नई दिल्ली: संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा एक महीने के लिए निलंबित किए जाने पर योगेंद्र यादव ने कहा कि वो सामूहिक निर्णय प्रक्रिया का सम्मान करते हैं और इस सजा को स्वीकार भी करते हैं.
योगेंद्र यादव ने शुक्रवार शाम एक बयान जारी कर कहा कि किसान आंदोलन देश के लिए आशा की एक किरण बनकर आया है. इसकी एकता और सामूहिक निर्णय प्रक्रिया को बनाए रखना आज के वक्त की सबसे बड़ी जरूरत है.
उन्होंने कहा, ‘संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में पिछले 11 महीने से किसान विरोध बीजेपी सरकार द्वारा थोपे काले कानूनों के विरुद्ध चल रहा आंदोलन देश के लिए आशा की एक किरण बनकर आया है. इस ऐतिहासिक आंदोलन की एकता और इसकी सामूहिक निर्णय प्रक्रिया को बनाए रखना आज क वक्त की सबसे बड़ी जरूरत है.’
मैं संयुक्त किसान मोर्चा की सामूहिक निर्णय प्रक्रिया का सम्मान करता हूं और इस प्रक्रिया के तहत दी गई सजा को सहर्ष स्वीकार करता हूं।
किसान आंदोलन देश के लिए आशा की एक किरण बनकर आया है।इसकी एकता और सामूहिक निर्णय प्रक्रिया को बनाए रखना आज के वक्त की सबसे बड़ी जरूरत है।
मेरा बयानः pic.twitter.com/xasPeegFNo
— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) October 22, 2021
बीते दिनों योगेंद्र यादव लखीमपुर खीरी जाकर पीड़ित भाजपा कार्यकर्ता के परिवार से मिले थे, जिसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्यों ने इसपर विरोध जताया था.
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में 3 अक्टूबर को हुई हिंसा में आठ लोग मारे गए थे. उनमें से चार किसान थे जिन्हें कथित रूप से भाजपा कार्यकर्ताओं को लेकर जा रहे वाहन ने कुचल दिया था. घटना में भारतीय जनता पार्टी के दो कार्यकर्ता और उनका ड्राइवर भी मारे गए थे.
लखीमपुर खीरी से वापस लौटने के बाद योगेंद्र यादव ने दिप्रिंट के लिए लिखे एक लेख में बताया था कि उन्होंने क्यों मारे गए भाजपा कार्यकर्ता के परिवार से मुलाकात की थी.
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‘मानवीय संवेदना की सार्वजनिक अभिव्यक्ति से कोई भी आंदोलन कमजोर नहीं होता’
यादव ने कहा, ‘लखीमपुर खीरी में चार शहीद किसानों और एक पत्रकार की श्रद्धांजलि सभा में भाग लेने के बाद मैं उसी घटना में मृतक बीजेपी कार्यकर्ता शुभम मिश्रा के घर गया था, उनकी शान में नहीं बल्कि परिवार से शोक संवेदना व्यक्त करने के लिए. अपने विरोधियों के भी दुख में शरीक होना इंसानियत और भारतीय संस्कृति के अनुरूप है.’
उन्होंने कहा, ‘मेरी यह समझ रही है कि मानवीय संवेदना की सार्वजनिक अभिव्यक्ति से कोई भी आंदोलन कमजोर नहीं बल्कि मजबूत होता है. जाहिर है आंदोलन में हर साथी इस राय से सहमत नहीं हो सकता और मेरी उम्मीद है कि इस सवाल पर एक सार्थक संवाद शुरू हो सकेगा.’
यादव ने बयान में कहा कि किसी भी आंदोलन में व्यक्तिगत समझ से ऊपर होती है सामूहिक राय. मुझे खेद है कि यह निर्णय लेने से पहले मैंने संयुक्त किसान मोर्चा के अन्य साथियों से बात नहीं की.
उन्होंने कहा, ‘मैं संयुक्त किसान मोर्चा की सामूहिक निर्णय प्रक्रिया का सम्मान करता हूं और इस प्रक्रिया के तहत दी गई सजा को सहर्ष स्वीकार करता हूं. इस ऐतिहासिक किसान आंदोलन की सफलता के लिए मैं पहले से भी ज्यादा लगन से काम करता रहूंगा.’
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