यूके, यूरोपीय संघ, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित देशों में स्वीकृत दी जा चुकी है.
गोयल ने कहा, ‘यूएई हमारे इस अनुरोध को स्वीकार करने में बड़ी उदारता दिखाई है कि अगर एक बार अमेरिका, यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, कनाडा या ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित देशों द्वारा किसी दवा या चिकित्सा उत्पाद को स्वीकार कर लिया जाता है, तो इसे 90 दिनों के भीतर समयबद्ध तरीके से यूएई में विपणन के लिए बाजारों तक पहुंच और नियामक अनुमोदन प्राप्त हो जायेगा.’
उन्होंने यह भी कहा कि यूएई से पेट्रोकेमिकल्स के किफायती मूल्य पर आयात होने से भारत में प्लास्टिक उद्योग को मदद मिलेगी.
समझौते की वजह से 2030 तक यूएई के जीडीपी में $8.9 बिलियन की बढ़ोत्तरी का अनुमान
अल मर्री ने कहा कि संयुक्त अरब अमीरात के परिप्रेक्ष्य से इस सौदे की वजह से 2030 तक देश के सकल घरेलू उत्पाद में 1.7 प्रतिशत या $ 8.9 बिलियन की वृद्धि होने और इसके निर्यात के 1.5 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है.
उन्होंने बताया कि यह मुक्त व्यापार समझौता या एफटीए महामारी से उबरने की संयुक्त अरब अमीरात की योजना का हिस्सा है.
उन्होंने कहा, ‘यह (महामारी) एक रीसेट (फिर से शुरुआत करने) जैसा था जिसने हमें एक नए दृष्टिकोण को अपनाने और अपनी अंतर्राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं का विस्तार करने की चुनौती दी. प्रमुख भागीदारों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना अब इस नीति का एक प्रमुख स्तंभ बन गया है.’ साथ ही, उन्होंने कहा कि यूएई का लक्ष्य ‘वैश्विक व्यापार में सहायता प्रदान करने वाले और निवेश तथा संयुक्त उद्यम के अवसरों में तेजी लाने’ के रूप में अपनी हैसियत में और वृद्धि करना है.
उन्होंने कहा कि यह सौदा आतिथ्य सत्कार (हॉस्पिटैलिटी), स्वास्थ्य सेवा, लॉजिस्टिक्स (रसद), निर्माण और पेशेवर सेवाओं जैसे क्षेत्रों में दोतरफा निवेश को प्रोत्साहित करेगा.
इससे पहले संयुक्त अरब अमीरात ने इस क्षेत्र में बुनियादी ढांचे वाली परियोजनाओं को स्थापित करने के लिए कई मेमोरेंडम ऑफ़ अंडरस्टैंडिंगस (समझौता ज्ञापनों) के माध्यम से जम्मू और कश्मीर में निवेश में रुचि दिखाई थी. हाल ही में, संयुक्त अरब अमीरात स्थित लुलु समूह ने श्रीनगर में खाद्य प्रसंस्करण और लॉजिस्टिक्स केंद्र के निर्माण के लिए जम्मू और कश्मीर में 200 करोड़ रुपये का निवेश करने पर सहमति व्यक्त की है.
गोयल ने कहा: ‘खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में बहुत अभिरुचि है. इसमें निवेश की ऐसी रुचि है, विशेष रूप से संयुक्त अरब अमीरात से, जो हमारी मूल अपेक्षाओं से कहीं अधिक है.’.
यह सीईपीए डिजिटल व्यापार के क्षेत्र में भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच और अधिक सहयोग की भी परिकल्पना करता है. दोनों देशों ने डिजिटल कॉमर्स के लिए एक आधुनिक ढांचा स्थापित करने के लिए काम किया है जिसमें डेटा संरक्षण, डिजिटल उपभोक्ता अधिकार, डिजिटल हस्ताक्षर, डिजिटल पहचान और सुरक्षित डेटा फ्लो शामिल हैं.
डिजिटल व्यापार की लगातार बदलती प्रकृति के कारण, यह इस व्यापार समझौते का एक ‘अस्थिर’ हिस्सा होगा जिसमें परिवर्तन होते रहे सकते हैं.
इस बारे में बात करते हुए अल मर्री ने समझाया, ‘कुछ अध्याय (सीईपीए के) हैं जिनमें हम कुछ वृद्धि और संशोधन कर सकते हैं, और डिजिटल व्यापार उनमें से एक है जिसमें तेजी और स्फूर्ति है.’
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