पटना: यूट्यूब ने भारत सरकार के आदेशों का हवाला देते हुए कई लोकल न्यूज़ चैनलों द्वारा पिछले हफ्ते पटना में रेलवे नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों के विरोध प्रदर्शन के दिखाए गए वीडियो को ब्लॉक कर दिया है. ऐसा लगता है कि एक चैनल पूरी तरह से बंद हो गया है.
विरोध प्रदर्शन 30 जनवरी को शुरू हुआ जब रेलवे लोको पायलट बनने की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों ने रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) द्वारा सहायक लोको पायलट (एएलपी) के 5,696 पदों के लिए आवेदन मांगने के लिए जारी अधिसूचना का विरोध करते हुए पटना में उग्र प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारी पदों की संख्या बढ़ाने की मांग कर रहे थे.
पुलिस ने शहर के कई हिस्सों में लाठीचार्ज किया और कई इलाकों में धारा-144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी. विरोध प्रदर्शन में पूरे बिहार से रेलवे अभ्यर्थियों की भागीदारी देखी गई, जिन्हें शहर में सरकारी नौकरियों के लिए कोचिंग संस्थानों का समर्थन प्राप्त था.
प्रदर्शनों को कई यूट्यूब चैनलों ने कवर किया था, जिन्होंने प्रदर्शनकारियों द्वारा अपनी मांगें रखने के वीडियो अपलोड किए.
जिन चैनलों पर विरोध के वीडियो ब्लॉक किए गए उनमें ‘क्या कहती है पब्लिक’, ‘सच बिहार’ और ‘ऑन ड्यूटी’ शामिल हैं. इनमें से दो चैनलों से जुड़े लोगों ने दिप्रिंट को बताया कि उन्हें यूट्यूब से ईमेल मिले हैं, जिसमें कहा गया है कि उन्हें “आपके कंटेंट के संबंध में राष्ट्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था से संबंधित सरकार से एक आदेश मिला है”.
ऑन ड्यूटी चलाने वाले ब्रिजेश सत्यार्थी ने दिप्रिंट को बताया, “यूट्यूब ने हमारे चैनल को ब्लॉक नहीं किया, लेकिन सरकार की शिकायत का हवाला देते हुए प्रदर्शन का वीडियो हटा दिया. यूट्यूब ने कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था का मामला है, लेकिन वीडियो में ऐसा कुछ नहीं था. हम सिर्फ एएलपी उम्मीदवारों के विरोध प्रदर्शन को कवर कर रहे थे.”
‘क्या कहती है पब्लिक’ से जुड़े एक पत्रकार ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “हम जानते हैं कि वीडियो में कुछ भी नहीं है, लेकिन सरकार ने वही किया है जो वह चाहती है. जो भी उनके खिलाफ है, वे उसे बंद कर देंगे.”
जाहिर तौर पर बंद किया गया यूट्यूब चैनल ‘एसके झा’ है, जिसका नाम इसे चलाने वाले कोचिंग शिक्षक के नाम पर रखा गया है.
झा पटना में ‘आश एजुकेशन प्राइवेट लिमिटेड’ नाम से एक कोचिंग सेंटर और यूट्यूब चैनल चलाते हैं, जिस पर वे सरकारी नौकरी परीक्षाओं के लिए ऑनलाइन कोचिंग देते हैं. चैनल के करीब 11 लाख सब्सक्राइबर्स थे.
झा ने एक अन्य चैनल पर एक वीडियो संदेश जारी कर कहा, “हमारा चैनल सरकार के आदेश पर बंद कर दिया गया था. सरकार इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला मानती है. संभव है कि उन्हें लगता हो कि (विरोध) आंदोलन बड़ा हो सकता है और उसी के अनुरूप कार्रवाई की गयी है. हम भारत के संविधान में विश्वास करने वाले लोग हैं. सरकार भ्रमित हो गई होगी या किसी ने ऐसा करवा दिया होगा. हमने किसी भी उम्मीदवार को नहीं उकसाया.”
