नई दिल्ली: रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह का विरोध कर रहे पहलवानों ने मंगलवार को कहा कि वो आज शाम 6 बजे अपने मेडल हरिद्वार जाकर गंगा नदी में बहा देंगे.
पहलवानों ने कहा है कि वे गंगा में अपने मेडल बहा देंगे और दिल्ली में इंडिया गेट पर आमरण अनशन पर बैठेंगे.
पहलवानों ने आगे लिखा कि 28 मई को जो भी हुआ वो सबने देखा, पुलिस ने हमारे साथ क्या व्यवहार किया, हमें कितनी बर्बरता के साथ गिरफ्तार किया गया.
सभी पहलवानों ने पत्र को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर शेयर करते हुए कहा कि “हम अपने मेडल आज शाम 6 बजे हरिद्वार में गंगा नदी में बहा देंगे. गंगा हमारी मां हैं, जितना पवित्र हम गंगा को मानते हैं, उतनी ही पवित्रता से हमने मेहनत करके ये सारे मेडल जीते थे.”
सवाल पूछते हुए पत्र में आगे कहा गया कि क्या महिला पहलवानों ने अपने साथ हुए यौन-उत्पीड़न के लिए न्याय मांगकर कोई अपराध कर दिया हैं.
— Bajrang Punia 🇮🇳 (@BajrangPunia) May 30, 2023
बता दें कि दिल्ली पुलिस ने जंतर-मंतर पर पहलवानों के विरोध-प्रदर्शन को लेकर पहलवान साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया के साथ-साथ आयोजकों और उनके समर्थकों के खिलाफ दंगा करने तथा सरकारी कर्मचारियों के काम में बाधा डालने के आरोप में रविवार को एफआईआर दर्ज की थी.
इससे पहले, दिल्ली पुलिस ने उन्हें रविवार को सुरक्षा घेरा तोड़कर महिला ‘महापंचायत’ के लिए नये संसद भवन की ओर बढ़ने की कोशिश करने के बाद कानून-व्यवस्था के उल्लंघन को लेकर हिरासत में लिया था.
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आत्मसम्मान के साथ समझौता नहीं
पहलवानों ने मंगलवार को जारी पत्र में आगे लिखा कि “अब लग रहा है कि क्यों जीते थे. क्या इसलिए जीते थे कि तंत्र हमारे साथ ऐसा घटिया व्यवहार करें. हमें घसीटे और फिर हमें ही अपराधी बना दे. कल पूरा दिन हमारी कई महिला पहलवान खेतों में छिपती फिरी हैं. तंत्र को पकड़ना उत्पीड़क को चाहिए था, लेकिन वह पीड़ित महिलाओं को उनका धरना खत्म करवाने, उन्हें तोड़ने और डराने में लगा हुआ है. अब लग रहा है कि हमारे गले में सजे इन मेडलों का कोई मतलब नहीं रह गया है. इनको लौटाने की सोचने भर से हमें मौत लग रही थी, लेकिन अपने आत्मसम्मान के साथ समझौता करके भी क्या जीना.”
रविवार को हुई गिरफ़्तारी का जिक्र करते हुए पहलवानों ने आगे कहा कि भारत में बेटियों की जगह कहां हैं. क्या हम केवल नारे बनकर या सत्ता में आने भर का एजेंडा बनकर रह गई हैं. ये मेडल अब हमें नहीं चाहिए क्योंकि इन्हें पहनकर हमें मुखौटा बनाकर केवल अपना प्रचार करता है यह तेज सफेदी वाला तंत्र और फिर हमारा शोषण करता है. हम उस शोषण के खिलाफ बोलें तो हमें जेल में डालने की तैयारी कर लेता है.
देश के शीर्ष पहलवानों ने 23 अप्रैल को बृजभूषण को गिरफ्तार करने की मांग को लेकर अपना आंदोलन फिर से शुरू किया था. प्रदर्शनकारी पहलवानों ने बृजभूषण पर एक नाबालिग सहित कई महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है.
रविवार को हुई पहलवानों की गिरफ़्तारी का विनेश फोगाट ने विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस की आलोचना भी की थी.
उन्होंने ट्विटर पर कहा, “दिल्ली पुलिस को यौन शोषण करने वाले बृजभूषण के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने में सात दिन लगते हैं और शांतिपूर्ण आंदोलन करने पर हमारे खिलाफ एफआईआर दर्ज करने में सात घंटे भी नहीं लगे. क्या इस देश में तानाशाही शुरू हो गई है? सारी दुनिया देख रही है कि सरकार अपने खिलाड़ियों के साथ कैसा बर्ताव कर रही है. एक नया इतिहास लिखा जा रहा है.”
पत्र में कहा कि “पुलिस और तंत्र हमारे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रही है, जबकि उत्पीड़क खुली सभाओं में हमारे ऊपर फबतियां कस रहे हैं.”
किसे लौटाएं ये मेडल
अपने पत्र में पहलवानों ने आगे लिखा कि “मन में यह सवाल आया कि किसे लौटाएं ये मेडल. हमारी राष्ट्रपति को, जो खुद एक महिला हैं. मन ने ना कहा, क्योंकि वह हमसे सिर्फ दो किलोमीटर दूर बैठीं सिर्फ देखती रहीं, लेकिन कुछ भी बोली नहीं. हमारे प्रधानमंत्री को, जो हमें अपने घर की बेटियां बताते थे. मन नहीं माना, क्योंकि उन्होंने एक बार भी अपने घर की बेटियों की सुध नहीं ली, बल्कि नई संसद के उद्घाटन में हमारे उत्पीड़क को बुलाया. वह तेज सफेदी वाले चमकदार कपड़ों में फोटो खिंचवा रहा था. उसकी सफेदी हमें चुभ रही थी, मानो कह रही हो कि मैं ही तंत्र हूं.”
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