नई दिल्ली: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की किताबों में हाल ही में “तर्कसंगतता के नाम पर सिलेबस को फिर से तैयार करने की प्रक्रिया” पर आपत्ति जताते हुए, कक्षा 9 से 12 तक की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों के मुख्य सलाहकार योगेंद्र यादव और सुहास पलशिकर ने अनुरोध किया है कि उनके नाम हटा दिए जाएं.
एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश सकलानी को लिखे एक पत्र में यादव और पलशिकर ने परिषद से 2006-07 में मूल रूप से प्रकाशित सभी छह पुस्तकों से “मुख्य सलाहकार” के रूप में अपना नाम हटाने के लिए कहा है. दोनों राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफ) के अनुसार, पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए 2005 में गठित पाठ्यपुस्तक विकास समिति का हिस्सा थे.
उन्होंने शुक्रवार को छात्रों को लिखे पत्र, जिसे उन्होंने ट्विटर पर भी पोस्ट किया है, कहा, “हम दोनों खुद को इन पाठ्यपुस्तकों से अलग करना चाहते हैं और एनसीईआरटी से अनुरोध करते हैं कि उल्लिखित कक्षा IX, X, XI और XII की सभी राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों से प्रत्येक पाठ्यपुस्तक की शुरुआत में पाठ्यपुस्तक विकास दल की सूची में मुख्य सलाहकार के रूप में हमारा नाम हटा दिया जाए.”
उन्होंने यह भी कहा कि वे “शर्मिंदा” महसूस करते हैं कि उनका नाम मुख्य सलाहकार के रूप में उल्लेख किया गया है.
दिप्रिंट ने इस नए सिलेबस को लेकर एनसीईआरटी के निदेशक से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनकी ओर से प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई.
In view of the regularity with which NCERT is 'rationalizing', among other books, political science textbooks, our names should not be used as Chief Advisors, I and Yogendra Yadav @_YogendraYadav request NCERT. Wouldn't that be an appropriate rationalization? pic.twitter.com/J0LA30YMlP
— suhas palshikar (@PalshikarSuhas) June 9, 2023
इस साल, एनसीईआरटी ने “रेशनलाइज़ेशन” के हिस्से के रूप में कक्षा 6 से 12 की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों से सिलेबस के कुछ हिस्सों—महात्मा गांधी की हत्या पर अंश, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर प्रतिबंध जिसने एक विवाद पैदा किया, को हटा दिया है. ये पूरी कवायद पिछले साल जून में आई एक विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के आधार पर की गई थी.
हालांकि, एनसीईआरटी ने कहा कि कोविड महामारी के मद्देनजर बच्चों पर सिलेबस के बोझ को कम करने के लिए “रेशनलाइज़ेशन” किया गया था, लेकिन हटाए गए अध्यायों की प्रकृति पर सवाल उठाए थे.
अप्रैल में एनसीईआरटी के निदेशक ने कहा था कि अध्याय हटाना एक “संभावित चूक” का हिस्सा हो सकता है. ये कहते हुए कि परिवर्तनों को बहाल नहीं किया जाएगा उन्होंने कहा कि “कोई गलत इरादा नहीं” था.
शिक्षाविदों ने कहा था कि पाठ्यक्रम “रेशनलाइज़ेशन” अभ्यास के लिए उनसे सलाह नहीं ली गई थी.
इस बीच, यादव और पलशिकर ने कहा कि पुस्तकों के नवीनतम संस्करण में हटाई गई सामग्री को मान्यता से परे विकृत कर दिया है. पत्र में कहा गया, “हम पाते हैं कि सिलेबस को मान्यता से परे विकृत कर दिया गया है. इस प्रकार बनाए गए अंतराल को भरने के किसी भी प्रयास के बिना असंख्य और तर्कहीन कटौती और बड़े अध्याय हटाए गए हैं.”
दोनों ने कहा कि उनसे “इन परिवर्तनों के बारे में कभी भी परामर्श नहीं किया गया या सूचना नहीं दी गई” और आगे कहा कि अगर एनसीईआरटी ने इन कटौती और हटाए गए अध्याय पर निर्णय लेने के लिए अन्य विशेषज्ञों से परामर्श किया, तो वे “इस संबंध में उनसे पूरी तरह असहमत हैं.”
पूरी “रेशनलाइज़ेशन” प्रक्रिया को “स्पष्ट रूप से पक्षपातपूर्ण” करार देते हुए, उन्होंने कहा कि “लगातार इन अध्यायों को हटाया जाना सत्ताधारियों को खुश करने के अलावा कोई तर्क नहीं लगता है.”
दोनों ने परिषद से “उनके अनुरोध पर तुरंत प्रभाव डालने” और पुस्तकों के सॉफ्ट कॉपी संस्करण में भी उनके नाम का उपयोग नहीं करने के लिए कहा है.
(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)
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