झा उन लोगों में से थे जिन्होंने रेलवे उम्मीदवारों के विरोध का समर्थन किया था और अपने यूट्यूब चैनल पर उसी पर एक वीडियो डाला था. नाम न छापने की शर्त पर कोचिंग के मैनेजर ने बताया कि उन्हें स्पष्ट रूप से बंद होने के संबंध में YouTube से कोई ईमेल नहीं मिला है.
झा के अधीन पढ़ने वाले और एएलपी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र रितिक कुमार ने दिप्रिंट को बताया, “एस.के. झा वर्तमान में बिहार में रेलवे परीक्षा की तैयारी के लिए नंबर एक शिक्षक हैं. जब पटना में छात्रों ने रेलवे की वैकेंसी बढ़ाने के लिए प्रदर्शन किया तो सर ने उनका समर्थन करते हुए एक वीडियो बनाया. तब से सर का चैनल बंद है.”
कुमार ने कहा, “लोको पायलटों के लिए केवल 5,000 पद निकले हैं. 2018 में 64,000 से ज्यादा पदों पर भर्तियां निकली थीं. छह साल में भर्ती कम हो गई है. हमें उम्मीद थी कि कम से कम 30,000 पदों पर भर्ती होगी.”
झा के कोचिंग मैनेजर ने दिप्रिंट को बताया, “सर ने अपने वीडियो में ऐसा कुछ नहीं कहा जो राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला हो. साहब सिर्फ अभ्यर्थियों के हक की बात करते हैं. देश में इतनी बेरोज़गारी है और कई सालों के बाद ALP की वैकेंसी निकली है. इतनी कम सीटें हैं तो जाहिर सी बात है कि छात्र नाराज़ होंगे. उम्मीदवार कई साल से इंतज़ार कर रहे हैं.”
दिप्रिंट ने इस मुद्दे पर सवाल पूछने के लिए आरआरबी पटना के सहायक सचिव से फोन पर संपर्क किया था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिल पाया है. पटना पुलिस अधीक्षक वैभव शर्मा ने भी दिप्रिंट की कॉल का जवाब नहीं दिया. उनकी प्रतिक्रिया मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.
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‘हज़ारों खाली पद, सरकार नहीं भर रही’
दिप्रिंट ने ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन (एआईएलआरएसए) के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष एन.बी दत्ता से बात की, जिन्होंने रेलवे अभ्यर्थियों की शिकायतों के बारे में बताया. उन्होंने कहा, “रेलवे दशकों से लोको पायलटों की कमी से जूझ रहा है. हज़ारों पद अभी भी खाली हैं. लोको पायलटों को 16 घंटे काम करना पड़ता है और छुट्टी भी नहीं मिलती, लेकिन सरकार पद नहीं भर रही है. उम्मीदवार सही मांग उठा रहे हैं और उनका समर्थन करने वालों को सरकार द्वारा परेशान किया जा रहा है.”
इस जनवरी में एआईएलआरएसए ने कथित तौर पर रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष को पत्र लिखकर कहा था कि कुल 16,373 लोको पायलट पद खाली हैं और इन पर भर्ती के लिए कहा गया था.
पिछले साल केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि रेलवे में 2.93 लाख पद खाली हैं.
तीन साल से पटना के मुसल्लहपुर हाट में रेलवे परीक्षा की तैयारी कर रहीं रचना भारती ने कहा, “सरकार युवाओं की बात नहीं सुन रही है. बहुत सारे पद खाली हैं. अभ्यर्थी वर्षों तक रिक्तियों का इंतज़ार करते हैं और परीक्षाओं के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं. मैंने आईटीआई से कोर्स किया ताकि जब एएलपी की वैकेंसी आए तो मुझे नौकरी मिल सके. यह आसान होना चाहिए, लेकिन मेरी उम्मीदें टूट गईं. मुझे नहीं पता कि सीटें इतनी कम होने पर मेरा चयन होगा या नहीं.”
(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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