नयी दिल्ली, 25 मई (भाषा) पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकवादी से लेकर कश्मीर में अलगाववादियों का प्रमुख चेहरा बनकर उभरा प्रतिबंधित जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) का प्रमुख यासीन मलिक पिछले तीन दशकों में सीमा से सटे अशांत प्रदेश में विभिन्न कारणों से सुर्खियों में रहा।
एनआईए अदालत द्वारा बुधवार को उम्र कैद की सजा पाने वाला 56 वर्षीय यासीन मलिक 1990 के दौर में आतंकवाद की शुरुआत के पहले अपने छात्र जीवन के समय से ही जेल आता-जाता रहा।
अपनी रिहाई के बाद वर्ष 1994 में हिंसा का रास्ता छोड़कर राजनीति में आने वाले मलिक ने गांधीवादी तरीके से विरोध करने की घोषणा की थी और उसे अलगाववादी खेमे में एक उदारवादी आवाज के तौर पर देखा जाता था। एक पाकिस्तानी कलाकार से शादी करने वाले मलिक की 10 साल की बेटी भी है।
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने मलिक को 2019 की शुरुआत में 2017 में दर्ज आतंक के वित्तपोषण संबंधी मामले में गिरफ्तार किया था।
मलिक का जन्म श्रीनगर स्थित मैसूमा इलाके में तीन अप्रैल 1966 को हुआ था। मलिक वर्ष 1989 में तत्कालीन गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण मामले में भी सुनवाई का सामना कर रहा है।
इसके अलावा, वर्ष 1990 में जेकेएलएफ आतंकवादियों द्वारा श्रीनगर में वायुसेना कर्मियों पर हमले का मामला भी चल रहा है। इस हमले में चार लोगों की मौत हो गई थी और कई घायल हुए थे।
मलिक ने ताला पार्टी का गठन करने के बाद 1980 के दशक में बहुत कम उम्र में ही राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों की शुरुआत की। यह पार्टी श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में भारत और वेस्टइंडीज के बीच 1983 के क्रिकेट मैच को बाधित करने के प्रयास में शामिल थी।
पार्टी ने 11 फरवरी 1984 को तिहाड़ जेल में जेकेएलएफ संस्थापक मोहम्मद मकबूल भट को फांसी देने के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया था।
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शफीक उमा
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