अगरतला, 22 मार्च (भाषा) त्रिपुरा के जनजातीय कल्याण मंत्री और आईपीएफटी के नेता मेवार कुमार जामातिया ने मंगलवार को दावा किया कि आदिवासियों की युवा पीढ़ी में बहुसंख्य लोग पहाड़ी एवं मैदानी क्षेत्रों के विकास में विषमता के कारण मूल लोगों के लिए पृथक राज्य की मांग का समर्थन करते हैं।
त्रिपुरा की करीब 40 लाख की जनसंख्या में एक तिहाई जनजाति हैं जो पहाड़ी क्षेत्रों में रहते हैं और वहां का शासन त्रिपुरा जनजाति क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद चलाती है। राज्य में करीब दो तिहाई आबादी बंगालियों की है जो मुख्य रूप से मैदानी क्षेत्रों में रहते हैं।
मंत्री ने विधानसभा में कहा, ‘‘ यह तथ्य है कि पहाड़ों एवं मैदान में विषमता एवं असमान विकास के चलते हमारी युवा पीढ़ी में बहुसंख्य लोग पृथक राज्य की मांग का समर्थन करते हैं ।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ दुर्भाग्य से, आजादी के 74 साल बाद भी मैदान एवं पहाड़ के विकास में विषमता बनी हुई है । मूल लोग सामाजिक एवं आर्थिक न्याय के लिए चिल्ला रहे हैं।’’
मंत्री ने कहा कि लेकिन भाजपा-आईपीएफटी सरकार ने मूल लोगों के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है।
इंडिजीनियस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के महासचिव जामातिया ने कहा, ‘‘ नयी चुनौतियों से निपटने के लिए भाजपा-आईपीएफटी शासन के पिछले चार वर्षों में नयी योजनाएं शुरू की गयी हैं। इतिहास में पहली बार केंद्र ने राज्य के जनजाति बहुल क्षेत्रों में अवसंरचना विकास के लिए 1300 करोड़ रूपये का विशेष पैकेज मंजूर किया। ’’
इस विशेष पैकेज को अगले पांच सालों में सड़क , स्वास्थ्य सुविधाएं , शिक्षा एवं पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाओं में सुधार पर खर्च किया जाएगा।
मंत्री ने कहा, ‘‘ माकपा को लोगों की सेवा करने के लिए 35 साल मिले और कांग्रेस ने 30 सालों तक शासन किया लेकिन दोनों ही उम्मीदों पर विफल रहे। भाजपा-आईपीएफटी सरकार ने मूल लोगों के कल्याण के लिए अच्छा काम किया है। लोग सरकार के कामकाज का मूल्यांकन करेंगे।’’
भाषा राजकुमार उमा
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