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Tuesday, 23 September, 2025
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यासीन मलिक मामले का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए, फैसला अदालत पर छोड़ देना चाहिए: उमर

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श्रीनगर, 20 सितंबर (भाषा) जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को कहा कि जेकेएलएफ अध्यक्ष यासीन मलिक के मामले का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि इसे न्यायपालिका पर छोड़ देना चाहिए।

उन्होंने जोर देकर कहा कि हथियार डालने के बाद से ही अलगाववादी नेता ‘‘बातचीत के पक्षधर’’ रहे हैं।

उमर की यह टिप्पणी पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती द्वारा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर मलिक के खिलाफ मामले में मानवीय दृष्टिकोण अपनाने का अनुरोध करने के एक दिन बाद आई है, क्योंकि मलिक ने हिंसा का रास्ता छोड़कर राजनीतिक रास्ता चुना है।

आतंक वित्तपोषण के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे मलिक को फरवरी 2019 में गिरफ्तार किया गया था और वह कई मामलों का सामना कर रहा है, जिनमें रुबैया सईद के अपहरण और 1990 में रावलपोरा में भारतीय वायुसेना कर्मियों पर हमले से जुड़े मामले शामिल हैं।

मलिक के मामले के बारे में पूछे जाने पर उमर अब्दुल्ला ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘राजनीति करने की कोई जरूरत नहीं है। चाहे उनकी राजनीतिक विचारधारा कुछ भी हो, मैं बस इतना जानता हूं कि उन्होंने चाहे जैसे भी शुरुआत की हो, उन्होंने हथियार डाल दिए और शांति का रास्ता अपनाया। उन्होंने बातचीत के जरिए मुद्दों को सुलझाने की कोशिश की और हमेशा बातचीत के पक्षधर रहे।’’

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘अदालती फैसले अदालतों पर छोड़ देने चाहिए। अदालतों पर राजनीतिक दबाव डालना अच्छी बात नहीं है।’’

हाल में आई बाढ़ के बाद की स्थिति का आकलन करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जम्मू-कश्मीर यात्रा से उनकी उम्मीदों के बारे में पूछे गए एक सवाल पर, मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने उम्मीद जताई कि प्रभावित लोगों को मुआवजा देने के लिए केंद्र शासित प्रदेश को एक अच्छा पैकेज दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री आ रहे हैं और हम उन्हें स्थिति और लोगों को हुए नुकसान से अवगत कराएंगे। हमें उम्मीद है कि वह जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए एक अच्छा पैकेज प्रदान करेंगे।’’

उन्होंने कहा कि बाढ़ ने जम्मू-कश्मीर में भारी तबाही मचाई है।

भाषा शफीक माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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